Pitr Paksh (23)Is show-off and expenditure necessary in Shraddha?

क्या श्राद्ध में दिखावा और खर्च जरूरी है?

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अध्याय 23

पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य


 परिचय

पितृ पक्ष में हम अक्सर श्राद्ध और तर्पण की परंपराओं को निभाते हैं।
पर एक सवाल उठता है—
 क्या श्राद्ध में दिखावा और खर्च करना जरूरी है?
 क्या आत्मा को सच्ची शांति इन रस्मों से मिलती है?


 समाज की परंपरा

आजकल श्राद्ध एक धार्मिक संस्कार से ज्यादा एक सामाजिक आयोजन बन गया है।
लोग सोचते हैं—

“अगर धूमधाम, खर्च और दिखावा न किया तो लोग क्या कहेंगे?”

पर क्या यह सोच वास्तव में आत्मा की शांति दिला सकती है?


 मुरली संदर्भ (22 सितंबर 2016)

शिव बाबा कहते हैं:

“श्राद्ध, दर्पण, दान सब भक्ति मार्ग की रस्म है। उनसे आत्मा को शांति नहीं मिलती।”

 यानी आत्मा की तृप्ति खर्च और दिखावे से नहीं बल्कि ईश्वर की याद और पवित्रता से होती है।


 खर्च और दिखावे का परिणाम

  • खर्च करने से समाज खुश हो सकता है।

  • लोग आपकी तारीफ करेंगे।

  • पर आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।

 केवल पैसा खर्च करने से आत्मा की भूख नहीं मिटती।
 दिखावा कर देने से आत्मा तृप्त नहीं हो सकती।


🔹 असली श्राद्ध क्या है? (मुरली 18 सितंबर 2015)

शिव बाबा कहते हैं:

“सच्चा तर्पण है आत्मा को ज्ञान और योग का भोजन देना।”

राजयोग ध्यान और ईश्वर स्मृति से जो शांति और शक्ति निकलती है वही आत्मा तक पहुंचती है।
इसके लिए न पैसा चाहिए, न दिखावा—बस पवित्र भावना और योगबल चाहिए।


 उदाहरण

मान लीजिए किसी को बहुत भूख लगी है।
आप उसके सामने सुंदर सजावट करके खाली थाली रख दें।

 क्या उसकी भूख मिटेगी? ❌ नहीं।

उसी तरह:

  • दिखावा और खर्च आत्मा को शांति नहीं दे सकता।

  • असली भोजन है—ज्ञान और योग।


 प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1: क्या श्राद्ध में खर्च करना जरूरी है?
उत्तर: नहीं। श्राद्ध का असली महत्व आत्मा को शांति देना है, और वह केवल ईश्वर की याद और योग से ही मिलती है।

प्रश्न 2: असली श्राद्ध क्या है?
उत्तर: आत्मा को ज्ञान और योग का भोजन देना, जिससे वह सच्ची शांति और शक्ति प्राप्त कर सके।

प्रश्न 3: खर्च और दिखावे से क्या परिणाम मिलता है?
उत्तर: समाज खुश हो जाता है, लोग तारीफ करते हैं, लेकिन पितरों की आत्मा तृप्त नहीं होती।


 निष्कर्ष

 श्राद्ध में दिखावा और खर्च जरूरी नहीं है।
 आत्मा को शांति केवल ईश्वर की याद और राजयोग से मिलती है।
पितरों की सेवा का असली मार्ग है—पवित्रता, योगबल और ज्ञान का प्रकाश फैलाना।


 Disclaimer

यह लेखन ब्रह्माकुमारीज़ मुरली (शिव बाबा के श्रीमुख वचन) के आधार पर आध्यात्मिक शिक्षा व मार्गदर्शन हेतु तैयार किया गया है।
इसका उद्देश्य समाज में भक्ति मार्ग की परंपराओं और सच्चे श्राद्ध का रहस्य स्पष्ट करना है।
कृपया इसे धार्मिक विवाद का विषय न बनाएं।

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