Questions & Answers (प्रश्नोत्तर):are given below
| 08-11-2025 |
प्रात:मुरली
ओम् शान्ति
“बापदादा”‘
|
मधुबन |
| “मीठे बच्चे – तुम देही-अभिमानी बनो तो सब बीमारियां खत्म हो जायेंगी और तुम डबल सिरताज विश्व के मालिक बन जायेंगे” | |
| प्रश्नः- | बाप के सम्मुख किन बच्चों को बैठना चाहिए? |
| उत्तर:- | जिन्हें ज्ञान डांस करना आता है। ज्ञान डांस करने वाले बच्चे जब बाप के सम्मुख होते हैं तो बाबा की मुरली भी ऐसी चलती है। अगर कोई सामने बैठ इधर-उधर देखते तो बाबा समझते यह बच्चा कुछ भी समझता नहीं है। बाबा ब्राह्मणियों को भी कहेंगे तुमने यह किसको लाया है, जो बाबा के सामने भी उबासी देते हैं। बच्चों को तो ऐसा बाप मिला है, जो खुशी में डांस करनी चाहिए। |
| गीत:- | दूरदेश का रहने वाला……. |
ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना। रूहानी बच्चे समझते हैं कि रूहानी बाबा जिसको हम याद करते आये हैं, दु:ख हर्ता, सुख कर्ता वा तुम मात-पिता….. फिर से आकर हमको सुख घनेरे दो, हम दु:खी हैं, यह सारी दुनिया दु:खी है क्योंकि यह है कलियुगी पुरानी दुनिया। पुरानी दुनिया अथवा पुराने घर में इतना सुख नहीं हो सकता, जितना नई दुनिया, नये घर में होता है। तुम बच्चे समझते हो हम विश्व के मालिक आदि सनातन देवी-देवता थे, हमने ही 84 जन्म लिए हैं। बाप कहते हैं बच्चों तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो कि कितने जन्म पार्ट बजाया है। मनुष्य समझते हैं 84 लाख पुनर्जन्म हैं। एक-एक पुनर्जन्म कितने वर्ष का होता है। 84 लाख के हिसाब से तो सृष्टि चक्र बहुत बड़ा हो जाए। तुम बच्चे जानते हो हम आत्माओं का बाप हमको पढ़ाने आये हैं। हम भी दूरदेश के रहने वाले हैं। हम कोई यहाँ के रहने वाले नहीं हैं। यहाँ हम पार्ट बजाने आये हैं। बाप को भी हम परमधाम में याद करते हैं। अभी इस पराये देश में आये हैं। शिव को बाबा कहेंगे। रावण को बाबा नहीं कहेंगे। भगवान को बाबा कहेंगे। बाप की महिमा अलग है, 5 विकारों की कोई महिमा करेंगे क्या! देह-अभिमान तो बहुत बड़ी बीमारी है। हम देही-अभिमानी बनेंगे तो कोई बीमारी नहीं रहेगी और हम विश्व के मालिक बन जायेंगे। यह बातें तुम्हारी बुद्धि में हैं। तुम जानते हो शिवबाबा हम आत्माओं को पढ़ाते हैं। जो भी और इतने सतसंग आदि हैं, कहाँ भी ऐसे नहीं समझेंगे कि हमको बाबा आकर राजयोग सिखलायेंगे। राजाई के लिए पढ़ायेंगे। राजा बनाने वाला तो राजा ही चाहिए ना। सर्जन पढ़ाकर आप समान सर्जन बनायेंगे। अच्छा, डबल सिरताज बनाने वाला कहाँ से आयेगा, जो हमको डबल सिरताज बनाये इसलिए मनुष्यों ने फिर डबल सिरताज श्रीकृष्ण को रख दिया है। परन्तु श्रीकृष्ण कैसे पढ़ायेंगे! जरूर बाप संगम पर आये होंगे, आकर राजाई स्थापन की होगी। बाप कैसे आते हैं, यह तुम्हारे सिवाए और कोई की बुद्धि में नहीं होगा। दूरदेश से बाप आकर हमको पढ़ाते हैं, राजयोग सिखलाते हैं। बाप कहते हैं मुझे कोई लाइट वा रत्न जड़ित ताज है नहीं। वह कभी राजाई पाते नहीं। डबल सिरताज बनते नहीं, औरों को बनाते हैं। बाप कहते हैं हम अगर राजा बनता तो फिर रंक भी बनना पड़ता। भारतवासी राव थे, अब रंक हैं। तुम भी डबल सिरताज बनते हो तो तुमको बनाने वाला भी डबल सिरताज होना चाहिए, जो फिर तुम्हारा योग भी लगे। जो जैसा होगा ऐसा आप समान बनायेगा। संन्यासी कोशिश कर संन्यासी बनायेंगे। तुम गृहस्थी, वह संन्यासी तो फिर तुम फालोअर्स तो ठहरे नहीं। कहते हैं फलाना शिवानंद का फालोअर है। परन्तु वह संन्यासी माथा मुड़ाने वाले हैं, तुम तो फालो करते नहीं! तो तुम फिर फालोअर क्यों कहते हो! फालोअर तो वह जो झट कपड़ा उतार कफनी पहन लें। तुम तो गृहस्थ में विकारों आदि में रहते हो फिर शिवानन्द का फालोअर्स कैसे कहलाते हो। गुरू का तो काम है सद्गति करना। गुरू ऐसे तो नहीं कहेंगे फलाने को याद करो। फिर तो खुद गुरू नहीं हुआ। मुक्तिधाम में जाने लिए भी युक्ति चाहिए।
तुम बच्चों को समझाया जाता है, तुम्हारा घर है मुक्तिधाम अथवा निराकारी दुनिया। आत्मा को कहा जाता है निराकारी सोल। शरीर है 5 तत्वों का बना हुआ। आत्मायें कहाँ से आती हैं? परमधाम निराकारी दुनिया से। वहाँ बहुत आत्मायें रहती हैं। उनको कहेंगे स्वीट साइलेन्स होम। वहाँ आत्मायें दु:ख-सुख से न्यारी रहती हैं। यह अच्छी रीति पक्का करना है। हम हैं स्वीट साइलेन्स होम के रहने वाले। यहाँ यह नाटकशाला है, जहाँ हम पार्ट बजाने आते हैं। इस नाटकशाला में सूर्य, चांद, स्टार्स आदि बत्तियाँ हैं। कोई गिनती कर न सके कि यह नाटकशाला कितने माइल्स की है। एरोप्लेन में ऊपर जाते हैं लेकिन उसमें पेट्रोल आदि इतना नहीं डाल सकते जो जाकर फिर लौट भी आयें। इतना दूर नहीं जा सकते। वह समझते हैं इतने माइल्स तक है, लौटेंगे नहीं तो गिर पड़ेंगे। समुद्र का वा आकाश तत्व का अन्त पा नहीं सकते। अभी बाप तुमको अपना अन्त देते हैं। आत्मा इस आकाश तत्व से पार चली जाती है। कितना बड़ा रॉकेट है। तुम आत्मायें जब पवित्र बन जायेंगी तो फिर रॉकेट मिसल तुम उड़ने लग पड़ेंगे। कितना छोटा रॉकेट है। सूर्य-चांद से भी उस पार मूलवतन में चले जायेंगे। सूर्य-चांद का अन्त पाने की बहुत कोशिश करते हैं। दूर के स्टार्स आदि कितने छोटे देखने में आते हैं। हैं तो बहुत बड़े। जैसे तुम पतंग उड़ाते हो तो ऊपर में कितनी छोटी-छोटी दिखाई पड़ती है। बाप कहते हैं तुम्हारी आत्मा तो सबसे तीखी है। सेकण्ड में एक शरीर से निकल दूसरे गर्भ में जाए प्रवेश करती है। किसका कर्मों का हिसाब-किताब लण्डन में है तो सेकण्ड में लण्डन जाकर जन्म लेगी। सेकण्ड में जीवनमुक्ति भी गाई हुई है ना। बच्चा गर्भ से निकला और मालिक बना, वारिस हो ही गया। तुम बच्चों ने भी बाप को जाना गोया विश्व के मालिक बन गये। बेहद का बाप ही आकर तुमको विश्व का मालिक बनाते हैं। स्कूल में बैरिस्टरी पढ़ते तो बैरिस्टर बनेंगे। यहाँ तुम डबल सिरताज बनने के लिए पढ़ते हो। अगर पास होंगे तो डबल सिरताज जरूर बनेंगे। फिर भी स्वर्ग में तो जरूर आयेंगे। तुम जानते हो बाप तो सदैव वहाँ ही रहते हैं। ओ गॉड फादर कहेंगे तो भी दृष्टि जरूर ऊपर जायेगी। गॉड फादर है तो जरूर कुछ तो उनका पार्ट होगा ना। अभी पार्ट बजा रहे हैं। उनको बागवान भी कहते हैं। कांटों से आकर फूल बनाते हैं। तो तुम बच्चों को खुशी होनी चाहिए। बाबा आया हुआ है इस देश पराये। दूर देश का रहने वाला आये देश पराये। दूर देश का रहने वाला तो बाप ही है। और आत्मायें भी वहाँ रहती हैं। यहाँ फिर पार्ट बजाने आती हैं। देश पराये – यह अर्थ कोई नहीं जानते हैं। मनुष्य तो भक्तिमार्ग में जो सुनते हैं वह सत-सत कहते रहते हैं। तुम बच्चों को बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं। आत्मा इमप्योर होने से उड़ नहीं सकती है। प्योर बनने बिगर वापिस जा नहीं सकती। पतित-पावन एक ही बाप को कहा जाता है। उनको आना भी है संगम पर। तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए। बाबा हमको डबल सिरताज बना रहे हैं, इससे ऊंच दर्जा कोई का होता नहीं। बाप कहते हैं मैं डबल सिरताज बनता नहीं हूँ। मैं आता ही हूँ एक बार। पराये देश, पराये शरीर में। यह दादा भी कहते हैं मैं शिव थोड़ेही हूँ। मुझे तो लखीराज कहते थे फिर सरेन्डर हुआ तो बाबा ने ब्रह्मा नाम रखा। इसमें प्रवेश कर इनको कहा कि तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो। 84 जन्मों का भी हिसाब होना चाहिए ना। वो लोग तो 84 लाख कह देते हैं जो बिल्कुल ही इम्पासिबुल है। 84 लाख जन्मों का राज़ समझाने में ही सैकड़ों वर्ष लग जायें। याद भी पड़ न सके। 84 लाख योनियों में तो पशु-पक्षी आदि सब आ जाते हैं। मनुष्य का ही जन्म दुर्लभ गाया जाता है। जानवर थोड़ेही नॉलेज समझ सकेंगे। तुमको बाप आकर नॉलेज पढ़ाते हैं। खुद कहते हैं मैं आता हूँ रावण राज्य में। माया ने तुमको कितना पत्थरबुद्धि बना दिया है। अब फिर बाप तुमको पारसबुद्धि बनाते हैं। उतरती कला में तुम पत्थरबुद्धि बन गये। अब फिर बाप चढ़ती कला में ले जाते हैं, नम्बरवार तो होते हैं ना। हर एक को अपने पुरुषार्थ से समझना है। मुख्य बात है याद की। रात को जब सोते हो तो भी यह ख्याल करो। बाबा हम आपकी याद में सो जाते हैं। गोया हम इस शरीर को छोड़ देते हैं। आपके पास आ जाते हैं। ऐसे बाबा को याद करते-करते सो जाओ तो फिर देखो कितना मज़ा आता है। हो सकता है साक्षात्कार भी हो जाए। परन्तु इस साक्षात्कार आदि में खुश नहीं होना है। बाबा हम तो आपको ही याद करते हैं। आपके पास आने चाहते हैं। बाप को तुम याद करते-करते बड़े आराम से चले जायेंगे। हो सकता है सूक्ष्मवतन में भी चले जाओ। मूलवतन में तो जा नहीं सकेंगे। अभी वापिस जाने का समय कहाँ आया है। हाँ, साक्षात्कार हुआ बिन्दी का फिर छोटी-छोटी आत्माओं का झाड़ दिखाई पड़ेगा। जैसे तुमको वैकुण्ठ का साक्षात्कार होता है ना। ऐसे नहीं, साक्षात्कार हुआ तो तुम वैकुण्ठ में चले जायेंगे। नहीं, उसके लिए तो फिर मेहनत करनी पड़े। तुमको समझाया जाता है तुम पहले-पहले जायेंगे स्वीट होम। सब आत्माऍ पार्ट बजाने से मुक्त हो जायेंगी। जब तक आत्मा पवित्र नहीं बनी है तब तक जा न सके। बाकी साक्षात्कार से मिलता कुछ भी नहीं है। मीरा को साक्षात्कार हुआ, वैकुण्ठ में चली थोड़ेही गई। वैकुण्ठ तो सतयुग में ही होता है। अभी तुम तैयारी कर रहे हो वैकुण्ठ का मालिक बनने के लिए। बाबा ध्यान आदि में इतना जाने नहीं देते हैं क्योंकि तुमको तो पढ़ना है ना। बाप आकर पढ़ाते हैं, सर्व की सद्गति करते हैं। विनाश भी सामने खड़ा है। बाकी असुरों और देवताओं की लड़ाई तो है नहीं। वह आपस में लड़ते हैं तुम्हारे लिए क्योंकि तुम्हारे लिए नई दुनिया चाहिए। बाकी तुम्हारी लड़ाई है माया के साथ। तुम बहुत नामीग्रामी वारियर्स हो। परन्तु कोई जानते नहीं कि देवियाँ इतना क्यों गाई जाती हैं। अभी तुम भारत को योगबल से स्वर्ग बनाते हो। तुमको अब बाप मिल गया है। तुमको समझाते रहते हैं – ज्ञान से नई दुनिया जिंदाबाद होती है। यह लक्ष्मी-नारायण नई दुनिया के मालिक थे ना। अब पुरानी दुनिया है। पुरानी दुनिया का विनाश आगे भी मूसलों द्वारा हुआ था। महाभारत लड़ाई लगी थी। उस समय बाप राजयोग भी सिखा रहे थे। अब प्रैक्टिकल में बाप राजयोग सिखा रहे हैं ना। बाप ही तुमको सच बताते हैं। सच्चा बाबा आते हैं तो तुम सदैव खुशी में डांस करते हो। यह है ज्ञान डांस। तो जो ज्ञान डांस के शौकीन हैं, उनको ही सामने बैठना चाहिए। जो नहीं समझने वाले होंगे, उनको उबासी आयेगी। समझ जाते हैं, यह कुछ भी समझते नहीं हैं। ज्ञान को कुछ भी समझेंगे नहीं तो इधर-उधर देखते रहेंगे। बाबा भी ब्राह्मणी को कहेंगे तुमने किसको लाया है। जो सीखते हैं और सिखलाते हैं उनको सामने बैठना चाहिए। उनको खुशी होती रहेगी। हमको भी डांस करना है। यह है ज्ञान डांस। श्रीकृष्ण ने तो न ज्ञान सुनाया, न डांस किया। मुरली तो यह ज्ञान की है ना। तो बाप ने समझाया है – रात्रि को सोते समय बाबा को याद करते, चक्र को बुद्धि में याद करते रहो। बाबा हम अब इस शरीर को छोड़ आपके पास आते हैं। ऐसे याद करते-करते सो जाओ फिर देखो क्या होता है। आगे कब्रिस्तान बनाते थे फिर कोई शान्त में चले जाते थे, कोई रास करने लगते थे। जो बाप को जानते ही नहीं, तो वह याद कैसे कर सकेंगे। मनुष्य-मात्र बाप को जानते ही नहीं तो बाप को याद कैसे करें, तब बाप कहते हैं मैं जो हूँ, जैसा हूँ, मुझे कोई भी नहीं जानते।
अभी तुमको कितनी समझ आई है। तुम हो गुप्त वारियर्स। वारियर्स नाम सुनकर देवियों को फिर तलवार बाण आदि दे दिये हैं। तुम वारियर्स हो योगबल के। योगबल से विश्व के मालिक बनते हो। बाहुबल से भल कोई कितनी भी कोशिश करे परन्तु जीत पा नहीं सकते। भारत का योग मशहूर है। यह बाप ही आकर सिखलाते हैं। यह भी किसको पता नहीं है। उठते-बैठते बाप को ही याद करते रहो। कहते हैं योग नहीं लगता है। योग अक्षर उड़ा दो। बच्चे तो बाप को याद करते हैं ना। शिवबाबा कहते हैं मामेकम् याद करो। मैं ही सर्वशक्तिमान् हूँ, मुझे याद करने से तुम सतोप्रधान बन जायेंगे। जब सतोप्रधान बन जायेंगे तब फिर आत्माओं की बरात निकलेगी। जैसे मक्खियों की बरात होती है ना। यह है शिवबाबा की बारात। शिवबाबा के पिछाड़ी सब आत्मायें मच्छरों सदृश्य भागेंगी। बाकी शरीर सब खत्म हो जायेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रात को सोने से पहले बाबा से मीठी-मीठी बातें करनी हैं। बाबा हम इस शरीर को छोड़ आपके पास आते हैं, ऐसे याद करके सोना है। याद ही मुख्य है, याद से ही पारसबुद्धि बनेंगे।
2) 5 विकारों की बीमारी से बचने के लिए देही-अभिमानी रहने का पुरुषार्थ करना है। अथाह खुशी में रहना है, ज्ञान डांस करना है। क्लास में सुस्ती नहीं फैलाना है।
| वरदान:- | सेवा द्वारा अनेक आत्माओं की आशीर्वाद प्राप्त कर सदा आगे बढ़ने वाले महादानी भव महादानी बनना अर्थात् दूसरों की सेवा करना, दूसरों की सेवा करने से स्वयं की सेवा स्वत: हो जाती है। महादानी बनना अर्थात् स्वयं को मालामाल करना, जितनी आत्माओं को सुख, शक्ति व ज्ञान का दान देंगे उतनी आत्माओं के प्राप्ति की आवाज या शुक्रिया जो निकलता वह आपके लिए आशीर्वाद का रूप हो जायेगा। यह आशीर्वादें ही आगे बढ़ने का साधन हैं, जिन्हें आशीर्वादें मिलती हैं वह सदा खुश रहते हैं। तो रोज़ अमृतवेले महादानी बनने का प्रोग्राम बनाओ। कोई समय वा दिन ऐसा न हो जिसमें दान न हो। |
| स्लोगन:- | अभी का प्रत्यक्षफल आत्मा को उड़ती कला का बल देता है। |
अव्यक्त इशारे – अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ
बाप के समीप और समान बनने के लिए देह में रहते विदेही बनने का अभ्यास करो। जैसे कर्मातीत बनने का एग्जैम्पल साकार में ब्रह्मा बाप को देखा, ऐसे फॉलो फादर करो। जब तक यह देह है, कर्मेन्द्रियों के साथ इस कर्मक्षेत्र पर पार्ट बजा रहे हो, तब तक कर्म करते कर्मेन्द्रियों का आधार लो और न्यारे बन जाओ, यही अभ्यास विदेही बना देगा।
मीठे बच्चे – तुम देही-अभिमानी बनो तो सब बीमारियां खत्म हो जायेंगी और तुम डबल सिरताज विश्व के मालिक बन जायेंगे”
प्रश्न 1:
बाप के सम्मुख किन बच्चों को बैठना चाहिए?
उत्तर:
जिन्हें ज्ञान डांस करना आता है।
ज्ञान डांस अर्थात्—बाबा के ज्ञान में नाचना, मुरली सुनकर उल्लास में भर जाना। जो बच्चे ज्ञान में मस्त रहते हैं, बाबा की बातें ध्यानपूर्वक सुनते हैं, वही योग्य श्रोता हैं। लेकिन जो सामने बैठकर उबासी लेते हैं या इधर-उधर देखते हैं, वह बाबा को प्रिय नहीं। ऐसे बच्चों को देख बाबा भी पूछते हैं—“तुमने यह किसे लाया है?”
प्रश्न 2:
बाप को ‘दूरदेश का रहने वाला’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि शिवबाबा इस धरती के नहीं हैं। वे परमधाम—निराकारी लोक के निवासी हैं। वहाँ से वे इस “पराये देश” में आते हैं—रावण राज्य में—हम आत्माओं को पढ़ाने और मुक्तिधाम का रास्ता दिखाने। इसलिए उन्हें दूरदेश का रहने वाला कहा गया है।
प्रश्न 3:
देह-अभिमान को सबसे बड़ी बीमारी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि देह-अभिमान ही 5 विकारों—काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार—की जड़ है। जब तक आत्मा देह के अभिमान में है, तब तक वह बीमार रहेगी।
जैसे-जैसे हम देही-अभिमानी बनते हैं, आत्मा पवित्र, शक्तिशाली और निरोग बन जाती है। यही असली औषधि है—“बाबा को याद करो और देही-अभिमानी बनो”।
प्रश्न 4:
डबल सिरताज कौन कहलाते हैं?
उत्तर:
जो आत्माएँ राजाई और पवित्रता दोनों की माला पहनती हैं—वे डबल सिरताज हैं।
राजाई ताज = स्वराज्य और विश्वराज्य की प्राप्ति।
पवित्रता ताज = विकारों पर संपूर्ण जीत।
शिवबाबा स्वयं राजा नहीं बनते, वे हमें बनाते हैं। वे कहते हैं—“मैं डबल सिरताज नहीं बनता, पर तुम्हें डबल सिरताज बनाता हूँ।”
प्रश्न 5:
बाबा को ‘सर्जन’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि जैसे सर्जन रोगों का इलाज करता है, वैसे ही शिवबाबा आत्मा की बीमारियों—विकारों—का इलाज करते हैं।
वे हमें राजयोग सिखाकर फिर से स्वास्थ्य, सुख और शांति की अवस्था में ले जाते हैं। इसलिए उन्हें कहा गया—“सद्गति दाता, पतित-पावन सर्जन।”
प्रश्न 6:
‘ज्ञान डांस’ का असली अर्थ क्या है?
उत्तर:
ज्ञान डांस का मतलब है—बाबा के ज्ञान में नाचना, आत्मिक उल्लास में भर जाना।
जब आत्मा को सत्य ज्ञान मिलता है, तो भीतर से आनन्द की तरंगें उठती हैं। यह कोई देहिक नृत्य नहीं, बल्कि बुद्धि और संकल्पों का नृत्य है—जिसमें आत्मा परमात्मा की महिमा में झूम उठती है।
प्रश्न 7:
रात को सोने से पहले आत्मा को क्या अभ्यास करना चाहिए?
उत्तर:
सोने से पहले मीठे बाबा को याद करते हुए कहना चाहिए—
“बाबा, अब मैं इस शरीर को छोड़ आपके पास आ रहा हूँ।”
इससे नींद में भी आत्मा की याद की डोरी बनी रहती है, और धीरे-धीरे अशरीरी स्थिति का अभ्यास बढ़ता है।
प्रश्न 8:
मुख्य धारणा किन दो बातों पर रखनी है?
उत्तर:
1️⃣ रात को सोने से पहले बाबा को याद करते हुए अशरीरी बनने का अभ्यास।
2️⃣ देही-अभिमान में रहकर 5 विकारों की बीमारी से बचना, क्लास में सुस्ती नहीं फैलाना और सदैव ज्ञान डांस में रहना।
प्रश्न 9:
महादानी कौन कहलाता है?
उत्तर:
जो आत्मा सेवा द्वारा अनेक आत्माओं को ज्ञान, सुख और शक्ति का दान देती है, वही महादानी कहलाती है।
महादानी बनना मतलब—स्वयं को मालामाल करना। क्योंकि दान से मिलने वाली “धन्यवाद की आवाजें” ही आगे चलकर आशीर्वाद बनती हैं।
प्रश्न 10:
बापदादा का आज का विशेष इशारा क्या है?
उत्तर:
बापदादा कहते हैं—“अशरीरी और विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ।”
देह में रहते हुए भी देह से न्यारे बनो। कर्म करते हुए भी कर्मों से अलग भाव रखो। यही अभ्यास तुम्हें बाप के समीप और समान बनाएगा।
स्लोगन:
“अभी का प्रत्यक्ष फल आत्मा को उड़ती कला का बल देता है।”
सार-संदेश:
देही-अभिमान ही बीमारी है,
देही-अभिमान त्यागना ही औषधि है,
और देही-अभिमानी बनना ही योगबल की कुंजी है।
जो इस औषधि को पी लेता है,
वह डबल सिरताज विश्व के मालिक बन जाता है।
डिस्क्लेमर (Disclaimer):यह वीडियो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय (Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya) की शिक्षाओं पर आधारित आध्यात्मिक अध्ययन हेतु बनाया गया है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति और परमात्म सन्देश का प्रचार है। यह किसी धर्म, पंथ या व्यक्ति विशेष के विरोध में नहीं है।
बालक, देही-अभिमानी बनो, सभी बीमारियाँ समाप्त हो गईं, डबल सिरताज बनो, विश्व के स्वामी, ज्ञान नृत्य, शिवबाबा, ब्रह्मा बाबा, राजयोग, ब्रह्माकुमारी, बापदादा, आत्मा परमात्मा, देह-अभिमान, अशरीरी स्थिति, योगबल, महादानी भव, ज्ञान मुरली, गॉडली यूनिवर्सिटी, स्वराज्य, पवित्रता, परमधाम, निराकारी दुनिया, स्वीट सिलेंस होम, मुरली क्लास, बड़ादादा मुरली, बीके शिवबाबा, बीके राजयोग, बीके हिंदी मुरली, आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्मा कुमारी हिंदी, बीके प्रेरणा, बीके दैनिक मुरली, ब्रह्मा कुमारी भाषण, ब्रह्मा कुमारी यूट्यूब, ब्रह्मा कुमारी गुड़गांव, ओम शांति,Child, become soul conscious, all diseases have ended, become double crowned, master of the world, dance of knowledge, Shivbaba, Brahma Baba, Rajyoga, Brahma Kumaris, BapDada, soul, Supreme Soul, body consciousness, bodiless stage, power of yoga, become a great donor, Gyan Murli, Godly University, self-rule, purity, Paramdham, incorporeal world, Sweet Silence Home, Murli Class, BadaDada Murli, BK ShivBaba, BK RajYoga, BK Hindi Murli, spiritual knowledge, Brahma Kumaris Hindi, BK Inspiration, BK Daily Murli, Brahma Kumaris Speech, Brahma Kumaris YouTube, Brahma Kumaris Gurgaon, Om Shanti,

