आत्माएं परमात्मा के बच्चे बने हैं, है नहीं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“आत्माएं परमात्मा की संतान बनी हैं, हैं नहीं – मुरली से स्पष्ट ज्ञान”
ओम शांति
भाइयों और बहनों,
आज हम एक बहुत ही गहरे और ज़रूरी आध्यात्मिक प्रश्न को समझने जा रहे हैं:
“क्या आत्माएं परमात्मा की संतान हैं?”
यह सवाल अक्सर मन में आता है और आज हम इसे ब्रह्माकुमारियों की साकार मुरली – 18 दिसंबर 2023 के आधार पर पूरी स्पष्टता से समझेंगे।
आत्मा और परमात्मा – दोनों अविनाशी हैं
मुरली से स्पष्ट ज्ञान:
“आत्मा कोई परमात्मा से पैदा नहीं हुई। आत्मा अविनाशी है। परमात्मा भी अविनाशी है।”
इसका अर्थ है – आत्मा की भी कोई उत्पत्ति नहीं और परमात्मा की भी नहीं।
दोनों सदा से हैं, और सदा रहेंगे।
किसी ने किसी को जन्म नहीं दिया।
“बच्चा” क्यों कहते हैं, जब आत्मा पैदा नहीं हुई?
परमात्मा हमें “बच्चा” कहते हैं – यह कोई जन्म संबंध नहीं है।
यह एक आत्मिक संबंध है – ज्ञान, स्नेह, और पुनः पवित्र बनाने की प्रक्रिया से बना हुआ।
मुरली कहती है:
“मैं तुमको अपना बच्चा कहता हूँ क्योंकि तुम अब मेरे ज्ञान से पुनः पावन बन रहे हो।”
इसलिए:
-
हम उनसे शिक्षा लेते हैं
-
हम उनके बताए मार्ग पर चलते हैं
-
वे हमारे शिक्षक, पिता और सतगुरु बनते हैं
-
इसलिए हम “बने हुए” बच्चे कहलाते हैं
“बने हुए बच्चे” – न कि सृष्टि से पैदा हुए
बच्चे हैं नहीं – बने हैं।
परमात्मा ने हमें रचा नहीं, सिर्फ संबंध बनाया है।
यह सृष्टि या जैविक जन्म नहीं है – यह एक आध्यात्मिक और आत्मिक संबंध है।
साकार मुरली – 12 मार्च 2024:
“आत्मा और परमात्मा कभी पैदा नहीं होते। आत्मा अविनाशी बिंदी है। तुम मेरे बच्चे बने हो।”
साकार मुरली – 4 फरवरी 2024:
“मैं आत्माओं को बच्चा कहता हूँ क्योंकि मैं अभी उन्हें पढ़ा रहा हूँ। तुम बने हो मेरे विद्यार्थी।”
आत्माएं परमात्मा की संतान बनी हैं, हैं नहीं
आत्मा – अविनाशी शक्ति, जो जन्म-मरण के चक्र में आती है
परमात्मा शिव – अजन्मा, अविनाशी, निराकार, सर्वशक्तिमान
परमात्मा इस संगम युग पर आकर हमें ज्ञान से पावन बनाते हैं
इसलिए वह हमें “बच्चा” कहकर संबोधित करते हैं – यह आत्मिक शिक्षा का संबंध है
समापन – ओम शांति
अब हमें ये सदा याद रखना है:
“परमात्मा आत्माओं का जनक नहीं, रचयिता नहीं – वह शिक्षक बनकर हमें ज्ञान और योग से ‘बना’ रहे हैं।”
“आत्माएं परमात्मा की संतान बनी हैं, हैं नहीं – मुरली से स्पष्ट ज्ञान”
प्रश्नोत्तर (Q&A) – आत्मा, परमात्मा और उनका संबंध
🔹 प्रश्न 1:क्या आत्माएं परमात्मा से उत्पन्न हुई हैं?
उत्तर:नहीं, आत्माएं परमात्मा से उत्पन्न नहीं हुई हैं।
18 दिसंबर 2023 की साकार मुरली में स्पष्ट कहा गया:
“आत्मा कोई परमात्मा से पैदा नहीं हुई। आत्मा अविनाशी है। परमात्मा भी अविनाशी है।”
इसका अर्थ है कि आत्मा और परमात्मा दोनों की कोई उत्पत्ति नहीं है – दोनों सदा से हैं और सदा रहेंगे।
🔹 प्रश्न 2:तो फिर परमात्मा आत्माओं को “बच्चे” क्यों कहते हैं?
उत्तर:परमात्मा हमें “बच्चा” जैविक जन्म के अर्थ में नहीं, बल्कि आत्मिक संबंध के रूप में कहते हैं।
मुरली में कहा गया है:
“मैं तुमको अपना बच्चा कहता हूँ क्योंकि तुम मेरे ज्ञान से पुनः पावन बन रहे हो।”
इसलिए यह संबंध:
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शिक्षा का है
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पुनः पवित्रता का है
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स्नेह और मार्गदर्शन का है
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यह एक आध्यात्मिक शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध है
🔹 प्रश्न 3:क्या परमात्मा ने आत्माओं को रचा (create) है?
उत्तर:नहीं। परमात्मा ने आत्माओं को रचा नहीं है।
मुरली (12 मार्च 2024) कहती है:
“आत्मा और परमात्मा कभी पैदा नहीं होते। आत्मा अविनाशी बिंदी है। तुम मेरे बच्चे बने हो।”
इसका अर्थ है कि हम “बने हुए बच्चे” हैं, “पैदा हुए” नहीं।
🔹 प्रश्न 4:“बने हुए बच्चे” और “संतान” में क्या अंतर है?
उत्तर:“बने हुए बच्चे” एक आत्मिक, संबंध आधारित शब्द है –
जबकि “संतान” शब्द अक्सर जैविक उत्पत्ति को दर्शाता है।
हम परमात्मा से जुड़े हैं:
-
ज्ञान द्वारा
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योग द्वारा
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पुनः पवित्र बनने की प्रक्रिया द्वारा
इसीलिए हम उन्हें “बनाए गए बच्चे” कहते हैं – जो इस संगम युग में बना हुआ संबंध है।
🔹 प्रश्न 5:क्या आत्मा और परमात्मा कभी जन्म लेते हैं?
उत्तर:आत्मा – अविनाशी होते हुए भी शरीर लेती है, जन्म-मरण में आती है।
परमात्मा – अजन्मा है, कभी जन्म नहीं लेता।
(4 फरवरी 2024 की मुरली):
“मैं आत्माओं को बच्चा कहता हूँ क्योंकि मैं अभी उन्हें पढ़ा रहा हूँ। तुम बने हो मेरे विद्यार्थी।”
🔹 प्रश्न 6:तो निष्कर्ष रूप में आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है?
उत्तर:
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आत्मा – अविनाशी बिंदी शक्ति है, जो जन्म-मरण में आती है
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परमात्मा – अविनाशी, निराकार, अजन्मा, सर्वशक्तिमान
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परमात्मा इस संगम युग पर आकर आत्माओं को ज्ञान देता है
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इसी ज्ञान, योग और पुनः पावनता की प्रक्रिया से हम “बने हुए बच्चे” बनते हैं
समापन वाक्य:
“परमात्मा आत्माओं का रचयिता नहीं, शिक्षक है – वह संगम युग में हमें ज्ञान देकर पावन बनाते हैं, इसलिए हम उनके ‘बने हुए बच्चे’ कहलाते हैं।”
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