Pitru Paksha (10)”The secret of Shraddha in Pitru Paksha. Does the soul keep wandering?

(10)”The secret of Shraddha in Pitru Paksha. Does the soul keep wandering?

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 पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य

क्या आत्मा भटकती रहती है?


 प्रस्तावना

समाज में यह धारणा गहरी बैठी है कि जब तक श्राद्ध नहीं किया जाए, तब तक आत्मा भटकती रहती है। इसीलिए लोग पितृ पक्ष में श्राद्ध करते हैं, ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिल सके।
लेकिन ईश्वर ज्ञान (शिव बाबा की मुरली) क्या कहती है? आइए विस्तार से समझते हैं।


 आत्मा का नियम

साकार मुरली – 18 सितम्बर 2015
शिव बाबा कहते हैं:

“आत्मा अमर है। शरीर छोड़ते ही तुरंत नया शरीर मिल जाता है, एक ही सेकंड में। आत्मा इतना तीखा रॉकेट है कि यहां से छोड़ा और गर्भ में प्रवेश कर लिया।”

इसका अर्थ है कि आत्मा को कहीं भटकना नहीं पड़ता। न यमदूत आते हैं और न ही किसी साधन की जरूरत होती है।


 उदाहरण – रॉकेट और गर्भ

जैसे कोई तीखा रॉकेट सीधा लक्ष्य पर पहुँच जाता है, वैसे ही आत्मा चाहे जंगल में गर्भ हो या महल में – तुरंत पहुँच जाती है।


 आत्मा क्यों भटकती हुई लगती है?

असल में आत्मा भटकती नहीं, परंतु अज्ञान और भय से लोगों को लगता है कि आत्मा इधर-उधर घूम रही है।

साकार मुरली – 20 सितम्बर 2017
शिव बाबा कहते हैं:

“आत्मा को अन्न-पानी की जरूरत नहीं। श्राद्ध आदि सब भक्ति मार्ग की बातें हैं। आत्मा को शांति केवल ईश्वर ज्ञान और योग से मिलती है।”


 आत्महत्या और दुर्घटना का प्रश्न

यदि आत्महत्या, हत्या या दुर्घटना से भी मृत्यु हो, तो भी आत्मा उसी सेकंड नया गर्भ ले लेती है।
हाँ, यदि कोई विशेष सूक्ष्म पार्ट बाकी है, तो आत्मा थोड़ी देर सूक्ष्म रूप में प्रकट हो सकती है।

बाबा कहते हैं:

“कोई आत्मा अपने पार्ट में गलती नहीं कर सकती। मौत समय से पहले नहीं आ सकती।”


 नींद और मृत्यु का उदाहरण

जब हम सोते हैं तो आत्मा शरीर से अलग होकर सूक्ष्म यात्रा करती है।
जैसे कार को न्यूट्रल कर दिया जाए – इंजन बंद नहीं होता, बस अलग हो जाता है।
इसी प्रकार मृत्यु भी एक “ट्रांजिशन” है – आत्मा तुरंत नए शरीर में प्रवेश करती है।


 ट्रेन का उदाहरण

जैसे यात्री एक स्टेशन से उतरकर दूसरे स्टेशन पर पहुँच जाता है। अगर कोई कहे कि यात्री अब भी पुराने स्टेशन पर भटक रहा है – तो यह गलत है।
ठीक वैसे ही आत्मा तुरंत नया शरीर ले लेती है।


 निष्कर्ष

  • आत्मा श्राद्ध के बिना भटकती नहीं।

  • आत्मा तुरंत नया शरीर धारण करती है।

  • असली शांति आत्मा को मिलती है ईश्वर के ज्ञान और योग से।

  • श्राद्ध का असली अर्थ है – पवित्र जीवन, ज्ञान और योग का दान।

  • प्रश्न 1: क्या आत्मा श्राद्ध के बिना भटकती रहती है?

    उत्तर:नहीं। आत्मा अमर है और शरीर छोड़ते ही तुरंत नया शरीर मिल जाता है।

    साकार मुरली – 18 सितम्बर 2015:
    शिव बाबा कहते हैं –

    “आत्मा अमर है। शरीर छोड़ते ही तुरंत नया शरीर मिल जाता है, एक ही सेकंड में। आत्मा इतना तीखा रॉकेट है कि यहां से छोड़ा और गर्भ में प्रवेश कर लिया।”


    प्रश्न 2: आत्मा के “रॉकेट” जैसा होने का क्या अर्थ है?

    उत्तर:जैसे कोई तीखा रॉकेट लक्ष्य तक सीधा पहुँचता है, वैसे ही आत्मा तुरंत गर्भ में प्रवेश कर लेती है। चाहे जंगल हो या महल – आत्मा को कोई बाधा नहीं रोकती।


    प्रश्न 3: फिर लोग क्यों मानते हैं कि आत्मा भटकती है?

    उत्तर:क्योंकि अज्ञान और भय से ऐसा अनुभव होता है। वास्तव में आत्मा भटकती नहीं।

    साकार मुरली – 20 सितम्बर 2017:
    शिव बाबा कहते हैं –

    “आत्मा को अन्न-पानी की जरूरत नहीं। श्राद्ध आदि सब भक्ति मार्ग की बातें हैं। आत्मा को शांति केवल ईश्वर ज्ञान और योग से मिलती है।”


    प्रश्न 4: यदि आत्महत्या या दुर्घटना से मृत्यु हो जाए तो आत्मा का क्या होता है?

    उत्तर:उस स्थिति में भी आत्मा उसी सेकंड नया गर्भ ले लेती है। हाँ, यदि कोई सूक्ष्म पार्ट बाकी है तो थोड़े समय के लिए आत्मा सूक्ष्म रूप में प्रकट हो सकती है।

    शिव बाबा कहते हैं:

    “कोई आत्मा अपने पार्ट में गलती नहीं कर सकती। मौत समय से पहले नहीं आ सकती।”


    प्रश्न 5: मृत्यु और नींद में क्या समानता है?

    उत्तर:जैसे नींद में आत्मा शरीर से अलग होकर कहीं भी सूक्ष्म यात्रा कर सकती है, वैसे ही मृत्यु के बाद तुरंत नया शरीर धारण कर लेती है।

    उदाहरण:
    कार को न्यूट्रल करने पर इंजन बंद नहीं होता, बस अलग हो जाता है। मृत्यु भी इसी प्रकार है – आत्मा तुरंत नए शरीर में प्रवेश कर लेती है।


    प्रश्न 6: ट्रेन वाले उदाहरण से हमें क्या समझना चाहिए?

    उत्तर:जैसे यात्री एक स्टेशन से उतरकर अगले स्टेशन पर पहुँच गया। अगर हम पुराने प्लेटफार्म पर खड़े होकर कहें कि यात्री अभी भी यहीं है, तो यह गलत है।
    ठीक वैसे ही आत्मा तुरंत नया शरीर ले लेती है – भटकती नहीं रहती।


    प्रश्न 7: आत्मा को असली शांति कैसे मिलती है?

    उत्तर:आत्मा को शांति किसी श्राद्ध या अन्न-पानी से नहीं मिलती। असली शांति और शक्ति मिलती है ईश्वर के ज्ञान और योग से।


    निष्कर्ष

    • आत्मा श्राद्ध के बिना भटकती नहीं।

    • आत्मा तुरंत नया शरीर धारण करती है।

    • असली शांति आत्मा को मिलती है ईश्वर के ज्ञान और योग से।

    • श्राद्ध का असली अर्थ है – पवित्र जीवन, ज्ञान और योग का दान।

    • Disclaimer:
    • यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और शिव बाबा की मुरली पर आधारित है।
      इसका उद्देश्य किसी भी धार्मिक मान्यता, परंपरा या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है।
      कृपया इसे केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही सुना और समझा जाए।
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