पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(19)क्या पितरों की शांति सिर्फ ईश्वर की याद से ही मिलती है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय 19 : पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य
क्या पितरों की शांति सिर्फ ईश्वर की याद से ही मिलती है?
1. पितरों की शांति का प्रश्न
समाज में यह धारणा है कि श्राद्ध, तर्पण, दान-पुण्य आदि करने से पितरों को शांति मिलती है।
लेकिन क्या वास्तव में आत्मा की शांति इन कर्मकांडों से संभव है?
2. आत्मा की असली भूख क्या है?
साकार मुरली – 18 सितम्बर 2015
शिव बाबा ने कहा:
“आत्मा की भूख अन्न-पानी से नहीं मिटती। आत्मा की तृप्ति केवल ज्ञान और ईश्वरीय योग से होती है।”
इसका अर्थ है – पितरों को भोजन या अन्न चढ़ाने से नहीं, बल्कि ईश्वर की स्मृति से ही शांति प्राप्त होती है।
3. ईश्वर की याद – असली तर्पण
साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016
शिव बाबा ने स्पष्ट कहा:
“सच्चा तर्पण है आत्मा को परमपिता की याद का भोजन देना। वही पितरों को शांति देता है।”
जब हम योगबल से परमात्मा को याद करते हैं, तो उस शक्ति का लाभ पितरों की आत्माओं तक पहुँचता है।
4. क्यों केवल ईश्वर की याद?
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परमात्मा शिव ही शांति का सागर हैं।
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जब आत्मा उनसे जुड़ती है, तभी असली शांति और शक्ति प्राप्त होती है।
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बाकी कर्मकांड – जैसे दान, अर्पण, पिंडदान – केवल प्रतीकात्मक हैं, आत्मा की भूख नहीं मिटाते।
5. उदाहरण
मान लीजिए किसी को बहुत प्यास लगी है।
आप उसके सामने सुंदर थाली में मिठाई रख दें।
क्या उसकी प्यास मिटेगी
नहीं, उसे तो केवल पानी चाहिए।
इसी प्रकार, आत्मा की प्यास केवल ईश्वर की याद से ही बुझती है।
6. निष्कर्ष
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पितरों की आत्मा को शांति कर्मकांडों से नहीं मिलती।
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केवल परमात्मा शिव से जुड़ने पर ही आत्मा को सच्ची शांति मिलती है।
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इसलिए पितरों की शांति सिर्फ ईश्वर की याद से ही संभव है।
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अध्याय 19 : पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य
क्या पितरों की शांति सिर्फ ईश्वर की याद से ही मिलती है?
❓ प्रश्न 1:
समाज में यह धारणा क्यों है कि श्राद्ध, तर्पण, दान-पुण्य आदि करने से ही पितरों को शांति मिलती है?
✅ उत्तर:
लोग मानते हैं कि इन कर्मकांडों से आत्माएँ संतुष्ट हो जाती हैं। लेकिन वास्तव में आत्मा की शांति भौतिक अन्न-पानी या दान से नहीं, बल्कि ईश्वरीय स्मृति से मिलती है।
❓ प्रश्न 2:
आत्मा की असली भूख क्या है?
✅ उत्तर:
साकार मुरली – 18 सितम्बर 2015 में शिव बाबा ने कहा:
“आत्मा की भूख अन्न-पानी से नहीं मिटती। आत्मा की तृप्ति केवल ज्ञान और ईश्वरीय योग से होती है।”
👉 इसका अर्थ है कि आत्मा को असली शांति सिर्फ ईश्वर की याद और ज्ञान से ही मिल सकती है।
❓ प्रश्न 3:
असली तर्पण क्या है?
✅ उत्तर:
साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016 में शिव बाबा ने समझाया:
“सच्चा तर्पण है आत्मा को परमपिता की याद का भोजन देना। वही पितरों को शांति देता है।”
👉 अर्थात जब हम योगबल से परमात्मा को याद करते हैं, तो उसका लाभ पितरों तक पहुँचता है।
❓ प्रश्न 4:
क्यों केवल ईश्वर की याद से ही शांति मिलती है?
✅ उत्तर:
क्योंकि परमात्मा शिव ही शांति का सागर हैं।-
जब आत्मा उनसे जुड़ती है, तभी असली शांति और शक्ति प्राप्त होती है।
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बाकी कर्मकांड – दान, अर्पण, पिंडदान – केवल प्रतीकात्मक हैं, आत्मा की भूख नहीं मिटाते।
❓ प्रश्न 5:
इस सत्य को उदाहरण से कैसे समझा सकते हैं?
✅ उत्तर:
मान लीजिए किसी को बहुत प्यास लगी हो।
आप उसके सामने मिठाई रख दें।
क्या उसकी प्यास मिटेगी❓ 👉 नहीं।
उसे तो केवल पानी चाहिए।इसी प्रकार, आत्मा की प्यास केवल ईश्वर की याद से ही बुझ सकती है।
❓ प्रश्न 6:
अंतिम निष्कर्ष क्या है?
✅ उत्तर:
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पितरों की आत्मा को शांति कर्मकांडों से नहीं मिलती।
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केवल परमात्मा शिव से जुड़ने पर ही आत्मा को सच्ची शांति मिलती है।
👉 इसलिए, पितरों की शांति सिर्फ ईश्वर की याद से ही संभव है।
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डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और चिंतन के उद्देश्य से है।
इसका मकसद किसी भी धार्मिक परंपरा, संस्कृति या भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।
यहाँ व्यक्त विचार शिव बाबा की मुरली और ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित हैं।
कृपया इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही देखें। - पितृ पक्ष का रहस्य, श्राद्ध का वास्तविक अर्थ, पितरों की शांति कैसी मिलती है, आत्मा की भूख क्या है, ईश्वर की याद से शांति, सच्चा तर्पण क्या है, ब्रह्माकुमारी मुरली पितृ पक्ष, पिंडदान का रहस्य, ईश्वर शिव और श्राद्ध, पितरों की आत्मा को शांति, कर्मकांड और सच्ची शांति, पितरों के लिए ईश्वर की याद, योगबल से पिंड की मदद, पितृ पक्ष का सही ज्ञान, श्राद्ध और योगबल का संबंध, श्राद्ध पर शिव बाबा की शिक्षाएं, पितृ पक्ष का वास्तविक अर्थ, पितरों की शांति कैसे मिले, ईश्वर की याद और श्राद्ध, बीके मुरली पितृ पक्ष,
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