P-P 55″ परमधाम और कर्म: क्या परमात्मा कोई पार्ट बजा सकते हैं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
। आज का विषय है: परमधाम और कर्म। क्या परमात्मा परमधाम में कोई पार्ट बजा सकते हैं? नहीं, नहीं बजा सकते। चलिए, आज हम चलते हैं परमधाम और देखते हैं कि वहां पार्ट बजाते हैं या नहीं।
परमधाम का परिचय क्या है? स्वरूप क्या है? और उसकी सीमाएं क्या हैं? क्या हो सकता है और क्या नहीं? इसके बारे में आज हम चर्चा करेंगे। परमधाम को आत्माओं का मूल वतन, मूल स्थान और शांति का क्षेत्र माना जाता है। वहां शांति है, वहां सभी आत्माएं शांत रहती हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां कोई कर्म नहीं होता, इसलिए उसे “कर्मातीत अवस्था” कहा जाता है। केवल आत्माओं की शुद्ध उपस्थिति होती है।
इस अध्याय में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि क्या परमधाम में परमात्मा या आत्मा कोई कर्म कर सकते हैं। दूसरा, जब परमपिता परमात्मा परमधाम में हैं, तो भक्ति मार्ग में साक्षात्कार और अन्य अनुभव किस प्रकार होते हैं? क्योंकि परमात्मा तो सिर्फ संगमयुग पर आते हैं। फिर बाबा भक्तों को साक्षात्कार कराने के लिए आते हैं या नहीं? क्या कहेंगे? नहीं आते! फिर साक्षात्कार कैसे होता है?
जो भी आत्मा जिस देवी-देवता में विश्वास रखती है, उसी से उसे अनुभव होता है। जो भी देवी-देवता की मूर्ति की आराधना करता है—पत्थर, कागज, मिट्टी—स्वप्न में वही उसे दिखाई देता है और वह इसे साक्षात्कार समझ लेता है। जागते हुए भी वही आकृति दिखाई दे जाती है, तो वह इसे साक्षात्कार मान लेता है। वास्तव में ऐसा कोई साक्षात्कार होता नहीं।
आगे देखते हैं कि बाबा कुछ और क्या कहने वाले हैं।
परमधाम कर्म क्षेत्र नहीं है। आप कहेंगे—नहीं है! परमधाम को कर्म क्षेत्र न मानने का मुख्य कारण यह है कि वहां कोई शारीरिक या मानसिक क्रिया संभव नहीं है। मन भी कोई कार्य नहीं कर सकता। बाबा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आत्मा बिना शरीर के कोई कर्म नहीं कर सकती।
कर्म करने के लिए सूक्ष्म शरीर या स्थूल शरीर इस संसार में होता है। आत्मा यहां आकर बिना शरीर के नहीं रह सकती। यह कर्म क्षेत्र है, यह कुरुक्षेत्र है। आत्मा को यहां कर्म करने के लिए सूक्ष्म या स्थूल शरीर लेना अनिवार्य है।
साकार बाबा ने 8 अक्टूबर 2007 की मुरली में कहा: परमधाम में आत्मा अकेली होती है, तो बोल नहीं सकती। परमात्मा को सर्वशक्तिमान और ज्ञान का सागर कहा गया है, लेकिन उनके कार्य करने की प्रक्रिया ड्रामा की सीमाओं के भीतर आती है। वे भी ड्रामा की मर्यादा में ही बात कर सकते हैं। ड्रामा की मर्यादा को तोड़ नहीं सकते।
जब समय पूरा होता है, तब भगवान के संकल्प अनुसार घटनाएं होती हैं। संकल्प का अर्थ है परमधाम से बाहर आना। लेकिन परमात्मा का तो शरीर नहीं है, फिर वह इस कर्म क्षेत्र पर क्या करता है? उसे किसी देहधारी में प्रवेश करना होता है। वह या तो ब्रह्मा बाबा के तन में प्रवेश करेगा, या परमधाम में ही रहेगा, या किसी और आत्मा के शरीर का आधार लेकर ही पार्ट बजाएगा।
बिना शरीर के परमात्मा यहां घूम-फिर नहीं सकता। सोचें कि चलो थोड़ी देर भाई जी के घर देख के आऊं, बहन जी के घर देख के आऊं—यह संभव नहीं। बाबा कहते हैं—मुझे याद करना है, तो परमधाम में याद करो। ड्रामा में उनका भी पार्ट है।
बाबा ने 27 जुलाई 2007 की मुरली में कहा: परमपिता परमात्मा भी ड्रामा के अधीन हैं।
भक्ति मार्ग में साक्षात्कार और दान-पुण्य का फल भक्तों के विश्वास और भावना के आधार पर मिलता है। बाबा के अनुसार इस प्रक्रिया में परमात्मा निमित्त मात्र होते हैं।
बाबा ने 18 जून 2007 की मुरली में कहा: जो भक्त जिस भावना से पूजा करते हैं, उनको साक्षात्कार कराने के लिए मैं निमित्त बना हुआ हूं। उस समय मेरी आत्मा में ज्ञान का पार्ट इमर्ज नहीं होता।
दुनिया वाली गीता में भी यही लिखा है। उसमें कहा गया है कि जो भक्त जिस-जिस देवता की पूजा करता है, मैं उसके विश्वास को बनाए रखने के लिए इच्छित फल देता हूं।
हमने देखा कि परमात्मा केवल संगमयुग पर आते हैं और 100 वर्ष के लिए ही रहते हैं। भक्ति मार्ग में साक्षात्कार कराने के लिए उन्हें आने की आवश्यकता नहीं है। भक्तों की भावना बन जाती है कि भगवान ने उन्हें साक्षात्कार कराया।
परमात्मा को किसी भी प्रकार का कोई साक्षात्कार नहीं कराना पड़ता। लोग समझते हैं कि भगवान ने उन्हें दर्शन दिए, लेकिन वास्तव में यह उनकी अपनी भावना का परिणाम होता है।
इस प्रकार, यह स्पष्ट होता है कि परमधाम से परमात्मा नहीं आते। हर आत्मा को अपने कर्मों का हिसाब-किताब भुगतना होता है। जो कर्म किए हैं, उनका फल अवश्य मिलता है।
सूक्ष्म वतन की रचना और ब्रह्मा का पार्ट
हमने मूल वतन और परमधाम देख लिया। अब हम सूक्ष्म वतन को देखेंगे और ब्रह्मा बाबा की भूमिका को समझेंगे।
ब्रह्मा की भूमिका के बिना सूक्ष्म वतन की रचना संभव नहीं। साकार ब्रह्मा ही बाद में अव्यक्त ब्रह्मा बनते हैं। जब तक ब्रह्मा की भूमिका का वर्णन न किया जाए, तब तक सूक्ष्म वतन की कोई व्याख्या संभव नहीं।
ब्रह्मा बाबा का साकार रूप, उनका अव्यक्त स्वरूप, और सूक्ष्म वतन में उनकी स्थिति—यह सभी विषय गहन अध्ययन और मंथन की मांग करते हैं।ओम शांति। कौन बनेगा पद्मा पदम पति? और हम बनना चाहते हैं पद्मा पदम पति तो हमें क्या करना होगा? मुरली का मंथन करना होगा, ज्ञान का मंथन करना होगा, ज्ञान की गहराई को समझना होगा। तब हमारा एक-एक कर्म पदम बन सकता है। बिना ज्ञान के मंथन के यह नहीं हो सकता। इसलिए आप सभी भी इस मंथन में जुड़ना चाहें तो जुड़ सकते हैं। आप लाइव भी जुड़ सकते हैं और बाद में भी सुनकर जुड़ सकते हैं। लाइव जुड़ने में यह लाभ है कि आप साथ के साथ अपना विचार दे सकते हैं, अपना प्रश्न पूछ सकते हैं। आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न अनेकों को स्पष्टीकरण देने में सहयोगी बनेगा।
इसके लिए इसी वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दिया हुआ है जिससे आप मुरली मंथन में सुबह 6:00 बजे, शाम को 4:00 बजे और रात को 8:00 बजे जुड़ सकते हैं। यदि आप नहीं जुड़ पा रहे हैं या आपको लिंक नहीं मिल रहा है, तो इसी वीडियो में नीचे चल रही लाइन में आप प्रश्न पूछ सकते हैं और अपना विचार भी हम सबको दे सकते हैं।
ओम शांति। कौन बनेगा पद्मा पदम पति?
प्रश्न 1: पद्मा पदम पति बनने का अर्थ क्या है? उत्तर: पद्मा पदम पति बनने का अर्थ है हर कर्म को बेहद शुभ और श्रेष्ठ बनाना, जिससे हमें अनगिनत गुणों और पुण्य का लाभ मिले। यह स्थिति तब प्राप्त होती है जब हम गहरे ज्ञान का मंथन करते हैं और उसे अपने जीवन में धारण करते हैं।
प्रश्न 2: पद्मा पदम पति बनने के लिए मुख्य साधन क्या है? उत्तर: इसके लिए मुख्य साधन ज्ञान का मंथन, मुरली का गहरा चिंतन, और स्व-अनुभूति है। बिना ज्ञान को आत्मसात किए कोई भी अपने कर्मों को श्रेष्ठतम नहीं बना सकता।
प्रश्न 3: मंथन करने से हमें क्या लाभ होता है? उत्तर: मंथन करने से ज्ञान की गहराई समझ में आती है, जिससे हमारा आत्मिक स्वरूप स्पष्ट होता है, और हम श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित होते हैं। यह हमारे हर कर्म को “पद्म” बना देता है।
प्रश्न 4: क्या बिना मंथन किए भी श्रेष्ठ कर्म संभव हैं? उत्तर: नहीं, बिना गहरे चिंतन और ज्ञान को धारण किए श्रेष्ठ कर्म करना कठिन है। ज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि कौन सा कर्म हमें श्रेष्ठता की ओर ले जाएगा और कौन सा हमें उलझा देगा।
परमधाम और कर्म
प्रश्न 5: परमधाम का स्वरूप क्या है? उत्तर: परमधाम आत्माओं का मूल स्थान है, जहाँ केवल शांति और स्थिरता है। वहाँ कोई भी कर्म नहीं होता क्योंकि आत्माएँ वहाँ कर्मातीत अवस्था में रहती हैं।
प्रश्न 6: क्या परमात्मा परमधाम में कोई कर्म कर सकते हैं? उत्तर: नहीं, परमात्मा परमधाम में कोई कर्म नहीं कर सकते क्योंकि वहाँ कर्म करने के लिए आवश्यक माध्यम (शरीर) नहीं होता। परमात्मा जब कर्म क्षेत्र में आते हैं, तभी वह कार्य कर सकते हैं।
प्रश्न 7: अगर परमात्मा कर्म नहीं कर सकते, तो भक्ति मार्ग में साक्षात्कार कैसे होते हैं? उत्तर: भक्ति मार्ग में साक्षात्कार भक्त की भावना और विश्वास पर आधारित होते हैं। जिस देवी-देवता की आराधना की जाती है, उसी का रूप उन्हें अनुभव होता है। परमात्मा स्वयं साक्षात्कार नहीं कराते, यह भक्तों के मन की श्रद्धा का प्रभाव होता है।
प्रश्न 8: यदि परमात्मा ड्रामा के अधीन हैं, तो वह भक्तों की प्रार्थना का उत्तर कैसे देते हैं? उत्तर: बाबा ने कहा है कि परमात्मा भक्तों की भावना के अनुसार निमित्त बनते हैं, लेकिन वह स्वयं प्रत्यक्ष रूप से कोई कार्य नहीं करते। जो भक्त जिस भावना से पूजा करते हैं, उन्हें उसी आधार पर अनुभव प्राप्त होता है।
सूक्ष्म वतन और ब्रह्मा बाबा की भूमिका
प्रश्न 9: सूक्ष्म वतन क्या है और वहाँ कौन-कौन रहता है? उत्तर: सूक्ष्म वतन एक मध्यवर्ती क्षेत्र है, जहाँ ब्रह्मा बाबा अपने अव्यक्त रूप में रहते हैं। वहाँ स्थूल शरीर नहीं होता, लेकिन आत्माएँ एक सूक्ष्म स्वरूप में रह सकती हैं।
प्रश्न 10: ब्रह्मा बाबा की भूमिका सूक्ष्म वतन में क्यों आवश्यक है? उत्तर: ब्रह्मा बाबा ही अव्यक्त रूप में रहकर संगमयुग में आत्माओं को मार्गदर्शन देते हैं। उनकी भूमिका के बिना सूक्ष्म वतन की कल्पना नहीं की जा सकती, क्योंकि वही साकार से अव्यक्त रूप में परिवर्तन लाने का माध्यम बनते हैं।
मुरली मंथन से जुड़ने का निमंत्रण
प्रश्न 11: मुरली मंथन से कैसे जुड़ा जा सकता है? उत्तर: मुरली मंथन में लाइव या बाद में रिकॉर्डिंग के माध्यम से जुड़ा जा सकता है। लाइव सेशन में जुड़ने का लाभ यह है कि आप तुरंत अपने विचार रख सकते हैं और प्रश्न पूछ सकते हैं।
प्रश्न 12: मुरली मंथन का समय क्या है और लिंक कहाँ मिलेगा? उत्तर: मुरली मंथन हर दिन सुबह 6:00 बजे, शाम 4:00 बजे और रात 8:00 बजे होता है। इसका लिंक वीडियो के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दिया गया है। यदि लिंक नहीं मिले, तो वीडियो के कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।
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