Satyug-(25)”Why is everyone happy in Satyug? Know the secret of royal life style”

सतयुग-(25)”सतयुग में सब सुखी क्यों होते हैं जानिए रॉयल लाइफ स्टाइल का रहस्य”

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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सतयुग में सब सुखी क्यों होते हैं? जानिए रॉयल लाइफ-स्टाइल का रहस्य!
(ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित)


 1. सतयुग: दुःख-रहित दुनिया

क्या आपने कभी कल्पना की है ऐसी दुनिया की —
जहाँ न कोई बीमारी हो, न तनाव, न गरीबी और न ही किसी प्रकार का दुःख?

यही है सतयुग — पूर्ण शांति, पवित्रता और आनंद की दुनिया।

 वहाँ कोई डर नहीं होता।
 कोई अपराध नहीं होता।
 कोई असंतोष या अपेक्षा नहीं होती।

हर आत्मा होती है — “पूर्ण तृप्त और सदा हर्षितमुख”।


2. गरीब और साहूकार — दोनों सुखी क्यों?

आज की दुनिया में गरीब और अमीर के बीच एक बड़ा अंतर होता है —
लेकिन सतयुग में भी गरीब और साहूकार होते हैं, फिर भी दोनों सुखी रहते हैं।

कैसे?
क्योंकि वहाँ:

 संसाधनों की कमी नहीं होती।
 आत्मा स्वयं सम्पन्न और सात्विक होती है।
 हर एक को अपनी स्थिति के अनुसार संपूर्ण सुख मिलता है।

आज का अमीर भी वहां के गरीब से कम खुश है।


 3. रॉयल फैमिली: दिव्यता और मर्यादा का जीवन

सतयुग में श्री लक्ष्मी-नारायण और उनके वंशजों का जीवन एक आदर्श रॉयल फैमिली जैसा होता है।

 उनका पहनावा, आचरण और बोली सबकुछ दिव्यता से भरा होता है।
 वे शासन नहीं, सेवा करते हैं।
 प्रजा भी पवित्र होती है, लेकिन रॉयल्टी का स्तर अलग होता है।

वहाँ रॉयल्टी = श्रेष्ठ संस्कार + मर्यादा + आत्म-संयम


 4. श्रीकृष्ण का डांस: दिव्य प्रेम का उत्सव

आज श्रीकृष्ण के डांस को “लीला” या चमत्कार समझा जाता है —
लेकिन सतयुग में यह होता है दिव्य प्रेम और आनंद का उत्सव

क्यों?

क्योंकि:
 आत्मा में होता है प्राकृतिक हर्ष।
 शरीर होता है हल्का और आकर्षक।
 कोई द्वंद नहीं, कोई लालच नहीं।

प्रिन्स-प्रिन्सेज़ का यह नृत्य होता है —
“निर्मल हृदयों का मिलन, रॉयल कल्चर का अनुभव।”


 5. Golden Spoon in Mouth — जन्म से सम्पन्नता

“स्वर्ण चम्मच लेकर जन्म लेना” — ये कहावत सतयुग की आत्माओं के लिए सत्य है।

वहाँ जन्म लेने का मतलब है:

 दिव्य शरीर
 सुंदर वातावरण
 स्वर्णमहलों में रहना
 सात्विक भोजन
 सुखद रिश्ते

कोई कमी नहीं — न बाहर, न भीतर।


 6. निष्कर्ष: स्वर्ग — कल्पना नहीं, पुनः स्थापना का यथार्थ

आज परमात्मा इस संगमयुग पर हमें याद दिला रहे हैं:

स्वर्ग कोई कथा नहीं, बल्कि वह वास्तविक दुनिया है —
जो पुनः स्थापित हो रही है राजयोग और आत्मज्ञान के माध्यम से।

आप और हम सब —
उन दिव्य रॉयल आत्माओं के वंशज हैं
जो सतयुग में हर्षितमुख, सम्पन्न और पुण्यात्मा बनकर जन्म लेंगे।


 समाप्ति संदेश:

तो आइए, आज से ही वैसा जीवन जीने की तैयारी करें।
स्वयं को आत्मा समझें, परमात्मा से योग लगाएँ, और दिव्य संस्कारों को धारण करें।
क्योंकि जो जैसा पुरुषार्थ करता है, वही वैसा सतयुग प्राप्त करता है।

प्रश्न 1:क्या सतयुग में भी अमीर और गरीब होते हैं?

उत्तर:हाँ, सतयुग में भी आत्माएं नम्बरवार होती हैं — कोई साहूकार, कोई थोड़ा कम सम्पन्न।
लेकिन वहाँ का “गरीब” भी दुखी नहीं होता।
उसके पास भी पर्याप्त सुख, साधन और आत्म-सन्तुष्टि होती है,
जो आज के अमीर से भी अधिक होती है।
वहाँ की सम्पन्नता बाहरी ही नहीं, आत्मिक भी होती है।

प्रश्न 2:तो सतयुग में दुःख क्यों नहीं होता?

उत्तर:क्योंकि वहाँ हर आत्मा पवित्र, पूर्ण और आनंदमय होती है।
न तन का दुःख होता है, न मन का, न संबंधों का, न धन का।
वातावरण, शरीर और रिश्ते — सब दिव्यता से भरे होते हैं।
इसीलिए उसे कहा जाता है — “दुःख-रहित दुनिया”।

प्रश्न 3:क्या सतयुग में राजाओं की रॉयल फैमिली होती है?

उत्तर:बिलकुल! सतयुग में श्री लक्ष्मी-नारायण जैसे राजा-रानियाँ होते हैं।
उनकी फैमिली और जीवनशैली पूरी तरह दिव्य, मर्यादित और रॉयल होती है।
प्रजा और रॉयल फैमिली के बीच का अंतर साफ होता है —
लेकिन दोनों ही वर्ग सुखी, संतुष्ट और उच्चगुणों से युक्त होते हैं।

प्रश्न 4:श्रीकृष्ण का डांस क्या दर्शाता है?

उत्तर:वह कोई भक्ति की लीला नहीं —
बल्कि एक खुशी और संस्कृतिक उत्सव का चित्र है।
प्रिन्स-प्रिन्सेज का यह नृत्य प्राकृतिक आनंद का प्रतीक है,
जहाँ आत्माएं निर्मल प्रेम और शुद्ध खुशी में झूमती हैं।

प्रश्न 5:“Golden spoon in mouth” का क्या अर्थ है सतयुग में?

उत्तर:इसका अर्थ है —
सतयुग में जन्म लेने वाली आत्मा जन्म से ही पूर्ण सम्पन्न होती है।
उसे कुछ भी प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती —
सारे सुख, साधन, रिश्ते, और वातावरण स्वाभाविक रूप से उसके साथ होते हैं।
हर आत्मा जन्म से ही राजा जैसा जीवन जीती है।

प्रश्न 6:क्या स्वर्ग केवल कल्पना है या फिर कोई यथार्थ?

उत्तर:स्वर्ग कोई कल्पना नहीं,
बल्कि एक सच्ची और दिव्य दुनिया है —
जो इस संगम युग पर फिर से स्थापन हो रही है।
आज परमात्मा हमें ज्ञान दे रहे हैं,
ताकि हम फिर से उस स्वर्णिम यथार्थ के अधिकारी बन सकें।

निष्कर्ष:

अगर आप भी उस रॉयल, दुःख-रहित, दिव्य दुनिया का अनुभव करना चाहते हैं —
तो आज से ही इस दिव्य ज्ञान को जीवन में अपनाइए।
सतयुग आपका इंतज़ार कर रहा है।

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