हीरा जन्मअनमाेल क्यों,कब,कैसे है
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
हीरा जन्म — अनमोल क्यों, कब और कैसे?
1. ओम शांति
सभी को मेरा प्रणाम। आज हम एक बहुत ही अनमोल विषय पर चर्चा करेंगे — हमारा जन्म, जिसे ‘हीरा जन्म’ कहा जाता है। यह जन्म सच में अनमोल क्यों है? कब और कैसे हमें यह अनमोल जन्म मिलता है?
2. अनमोल जन्म क्यों?
दुनिया सदियों से कहती आई है कि मनुष्य जन्म हीरा जन्म है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि यह ‘हीरा जन्म’ क्यों कहा जाता है? क्यों यह जन्म इतना अमूल्य माना जाता है?
3. कब और कैसे होता है हीरा जन्म?
पूरे कल्प में केवल संगम युग में ही यह ‘हीरा जन्म’ मिलता है, जब हम मनुष्य से देवता बनने का अवसर पाते हैं। यह समय सिर्फ संगम युग का है — न सतयुग, न त्रेता, न द्वापर, न कलयुग।
4. डायमंड (हीरा) जन्म का अर्थ
यह जन्म केवल शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का ‘डायमंड जन्म’ होता है। जैसे असली हीरे को दागों से तराशा जाता है, वैसे ही इस जन्म में आत्मा के दाग मिटाए जाते हैं। यह वह अनमोल समय है जब परमपिता परमात्मा हमें दाग मुक्त, बेदाग हीरा बनाने की ट्रेनिंग देते हैं।
5. आत्मा के दाग कैसे मिटते हैं?
जब हम इस संसार में आते हैं तो अनेक संस्कारों के कारण आत्मा पर दाग लग जाते हैं। परमात्मा आकर हमें यह सिखाते हैं कि इन दागों को कैसे मिटाया जाए। सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग में यह दाग नहीं मिट सकते, केवल संगम युग में यह ज्ञान मिलता है।
6. डायमंड जन्म कब शुरू होता है?
जब आत्मा स्वयं को पहचानती है और परमात्मा को अपना पिता स्वीकार करती है, तभी डायमंड जन्म शुरू होता है। यह जन्म शरीर के बदलने से नहीं बदलता, बल्कि आत्मा के दागों को मिटाने के पुरुषार्थ से चलता रहता है।
7. डायमंड जन्म और पतित जन्म का अंतर
जब हम सुधार रहे होते हैं, तब हम डायमंड जन्म में होते हैं। जब सुधार छोड़ देते हैं, तब पतित जन्म की ओर लौट जाते हैं। डायमंड जन्म तब बंद हो जाता है, लेकिन पुनः प्रयास करने पर फिर से शुरू हो जाता है।
8. निष्कर्ष और संकल्प
आज का हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम अपने दागों को पहचान कर हर दिन प्रयास करें उन्हें मिटाने का, और इस अमूल्य डायमंड जन्म को सफल बनाएं। याद रखें, डायमंड जन्म आत्मा का जन्म है, शरीर का नहीं।
9. आत्मा का मर-जीव जन्म
यह जन्म ‘मर-जीव जन्म’ भी कहलाता है क्योंकि आत्मा मरती नहीं, पर जब वह अपने आप को भूल जाती है तो उसे आत्मा की मृत्यु कहते हैं। जैसे रावण का राज्य, जब आत्मा अंधकार में होती है। जागृति में आने पर फिर से जन्म होता है।
हीरा जन्म — अनमोल क्यों, कब और कैसे?
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: हीरा जन्म क्या है?
उत्तर: हीरा जन्म वह अनमोल जन्म है जिसमें आत्मा मनुष्य से देवता बनने का अवसर पाती है। इसे ‘डायमंड जन्म’ भी कहा जाता है क्योंकि यह जन्म शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा का होता है, जिसमें आत्मा के दाग मिटाए जाते हैं और आत्मा को बेदाग, चमकीला हीरा बनाया जाता है।
प्रश्न 2: हीरा जन्म को अनमोल क्यों कहा जाता है?
उत्तर: यह जन्म इसलिए अनमोल है क्योंकि पूरे कल्प में केवल संगम युग में ही यह अवसर मिलता है कि आत्मा अपने दागों को मिटाकर परमात्मा से जुड़ सके और दिव्यता प्राप्त कर सके। यह जन्म पावन बनने का, आत्मा को शुद्ध करने का अद्भुत अवसर है।
प्रश्न 3: कब और कैसे हीरा जन्म मिलता है?
उत्तर: यह जन्म केवल संगम युग में मिलता है। जब आत्मा स्वयं को पहचानती है कि वह आत्मा है और परमात्मा को अपना पिता स्वीकार करती है, तभी हीरा जन्म शुरू होता है। यह जन्म शरीर के बदलाव से नहीं, बल्कि आत्मा के दाग मिटाने के प्रयासों से चलता रहता है।
प्रश्न 4: डायमंड जन्म का क्या अर्थ है?
उत्तर: डायमंड जन्म का अर्थ है आत्मा का ऐसा जन्म जिसमें उसे दागों से मुक्त कर एक चमकीला और बेदाग हीरा बनाया जाता है। जैसे हीरे को कारीगर दागों से तराशते हैं, वैसे ही परमात्मा इस जन्म में आत्मा को उसके दोषों से मुक्त करते हैं।
प्रश्न 5: आत्मा के दाग कैसे मिटते हैं?
उत्तर: आत्मा पर संस्कारों के कारण दाग लग जाते हैं। परमात्मा संगम युग में आकर हमें दाग मिटाने की विधि बताते हैं। सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग में यह ज्ञान नहीं था इसलिए दाग मिट नहीं सकते थे। संगम युग में हमें यह अमूल्य ज्ञान मिलता है।
प्रश्न 6: डायमंड जन्म कब शुरू होता है?
उत्तर: डायमंड जन्म तब शुरू होता है जब आत्मा परमात्मा को अपना पिता स्वीकार करती है और स्वयं को उसकी संतान समझती है। तब से आत्मा अपने दोषों को दूर करने का प्रयास करती रहती है और यह प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती है।
प्रश्न 7: डायमंड जन्म और पतित जन्म में क्या अंतर है?
उत्तर: जब आत्मा सुधार और पावन बनने का प्रयास करती है, तब वह डायमंड जन्म में होती है। जब वह यह प्रयास छोड़ देती है और अंधकार की ओर चली जाती है, तब पतित जन्म होता है। डायमंड जन्म अस्थायी है और प्रयास से पुनः शुरू किया जा सकता है।
प्रश्न 8: हमें डायमंड जन्म को सफल बनाने के लिए क्या संकल्प करना चाहिए?
उत्तर: हमें संकल्प करना चाहिए कि हम हर दिन अपने भीतर के दागों को पहचानेंगे और निरंतर प्रयास करेंगे उन्हें मिटाने का। इस प्रकार हम इस अमूल्य जन्म को सफल बनाएंगे और आत्मा को शुद्ध करेंगे।
प्रश्न 9: आत्मा का मर-जीव जन्म क्या होता है?
उत्तर: मर-जीव जन्म वह जन्म है जब आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाती है और अंधकार में चली जाती है, जिसे आत्मा की मृत्यु माना जाता है। जब वह जागृति प्राप्त करती है और आत्मस्मृति में आती है, तो फिर से उसका जन्म होता है।
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