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Sahaja Raja Yoga Course -17- Drama. Part of the soul and the movement of karmas Brahma Kumaris

July 13, 2025July 13, 2025omshantibk07@gmail.com

सहज राजयोग कोर्स -17-ड्रामा.आत्मा का पार्ट और कर्मों की गति ब्रह्मा कुमारीज

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“आत्मा का पार्ट और कर्मों की गति का दिव्य रहस्य | 5000 वर्षों का एक्यूरेट ड्रामा | 


 भाषण: “आत्मा का पार्ट और कर्मों की गति – एक दिव्य संबंध”

 प्रस्तावना:
ओम् शांति।
हम सभी सहज राजयोग कोर्स के 17वें दिन पर पहुंचे हैं। आज का विषय है – “आत्मा का पार्ट और कर्मों की गति”।
हमने समझा कि जैसे ही आत्मा परमधाम से इस धरती पर आती है, वह कर्म करना शुरू कर देती है। कर्म आत्मा का स्वाभाविक धर्म है। वह कर्म किए बिना रह नहीं सकती।


 आत्मा की यात्रा और कर्मों का नियम

  • आत्मा जब इस सृष्टि पर आती है, तो वह एक विशेष मेरिट के साथ आती है – जैसे कोई आत्मा ₹1 लाख की पवित्रता लेकर आती है।

  • सृष्टि में वह आत्मा अनेक आत्माओं से लेन-देन करती है, गुणों का, संकल्पों का, संसकारों का।

  • पर अंत में जब आत्मा घर वापस जाती है, तो उसी ₹1 लाख की स्थिति में लौटती है – हिसाब पूरा करके।


 आत्मा का 5000 वर्षों का रिकॉर्डेड पार्ट

  • हर आत्मा के अंदर 5000 वर्षों की परफेक्ट रिकॉर्डिंग होती है।

  • यह रिकॉर्डिंग कोई और नहीं करता – आत्मा खुद ही हर कर्म, संकल्प और प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड करती है।

  • हर क्रिया के साथ प्रतिक्रिया जुड़ी होती है – जैसे मैंने किसी को सुख दिया, तो वही आत्मा मुझे सुख लौटाएगी।


 कर्मों की गति और आत्मा का पार्ट – एक गहरा संबंध

  • कई बार सवाल आता है – अगर आत्मा का पार्ट पहले से फिक्स है तो कर्मों की गति कैसी?

  • उत्तर है – दोनों एक-दूसरे में ही समाहित हैं।

  • हर कर्म एक पहले से रिकॉर्डेड एक्ट है, जो अब दोबारा प्ले हो रहा है।

  • जैसे फिल्म पहले शूट हुई, अब हम उसे देख रहे हैं – वह बदलाव नहीं हो सकता।


 ड्रामा की परफेक्ट एक्यूरेसी

  • यह सृष्टि ड्रामा एकदम सटीक है – “बनी बनाई, बन रही”।

  • कोई भी आत्मा कोई गलती नहीं करती – सिर्फ अपना रोल निभाती है।

  • परमात्मा भी इस ड्रामा को नहीं बदल सकते, क्योंकि वह भी इसमें बंधे हुए हैं।


 उदाहरण द्वारा स्पष्टता

उदाहरण: खजूर का पैकेट

  • एक पैकेट किसी देश से आया, उसने यात्रा की, कुछ खाया गया, कुछ गिरा…

  • पर अगली बार वही पैकेट, वही ड्रामा फिर दोहराया जाएगा – कुछ भी इधर-उधर नहीं।

जैसे ग्रह-नक्षत्र की गति सटीक है, वैसे ही आत्मा का हर रोल सटीक है।


 क्राइम और दुख भी ड्रामा का हिस्सा

  • जब कोई आत्मा किसी को दुख देती है – चाहे वह क्राइम क्यों न हो – वह एक पुराने अकाउंट का हिसाब होता है।

  • इसलिए हमने जाना – “कोई भी आत्मा गलती नहीं करती, सिर्फ हिसाब चुकाती है।”


 कर्मों की गति – न्यूटन के सिद्धांत जैसा

  • “हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।”

  • जब मैं किसी को जितना प्रभाव देता हूँ – उतना ही प्रभाव मुझे लौटकर मिलता है।


 5000 वर्ष का कल्प – रिपीट होने वाला चक्र

  • इस ब्रह्मांड की घड़ी 5000 वर्षों की है।

  • जो अभी हो रहा है – वह पहले भी हुआ था, और फिर होगा।

  • History repeats itself – यह सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि आत्मिक सत्य है।


 निष्कर्ष: आत्मा, कर्म और ड्रामा – तीनों परफेक्ट हैं

  • हमें अब किसी को दोष नहीं देना है।

  • कर्म भी एक्यूरेट है, आत्मा भी और ड्रामा भी।

  • अब केवल समझदारी और ज्ञानयुक्त जीवन जीना है।

शीर्षक: “आत्मा का पार्ट और कर्मों की गति का दिव्य रहस्य | 5000 वर्षों का एक्यूरेट ड्रामा | 


प्रश्न 1: आत्मा को कर्म करना क्यों पड़ता है?

उत्तर:कर्म आत्मा का स्वाभाविक धर्म है। जब आत्मा परमधाम से सृष्टि पर आती है, तो वह स्थूल शरीर धारण करती है। शरीर के माध्यम से उसे कार्य करना ही पड़ता है। इसलिए कर्म करना आत्मा का अधिकार भी है और अनिवार्यता भी।


प्रश्न 2: आत्मा जब आती है, तो क्या उसके पास कोई गुण या पूंजी होती है?

उत्तर:हाँ, आत्मा एक निश्चित मेरिट या पूंजी लेकर आती है – जैसे कोई आत्मा ₹1 लाख की पवित्रता, गुण, और शक्ति लेकर आती है। इस पूंजी से वह संसार में लेन–देन करती है और अंत में सबका हिसाब करके उसी पूंजी के साथ लौटती है।


प्रश्न 3: आत्मा का पार्ट 5000 वर्षों के लिए कैसे रिकॉर्ड होता है?

उत्तर:हर आत्मा की 5000 वर्षों की पूरी यात्रा एक परफेक्ट रिकॉर्डिंग है, जो आत्मा स्वयं ही अपने कर्मों, संकल्पों और प्रतिक्रियाओं द्वारा करती है। यह एक नैचुरल और सटीक रिकॉर्डिंग है जो बार–बार रिपीट होती है।


प्रश्न 4: अगर आत्मा का पार्ट फिक्स है तो कर्म कैसे होता है?

उत्तर:आत्मा का पार्ट और कर्मों की गति एक-दूसरे में समाहित हैं। हर कर्म पहले से रिकॉर्ड है, पर वह अब पुनः एक्ट के रूप में प्ले हो रहा है। जैसे फिल्म पहले शूट होती है और बाद में चलती है, वैसे ही हर कर्म अब सिर्फ रिप्ले हो रहा है।


प्रश्न 5: क्या परमात्मा कर्मों को बदल सकते हैं?

उत्तर:नहीं। परमात्मा भी इस एक्यूरेट ड्रामा में बंधे हुए हैं। वे मार्गदर्शन दे सकते हैं, पर किसी आत्मा के कर्म को बदल नहीं सकते। मुरली में भी कहा गया है – “बाप भी कर्मों के फल से नहीं बचा सकते।”


प्रश्न 6: क्या क्राइम या कोई दुखद घटना भी ड्रामा का हिस्सा होती है?

उत्तर:हाँ। हर क्राइम या दुखद घटना भी आत्माओं के पुराने हिसाब–किताब का हिस्सा होती है। जो आत्मा दुख देती है, वह भी कोई पुराना अकाउंट बराबर कर रही होती है। इसलिए कोई आत्मा दोषी नहीं होती, वह सिर्फ अपना रोल निभा रही होती है।


प्रश्न 7: ड्रामा इतना सटीक कैसे है?

उत्तर:यह ड्रामा अत्यंत एक्यूरेट है – “बनी बनाई, बन रही”। जैसे ग्रह–नक्षत्र की गति, सूरज की किरणें और मौसम अपने समय पर कार्य करते हैं, वैसे ही हर आत्मा अपना रोल बिल्कुल सटीक समय पर निभाती है। इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं हो सकता।


प्रश्न 8: कर्मों की प्रतिक्रिया कैसे मिलती है?

उत्तर:हर कर्म का एक प्रभाव होता है। जैसे मैंने किसी को खुशी दी, तो वही आत्मा किसी न किसी रूप में मुझे वही खुशी लौटाएगी। यह प्रकृति का नियम है – “हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।”


प्रश्न 9: क्या यह सब एक बार ही होता है?

उत्तर:नहीं। यह सब एक 5000 वर्ष की चक्राकार यात्रा है। जो अभी हो रहा है, वही 5000 वर्ष पहले हुआ था और वही आगे भी दोहराया जाएगा। इसलिए कहा जाता है – “History repeats itself”, और यह सिर्फ कहावत नहीं, आत्मिक सत्य है।


प्रश्न 10: इस ज्ञान से हमें क्या सिखने को मिलता है?

उत्तर:हमें अब किसी को दोष नहीं देना चाहिए। हर आत्मा, हर कर्म, और पूरा ड्रामा एक्यूरेट है। ज्ञान यह सिखाता है कि हम समझदारी से, आत्म–बोध के साथ कर्म करें और जीवन को दिव्यता की ओर ले जाएँ।

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