P-P 62″Do we help God in any way?

P-P 62″क्या हम परमात्मा की कोई मदद करते हैं

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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1. परमात्मा का योगदान

“सभी बनेंगे पद्मा पदम पति, परंतु कैसे?
यह प्रश्न केवल ज्ञान प्राप्ति से जुड़ा नहीं है, बल्कि जीवन के कर्मों से भी जुड़ा है।
बनेंगे जब परमात्मा के डायरेक्शन में, न्यारे और प्यारे होकर हम कर्म करेंगे।
हमारे हर कर्म में वह शुद्धता होनी चाहिए, जिससे हम पदम की कमाई कर सकें।
कितने भी पदम हम जमा करना चाहें, कर सकते हैं, परंतु इसके लिए परमात्मा द्वारा दी गई समझ और उस समझ को प्रयोग में लाने की विधि स्पष्ट होनी चाहिए।”


2. क्या हम परमात्मा की मदद करते हैं?

“अब सवाल यह उठता है — क्या हम परमात्मा की मदद करते हैं?
क्या हम यह सोचते हैं कि परमात्मा को हमारी मदद की आवश्यकता है?
आखिरकार, परमात्मा ने खुद कहा है – ‘बच्चे, मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं कर सकता। मैं तो सिर्फ रास्ता दिखाता हूं, प्रैक्टिकल तो तुम करते हो। तुम तो मेरे शो केस हो।’
इसी प्रकार, परमात्मा हमें यह सिखाते हैं कि उनके सहयोग से सुखमय संसार बनता है, पर यह काम हम सभी की एकजुटता से होता है।
तो चलिए, आज हम विचार करते हैं कि क्या यह सच है?”


3. परमात्मा की पूर्णता और सर्वशक्तिमानता

“परमात्मा की पूर्णता और सर्वशक्तिमानता को समझना सबसे महत्वपूर्ण है।
परमात्मा संपूर्ण हैं, और सभी शक्तियों को धारण करने वाले हैं।
उनके पास सब कुछ है, और वह किसी भी प्रकार से हमारी मदद के बिना भी अपना कार्य कर सकते हैं।
इसलिए, यह सोचना कि हम परमात्मा की मदद कर सकते हैं, एक भूल हो सकती है।
जो यह सोचता है कि हम भगवान की मदद कर सकते हैं, वह उनकी महानता और पूर्णता को सही से नहीं समझ पाया है।”


4. मदद का सिद्धांत: आत्म सहायता और परमात्मा की कृपा

“परमात्मा की मदद का एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ है।
जैसा कि कहा गया है, ‘तुम उनकी तरफ एक कदम उठाओगे, तो परमात्मा तुम्हारी तरफ 100 कदम उठाएगा।’
यह सिद्धांत हमें सिखाता है कि जब हम अपनी आत्मा को सुधारने का प्रयास करते हैं और शुद्ध करने की कोशिश करते हैं, तो परमात्मा हर कदम पर हमें आशीर्वाद और सहायता प्रदान करते हैं।
‘God helps those who help themselves’ – भगवान उनकी मदद करते हैं, जो अपनी मदद करते हैं।
यह दोनों – आत्म सहायता और परमात्मा की कृपा – साथ-साथ चलते हैं।”


5. क्या परमात्मा को हमारी मदद की आवश्यकता है?

“क्या परमात्मा को हमसे किसी मदद की आवश्यकता है?
वे इस धरा पर नई दुनिया की स्थापना के लिए अवतरित होते हैं, जो आत्मा को सुख का अनुभव देती है।
परंतु, यह सुख और शांति आत्माओं को तभी प्राप्त हो सकती है, जब वे अपने कर्मों द्वारा अपना भाग्य बनाती हैं।
विश्व नाटक में कर्म और फल का एक विधिवत विधान है, और परमात्मा हमें ऐसे कर्म करने की प्रेरणा देते हैं जो हमें उच्चतम भाग्य की ओर ले जाते हैं।”


6. शिव बाबा और शिव शक्तियाँ

“शिव बाबा ने हमें अपना बनाया, और इसके बदले में हम शिव शक्तियाँ – हाँ, हम भी शिव शक्तियाँ हैं – ने शिव बाबा को अपना बनाया।
यह रिश्ता आपसी प्रेम और सहयोग पर आधारित है।
जैसा कि साकार बाबा ने 15 फरवरी 2008 की मुरली में बताया –
‘शिव बाबा ने तुम्हें अपना बनाया और तुम शिव शक्तियों ने फिर शिव बाबा को अपना बनाया।’
हम उनके वारिस हैं, उनके साथ मददगार हैं।
हमारा परिवार वही है, जो बाबा का परिवार है।
बाबा हमें बार-बार कहते हैं – ‘तुम मेरे काम में मददगार हो।'”


7. निष्कर्ष: परमात्मा की मदद नहीं, हमारे कर्म ही जरूरी हैं

“परमात्मा को हमारी किसी मदद की आवश्यकता नहीं है।
इसके विपरीत, वे हमारे जीवन को सुधारने, हमारे कर्मों को शुद्ध करने, और हमें नई दुनिया के योग्य बनाने के लिए अवतरित होते हैं।
जब हम उनके निर्देशों का पालन करते हैं और सही कर्म करते हैं, तो हम उनके सहयोगी बन जाते हैं।
यह हमारा परमात्मा के प्रति सच्चा योगदान है, जिससे वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त करते हैं।”


8. ड्रामा और हमारी भूमिका

“ड्रामा के अनुसार, हमें अपना सही हिस्सा निभाना होता है।
बाबा ने हमें ज्ञान दिया है, लेकिन कोई एहसान नहीं किया।
इस ड्रामा में सभी आत्माएँ अपना हिस्सा निभाती हैं, और सभी मिलकर स्वर्ग बनाते हैं।
इसमें न परमात्मा का कोई एहसान है, न किसी आत्मा का।
बाबा कहते हैं – ‘मैं अपना पार्ट निभाता हूँ, तुम अपना।’
यह ड्रामा ही है, और सभी आत्माएँ अपना-अपना पार्ट निभाती हैं।
सभी मिलकर एक समृद्ध और सुखमय संसार का निर्माण करते हैं।”


9. संदेश का समापन

“इसलिए, ओम शांति: ‘कौन बनेगा पद्मा पदम पति?’
सभी बनेंगे, परंतु जब हम परमात्मा के दिशा निर्देशों के अनुसार कर्म करेंगे, और उनके साथ सहयोग करेंगे, तब ही हम इस महान यात्रा में अपना पद्मा पदम पति बनने की ओर अग्रसर होंगे।”


🎶 भावनात्मक और शक्तिशाली समापन: “यह हमारी यात्रा है, जहाँ हम अपने कर्मों के द्वारा, परमात्मा के साथ मिलकर, स्वर्ग और सुख का निर्माण करते हैं। यह है हमारा सत्य योगदान, जो हमें अंततः पद्मा पदम पति बनने की दिशा में ले जाता है।”

❓प्रश्न 1: पद्मा पदम पति कौन बनते हैं?

🟢 उत्तर:पद्मा पदम पति वही आत्माएं बनती हैं जो परमात्मा के निर्देशन पर, न्यारे और प्यारे होकर कर्म करती हैं।
हर एक श्रेष्ठ कर्म हमें पद्मों की कमाई कराता है।
परमात्मा ने हमें यह शक्ति दी है कि हम चाहें तो अनगिनत पद्म जमा कर सकते हैं।

❓प्रश्न 2: क्या हम परमात्मा की कोई मदद करते हैं?

🟢 उत्तर:नहीं, हम परमात्मा की मदद नहीं करते।
असल में हम अपनी मदद करते हैं
परमात्मा स्वयं संपूर्ण और सर्वशक्तिमान हैं – उन्हें किसी सहायता की ज़रूरत नहीं।

❓प्रश्न 3: फिर परमात्मा ऐसा क्यों कहते हैं – “बच्चे, मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं कर सकता”?

🟢 उत्तर:यह एक प्रेम भरी बात है।
परमात्मा बच्चों को महत्व देते हैं, उन्हें मुख्य पात्र बनाते हैं।
वे हमें रास्ता दिखाते हैं, पर प्रैक्टिकल कार्य तो आत्माएं ही करती हैं।
इसलिए कहा – “तुम मेरे शो-केस हो।”

❓प्रश्न 4: क्या यह कहना कि हम परमात्मा की मदद करते हैं – एक भूल है?

🟢 उत्तर:हाँ।जब कोई सोचता है कि वह परमात्मा की सहायता कर रहा है, तो वह उनकी महानता को पूरी तरह समझ नहीं पाया है।
परमात्मा को न हमारी जरूरत है, न अपेक्षा – वह पूर्ण है

❓प्रश्न 5: फिर “मदद” का सही अर्थ क्या है?

🟢 उत्तर:मदद का गहरा आध्यात्मिक अर्थ है –
जब हम आत्म-शुद्धि की ओर कदम बढ़ाते हैं, तो परमात्मा 100 कदम आगे बढ़ते हैं।
यही “God helps those who help themselves” का रहस्य है।
परमात्मा हमें प्रोत्साहन देते हैं, आशीर्वाद देते हैं – पर कार्य हमें करना होता है।

❓प्रश्न 6: क्या परमात्मा हमें सहयोगी मानते हैं?

🟢 उत्तर:जी हाँ।परमात्मा बार-बार मुरली में कहते हैं –
“तुम मेरे काम में मददगार हो।”
हम उनके वारिस हैं, उनके साथ सहयोगी आत्माएं – जिन्हें शिव शक्तियाँ कहा जाता है।

❓प्रश्न 7: फिर यह सहायता किस स्तर की होती है?

🟢 उत्तर:यह कोई भौतिक मदद नहीं होती –
यह आत्मिक मदद है –
ज्ञान की, शक्तियों की, और मार्गदर्शन की।
परमात्मा हमें ड्रामा अनुसार उत्तम कर्म करने की प्रेरणा देते हैं – ताकि हम स्वर्ग के निर्माता बनें।

❓प्रश्न 8: ड्रामा में सब कुछ पहले से फिक्स है – फिर मदद, सेवा, परिवर्तन का क्या अर्थ?

🟢 उत्तर:ड्रामा में सभी आत्माएं अपना पार्ट बजाती हैं।
परमात्मा भी अपना पार्ट बजाते हैं।
सभी आत्माएं मिलकर सहयोग के द्वारा नई दुनिया बनाती हैं –
यह ड्रामा का विधान है।

❓प्रश्न 9: फिर क्या हमें परमात्मा को “थैंक यू” कहना चाहिए?

🟢 उत्तर:बाबा स्वयं कहते हैं –
“मैं ज्ञान दे रहा हूँ, कोई एहसान नहीं कर रहा।”
इसलिए न कोई एहसान – न आत्मा का, न परमात्मा का।
सब ड्रामा अनुसार होता है।

❓प्रश्न 10: निष्कर्ष क्या है?

🟢 उत्तर:👉 हम पद्मा पदमपति बन सकते हैं –
जब हम परमात्मा के ज्ञान को अपनाकर,
हर कर्म को श्रेष्ठ बना लें।
👉 परमात्मा को हमारी मदद की ज़रूरत नहीं –
बल्कि हमें उनकी दिशा और ज्ञान की मदद से अपना भाग्य बनाना है।
👉 सब ड्रामा अनुसार चलता है –
पर हम सहयोगी बनकर,
अपने स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।


✨ समापन पंक्ति:

तो आइए, पद्मा पदमपति बनने का संकल्प लें –
न्यारे और प्यारे बनकर,
बाबा के निर्देशन पर श्रेष्ठ कर्म करते रहें।

ओम शांति। 🌸

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