Prashn Ka Manthan:

प्रश्न का मन्थन:-(09)”घर की राह बताने आए हैं स्वयं परम आत्मा।

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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 प्याज और लहसुन — सुपरफूड या सावधान

विषय की भूमिका

हमारी रसोई में रोज़ाना उपयोग होने वाली दो सामान्य चीज़ें — प्याज और लहसुन
ये स्वाद बढ़ाते हैं, भोजन को लजीज बनाते हैं, पर क्या ये वास्तव में शरीर के लिए वरदान हैं या फिर चेतावनी के संकेत?

आइए आज हम इनका विश्लेषण करते हैं —
वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से।


अध्याय 1: प्याज के लाभ

प्याज में पाया जाता है — Quercetin (क्वेसरटिन) नामक तत्व,
जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है।

  • लाभ उदाहरण:
    यदि किसी को लू लग जाए, तो प्याज का रस मुंह में डालने से शरीर का तापमान संतुलित हो जाता है।
    यह शरीर की गर्मी को नियंत्रित कर शांत प्रभाव डालता है।

  • अन्य लाभ:

    • रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) नियंत्रित करने में मददगार

    • रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार

    • शरीर की नलियों को खुला रखता है, जिससे थक्के नहीं बनते

 परंतु ध्यान दें —
प्याज शरीर में उत्तेजना (stimulation) बढ़ाता है, और यही आगे चलकर हानिकारक प्रभाव डालता है।


अध्याय 2: लहसुन के लाभ

लहसुन में पाया जाता है — Allicin (एलिसिन) यौगिक।
यह हृदय स्वास्थ्य, तनाव और प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) के लिए सहायक माना जाता है।

  • उदाहरण:
    जो व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर से परेशान हैं, उनके लिए लहसुन कुछ समय तक सहायक हो सकता है।
    यह रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।

 परंतु ये भी एक उत्तेजक पदार्थ है।
लहसुन खाने से शरीर में प्यास और उत्तेजना दोनों बढ़ती हैं,
और यह स्थिति ध्यान व योग की स्थिरता को घटा देती है।


अध्याय 3: प्याज और लहसुन की हानियां

अब बात करते हैं इसके दूसरे पहलू की।

  1. यह शरीर में उत्तेजना बढ़ाते हैं।
    जिससे क्रोध, बेचैनी, नींद की कमी, और काम विकार की प्रवृत्तियाँ बढ़ सकती हैं।

  2. पाचन तंत्र पर प्रभाव:
    कुछ लोगों को गैस, अपच, और भारीपन का अनुभव होता है।

  3. आध्यात्मिक अभ्यास पर प्रभाव:
    योग और राजयोग का अभ्यास करने वाले व्यक्ति के लिए ये पदार्थ मन को अस्थिर करते हैं।
    क्योंकि राजयोग में आवश्यक है — मन की शांति और पवित्रता।


अध्याय 4: ब्रह्माकुमारी दृष्टि से प्याज-लहसुन वर्जित क्यों?

ब्रह्माकुमारी शिक्षाओं में सात्विकता को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
शरीर और मन दोनों पर भोजन का सीधा प्रभाव पड़ता है।

“जहां भोजन में सात्विकता है, वहां शरीर और मस्तिष्क शांत रहते हैं।”
— मुरली दिनांक: 10 फरवरी 1970

शिवबाबा समझाते हैं —
“बहुत तीखा, लहसुन-प्याज या मादक पदार्थ मन को अस्थिर करते हैं।”
इसलिए योग की गहराई और ईश्वरीय अनुभूति के लिए भोजन भी सात्विक होना चाहिए।


अध्याय 5: उदाहरण और तुलना

  • जैसे शराब पीने वाले लोग कहते हैं कि “थोड़ी मात्रा नुकसान नहीं करती,”
    पर धीरे-धीरे शरीर उसकी आदत पकड़ लेता है।
    उसी प्रकार प्याज-लहसुन के स्वाद की भी लत लग जाती है।

  • लेकिन देवताओं और योगी आत्माओं के जीवन में यह नहीं होता।
    वे भोजन में स्वाद नहीं, संस्कार और सात्विकता देखते हैं।


अध्याय 6: निष्कर्ष

  • प्याज-लहसुन दवा के रूप में कभी-कभी उपयोगी हो सकते हैं।
    परंतु नियमित भोजन के रूप में ये शरीर और मन दोनों में उत्तेजना लाते हैं।

  • सात्विक भोजन — जैसे फल, सब्ज़ियाँ, दालें, अनाज
    शरीर को भी स्वस्थ और मन को भी शांत रखते हैं।

“सात्विकता में ही योगबल है, और योगबल से ही विजय है।”
— मुरली: 25 मार्च 1974


संदेश

आध्यात्मिक जीवन में सफलता का रहस्य है —
शुद्ध विचार, शुद्ध भोजन, और शुद्ध आचरण।
इसलिए प्याज-लहसुन के स्वाद की जगह सात्विकता का स्वाद अपनाएं।

Disclaimer (अस्वीकरण)

यह वीडियो केवल आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण से जानकारी देने के उद्देश्य से बनाया गया है।
इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति या संस्था की खानपान परंपरा की आलोचना करना नहीं है।
यदि आप किसी चिकित्सीय स्थिति में हैं, तो किसी भी परिवर्तन से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
यह प्रस्तुति ब्रह्माकुमारी शिक्षाओं और मुरली बिंदुओं पर आधारित है, जिसका उद्देश्य सात्विक जीवन और मानसिक शांति को प्रोत्साहित करना है।

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