MURLI 22-08-2025 |BRAHMA KUMARIS

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Questions & Answers (प्रश्नोत्तर):are given below

22-08-2025
प्रात:मुरली
ओम् शान्ति
“बापदादा”‘
मधुबन
“मीठे बच्चे – तुम्हें कौन पढ़ाने आया है, विचार करो तो खुशी में रोमांच खड़े हो जायेंगे, ऊंचे ते ऊंचा बाप पढ़ाते हैं, ऐसी पढ़ाई कभी छोड़नी नहीं है”
प्रश्नः- अभी तुम बच्चों को कौन-सा निश्चय हुआ है? निश्चयबुद्धि की निशानी क्या होगी?
उत्तर:- तुम्हें निश्चय हुआ हम अभी ऐसी पढ़ाई पढ़ रहे हैं, जिससे डबल सिरताज राजाओं का राजा बनेंगे। स्वयं भगवान पढ़ाकर हमें विश्व का मालिक बना रहे हैं। अभी हम उनके बच्चे बने हैं तो फिर इस पढ़ाई में लग जाना है। जैसे छोटे बच्चे अपने माँ-बाप के सिवाए किसी के पास भी नहीं जाते। ऐसा बेहद का बाप मिला है तो और कोई भी पसन्द न आये। एक की ही याद रहे।
गीत:- कौन आया आज सवेरे-सवेरे……..

ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चों ने गीत सुना – कौन आया है और कौन पढ़ाता है? यह समझ की बात है। कोई बहुत अक्लमंद होते हैं, कोई कम अक्लमंद होते हैं। जो बहुत पढ़ा लिखा होता है, उसे बहुत अक्लमंद कहेंगे। शास्त्र आदि जो भी पढ़े लिखे होते हैं, उनका मान होता है। कम पढ़े हुए को कम मान मिलता है। अब गीत का अक्षर सुना – कौन आया पढ़ाने! टीचर आते हैं ना। स्कूल में पढ़ने वाले जानते हैं टीचर आया। यहाँ कौन आया है? एकदम रोमांच खड़े हो जाने चाहिए। ऊंच ते ऊंच बाप फिर से पढ़ाने आये हैं। समझने की बात है ना! तकदीर की भी बात है। पढ़ाने वाला कौन है? भगवान। वह आकर पढ़ाते हैं। विवेक कहता है – भल कोई कितनी भी बड़े ते बड़ी पढ़ाई पढ़ता हो, फट से वह पढ़ाई छोड़कर आए भगवान से पढ़े। एक सेकण्ड में सब कुछ छोड़ बाप के पास पढ़ने आए।

बाबा ने समझाया है – अभी तुम पुरुषोत्तम संगमयुगी बने हो। उत्तम ते उत्तम पुरुष हैं यह लक्ष्मी-नारायण। दुनिया में किसको भी पता नहीं है कि किस एज्युकेशन से इन्होंने यह पद पाया है। तुम पढ़ते हो – यह पद पाने लिए। कौन पढ़ाते हैं? भगवान। तो और सब पढ़ाईयाँ छोड़ इस पढ़ाई में लग जाना चाहिए क्योंकि बाप आते ही हैं कल्प के बाद। बाप कहते हैं – मैं हर 5 हज़ार वर्ष के बाद आता हूँ सम्मुख पढ़ाने। वन्डर है ना। कहते भी हैं भगवान हमको पढ़ाते हैं, यह पद प्राप्त कराने। फिर भी पढ़ते नहीं। तो बाप कहेंगे ना यह सयाना नहीं है। बाप की पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। बाप को भूल जाते हैं। तुम कहते हो कि बाबा हम भूल जाते हैं। टीचर को भी भूल जाते हैं। यह हैं माया के तूफान। परन्तु पढ़ाई तो पढ़नी चाहिए ना। विवेक कहता है भगवान पढ़ाते हैं तो उस पढ़ाई में एकदम लग जाना चाहिए। छोटे बच्चों को ही पढ़ना होता है। आत्मा तो सबकी है। बाकी शरीर छोटा-बड़ा होता है। आत्मा कहती है मैं आपका छोटा बच्चा बना हूँ। अच्छा मेरे बने हो तो अब पढ़ो। दूध-पाक तो नहीं हो। पढ़ाई फर्स्ट। इसमें बहुत अटेन्शन देना है। स्टूडेन्ट फिर आते हैं यहाँ सुप्रीम टीचर के पास। वह पढ़ाने वाले टीचर्स भी मुकरर हैं। तो भी सुप्रीम टीचर तो है ना। 7 रोज़ भट्ठी भी गाई हुई है। बाप कहते हैं पवित्र रहो और मुझे याद करो। दैवी-गुण धारण किये तो तुम यह बन जायेंगे। बेहद के बाप को याद करना पड़े। छोटे बच्चे को माँ-बाप के सिवाए दूसरा कोई उठाते हैं तो उनके पास जाते नहीं। तुम भी बेहद के बाप के बने हो तो और कोई को देखना पसन्द भी नहीं आयेगा, फिर कोई भी हो। तुम जानते हो हम ऊंच ते ऊंच बाप के हैं। वह हमको डबल सिरताज राजाओं का राजा बनाते हैं। लाइट का ताज मनमनाभव और रतन जड़ित ताज मध्याजीभव। निश्चय हो जाता है हम इस पढ़ाई से विश्व का मालिक बनते हैं, 5 हज़ार वर्ष बाद हिस्ट्री रिपीट होती है ना। तुमको राजाई मिलती है। बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम अपने घर चली जाती हैं। अभी तुम बच्चों को मालूम पड़ा है – असुल में हम आत्मायें बाप के साथ अपने घर में रहती हैं। बाप का बनने से अभी तुम स्वर्ग के मालिक बनते हो फिर बाप को भूल आरफन बन पड़ते हो। भारत इस समय आरफन है। आरफन उनको कहा जाता है जिनको माँ-बाप नहीं होते। धक्का खाते रहते हैं। तुमको तो अब बाप मिला है, तुम सारे सृष्टि चक्र को जानते हो तो खुशी में गदगद होना चाहिए। हम बेहद के बाप के बच्चे हैं। परमपिता परमात्मा प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा नई सृष्टि ब्राह्मणों की रचते हैं। यह तो बहुत सहज समझने की बात है। तुम्हारे चित्र भी हैं, विराट रूप का चित्र भी बनाया है। 84 जन्मों की कहानी दिखाई है। हम सो देवता फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनते हैं। यह कोई भी मनुष्य नहीं जानते क्योंकि ब्राह्मण और ब्राह्मणों को पढ़ाने वाले बाप का, दोनों का नाम-निशान गुम कर दिया है। इंगलिश में भी तुम लोग अच्छी रीति समझा सकते हो। जो इंगलिश जानते हैं तो ट्रांसलेशन कर फिर समझाना चाहिए। फादर नॉलेजफुल है, उनको ही यह नॉलेज है कि सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है। यह है पढ़ाई। योग को भी बाप की याद कही जाती है, जिसको अंग्रेजी में कम्यूनियन कहा जाता है। बाप से कम्यूनियन, टीचर से कम्यूनियन, गुरू से कम्यूनियन। यह है गॉड फादर से कम्यूनियन। खुद बाप कहते हैं मुझे याद करो और कोई भी देहधारी को याद नहीं करो। मनुष्य गुरू आदि करते हैं, शास्त्र पढ़ते हैं। एम ऑब्जेक्ट कुछ भी नहीं। सद्गति तो होती नहीं। बाप तो कहते हैं हम आये हैं सबको वापिस ले जाने। अभी तुमको बाप के साथ बुद्धि का योग रखना है, तो तुम वहाँ जाए पहुँचेंगे। अच्छी रीति याद करने से विश्व के मालिक बनेंगे। यह लक्ष्मी-नारायण पैराडाइज़ के मालिक थे ना। यह कौन समझाने वाला है। बाप को कहा जाता है नॉलेजफुल। मनुष्य फिर कह देते अन्तर्यामी। वास्तव में अन्तर्यामी का अक्षर है नहीं। अन्दर रहने वाली, निवास करने वाली तो आत्मा है। आत्मा जो काम करती है, वह तो सब जानते हैं। सब मनुष्य अन्तर्यामी हैं। आत्मा ही सीखती है। बाप तुम बच्चों को आत्म-अभिमानी बनाते हैं। तुम आत्मा हो मूलवतन की रहने वाली। तुम आत्मा कितनी छोटी हो। अनेक बार तुम आई हो पार्ट बजाने। बाप कहते हैं मैं बिन्दी हूँ। मेरी पूजा तो कर नहीं सकते। क्यों करेंगे, दरकार ही नहीं। मैं तुम आत्माओं को पढ़ाने आता हूँ। तुमको ही राजाई देता हूँ फिर रावण राज्य में चले जाते हो तो मुझे ही भूल जाते हो। पहले-पहले आत्मा आती है पार्ट बजाने। मनुष्य कहते हैं 84 लाख जन्म लेते हैं। परन्तु बाप कहते हैं मैक्सीमम हैं ही 84 जन्म। फॉरेन में जाकर यह बातें सुनायेंगे तो उनको कहेंगे यह नॉलेज तो हमको यहाँ बैठ पढ़ाओ। तुमको वहाँ 1000 रूपया मिलते हैं, हम आपको 10-20 हज़ार रूपया देंगे। हमको भी नॉलेज सुनाओ। गॉड फादर हम आत्माओं को पढ़ाते हैं। आत्मा ही जज आदि बनती है। बाकी मनुष्य तो सब हैं देह-अभिमानी। कोई को भी ज्ञान नहीं है। भल बड़े-बड़े फिलॉसाफर आदि बहुत हैं, परन्तु यह नॉलेज किसको भी नहीं है। गॉड फादर निराकार पढ़ाने आते हैं। हम उनसे पढ़ते हैं, यह बातें सुनकर चक्रित हो जायेंगे। यह बातें तो कभी सुनी पढ़ी नहीं। एक बाप को ही कहते हो लिबरेटर, गाइड जबकि वही लिबरेटर है तो फिर क्राइस्ट को क्यों याद करते हो? यह बातें अच्छी रीति समझाओ तो वह चक्रित हो जायेंगे। कहेंगे यह हम सुनें तो सही। पैराडाइज़ की स्थापना हो रही है, उसके लिए यह महाभारत लड़ाई भी है। बाप कहते हैं मैं तुमको राजाओं का राजा डबल सिरताज बनाता हूँ। प्योरिटी, पीस, प्रासपर्टी सब थी। विचार करो, कितने वर्ष हुए? क्राइस्ट से 3 हज़ार वर्ष पहले इन्हों का राज्य था ना। कहेंगे यह तो स्प्रीचुअल नॉलेज है। यह तो डायरेक्ट उस सुप्रीम फादर का बच्चा है, उनसे राजयोग सीख रहा है। वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी कैसे रिपीट होती है, यह सारी नॉलेज है। हमारी आत्मा में 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है। इस योग की ताकत से आत्मा सतोप्रधान बन गोल्डन एज में चली जायेगी, फिर उनके लिए राज्य चाहिए। पुरानी दुनिया का विनाश भी चाहिए। सो सामने खड़ा है फिर एक धर्म का राज्य होगा। यह पाप आत्माओं की दुनिया है ना। अभी तुम पावन बन रहे हो, बोलो इस याद के बल से हम पवित्र बनते हैं और सबका विनाश हो जायेगा। नैचुरल कैलेमिटीज भी आने वाली हैं। हमारा रियलाइज़ किया हुआ है और दिव्य दृष्टि से देखा हुआ है। यह सब खलास होना है। बाप आये हैं डीटी वर्ल्ड स्थापन करने। सुनकर कहेंगे ओहो! यह तो गॉड फादर के बच्चे हैं। तुम बच्चे जानते हो यह लड़ाई लगेगी, नैचुरल कैलेमिटीज़ होगी। क्या हाल होगा? यह बड़े-बड़े मकान आदि सब गिरने लग पड़ेंगे। तुम जानते हो यह बाम्ब्स आदि 5 हज़ार वर्ष पहले भी बनाये थे अपने ही विनाश के लिए। अभी भी बॉम्ब्स तैयार हैं। योगबल क्या चीज़ है, जिससे तुम विश्व पर विजय पाते हो और कोई थोड़ेही जानते। बोलो, साइंस तुम्हारा ही विनाश करती है। हमारा बाप के साथ योग है तो उस साइलेन्स के बल से हम विश्व पर जीत पाकर सतोप्रधान बन जाते हैं। बाप ही पतित-पावन है। पावन दुनिया जरूर स्थापन करके ही छोड़ेंगे। ड्रामा अनुसार नूँध है। बॉम्बस जो बनाये हैं तो रख देंगे क्या! ऐसे-ऐसे समझायेंगे तो समझेंगे यह तो कोई अथॉरिटी है, इनमें गॉड ने आकर प्रवेश किया है। यह भी ड्रामा में नूँध है। ऐसी-ऐसी बातें बताते रहेंगे तो वह खुश होंगे। आत्मा में कैसे पार्ट है, यह भी अनादि बना-बनाया ड्रामा है। फिर अपने समय पर क्राइस्ट आकर तुम्हारा धर्म स्थापन करेंगे। ऐसी अथॉरिटी से बोलेंगे तो वह समझेंगे बाप सब बच्चों को बैठ समझाते हैं। तो इस पढ़ाई में बच्चों को लग जाना चाहिए। बाप, टीचर, गुरू तीनों एक ही हैं। वह कैसे नॉलेज देते हैं, यह भी तुम समझते हो। सबको पवित्र बनाकर ले जाते हैं। डीटी डिनायस्टी थी तो पवित्र थे। गॉड-गाडेज थे। बात करने का बड़ा होशियार हो, स्पीड भी अच्छी हो। बोलो बाकी सब आत्मायें स्वीट होम में रहती हैं। बाप ही ले जाते हैं, सर्व का सद्गति दाता वह बाप है। उनका बर्थ प्लेस है भारत। यह कितना बड़ा तीर्थ हो गया।

तुम जानते हो सबको तमोप्रधान बनना ही है। पुनर्जन्म सबको लेना है, वापिस कोई भी जा नहीं सकते। ऐसी-ऐसी बातें समझाने से बहुत वन्डर खायेंगे। बाबा तो कहते हैं जोड़ी हो तो बहुत अच्छा समझा सकते हैं। भारत में पहले पवित्रता थी। फिर अपवित्र कैसे होते हैं। यह भी बता सकते हैं। पूज्य ही पुजारी बन जाते हैं। इमप्योर बनने से फिर अपनी ही पूजा करने लगते हैं। राजाओं के घर में भी इन देवताओं के चित्र रहते हैं, जो पवित्र डबल सिरताज थे उन्हों को बिगर ताज वाले अपवित्र पूजते हैं। वो हो गये पुजारी राजायें। उनको तो गॉड-गॉडेज नहीं कहेंगे क्योंकि इन देवताओं की पूजा करते हैं। आपेही पूज्य, आपेही पुजारी, पतित बन जाते हैं तो रावण राज्य शुरू हो जाता है। इस समय रावण राज्य है। ऐसे-ऐसे बैठ समझायें तो कितना मज़ा कर दिखायें। गाड़ी के दो पहिये युगल हो तो बहुत वन्डर कर दिखायें। हम युगल ही फिर सो पूज्य बनेंगे। हम प्योरिटी, पीस, प्रासपर्टी का वर्सा ले रहे हैं। तुम्हारे चित्र भी निकलते रहते हैं। यह है ईश्वरीय परिवार। बाप के बच्चे हैं, पोत्रे और पोत्रियां हैं, बस और कोई संबंध नहीं। नई सृष्टि इनको कही जाती है फिर देवी-देवता तो थोड़े बनेंगे। फिर आहिस्ते-आहिस्ते वृद्धि होती है। यह नॉलेज कितनी समझने की है। यह बाबा भी धन्धे में जैसे नवाब था। कोई बात की परवाह नहीं रहती थी। जब देखा यह तो बाप पढ़ाते हैं, विनाश सामने खड़ा है तो फट से छोड़ दिया। यह जरूर समझा हमको बादशाही मिलती है तो फिर गदाई क्या करेंगे। तो तुम भी समझते हो भगवान पढ़ाते हैं, यह तो पूरी रीति पढ़ना चाहिए ना। उनकी मत पर चलना चाहिए। बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। बाप को तुम भूल जाते हो, लज्जा नहीं आती है, वह नशा नहीं चढ़ता है। यहाँ से बहुत अच्छा रिफ्रेश हो जाते हैं फिर वहाँ सोडावाटर हो जाते हैं। अब तुम बच्चे पुरुषार्थ करते हो – गांव-गांव में सर्विस करने का। बाबा कहते हैं पहले-पहले तो यह बताओ कि आत्माओं का बाप कौन है। भगवान तो निराकार ही है। वही इस पतित दुनिया को पावन बनायेंगे। अच्छा।

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) स्वयं भगवान सुप्रीम टीचर बनकर पढ़ा रहे हैं इसलिए अच्छी रीति पढ़ना है, उनकी मत पर चलना है।

2) बाप के साथ ऐसा योग रखना है जिससे साइलेन्स का बल जमा हो। साइलेन्स बल से विश्व पर जीत पानी है, पतित से पावन बनना है।

वरदान:- समय और संकल्पों को सेवा में अर्पण करने वाले विधाता, वरदाता भव
अभी स्व की छोटी-छोटी बातों के पीछे, तन के पीछे, मन के पीछे, साधनों के पीछे, सम्बन्ध निभाने के पीछे समय और संकल्प लगाने के बजाए इसे सेवा में अर्पण करो, यह समर्पण समरोह मनाओ। श्वांसों श्वांस सेवा की लगन हो, सेवा में मगन रहो। तो सेवा में लगने से स्वउन्नति की गिफ्ट स्वत:प्राप्त हो जायेगी। विश्व कल्याण में स्व कल्याण समाया हुआ है इसलिए निरन्तर महादानी, विधाता और वरदाता बनो।
स्लोगन:- अपनी इच्छाओं को कम कर दो तो समस्यायें कम हो जायेंगी।

 

अव्यक्त-इशारे – सहजयोगी बनना है तो परमात्म प्यार के अनुभवी बनो

जैसे लौकिक रीति से कोई किसके स्नेह में लवलीन होता है तो चेहरे से, नयनों से, वाणी से अनुभव होता है कि यह लवलीन है, आशिक है, ऐसे जिस समय स्टेज पर आते हो तो जितना अपने अन्दर बाप का स्नेह इमर्ज होगा उतना स्नेह का बाण औरों को भी स्नेह में घायल कर देगा।

कौन आया हमें पढ़ाने?

“मीठे बच्चे – तुम्हें कौन पढ़ाने आया है, विचार करो तो खुशी में रोमांच खड़े हो जायेंगे, ऊंचे ते ऊंचा बाप पढ़ाते हैं, ऐसी पढ़ाई कभी छोड़नी नहीं है।”


प्रश्न 1: अभी तुम बच्चों को कौन-सा निश्चय हुआ है?
उत्तर: हमें निश्चय हुआ है कि हम अभी ऐसी पढ़ाई पढ़ रहे हैं, जिससे डबल सिरताज राजाओं का राजा बनेंगे। स्वयं भगवान पढ़ाकर हमें विश्व का मालिक बना रहे हैं।


प्रश्न 2: निश्चयबुद्धि की निशानी क्या होगी?
उत्तर: निश्चयबुद्धि की निशानी है कि बच्चों को और कोई पसन्द न आये। जैसे छोटे बच्चे अपने माँ-बाप के सिवाए किसी के पास नहीं जाते, वैसे ही बेहद का बाप मिलने के बाद बुद्धि किसी और में न लगे। सिर्फ एक ही बाप की याद रहे और पढ़ाई में पूरा ध्यान रहे।


प्रश्न 3: भगवान द्वारा पढ़ाई जाने वाली इस पढ़ाई की खासियत क्या है?
उत्तर: यह पढ़ाई सिर्फ कल्प-कल्प में मिलती है। इसमें पढ़ने से आत्मा सतोप्रधान बनती है और विश्व का मालिक बनती है। यह पढ़ाई देने वाला स्वयं सुप्रीम टीचर है, जो हर 5000 वर्ष बाद आता है।


प्रश्न 4: माया के तूफान पढ़ाई में बाधा क्यों डालते हैं?
उत्तर: माया के कारण बच्चे बाप को और उसकी पढ़ाई को भूल जाते हैं। जैसे स्कूल में टीचर को भूल जाना भूल है, वैसे ही सुप्रीम टीचर को भूलना सबसे बड़ी भूल है।


प्रश्न 5: भगवान की पढ़ाई छोड़कर अन्य पढ़ाई क्यों व्यर्थ है?
उत्तर: अन्य पढ़ाई से केवल लौकिक मान-सम्मान मिलता है, परन्तु इस पढ़ाई से डबल सिरताज पद और मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा मिलता है। इसलिए विवेक कहता है – भगवान की पढ़ाई में तुरंत लग जाना चाहिए।


प्रश्न 6: मनुष्य गुरुओं और भगवान के बीच क्या फर्क है?
उत्तर: मनुष्य गुरू सद्गति नहीं दे सकते, उनकी पढ़ाई का एम-ऑब्जेक्ट कुछ भी नहीं है। जबकि भगवान कहते हैं – मैं आया हूँ सबको पावन बनाने और वापिस ले जाने।


प्रश्न 7: इस पढ़ाई का नतीजा क्या है?
उत्तर: इस पढ़ाई से आत्मा पवित्र बनती है, साइलेन्स बल जमा होता है, और योगबल से विश्व पर विजय पाकर सतोप्रधान देवता रूप में स्वर्ग का मालिक बनती है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer):

यह वीडियो/लेख ब्रह्माकुमारीज़ (Brahma Kumaris) के गहन ईश्वरीय ज्ञान और मुरली के आधार पर बनाया गया है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति, आत्म-ज्ञान और सकारात्मक जीवन मूल्यों को साझा करना है। यह किसी भी प्रकार से धार्मिक विवाद, आलोचना या निंदा के लिए नहीं है। हम सभी धर्मों, संप्रदायों और विचारधाराओं का सम्मान करते हैं।

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