T.L.P 80 “Brahma Vishnu Shankar reside in subtle world

T.L.P 80″सूक्ष्म वतनवासी ब्रह्मा विष्णु शंकर का अस्तित्व है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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🌸 भूमिका: सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का अस्तित्व

आज के विषय का मंथन है — “क्या सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु और शंकर का वास्तविक अस्तित्व है?”
क्या इनकी आत्माएं ब्रह्मलोक में विद्यमान हैं, जैसे कि आत्माओं के झाड़ के चित्र में दिखाया गया है?
यह एक महत्वपूर्ण और गहरे ज्ञान का विषय है, जो हमें बाबा की मुरलियों से समझना है।
आज हम इस विषय में गहराई से विचार करेंगे और बाबा द्वारा दिए गए मार्गदर्शन को जानेंगे।


🎨 1. भक्ति मार्ग के चित्रों में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की स्थिति

हमारे पुराने समय के चित्र में, हम परमधाम के अंदर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर और लक्ष्मी-नारायण की आत्माओं को देख सकते थे।

  • पहले के चित्र में ये रूप अधिक स्पष्ट थे, जिसमें शिव बाबा सबसे ऊपर होते थे, फिर ब्रह्मा, विष्णु, शंकर और अन्य देवी-देवता।

  • अब के नए चित्र में इन बिंदियों को हटा दिया गया है, क्योंकि बाबा ने स्पष्ट किया कि ब्रह्मा, विष्णु, शंकर कोई स्वतंत्र आत्माएँ नहीं हैं

  • ये केवल आत्मा की अवस्थाएँ हैं, जो संकल्प से बनती हैं और भक्ति मार्ग के चित्रों से प्रेरित हैं।


💡 2. बाबा का दृष्टिकोण: ब्रह्मा, विष्णु, शंकर कोई आत्माएँ नहीं

बाबा ने मुरली में समझाया कि ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का कोई स्थाई अस्तित्व नहीं है

  • ये केवल परमात्मा के कार्यों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियाँ हैं:

    • ब्रह्मास्थापना का प्रतीक।

    • विष्णुपालना का प्रतीक।

    • शंकरविनाश का प्रतीक।

  • इन तीनों को संकल्प से रचा गया है, और इन्हें भक्ति मार्ग के चित्रों में दर्शाया गया है, लेकिन इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है।

  • ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की आत्माएं असल में सभी आत्माओं के झाड़ में केवल प्रतीकात्मक रूप में ही दिखायी जाती हैं।


🌀 3. सूक्ष्म वतन और इसका वास्तविक स्वरूप

  • सूक्ष्म वतन कोई स्थायी जगह नहीं है, यह केवल एक संकल्प की दुनिया है।

  • यहां कोई स्थायी अस्तित्व नहीं है, यह केवल विज़ुअलाइज़ेशन के आधार पर होता है।

  • बाबाओं के अनुसार, सूक्ष्म वतन में कोई रस, फल, या पेड़ नहीं होते, यह केवल संकल्प द्वारा दिखाया जाता है, जैसे सपना हो।

  • सूक्ष्म वतन का प्रमुख उद्देश्य केवल संदेश देना है — यह एक माध्यम है, स्थायी अस्तित्व नहीं।


🧘‍♂️ 4. ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर: क्या है इसका उद्देश्य?

  • ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर केवल साक्षात्कार के लिए होता है, जिसका कोई स्थाई अस्तित्व नहीं है।

  • उनका संकल्प और सेवा सूक्ष्म शरीर के माध्यम से कार्यरत रहते हैं, पर यह कोई स्थायी रूप नहीं है।

  • सूक्ष्म शरीर का कार्य केवल सेवा का माध्यम है, और हम आत्माएं इसके माध्यम से सकाश दे सकती हैं और संदेश दे सकती हैं

  • बाबा ने ध्यान के पार्ट को भी बंद किया है, और इसे नए भाई-बहनों को समझाने के लिए उपयोगी माना है।


💭 5. त्रिमूर्ति और ब्रह्मा का ऊँचा नाम

  • त्रिमूर्ति चित्र में ब्रह्मा का नाम ऊँचा क्यों है?

    • ब्रह्मा का रथ — उसमें शिव बाबा आते हैं।

    • विष्णु और शंकर को देवता कहा जाता है, लेकिन ब्रह्मा को देवता नहीं, बल्कि प्रजापिता कहा जाता है।

    • ब्रह्मा के माध्यम से ही ब्राह्मणों की रचना होती है, और वे साधारण रहन-सहन में रहते हुए एक बड़ी हस्ती बनते हैं।


🏙️ 6. सूक्ष्म वतन में लक्ष्मी-नारायण और अन्य देवताओं का स्थान

  • लक्ष्मी-नारायण की पूजा होती है, लेकिन उनकी जीवन-कहानी नहीं जानी जाती

  • वे सूक्ष्म वतन के मालिक नहीं हैं, यह केवल उनके राज्य की पूजा होती है, जिसे पुरी कहा जाता है।

  • राम-सीता और राधे-कृष्ण का कोई स्थायी रूप सूक्ष्म वतन में नहीं दिखाया जाता।

  • यह सब केवल संकल्प द्वारा बनाए गए चित्र होते हैं, जो भक्ति मार्ग की भावना को दर्शाते हैं।


7. निष्कर्ष: ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का अस्तित्व

  • ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई स्वतंत्र आत्मा नहीं है

  • ये केवल परमात्मा के कार्यों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियाँ हैं: स्थापना, पालना, और विनाश।

  • सूक्ष्म वतन में इनका कोई स्थायी अस्तित्व नहीं है, और यह केवल समझाने के लिए बाबा ने इमर्ज किया है।

  • सृष्टि का यथार्थ और आध्यात्मिक सत्य यही है कि ये तीनों केवल कर्तव्यों के प्रतीक हैं, न कि स्वतंत्र आत्माएं।

  • आत्माओं के झाड़ में इनकी मौजूदगी केवल प्रतीकात्मक है, यथार्थ में इनका कोई स्थान नहीं।


🕉️ समाप्ति: ज्ञान का संकलन

आज हमने सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के अस्तित्व पर गहन विचार किया और बाबा की मुरलियों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि यह तीनों कोई स्वतंत्र आत्माएं नहीं हैं, बल्कि संकल्प और कार्यों के प्रतीक हैं
आपका क्या अनुभव है इस विषय पर? कृपया कमेंट करें और इस विषय पर अपने विचार हमारे साथ साझा करें।

🌸 Om Shanti


1. प्रश्न:क्या ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की आत्माएं सूक्ष्म वतन में स्वतंत्र रूप से रहती हैं?

उत्तर:नहीं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई स्वतंत्र आत्माएं नहीं हैं। ये केवल परमात्मा के तीन कार्यों – स्थापना (ब्रह्मा), पालना (विष्णु) और विनाश (शंकर) – की प्रतीकात्मक अभिव्यक्तियाँ हैं।


2. प्रश्न:आत्माओं के झाड़ के पुराने चित्र में तीन बिंदियाँ (ब्रह्मा, विष्णु, शंकर) क्यों दिखाई जाती थीं?

उत्तर:पुराने समय में बच्चों की भावना अनुसार ये चित्र बनवाए गए थे ताकि समझाना आसान हो। बाबा ने कहा था कि ये बिंदियाँ कोई आत्माएं नहीं हैं, बल्कि आत्मा की अवस्थाएँ हैं। इसीलिए बाद में इन बिंदियों को हटाकर सिर्फ शिव बाबा की बिंदी दिखाई गई।


3. प्रश्न:तो फिर त्रिमूर्ति चित्रों में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को क्यों दिखाया जाता है?

उत्तर:ये चित्र भक्तों की भावना अनुसार समझाने हेतु बनाए जाते हैं। वास्तव में ये कोई स्थाई साकार आत्माएं या सूक्ष्म शरीर नहीं हैं, बल्कि ये परमात्मा के कार्यों की प्रतीकात्मक चित्रण हैं।


4. प्रश्न:क्या सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की कोई पुरी होती है?

उत्तर:नहीं। बाबा ने स्पष्ट कहा है कि सूक्ष्म वतन कोई भौतिक स्थान नहीं है और वहाँ कोई पुरी नहीं होती। ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी, शंकर पुरी — ये सब केवल भक्ति मार्ग की भावना से बने चित्र हैं।


5. प्रश्न:क्या ब्रह्मा, विष्णु, शंकर की आत्माएं मूलवतन में रहती हैं?

उत्तर:नहीं, क्योंकि उनकी कोई स्वतंत्र आत्मा है ही नहीं। वे कोई विशेष आत्माएं नहीं हैं, केवल कार्यों की अवस्थाएँ हैं। मूलवतन में सभी आत्माएं बिंदु रूप में रहती हैं – न वहाँ कोई शरीर होता है, न कोई आकृति।


6. प्रश्न:तो ब्रह्मा बाबा कौन हैं, और उनका क्या स्थान है?

उत्तर:ब्रह्मा बाबा एक मानव आत्मा हैं, जिनके तन में स्वयं परमात्मा शिव प्रवेश कर इस ज्ञान की स्थापना करते हैं। वे ही भविष्य में विष्णु (लक्ष्मी-नारायण) बनते हैं। त्रिमूर्ति में ब्रह्मा का नाम ऊँचा है क्योंकि शिव बाबा उन्हीं के तन में आते हैं।


7. प्रश्न:सूक्ष्म वतन क्या है – क्या वह एक विशेष स्थान है?

उत्तर:सूक्ष्म वतन कोई भौतिक जगह नहीं है, यह संकल्पों की दुनिया है। वहाँ हम जो विज़ुअलाइज़ करते हैं, वही हमें दिखाई देता है। बाबा ने इसे “सपने जैसी अनुभूति” कहा है – यथार्थ में वह कोई स्थाई स्थान नहीं।


8. प्रश्न:क्या साक्षात्कार में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर दिख सकते हैं?

उत्तर:हाँ, परंतु वह केवल संकल्प रूपी दृश्य होते हैं – जैसे स्वप्न में कोई आकृति दिखाई दे। वे कोई स्थाई आत्माएं नहीं होतीं। बाबा संकल्प से ऐसी अनुभूति कराते हैं जिससे आत्मा को प्रेरणा और अनुभव मिले।


9. प्रश्न:शंकर का क्या रोल है? क्या उनकी कोई आत्मा है?

उत्तर:शंकर का कोई स्वतंत्र रोल या आत्मा नहीं है। शंकर केवल विनाश कर्तव्य का प्रतीक हैं। यह कार्य भी परमात्मा की संकल्प शक्ति से होता है, किसी विशेष आत्मा के द्वारा नहीं।


10. प्रश्न:निष्कर्ष रूप में – क्या ब्रह्मा, विष्णु, शंकर हैं या नहीं?

उत्तर:हैं – पर आत्मा नहीं हैं।
वे स्वतंत्र आत्माएं नहीं बल्कि परमात्मा के तीन मुख्य कर्तव्यों – स्थापना, पालना, विनाश – की प्रतीकात्मक अवस्थाएँ हैं।
उनका कोई स्थाई अस्तित्व सूक्ष्म वतन या मूल वतन में नहीं है।


🔚 अंतिम संदेश:
सूक्ष्म वतन की वास्तविकता को समझना आध्यात्मिक गहराई में प्रवेश करना है।
जो समझते हैं कि त्रिमूर्ति की आत्माएं कोई अलग अस्तित्व रखती हैं – वे अभी भी भक्ति की भावना में हैं।
बाबा हमें सच्चे ज्ञान से मुक्त करते हैं – जिससे हम आत्मिक दृष्टिकोण से सृष्टि के हर रहस्य को स्पष्ट रूप से जान सकें।

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