Paramatma-padam (55) Paramdham (supreme abode) and Karma: Can Paramatma play any part

P-P 55″ परमधाम और कर्म: क्या परमात्मा कोई पार्ट बजा सकते हैं

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आज का विषय है: परमधाम और कर्म। क्या परमात्मा परमधाम में कोई पार्ट बजा सकते हैं?


Introduction:

  • Opening Remark: ओम शांति। आज का विषय परमधाम और कर्म है। क्या परमात्मा परमधाम में कोई पार्ट बजा सकते हैं? नहीं, वह वहाँ कोई कर्म नहीं कर सकते। आइए, आज हम परमधाम के बारे में विस्तार से समझते हैं और यह जानते हैं कि वहाँ कर्म क्यों नहीं हो सकते।


1. परमधाम का परिचय

  • परमधाम क्या है?
    परमधाम को आत्माओं का मूल वतन, मूल स्थान और शांति का क्षेत्र माना जाता है। यहाँ शांति है, और सभी आत्माएं पूरी तरह शांत रहती हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां कोई कर्म नहीं होता, इसलिए इसे “कर्मातीत अवस्था” कहा जाता है। यहाँ केवल आत्माओं की शुद्ध उपस्थिति होती है। यह एक स्थायी और शांति का क्षेत्र है, जिसमें कोई शारीरिक या मानसिक गतिविधि संभव नहीं है।

2. क्या परमात्मा परमधाम में कर्म कर सकते हैं?

  • कर्मातीत अवस्था
    परमधाम में कर्म करना संभव नहीं है। वहाँ कोई शारीरिक क्रिया नहीं होती क्योंकि वहाँ आत्मा अकेली रहती है। साकार रूप में परमात्मा को कर्म करने के लिए एक शरीर की आवश्यकता होती है, जैसे कि वह संगम युग में ब्रह्मा बाबा के शरीर में प्रवेश करते हैं। परमधाम में वह शुद्ध आत्मा के रूप में रहते हैं और इसलिए वहाँ कोई कर्म नहीं कर सकते।


3. भक्ति मार्ग और साक्षात्कार

  • क्या परमात्मा भक्ति मार्ग पर भक्तों को साक्षात्कार कराते हैं? जब भक्त किसी देवता की पूजा करते हैं, तो उनके विश्वास के अनुसार उन्हीं देवता का रूप दिखाई देता है, यह साक्षात्कार का भ्रम उत्पन्न करता है। दरअसल, यह आत्मा के विश्वास और भावना का परिणाम होता है, और परमात्मा खुद कभी साक्षात्कार नहीं कराते। परमात्मा के दिव्य मार्गदर्शन से भक्तों को सही दिशा मिलती है, लेकिन भक्ति मार्ग पर उनका साक्षात्कार हमेशा उनकी भावना के आधार पर होता है।

4. परमात्मा का कार्य और भूमिका

  • क्या परमात्मा कर्म करता है? परमात्मा स्वयं कर्म नहीं करते, क्योंकि वह आत्मा के कर्मों के अनुसार घटनाओं को संकल्प करते हैं। उनका कार्य केवल मार्गदर्शन करना होता है। परमात्मा का कार्य और उनकी भूमिका ड्रामा की सीमा के भीतर होती है, वह कभी भी ड्रामा की मर्यादा को नहीं तोड़ सकते।


5. सूक्ष्म वतन और ब्रह्मा बाबा की भूमिका

  • सूक्ष्म वतन की रचना
    परमधाम को छोड़कर, सूक्ष्म वतन की रचना संभव नहीं है। ब्रह्मा बाबा का साकार रूप और अव्यक्त रूप दोनों महत्वपूर्ण हैं। जब ब्रह्मा बाबा का साकार रूप समाप्त हो जाता है, तो उनका अव्यक्त रूप सूक्ष्म वतन में आत्माओं को मार्गदर्शन देता है।


6. निष्कर्ष

  • बिना ज्ञान के मंथन के कोई भी आत्मा पद्मा पदम पति नहीं बन सकता। अगर हमें पद्मा पदम पति बनना है, तो हमें मुरली का मंथन करना होगा, ज्ञान को समझने की गहराई में जाना होगा। ज्ञान का मंथन ही हमारे कर्मों को पवित्र और पदम बना सकता है।

  • आपका योगदान
    अगर आप मुरली मंथन में शामिल होना चाहते हैं, तो डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिए गए लिंक से जुड़ सकते हैं। आप सुबह 6:00 बजे, शाम को 4:00 बजे और रात 8:00 बजे जुड़ सकते हैं। यदि लिंक नहीं मिल रहा है, तो वीडियो में दिख रहे नंबर पर वाट्सएप करके आप लिंक प्राप्त कर सकते हैं या कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं।


Closing Remark:

  • संपूर्ण विषय: यह विषय हमें यह समझाता है कि परमधाम कर्म क्षेत्र नहीं है और परमात्मा का कार्य भी ड्रामा के भीतर सीमित है। जो कर्म हम करते हैं, उनका परिणाम हमारे कर्मों के अनुसार होता है, और परमात्मा हमें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

ओम शांति। कौन बनेगा पद्मा पदम पति?

प्रश्न 1: पद्मा पदम पति बनने का अर्थ क्या है?

उत्तर: पद्मा पदम पति बनने का अर्थ है हर कर्म को बेहद शुभ और श्रेष्ठ बनाना, जिससे हमें अनगिनत गुणों और पुण्य का लाभ मिले। यह स्थिति तब प्राप्त होती है जब हम गहरे ज्ञान का मंथन करते हैं और उसे अपने जीवन में धारण करते हैं।

प्रश्न 2: पद्मा पदम पति बनने के लिए मुख्य साधन क्या है?
उत्तर: इसके लिए मुख्य साधन ज्ञान का मंथन, मुरली का गहरा चिंतन, और स्व-अनुभूति है। बिना ज्ञान को आत्मसात किए कोई भी अपने कर्मों को श्रेष्ठतम नहीं बना सकता।

प्रश्न 3: मंथन करने से हमें क्या लाभ होता है?
उत्तर: मंथन करने से ज्ञान की गहराई समझ में आती है, जिससे हमारा आत्मिक स्वरूप स्पष्ट होता है, और हम श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित होते हैं। यह हमारे हर कर्म को “पद्म” बना देता है।

प्रश्न 4: क्या बिना मंथन किए भी श्रेष्ठ कर्म संभव हैं?
उत्तर: नहीं, बिना गहरे चिंतन और ज्ञान को धारण किए श्रेष्ठ कर्म करना कठिन है। ज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि कौन सा कर्म हमें श्रेष्ठता की ओर ले जाएगा और कौन सा हमें उलझा देगा।


परमधाम और कर्म

प्रश्न 5: परमधाम का स्वरूप क्या है?
उत्तर: परमधाम आत्माओं का मूल स्थान है, जहाँ केवल शांति और स्थिरता है। वहाँ कोई भी कर्म नहीं होता क्योंकि आत्माएँ वहाँ कर्मातीत अवस्था में रहती हैं।

प्रश्न 6: क्या परमात्मा परमधाम में कोई कर्म कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं, परमात्मा परमधाम में कोई कर्म नहीं कर सकते क्योंकि वहाँ कर्म करने के लिए आवश्यक माध्यम (शरीर) नहीं होता। परमात्मा जब कर्म क्षेत्र में आते हैं, तभी वह कार्य कर सकते हैं।

प्रश्न 7: अगर परमात्मा कर्म नहीं कर सकते, तो भक्ति मार्ग में साक्षात्कार कैसे होते हैं?
उत्तर: भक्ति मार्ग में साक्षात्कार भक्त की भावना और विश्वास पर आधारित होते हैं। जिस देवी-देवता की आराधना की जाती है, उसी का रूप उन्हें अनुभव होता है। परमात्मा स्वयं साक्षात्कार नहीं कराते, यह भक्तों के मन की श्रद्धा का प्रभाव होता है।

प्रश्न 8: यदि परमात्मा ड्रामा के अधीन हैं, तो वह भक्तों की प्रार्थना का उत्तर कैसे देते हैं?
उत्तर: बाबा ने कहा है कि परमात्मा भक्तों की भावना के अनुसार निमित्त बनते हैं, लेकिन वह स्वयं प्रत्यक्ष रूप से कोई कार्य नहीं करते। जो भक्त जिस भावना से पूजा करते हैं, उन्हें उसी आधार पर अनुभव प्राप्त होता है।


सूक्ष्म वतन और ब्रह्मा बाबा की भूमिका

प्रश्न 9: सूक्ष्म वतन क्या है और वहाँ कौन-कौन रहता है?
उत्तर: सूक्ष्म वतन एक मध्यवर्ती क्षेत्र है, जहाँ ब्रह्मा बाबा अपने अव्यक्त रूप में रहते हैं। वहाँ स्थूल शरीर नहीं होता, लेकिन आत्माएँ एक सूक्ष्म स्वरूप में रह सकती हैं।

प्रश्न 10: ब्रह्मा बाबा की भूमिका सूक्ष्म वतन में क्यों आवश्यक है?
उत्तर: ब्रह्मा बाबा ही अव्यक्त रूप में रहकर संगमयुग में आत्माओं को मार्गदर्शन देते हैं। उनकी भूमिका के बिना सूक्ष्म वतन की कल्पना नहीं की जा सकती, क्योंकि वही साकार से अव्यक्त रूप में परिवर्तन लाने का माध्यम बनते हैं।


मुरली मंथन से जुड़ने का निमंत्रण

प्रश्न 11: मुरली मंथन से कैसे जुड़ा जा सकता है?
उत्तर: मुरली मंथन में लाइव या बाद में रिकॉर्डिंग के माध्यम से जुड़ा जा सकता है। लाइव सेशन में जुड़ने का लाभ यह है कि आप तुरंत अपने विचार रख सकते हैं और प्रश्न पूछ सकते हैं।

प्रश्न 12: मुरली मंथन का समय क्या है और लिंक कहाँ मिलेगा?
उत्तर: मुरली मंथन हर दिन सुबह 6:00 बजे, शाम 4:00 बजे और रात 8:00 बजे होता है। इसका लिंक वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिया गया है। यदि लिंक नहीं मिले, तो वीडियो के कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।

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