Pitr Paksh (18)Where is Shraddha mentioned in Geeta?

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पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(18)गीता में श्राद्ध का उल्लेख कहां है?

पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य

अध्याय: पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य

1. आज का विषय

“गीता में श्राद्ध का उल्लेख कहां है?”

बहुत से लोग मानते हैं कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने श्राद्ध करने की शिक्षा दी है। इसलिए वह सोचते हैं कि श्राद्ध करना भगवान का आदेश है।

लेकिन सवाल यह है – गीता में वास्तव में श्राद्ध कहा गया है?


2. गीता का उद्देश्य

साकार मुरली, 20 सितंबर 2017:

“मैंने गीता में केवल आत्मा, परमात्मा और कर्म योग का ज्ञान दिया।
श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान मेरी शिक्षा में नहीं।” – शिव बाबा

अर्थ: गीता का असली संदेश है – आत्म ज्ञान और राजयोग, ना कि श्राद्ध।


3. गीता और कर्मकांड

गीता में कहीं भी श्राद्ध करने का सीधा आदेश नहीं है।

श्लोक उदाहरण – गीता अध्याय 9, श्लोक 26

संस्कृत:

पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतम् अश्नामि प्रयतात्मनः॥

अर्थ:
“जो कोई भक्त मुझे पत्र, पुष्प, फल या जल प्रेमपूर्वक अर्पित करता है,
मैं उसे सहज स्वीकार करता हूँ।”

टिप्पणी: यह श्लोक भक्ति भाव से ईश्वर को अर्पण करने का है, ना कि पितरों के लिए श्राद्ध करने का।


4. बाबा का स्पष्ट संकेत

साकार मुरली, 22 सितंबर 2016:

“गीता में कहीं श्राद्ध का उल्लेख नहीं।
यह सब बाद में भक्ति मार्ग में जोड़ा गया है।
भगवान ने गीता में केवल योग बल सिखलाया।” – शिव बाबा

अर्थ: गीता का असली स्वरूप है – ईश्वर का उपदेश आत्मा को, ना कि किसी कर्मकांड का आदेश।


5. उदाहरण से समझें

मान लीजिए किसी किताब का असली संदेश “स्वस्थ रहना” है।
लेकिन समय के साथ उसमें लोगों ने टिप्पणियां जोड़ दीं और लोग मान बैठे कि वही असली किताब है।

ठीक वैसे ही गीता के साथ हुआ –

  • असली संदेश: आत्म ज्ञान और योग

  • बाद में जोड़ दी गई धारणाएं: श्राद्ध और कर्मकांड


6. निष्कर्ष

  1. गीता में श्राद्ध का सीधा उल्लेख नहीं है।

  2. गीता का असली उद्देश्य है – ज्ञान, योग और धर्म की स्थापना।

  3. श्राद्ध बाद में भक्ति मार्ग की परंपरा के रूप में जुड़ा।

  4. आत्मा की असली शांति श्राद्ध से नहीं, बल्कि ईश्वरीय ज्ञान और योग बल से मिलती है।

  5. पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य

    1. आज का विषय: “गीता में श्राद्ध का उल्लेख कहां है?”

    प्रश्न: क्या गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने श्राद्ध करने की शिक्षा दी है?
    उत्तर: नहीं। बहुत से लोग यह मानते हैं कि गीता में श्राद्ध करने का आदेश है, लेकिन गीता में इसका कहीं सीधा उल्लेख नहीं है।


    2. गीता का उद्देश्य

    प्रश्न: गीता का असली उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: गीता का असली उद्देश्य है आत्म ज्ञान और राजयोग
    साकार मुरली, 20 सितंबर 2017:

    “मैंने गीता में केवल आत्मा, परमात्मा और कर्म योग का ज्ञान दिया।
    श्राद्ध, तर्पण, पिंड दान मेरी शिक्षा में नहीं।” – शिव बाबा


    3. गीता और कर्मकांड

    प्रश्न: क्या गीता में कहीं श्राद्ध करने का आदेश दिया गया है?
    उत्तर: नहीं। गीता में कहीं भी श्राद्ध करने का सीधा आदेश नहीं है।

    प्रश्न: गीता में जो श्लोक 9.26 है, उसका अर्थ क्या है?
    संस्कृत श्लोक:

    पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
    तदहं भक्त्युपहृतम् अश्नामि प्रयतात्मनः॥

    उत्तर:
    “जो कोई भक्त मुझे पत्र, पुष्प, फल या जल प्रेमपूर्वक अर्पित करता है, मैं उसे सहज स्वीकार करता हूँ।”
    टिप्पणी: यह श्लोक भक्ति भाव से ईश्वर को अर्पण करने का है, पितरों के लिए श्राद्ध का आदेश नहीं है


    4. बाबा का स्पष्ट संकेत

    प्रश्न: बाबा ने गीता और श्राद्ध के संबंध में क्या बताया है?
    उत्तर:
    साकार मुरली, 22 सितंबर 2016:

    “गीता में कहीं श्राद्ध का उल्लेख नहीं।
    यह सब बाद में भक्ति मार्ग में जोड़ा गया है।
    भगवान ने गीता में केवल योग बल सिखलाया।” – शिव बाबा

    अर्थ: गीता का असली स्वरूप है – ईश्वर का उपदेश आत्मा को, ना कि किसी कर्मकांड का आदेश।


    5. उदाहरण से समझें

    प्रश्न: गीता में श्राद्ध के जोड़ को कैसे समझें?
    उत्तर:
    मान लीजिए किसी किताब का असली संदेश “स्वस्थ रहना” है।
    समय के साथ उसमें लोग टिप्पणियां जोड़ देते हैं और लोग मान बैठते हैं कि वही असली किताब है।

    ठीक वैसे ही गीता के साथ हुआ –

    • असली संदेश: आत्म ज्ञान और योग

    • बाद में जोड़ी गई धारणाएं: श्राद्ध और कर्मकांड


    6. निष्कर्ष

    प्रश्न: गीता में श्राद्ध का महत्व क्या है?
    उत्तर:

    1. गीता में श्राद्ध का सीधा उल्लेख नहीं है।

    2. गीता का असली उद्देश्य है – ज्ञान, योग और धर्म की स्थापना।

    3. श्राद्ध बाद में भक्ति मार्ग की परंपरा के रूप में जुड़ा।

    4. आत्मा की असली शांति श्राद्ध से नहीं, बल्कि ईश्वरीय ज्ञान और योग बल से मिलती है।

    5. Disclaimer:यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और चिंतन के उद्देश्य से है। इसका मकसद किसी भी धार्मिक परंपरा, संस्कृति या भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। यहाँ व्यक्त विचार शिव बाबा की मुरली और ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित हैं। कृपया इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही देखें।
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