Ravana Rajya vs. Ram Rajya (24) Insecure world of Kali Yuga vs. Divine security of Satyuga

रावण राज्य बनाम रामराज्य (24) कलियुग की असुरक्षित दुनिया बनाम सतयुुग की दिव्य सुरक्षा

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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कलियुग की असुरक्षित दुनिया बनाम सतयुग की दिव्य सुरक्षा

“भय से मुक्ति तक: स्वर्ग में कोई किला क्यों नहीं होता?”


कलियुग: भय और अविश्वास में डूबा हुआ विश्व

आज की दुनिया में चारों ओर एक ही बात दिखाई देती है — डर, हिंसा और धोखा।
यह कोई शांति का युग नहीं है, बल्कि रावण का राज्य है — जिसे कलियुग कहा गया है।

  • कुछ पैसों के लिए लूट, हत्या आम हो गई है।

  • एक मंत्री भी सुरक्षित नहीं है।

  • कोई भरोसा नहीं बचा — न सरकारों पर, न परिवारों पर।

 यहाँ तक कि:

  • पिता पुत्र का शत्रु बन गया है।

  • भाई आपस में लड़ते हैं।

  • मित्र भी विश्वासघात करने लगे हैं।

यह है माया का साम्राज्य, जहाँ:

  • क्रोध, लालच, ईर्ष्या, द्वेष — हर आत्मा को जकड़ चुके हैं।

  • हर कोई किसी से कुछ छीनने की फिराक में है।

सुरक्षा केवल एक भ्रम है

आज के युग में:

  • नेताओं को Z+ सुरक्षा चाहिए,

  • घरों को तालों, किलों और कैमरों से बाँधना पड़ता है,

  • लेकिन फिर भी कोई सुरक्षित नहीं है।

 अगर सत्ता या सेना बदल जाए,
तो एक राजा भी एक पल में कैदी बन सकता है।

लोग डर के साये में जी रहे हैं —
मौत कब, कहाँ, किस रूप में आ जाए, कोई नहीं जानता।


सतयुग: भय से परे एक दिव्य लोक

अब ज़रा सोचिए उस स्वर्ण युग के बारे में — सतयुग, जो ईश्वर द्वारा रचित था और फिर से स्थापित हो रहा है।

  • वहाँ मृत्यु कोई डरावनी घटना नहीं है —
    वह एक शांत, प्राकृतिक यात्रा है।

जैसे साँप अपनी पुरानी त्वचा को सहजता से उतार देता है,
वैसे ही आत्मा वहाँ एक शरीर से दूसरे में शांतिपूर्वक जाती है।

सतयुग की दिव्यता की विशेषताएँ:

  • वहाँ कोई भय नहीं, क्योंकि वहाँ कोई शत्रु नहीं

  • किले नहीं होते, क्योंकि:

    • न कोई चोरी करता है,

    • न किसी को कुछ छीनना है।

  • CCTV की आवश्यकता नहीं, क्योंकि:

    • हर आत्मा ईश्वर की श्रीमत से चलती है,

    • सभी में दैवी गुण होते हैं।

जानवर भी रहते हैं प्रेम से

  • शेर और मेमना एक ही झरने से पानी पीते हैं।

  • प्रकृति भी सहयोग करती है — कोई प्राकृतिक आपदा नहीं होती।

यह है दिव्यता का राज्य
जहाँ:

  • कोई ग़लती नहीं करता,

  • कोई क़ानून तोड़ता ही नहीं,

  • इसलिए दंड या डर की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।


क्यों नहीं होते किले सतयुग में?

आज के युग में लोग कहते हैं — “सुरक्षा पहले।”

लेकिन सतयुग में सुरक्षा अंतिम नहीं, अनावश्यक है।

किले नहीं इसलिए नहीं थे कि लोग बनाना नहीं जानते थे,

बल्कि इसलिए कि ज़रूरत ही नहीं थी।

क्यों?

  • वहाँ कोई ईर्ष्या, लालच या नफरत नहीं होती।

  • कोई अपना नहीं छीनता, सब देने की भावना से जीते हैं।

  • सब ईश्वर को अपना पिता मानते हैं और एक परिवार की तरह रहते हैं।


निष्कर्ष: भय से मुक्ति का राजयोग मार्ग

प्रिय आत्माओं,
यह कलियुग अब समाप्ति के निकट है।

यह:

  • दुखों की दुनिया है,

  • छल-कपट से भरी दुनिया है,

  • जहाँ हर पल डर और चिंता का साया है।

परंतु एक आशा की किरण है —
ईश्वर स्वयं इस समय अवतरित हुए हैं
हमें इस भय और असुरक्षा से मुक्त करने के लिए।

राजयोग के माध्यम से हम बन सकते हैं सतयुग के निवासी

  • जहाँ कोई डर नहीं,

  • कोई हथियार नहीं,

  • और कोई युद्ध नहीं।

केवल:

  • प्रेम है,

  • शांति है,

  • और दिव्य सुरक्षा है।


आइए अब निर्णय लें!

  • इस झूठे, असुरक्षित कलियुग को पीछे छोड़ें।

  • परमात्मा की श्रीमत पर चलें।

  • और उस स्वर्ग की भूमि के योग्य बनें,
    जहाँ हर आत्मा शांति और सौहार्द में जीती है।


“कलियुग की असुरक्षित दुनिया बनाम सतयुग की दिव्य सुरक्षा: भय से मुक्ति तक”

स्वर्ग में कोई भय नहीं, इसलिए कोई किला नहीं।


प्रश्न 1: आज की दुनिया को असुरक्षित क्यों कहा जाता है?

उत्तर:आज की दुनिया, जिसे कलियुग कहा जाता है, घोर असुरक्षा से भरी हुई है। यहाँ हिंसा, धोखा, लालच और आत्मीय रिश्तों का विघटन आम हो गया है। सुरक्षा के नाम पर लोग दीवारें, हथियार और सेना बनाते हैं, लेकिन फिर भी डर, चिंता और खतरे से मुक्त नहीं हो पाते।


प्रश्न 2: क्या कलियुग में कोई भी व्यक्ति वास्तव में सुरक्षित है?

उत्तर:नहीं। आज का राजा भी रात को चैन से नहीं सोता। मंत्री तक की हत्या हो सकती है। परिवारों में भी एक-दूसरे पर भरोसा नहीं रहा। इसलिए आज की सुरक्षा केवल एक भ्रम बन गई है।


प्रश्न 3: सतयुग में कोई सुरक्षा तंत्र (किला, सेना) क्यों नहीं होता?

उत्तर:सतयुग में किला, सेना या हथियार की ज़रूरत ही नहीं होती — क्योंकि वहाँ कोई खतरा, हिंसा, अपराध या शत्रु नहीं होता। हर आत्मा दिव्य है, स्वाभाव से परोपकारी है, और प्रकृति भी सहयोगी होती है। वहाँ का वातावरण पूर्ण सुरक्षा और शांति से भरपूर होता है।


प्रश्न 4: सतयुग में मृत्यु कैसी होती है?

उत्तर:सतयुग में मृत्यु कोई डरावनी या दुखद घटना नहीं होती। यह एक प्राकृतिक, शांतिपूर्ण प्रक्रिया होती है — जैसे साँप अपने पुराने शरीर को त्यागता है। आत्मा सहज भाव से एक शरीर को छोड़ दूसरे में प्रवेश करती है।


प्रश्न 5: सतयुग में भय और चिंता क्यों नहीं होती?

उत्तर:क्योंकि वहाँ ईर्ष्या, घृणा, लालच या क्रोध जैसे दोष मौजूद ही नहीं होते। वहाँ की आत्माएँ परमात्मा की श्रीमत पर चलती हैं, और उनके संबंध प्रेम व सच्चाई पर आधारित होते हैं। हर व्यक्ति आत्मिक दृष्टिकोण से देखता है, जिससे कोई टकराव या संदेह नहीं होता।


प्रश्न 6: क्या सतयुग कोई कल्पना है?

उत्तर:नहीं। सतयुग कोई कल्पना नहीं बल्कि वह वास्तविक और दिव्य दुनिया है, जिसे स्वयं परमात्मा अब पुनः स्थापन कर रहे हैं। राजयोग और आत्मिक शुद्धता के माध्यम से हम उस संसार के निवासी बन सकते हैं।


प्रश्न 7: हम उस दिव्य सुरक्षा वाले सतयुग के लिए कैसे पात्र बन सकते हैं?

उत्तर:परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान और राजयोग के अभ्यास से हम आत्मा की सच्ची स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं। जब आत्मा दोषों से मुक्त होती है, तब वह स्वर्ग की योग्य बन जाती है। यह परिवर्तन अभी, संगम युग में ही संभव है।


निष्कर्ष:

आज की दुनिया में भय से जीने का कोई कारण नहीं है, जब परमात्मा स्वयं हमें एक ऐसी दुनिया में ले जाने आए हैं जहाँ न कोई शत्रु है, न कोई युद्ध, न ही कोई मृत्यु का डर।
आइए, हम माया की बंदिशों से मुक्त हो जाएँ और उस दिव्य दुनिया की ओर कदम बढ़ाएँ जहाँ “सुरक्षा” एक व्यवस्था नहीं, बल्कि आत्मा की स्वाभाविक स्थिति है।

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