Satya Yuga – (03) – “How to get the best direction and best progress through clarity of intellect?

सतयुग-(03)-” बुद्धि की स्पष्टता से श्रेष्ठ मत और श्रेष्ठ गति कैसे पायें ?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“बुद्धि की स्पष्टता से श्रेष्ठ मत और श्रेष्ठ गति कैसे पाएँ?”
– अंत समय की सफलता का गुप्त रहस्य!


 बुद्धि की स्पष्टता से श्रेष्ठ मत और श्रेष्ठ गति कैसे पाएँ?

ओम् शांति।

आज का विषय है—बुद्धि की स्पष्टता, जो आत्मिक जीवन की दिशा और गति दोनों को नियंत्रित करती है।
जैसे रेडियो की फ्रीक्वेंसी साफ़ हो तो सिग्नल क्लियर आता है, वैसे ही अगर हमारी बुद्धि श्रीमत के प्रति क्लियर है, तो परमात्मा की “डायरेक्शन” हम तक सहज पहुँचती है।


1. स्पष्ट बुद्धि—श्रेष्ठ मत का आधार

बाबा कहते हैं:
“जितनी बुद्धि स्पष्ट होगी, उतनी ही श्रीमत सहज कैच होगी।
( अव्यक्त वाणी: 10-11-1986)

 स्पष्ट बुद्धि से क्या होता है?

श्रीमत का स्पष्ट बोध होता है।
स्व उन्नति की गति तीव्र होती है।
सेवा के अवसर स्वतः प्रकट होते हैं।
दाता बनने की शक्ति सहज बढ़ती है।
सही आत्मा के प्रति सही टचिंग मिलती है।

 यही सही स्व उन्नति और सेवा का साधन है!


2. सेवा और स्व-उन्नति का सहज साधन—बुद्धि की लाइन क्लीयर

अगर बुद्धि की लाइन साफ है, तो:

 आप एक सेकंड में जान जाएंगे—इस समय मुझे क्या करना है, किसकी सेवा करनी है।
 आपको सही दिशा की टचिंग मिलती जाएगी।

बाबा कहते हैं:
“अगर बुद्धि में संशय, संदेह या विकार की धूल है, तो वह श्रीमत पर अटकती है।
( मुरली: 25-02-1992)


3. अंतिम समय की सुरक्षा: एकनामी और इकॉनॉमी के संस्कार

एकनामी:

मन, बुद्धि, संस्कार—सिर्फ एक बाबा के साथ जुड़ाव।
यही “ब्रह्मचारी बुद्धि” है—जहाँ कोई दूसरा आकर्षण नहीं।

इकॉनॉमी:

हर संकल्प, हर शक्ति को सही दिशा में लगाना।
 फालतू संकल्प, बातचीत और संसाधनों की बर्बादी से बचना।

यह दोनों गुण अंतिम समय में आत्मा की सेफ्टी कवच बनते हैं।


4. अब की तैयारी—अंतिम समय की श्रेष्ठ गति का कारण

 यह न सोचो—“अभी समय पड़ा है…”
बाद में पुरुषार्थ नहीं कर सकेंगे!
 युद्ध की अंतिम घड़ी में शक्ति क्षीण हो जाएगी।
 फिर आपको त्रेता युग का अधिकारी बनना पड़ेगा।

बाबा कहे:
“जो अंत में विजयी बनेंगे, वही सतयुग के सिंहासन पर बैठेंगे।”
( अव्यक्त वाणी: 18-01-1987)


5. अंतिम सफलता के सूत्र—अभी से अपनाएँ!

बुद्धि को श्रीमत के प्रति सेंसिटिव बनाओ।
हर दिन “मैं किसके संकल्प में हूँ?” चेक करो।
सेवा और स्व-उन्नति का संतुलन रखो।
संकल्पों की सफाई, दिशा और शक्ति बढ़ाओ।


निष्कर्ष: अंतिम समय की सफलता आज की मेहनत पर निर्भर है!

 अगर आज आपने बुद्धि को एक बाबा से जोड़ लिया,
 सेवा और स्व उन्नति को एक लक्ष्य बना लिया,
 और फालतू संकल्पों से बचते हुए दिव्यता धारण कर ली—
तो अंत समय में श्रेष्ठ मत भी मिलेगी और श्रेष्ठ गति भी निश्चित होगी!

तो आइए!
बुद्धि को स्पष्ट बनाएँ,
श्रीमत को पकड़ें,
और सतयुग के प्रथम अधिकारी बनें!

 03- बुद्धि की स्पष्टता से श्रेष्ठ मत और श्रेष्ठ गति कैसे पाएँ?


प्रश्न 1: “बुद्धि स्पष्ट” होने का वास्तविक अर्थ क्या है?

उत्तरबुद्धि स्पष्ट होने का अर्थ है—बिना किसी संशय, उलझन या संकल्पों की भीड़ के, परमात्मा की श्रीमत को तुरंत और सही ढंग से समझ पाना। जब बुद्धि की लाइन साफ होती है, तब बाप की डाइरेक्शन सीधे दिल पर उतरती है, जिससे निर्णय और कर्म दोनों सहज और श्रेष्ठ होते हैं।


प्रश्न 2: स्पष्ट बुद्धि से हमें कौन-कौन से लाभ होते हैं?

उत्तर:बाप की श्रीमत को सहजता से समझ पाते हैं।
 स्व उन्नति की गति तीव्र हो जाती है।
 सेवा में स्वतः वृद्धि होती है।
 आत्मा में दाता बनने की शक्ति विकसित होती है।
 हर समय स्पष्ट टचिंग मिलती है कि—किस आत्मा को क्या देना है या क्या करना है।


प्रश्न 3: “एकनामी” और “इकॉनॉमी” संस्कार क्या हैं और क्यों ज़रूरी हैं?

उत्तर:एकनामी का अर्थ है—मन, बुद्धि, संस्कार केवल एक परमात्मा से जुड़े हों। कोई अन्य आकर्षण, चाहना या विकल्प न हो।
इकॉनॉमी का अर्थ है—हर संकल्प, समय, शक्ति और संसाधन का अर्थपूर्ण और सेवा में उपयोग करना।

ये संस्कार अंतिम समय में आत्मा को स्थिर और संकल्पों से मुक्त बनाएंगे—जो श्रेष्ठ मत और श्रेष्ठ गति के लिए आवश्यक है।


प्रश्न 4: क्या हम अंत समय के लिए बाद में तैयारी कर सकते हैं?

उत्तर:नहीं।अंत समय की सफलता, आज की मेहनत पर निर्भर है।
अगर आज से अभ्यास नहीं किया, तो अंतिम समय की हलचलों में मन कमजोर पड़ जाएगा, और फिर त्रेतायुगी बनना पड़ सकता है। आज से ही श्रेष्ठ अभ्यास, एकाग्रता और शक्ति संचय ज़रूरी है।


प्रश्न 5: अंतिम समय की सफलता के लिए कौन-से मुख्य कवच धारण करने चाहिए?

उत्तर: स्पष्ट बुद्धि—श्रीमत को तुरंत पकड़ने के लिए।
एकनामी संस्कार—मन और बुद्धि की शक्ति एक ही केंद्र पर टिकाने के लिए।
इकॉनॉमी संस्कार—सभी संसाधनों का श्रेष्ठ प्रयोग करने के लिए।


प्रश्न 6: क्या अंतिम समय में सहज शरीर त्याग संभव है?

उत्तर:हाँ।जो आत्मा अभी से “अभी साकार—अभी अशरीरी” बनने का अभ्यास करती है, उसके लिए अंत समय में शरीर त्यागना पुराने वस्त्र बदलने जैसा सहज होगा।
एक संकल्प किया और पुराने वस्त्र को छोड़ दिया—यह सहजता अभ्यास से ही आती है।


 निष्कर्ष:स्पष्ट बुद्धि + एकनामी + इकॉनॉमी = श्रेष्ठ मत और श्रेष्ठ गति।
इसलिए आज से ही संकल्पों की सफाई करो, परमात्मा से जुड़ो और राजयोग के अभ्यास को जीवन का आधार बनाओ!

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