Sahaja Raja Yoga Course 02 Days

सहज राजयोग कोर्स 02 दिवस

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“परमात्मा का परिचय कौन दे सकता है? | केवल परमात्मा ही स्वयं को प्रकट करते हैं | Rajyoga Course Day 2 | BK Speech”


प्रारंभिक नमस्कार:

ओम् शांति।
आज हम सहज राजयोग कोर्स के दूसरे दिन की गहराई में प्रवेश करने जा रहे हैं।
कल हमने संक्षेप में जाना कि इस कोर्स में क्या सीखेंगे —
योग किससे लगाना है? — परमात्मा से!
आज का हमारा विषय है:


आज का विषय: परमात्मा द्वारा परमात्मा का परिचय

“परमात्मा का परिचय कौन दे सकता है?”

यह प्रश्न जितना सरल है, उत्तर उतना ही गहरा है।
क्या वेदों से परमात्मा का परिचय मिल सकता है?
क्या गीता या गुरु हमें परमात्मा को पूर्णता से समझा सकते हैं?

उत्तर है — नहीं।

परमात्मा का संपूर्ण परिचय केवल परमात्मा स्वयं ही दे सकते हैं।


उदाहरण से समझें — क्या कोई हमें पूरी तरह जानता है?

आइए इस बात को एक उदाहरण से समझें।

क्या आपकी मां, पिताजी, भाई या जीवनसाथी — कोई ऐसा है जो आपको पूरी तरह जानता है?

हर कोई केवल उतना ही जान सकता है, जितना समय उसने हमारे साथ बिताया है।
आपके बारे में पूर्ण जानकारी किसी को नहीं हो सकती —
क्योंकि कोई 24 घंटे आपके साथ नहीं रह सकता।

इसी प्रकार…


वेद, ग्रंथ, संत – सभी का अनुभव सीमित है

वेदों, कुरान, बाइबल या संतों ने परमात्मा के जितना अनुभव किया, उतना ही लिखा।

उनकी दृष्टि से परमात्मा को बताया गया —
लेकिन वह संपूर्ण परिचय नहीं है।

क्योंकि वे हर समय परमात्मा के साथ नहीं थे


तो फिर परमात्मा कब और कैसे परिचय देते हैं?

परमात्मा स्वयं कहते हैं:

“जब तुम बहुत दुखी हो जाते हो,
जब तुम पतित अवस्था में आ जाते हो,
जब सारे संसार से पुकार उठती है —
हे पतित-पावन आओ!
तब मैं आता हूं।”

यह वही समय है — संगम युग
जब परमात्मा स्वयं अवतरित होकर
हमें सत्य ज्ञान और संपूर्ण परिचय देते हैं।


भूख और भोजन का उदाहरण

जैसे किसी को भूख हो, तभी भोजन रुचिकर लगेगा,
वैसे ही जब आत्मा पीड़ा में होती है,
तभी वह परमात्मा की सच्ची पहचान को स्वीकार कर सकती है।


निष्कर्ष: केवल परमात्मा ही दे सकते हैं परमात्मा का परिचय

तो आज हमने स्पष्ट रूप से जाना कि:

  • परमात्मा का परिचय केवल परमात्मा ही दे सकते हैं।

  • वेद, ग्रंथ या गुरु सीमित दृष्टिकोण दे सकते हैं।

  • जब आत्माएं पुकारती हैं, तब परमात्मा स्वयं आते हैं।

  • वह समय आज है — संगम युग।

 

प्रश्न–उत्तर श्रृंखला:


प्रश्न 1:परमात्मा का परिचय देने का अधिकार किसके पास है?
उत्तर:केवल परमात्मा स्वयं ही अपना संपूर्ण परिचय दे सकते हैं। कोई मनुष्य, ग्रंथ, या ऋषि–मुनि उनके अनुभव के आधार पर कुछ अंश बता सकते हैं, लेकिन पूर्ण पहचान नहीं दे सकते।


प्रश्न 2:क्या वेद, शास्त्र, गीता या गुरुजन हमें परमात्मा का परिचय दे सकते हैं?
उत्तर:नहीं। वेद, गीता या गुरु केवल अपने अनुभव या दृष्टिकोण से परमात्मा का वर्णन करते हैं, लेकिन वे हर समय परमात्मा के साथ नहीं रहे, इसलिए उनका ज्ञान सीमित है।


प्रश्न 3:हमारे परिचित लोग जैसे मां-पिता भी हमें पूरी तरह क्यों नहीं जान सकते?
उत्तर:क्योंकि कोई भी व्यक्ति 24 घंटे हमारे साथ नहीं रह सकता। वह केवल उतना ही जान सकता है जितना समय उसने हमारे साथ बिताया हो। इसी प्रकार, कोई भी आत्मा परमात्मा के साथ निरंतर नहीं रही, इसलिए उसका अनुभव भी सीमित रहेगा।


प्रश्न 4:परमात्मा स्वयं अपना परिचय कब और क्यों देते हैं?
उत्तर:जब आत्माएं अत्यंत दुखी, पतित और निराश हो जाती हैं, और हृदय से परमात्मा को पुकारती हैं — तब परमात्मा संगम युग पर अवतरित होकर अपना सत्य परिचय स्वयं देते हैं।


प्रश्न 5:संगम युग को ही सत्य ज्ञान का समय क्यों कहा जाता है?
उत्तर:क्योंकि संगम युग वह काल है जब आत्माएं पुनः परमात्मा को पुकारती हैं और परमात्मा स्वयं आकर उन्हें ज्ञान, शांति और सच्चा आत्मिक परिचय देते हैं।


प्रश्न 6:भूख और भोजन के उदाहरण से क्या समझाते हैं?
उत्तर:जैसे किसी को भूख लगी हो तभी भोजन अच्छा लगेगा, वैसे ही जब आत्मा दुःखी होती है और सच्चाई की भूख होती है, तभी वह परमात्मा के ज्ञान को समझ और स्वीकार कर सकती है।


प्रश्न 7:क्या यह सत्य है कि सभी धर्मग्रंथों ने परमात्मा को थोड़ा-थोड़ा ही जाना है?
उत्तर:हां। सभी धर्मग्रंथों में परमात्मा के कुछ गुणों का वर्णन है, परंतु पूर्ण और सटीक आत्मिक परिचय केवल परमात्मा स्वयं ही देते हैं, जब वे स्वयं अवतरित होते हैं।


प्रश्न 8:आज के समय में परमात्मा का परिचय क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:क्योंकि आज पूरा संसार दुख, अशांति और अज्ञान में है। आत्माएं परमात्मा को पुकार रही हैं। यह समय ही वह शुभ संगम युग है, जब परमात्मा आकर हमें सही ज्ञान देकर हमारा कल्याण करते हैं।

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