T.L.P 77 “क्या सभी आत्मायें सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्म वतन में जायेंगी
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
ओ शांति आज का पदम है क्या सभी आत्माएं सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्म वतन में जाएंगी क्या सभी आत्माएं सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्म वतन में जाएंगी सूक्ष्म वतन की यात्रा सभी आत्माओं को सूक्ष्म वतन को पार करना ही है और जब पार करेंगी तो सूक्ष्म शरीर भी अवश्य होगा ही सृष्टि की विधि विधान के अनुसार स्थूल से सूक्ष्म और फिर सूक्ष्म से ही मूल में जाना होता है इसलिए यह यात्रा हर आत्मा के लिए अनिवार्य मानी जाती है कर्म अवस्था और सूक्ष्म वतन जब क्रर्मातित
अवस्था को प्राप्त कर लेती है तो यह स्थूल शरीर समाप्त हो जाता है लेकिन जब तक नया शरीर प्राप्त नहीं होता तब तक आत्मा सूक्ष्म वतन में ठहरती है यह एक संक्रमण कालीन स्थिति होती है जहां आत्मा अपने अगले स्वरूप की प्रतीक्षा करती है यह बाबा ने कैसे कहा ध्यान से समझना इसकी व्याख्या में कहां गलती हुई है उसको भी ठीक करना साकार बाबा ने 30 सितंबर 1969 को मुरली में कहा कर्मा तीत अवस्था हो जाए तो यह शरीर ना रहे फिर नया शरीर चाहिए जब तक शरीर नहीं मिले तब तक सूक्ष्म वतन में ठहर जाते हैं क्योकि इसको यहां पर बंद किया इसके साथ हमें समझना है कि जब तक मुझे दूसरा शरीर ना मिले क्यों ना मिले मुझे दूसरा शरीर जब गर्भ उसका तैयार है तो शरीर में आत्मा उसमें जाएगी अब क्यों नहीं गई शरीर का निर्माण करेगी और अब यहां जो बाबा ने कहा कि जब तक शरीर ना मिले तब तक आत्मा सूक्ष्म वतन में ठहर जाते हैं इसका क्या मतलब होगा जो बाबा की मुरली के शब्द है इसको देखना इसको समझना है क्योंकि इसके बाद वाली लाइन को इसमें नहीं क्लिर किया गया इसके बाद यह होना चाहिए कि ड्रामा अनुसार यदि उसका पार्ट है बिना शरीर के रहने का इसलिए उसका गर्भ तैयार नहीं हुआ और उसने कुछ समय अपना पार्ट बिना शरीर के सूक्ष्म शरीर के द्वारा बजाना है तो वह सूक्ष्म शरीर में रहेगी स्थूल शरीर होते हुए भी हां जी इसके आगे पीछे की लाइन होगी ये मुरली में से उन्होंने स्पार्क वालों ने निकाला है हम यह समझ सकते हैं ना इस मीनिंग को क्लियर करेंगे वह यह कि ड्रामा अनुसार जिनका पार्ट है जैसे मैंने कई बार एग्जांपल दिया कि किसी आत्मा का पार्ट है तो वह आत्मा यहां रुकेगी एक मिनट दो मिनट 10 मिनट घंटा दो घंटा उसने यहां पार्ट बजाना है उसने गर्भ में जब प्रवेश करना है तो तब जाकर गर्भ में प्रवेश करेगी ना जब तक उसने गर्भ में प्रवेश करने का भी तो उसका समय है इससे पहले उसको कुछ समय सूक्ष्म शरीर के द्वारा पार्ट बजाना है तो पार्ट बजाए गी ड्रामा में उसका पार्ट है हा जी ब्रह्म बाबा का उदाहरण ले सकते ले सकते हैं ब्रह्मा बाबा की जिक्र पर भी हमने कहा था कि उसका पार्ट है कि उसने बिगर शरीर के कुछ समय पार्ट बजाना है तो बजाएगे नहीं तो सामान्यता क्योंकि उसका पार्ट है सूक्ष्म शरीर के द्वारा तो वो पार्ट बजाएगे ऐसे और भी बहुत सारे एग्जांपल हमें देखने को मिलते हैं परंतु उसके साथ दूसरी बात यह भी होती है कि दो -दो परिस्थितियां खड़ी होती है एक परिस्थिति यह होती है कि उसने वहां पर शरीर ले लिया है परंतु कुछ समय के लिए उसने आके पार्ट बजाना है तो भी वो पार्ट बजाने के लिए आती है चाहे एक घंटा दो घंटा चार घंटा उधर बेशक उसका शरीर है परंतु वो शरीर सोया हुआ है परंतु उसे यहां पार्ट बजाने के लिए आना है तो यहां भी आकर उसने कर्म किया ना चाहे उसने सुख दिया या दुख दिया वो भी उसका हिसाब किताब है ना ड्रामा अनुसार उसने वो शरीर को कुछ समय के लिए छोड़कर सूक्ष्म शरीर से जाकर कहीं पार्ट बजाना है किसी आत्मा को सुख देना है या किसी आत्मा को दुख देना है तो आके अपना पार्ट बजाए की ना तो ये ड्रामा अनुसार उसका यदि पार्ट सूक्ष्म शरीर के द्वारा है तो सूक्ष्म शरीर के द्वारा वो पार्ट बजाए गी वो गर्भ में जाने से पहले रुक कर के भी सूक्ष्म पार्ट बजा सकती है गर्भ में जाकर के गर्भ से आकर भी सूक्ष्म पार्ट बजाएगी उसका सूक्ष्म पार्ट है तो डाउट है तो पूछो क्लियर हो गया तो ठीक है क्योंकि सूक्ष्म अवस्था में दो बातें हमारे समझ में आई दोनों बातों के लिए गर्भ में जाकर वापस भी आ सकती है आ सकती है ये शरीर छूटा गर्भ में गई वहा से वापस आ सकती है जन्म ले लिया तो शरीर को सुला कर के आ जाए सूक्ष्म शरीर क्या होता है दिखाई देता है क्या जिसके साथ कार्मिक अकाउंट होता है उसको दिखाई देता है और बाकी किसी को दिखाई दे या पता चलता है क्या हा जी जिस आत्मा ने शरीर छोड़ा उसको अपना ु शरीर दिखाई देता है उसको खुद तो समझ में आता है कि मैं शरीर से घूम रहा हूं वो आत्मा जा रही है कर रही है जो कुछ भी कर रही है वो सूक्ष्म शरीर के द्वारा किसी को दुख या सुख दे रही है उसको समझ में आता है क्या ऐसा उसे सारा समझ में आएगा बाकी उसे यह पता है कि मैं यह पार्ट बजाने जा रहा हूं यह सूक्ष्म शरीर है यह स्थूल शरीर है यह उसकी समझ से बाहर की बात है जैसे सपने में हम अपने आप को भी देख रहे होते हैं क्या उसी प्रकार से वह सपना ही है एक किस्म का परंतु उसके अंदर रियलिटी है सपने में रियलिटी नहीं है उसमें रियलिटी है अब उसके अंदर जिसके साथ में उसका कर्म का है उसको दिखाई देगा या उसको ही दिखेगा वो भी अन्य को नहीं दिखेगा अन्य को नहीं अन्य को दिखाई नहीं देगा हा ब्रह्मा बाबा सबको यह पता मैं नहीं समझ सकता कि सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर है अब सपने में होते तो पता लगता सूक्ष्म शरीर में है हमें तो लगता कि हा सच में हम जा रहे हैं हम गाड़ी चला रहे हैं हम यह कर रहे हम वो कर रहे वो कर रहे हम बोल रहे हैं बात कर रहे भाई जागृत अवस्था होती है ना सुक्ष्म शरीर में जागृत अवस्था होती है स्वपन में जागृत अवस्था नहीं होती स्वपन के अंदर हमारी जागृत अवस्था नहीं होती चाहि सूक्ष्म शरीर के अंदर आत्मा जाकर एक्चुअल पार्ट बजा रही है और जो सपना है उसमें वह एक्चुअल पार्ट नहीं बजा रही वो सिर्फ उसको देखने में जागृत अवस्था में कौन होश में है भाई जी वो जो सुक्ष्म शरीर से पार्ट बजा रहा है वो जागृता अवस्था में है प्रैक्टिकल काम कर रहा है ना वो सत्य है न हम जब सोते हैं तो तो जागृत अवस्था नहीं कहेंगे ना सपना जो है ना हा सपने को हम सुप्त अवस्था कहेंगे ना सपने में तो सपना तो सपना है सपने में सच नहीं होगा परंतु जो क्या कहते हैं हमारा ये है आत्मा का जाना है वह जो है ना एक्चुअल में आत्मा गई है तो वह दोनों को जो देखने वाला है उसको भी दिखाई देगी और उसको भी महसूस होगा परंतु ऐसा पाया गया है कि वह आत्मा अपना एक्ट करने के बाद वापस जब अपने शरीर में पहुंचती है तो उसे यह याद नहीं रहता कि मैं क्या करके आई ये बात भाई जी और किसी को याद है भाई जी सूक्ष्म शरीर में कुछ चीज पकड़ सकते है क्या वो नहीं होता सूक्ष्म शरीर फिल्म की तरह एक सपने की तरह एक आकृति है वह उस समय दिखा करके किसी को डरा सकती है अपनी आकृतियों को कुछ कर सकती है परतु स्थूल एक्ट नहीं कर सकती परंतु उसके सूक्ष्म एक्ट से ही वो दूसरों को प्रभावित कर सकती है अब वो प्रवेश करके ही कार्य करेगी ना प्रवेश करके फाइल उठाना है फाइल को कुछ करना है परंतु जब वैसे वो फाइल खोल नहीं सकती फइल को उठाकर दे नहीं सकती बिना किसी शरीर के आधार लिए क्योंकि उसका अपना कोई शरीर नहीं है कोई चीज को हिला भी नहीं सकती के शिवानी की फिल्म देखी थी उसमे ऐसा ही दिखा रहे थे वो बच्चे को उठाता है उठा नहीं पाता पकड़ नहीं पाता जब तक नया शरीर नहीं मिले तब तक थोड़ा सा आगे में करिएगा तो बाबा ने कहा कि सबका सूक्ष्म शरीर होता है सारी आत्माओं का आगे में ऐसा कहा आगे सूक्ष्म वतन में ठहर जाते हैं ब्रह्मा बाबा का फरिश्ता स्वरूप जब ब्रह्मा बाबा फरिश्ता बन जाते हैं तो उनका साक्षात्कार होता है लेकिन सामान्य आत्माओं का सारा कार्य स्थूल वतन में होता है साक्षात्कार होता है लेकिन सामान्य आत्माओं का जो आम आत्माएं है सामान्य रूप से उनका सारा कार्य स्थूल वतन में ही चलता है सूक्ष्म वतन समझाने और अनुभव करने का माध्यम है साकार बाबा ने 13 नवंबर 1969 को कहा ब्रह्मा परिस्ता बन जाते हैं तो उनका साक्षात्कार होता है बाकी सारा कारोबार यहां स्थूल वतन में चलता है सूक्ष्म वतन माना साक्षात्कार वह सिर्फ मनुष्यों को समझाना हो सूक्ष्म वतन सिर्फ समझाने के लिए होता है बाकी वहां कोई एक्ट नहीं होता जितने भी कर्म होते हैं वह यहीं पर ही होते हैं सूक्ष्म वतन केवल और केवल साक्षात्कार के लिए है वहां पर शरीर नहीं होता केवल आभास होता है सूक्ष्म वतन का महत्व जब बाप नई रचना रचते हैं तो पहले सूक्ष्म वतन को ही रचे लेकिन आत्माएं शुरुआत में सूक्ष्म वतन से नहीं आती शुरू में जो आत्माएं आती हैं वह सीधी डायरेक्ट परमधाम से आती हैं और सीधा गर्भ में प्रवेश करती सूक्ष्म वतन से नहीं आती बल्कि सीधे ही आती वर्तमान समय में आत्माएं सूक्ष्म वतन में आ जा सकती है लेकिन इसके लिए संपूर्ण पवित्रता आवश्यक है जब तक यह पवित्रता प्राप्त नहीं होती तब तक आत्माएं केवल साक्षात्कार कर सकती है यह बाबा ने सितंबर 2006 को मुरली रिवाइज हुई है बाप को जब पहले पहले नई रचना रचनी होती है तो पहले सूक्ष्म वतन को ही रचे पहले तुम सूक्ष्म वतन से नहीं आते हो सीधे आते हो अभी तुम सूक्ष्म वतन में आ जा सकते हो जब तक तुम संपूर्ण पवित्र नहीं बने तब तक तुम ऐसे नहीं कह सकते हो कि हम सूक्ष्म वतन में जा सकते हैं तुम साक्षात्कार कर सकते हो तुम क्या कर सकते हो साक्षात्कार कर सकते हो जी हां जी परमधाम से जब कोई आत्मा आती है कोई कोई रेडीमेड शरीर में प्रवेश करती जैसे कृष्ण वाली आत्मा कोई गर्भ में प्रवेश करती जैसे की कृष्ण का पहला बच्चा बाबा कहते कि नियम अनुसार आत्मा सीधा गर्भ में प्रवेश करती है सूक्ष्म वतन में कोई आत्मा डायरेक्ट नहीं आती है तुम संपूर्ण पवित्र नहीं बने हो तब तक तुम ऐसे नहीं कह सकते कि हम सूक्ष्म वतन में जा सकते हैं जब तुम संपूर्ण पवित्र बनते हो तो सूक्ष्म वतन में आ जा सकते हो तुम साक्षात्कार कर सकते हो निष्कर्ष सूक्ष्म वतन की यात्रा हर आत्मा के लिए एक आवश्यक पड़ाव है जो क्रर्मातित अवस्था के बाद होती है स्थूल शरीर के समाप्त होने के बाद आत्मा को सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्म वतन में रुकना होता है जहां से वे अपने आगे की यात्रा तय करती है यह स्थान आत्माओं को उनके अगले स्वरूप में जाने के लिए तैयार करता है और आध्यात्मिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण स्थिति प्रदान करता है
क्या सभी आत्माएं सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्म वतन में जाएंगी?
❓ प्रश्न 1: क्या सभी आत्माएं सूक्ष्म शरीर धारण करती हैं?
उत्तर:हाँ, जब आत्मा स्थूल शरीर को त्याग देती है और उसे नया शरीर नहीं मिला होता, तब वह सूक्ष्म शरीर धारण करती है। यह सूक्ष्म शरीर आत्मा की संक्रमणकालीन स्थिति को व्यक्त करता है, जब वह स्थूल से सूक्ष्म और फिर मूल में जाती है। यह यात्रा हर आत्मा के लिए आवश्यक है।
❓ प्रश्न 2: आत्मा को सूक्ष्म वतन में क्यों रुकना पड़ता है?
उत्तर:जब आत्मा कर्मातीत अवस्था को प्राप्त कर लेती है और उसका स्थूल शरीर समाप्त हो जाता है, तो उसे तब तक नया शरीर नहीं मिलता जब तक उसका गर्भ तैयार नहीं होता। इस दौरान आत्मा सूक्ष्म वतन में रुकती है। यह रुकी हुई अवस्था उसकी अगले स्वरूप की प्रतीक्षा होती है।
❓ प्रश्न 3: क्या यह प्रक्रिया सब आत्माओं के लिए होती है?
उत्तर:ड्रामा अनुसार जिन आत्माओं का पार्ट है सूक्ष्म शरीर द्वारा कुछ समय के लिए कार्य करने का, वे सूक्ष्म वतन में रुकती हैं। उदाहरण के लिए, ब्रह्मा बाबा ने भी कुछ समय के लिए फरिश्ते रूप में पार्ट निभाया। सामान्य आत्माएं सामान्यतः गर्भ में सीधे प्रवेश करती हैं, लेकिन कुछ आत्माएं विशेष पार्ट के अनुसार सूक्ष्म शरीर में रुकती हैं या पार्ट बजाती हैं।
❓ प्रश्न 4: क्या आत्मा सूक्ष्म शरीर से कार्य कर सकती है?
उत्तर:हाँ, लेकिन स्थूल कार्य नहीं। आत्मा सूक्ष्म शरीर के माध्यम से किसी को सुख या दुख का अनुभव दे सकती है, प्रेरणा दे सकती है, लेकिन स्थूल वस्तुओं को छू या हिला नहीं सकती। कार्य एक प्रकार से प्रभाव के रूप में होता है, जैसे कोई सपना।
❓ प्रश्न 5: सूक्ष्म शरीर दिखाई देता है क्या?
उत्तर:सामान्यतः नहीं, परंतु जिसे साक्षात्कार की शक्ति प्राप्त है या जिसके साथ आत्मा का विशेष कर्मिक अकाउंट है, उसे वह सूक्ष्म रूप दिख सकता है। आत्मा को स्वयं भी यह समझ होता है कि वह अपने सूक्ष्म शरीर से कहीं जा रही है या कार्य कर रही है।
❓ प्रश्न 6: क्या आत्मा गर्भ में जाने से पहले सूक्ष्म शरीर से पार्ट बजा सकती है?
उत्तर:बिलकुल। ड्रामा अनुसार यदि आत्मा को पहले किसी विशेष स्थान पर जाकर कुछ कर्म करना है – चाहे एक मिनट के लिए, एक घंटा या अधिक समय – तो वह पहले सूक्ष्म शरीर से उस पार्ट को निभाती है और फिर गर्भ में प्रवेश करती है।
❓ प्रश्न 7: ब्रह्मा बाबा का फरिश्ता रूप क्या इसी सूक्ष्म शरीर की श्रेणी में आता है?
उत्तर:हाँ, ब्रह्मा बाबा जब फरिश्ता बनते हैं, तो वह सूक्ष्म शरीर से कार्य करते हैं। उनका साक्षात्कार कई आत्माओं को होता है। साकार बाबा ने 13 नवंबर 1969 को कहा था कि ब्रह्मा बाबा का साक्षात्कार होता है लेकिन सामान्य आत्माओं का कार्य स्थूल वतन में ही होता है।
❓ प्रश्न 8: क्या सभी आत्माएं सूक्ष्म वतन से ही आती हैं?
उत्तर:नहीं, शुरुआत में आत्माएं सीधे परमधाम से गर्भ में आती हैं। सूक्ष्म वतन को अनुभव करने और समझाने के लिए बनाया गया है। आत्माएं सूक्ष्म वतन में तभी आ-जा सकती हैं जब वे संपूर्ण पवित्र बन जाती हैं। यह स्थिति सामान्य आत्माओं के लिए सहज नहीं होती।
❓ प्रश्न 9: सूक्ष्म वतन का क्या महत्व है?
उत्तर:सूक्ष्म वतन केवल साक्षात्कार का स्थान है, जहां आत्माएं या दिव्य रूप दिखाई देते हैं। कोई भी कर्म वहां नहीं होता। सारा वास्तविक कार्य स्थूल वतन में ही होता है। सूक्ष्म वतन आत्माओं को उनके अगले स्वरूप की तैयारी में मदद करता है।
🔚 निष्कर्ष:-सूक्ष्म वतन की यात्रा आत्मा के लिए एक अनिवार्य पड़ाव है। स्थूल शरीर छोड़ने के बाद, आत्मा को जब तक नया शरीर नहीं मिलता, वह सूक्ष्म शरीर धारण कर सूक्ष्म वतन में रुकती है। वहीं से वह अपने अगले पार्ट की तैयारी करती है। यह स्थिति आध्यात्मिक रूप से गहन और महत्वपूर्ण है, जो केवल ज्ञान और अनुभव से ही समझ में आती है।
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