T.L.P 86″क्या आत्मायें सारे ब्रह्माण्ड में स्थित हैं?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“आत्मा और परमात्मा का दिव्य रहस्य: ब्रह्मांड में आत्माओं की स्थिति और उनका परम संबंध”
🔷 भूमिका (Introduction):
ओम शांति।
आज हम दो गहन प्रश्नों पर चर्चा करेंगे:
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क्या आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में स्थित हैं?
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क्या आत्माओं का परमात्मा से कोई शाश्वत संबंध है?
इन प्रश्नों को हम परमात्मा की दृष्टि से समझने का प्रयास करेंगे।
🔶 बिंदु 1: आत्मा और परमात्मा का दिव्य संबंध
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आत्मा और परमात्मा दोनों ही आत्माएं हैं — अविनाशी, अनादि और स्वयंभू।
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अंतर क्या है?
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आत्मा विकारी बनती है, परमात्मा सदा निर्विकारी रहता है।
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आत्मा जन्म-मरण के चक्र में आती है, परमात्मा नहीं।
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परमात्मा हमें पावन बनाने के निमित्त “पिता” कहलाते हैं, न कि जन्म देने वाले जनक।
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आत्मा और परमात्मा के बीच शाश्वत, दिव्य, आत्मिक संबंध है — प्रेम और शक्ति का संबंध।
🔶 बिंदु 2: क्या आत्माएं ब्रह्मांड में स्थित हैं?
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आत्माएं केवल पृथ्वी तक सीमित नहीं हैं।
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उनका मूल निवास परमधाम है — एक अति सूक्ष्म, प्रकाशमय क्षेत्र जो आकाश तत्व से भी परे है।
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“कुछ भी नहीं” की स्थिति — जहां स्थान, समय और गति का कोई बंधन नहीं।
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सभी आत्माएं एक साथ उस परमधाम में रह सकती हैं — क्योंकि आत्मा अति सूक्ष्म है, वह जगह नहीं घेरती।
🔶 बिंदु 3: आत्मा क्या संगठित हो सकती है?
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जैसे चने की बोरियाँ एक जगह रखी जा सकती हैं, वैसे ही आत्माएं भी एक स्थान पर “इकट्ठी” हो सकती हैं।
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मुरली में बाबा ने कहा — “सभी आत्माएं एक साथ जाएंगी, और फिर क्रम अनुसार आएंगी।”
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आत्माएं स्थानिक रूप से सीमित नहीं, बल्कि अवस्था में स्थित होती हैं।
🔶 बिंदु 4: आत्मा की तरंगें और विश्व पर प्रभाव
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आत्मा के संकल्प और भावनाएं अदृश्य तरंगों के रूप में विश्व को प्रभावित करती हैं।
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यह एक एनर्जी फील्ड है — जहां हर आत्मा का कंपन, दूसरों तक पहुंचता है।
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जैसे हवा की तरंगे दिखती नहीं, पर असर डालती हैं — वैसे ही आत्मा की चेतन शक्ति।
🔶 बिंदु 5: ब्रह्मा बाबा और विश्व कल्याण
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ब्रह्मा बाबा अब सूक्ष्म लोक में स्थित हैं — एक दिव्य सूक्ष्म शरीर के साथ।
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वे किसी भी आत्मा से जुड़ सकते हैं, सहायता कर सकते हैं।
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उनका यह कार्य अब विश्व स्तर पर — सेवा, शक्ति और प्रेरणा देना है।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion):
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आत्मा और परमात्मा दोनों ही दिव्य चेतनाएँ हैं — जिनका संबंध शाश्वत और अविनाशी है।
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आत्माएं असीम ब्रह्मांड में परमधाम नामक एक दिव्य घर में स्थित रहती हैं।
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आत्मा की शक्ति सीमित नहीं है — वह विचार, संकल्प और तरंगों के माध्यम से विश्व को छूती है।
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परमात्मा वह दिव्य शक्ति है — जो आत्माओं को अंधकार से निकाल कर पावन बनाता है।
🪔 ओम शांति: आज का पदम
विषय: क्या आत्माएं सारे ब्रह्मांड में स्थित हैं? क्या उनका परमात्मा के साथ संबंध है?
प्रश्न 1: क्या आत्माएं सारे ब्रह्मांड में स्थित हैं?
उत्तर:आत्माएं केवल इस पृथ्वी पर ही नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त हैं — परंतु वो व्याप्ति किसी भौतिक रूप में नहीं, बल्कि “अविकारी दिव्य ऊर्जा” के रूप में होती है।
हर आत्मा का मूल स्थान है परमधाम — जिसे शांति धाम या मूल वतन भी कहते हैं। यह एक सूक्ष्मतम, अतीन्द्रिय प्रकाशमय क्षेत्र है — जो इस भौतिक ब्रह्मांड के भी परे है।
🎯 मुख्य बात:आत्माएं सशरीर नहीं, बल्कि सूक्ष्मतम रूप में हर दिशा में व्याप्त हो सकती हैं — परंतु उनका स्थायी ठिकाना है परमधाम।
जहाँ कोई ध्वनि नहीं, गति नहीं, और समय नहीं — बस “परम शांति की अवस्था” है।
प्रश्न 2: क्या आत्माओं का परमात्मा के साथ कोई संबंध है?
उत्तर:हाँ, आत्मा और परमात्मा का शाश्वत, अविनाशी और दिव्य संबंध है।
यह संबंध जन्म-मरण से परे है। आत्मा और परमात्मा दोनों ज्योति बिंदु स्वरूप, अविनाशी, स्वयंभू और अदृश्य हैं।
दोनों में समानता भी है, अंतर भी है, और गहरा संबंध भी।
👨👦 यह संबंध क्या है?जैसे सूर्य अपने प्रकाश से सभी तारों को ऊर्जा देता है —
वैसे ही परमात्मा, ज्ञान-सूर्य के रूप में आत्माओं को शक्ति, प्रकाश और दिशा देता है।
परमात्मा आत्माओं को पैदा नहीं करता —
बल्कि जब आत्मा पतित बन जाती है, तो परमात्मा उसे पावन बनाता है।
इसलिए परमात्मा को हम “पतित-पावन पिता” कहते हैं।
प्रश्न 3: आत्मा और परमात्मा क्या एक जैसे हैं?
उत्तर:
आत्मा और परमात्मा दोनों ज्योति बिंदु हैं —
लेकिन अंतर भी है:
विशेषता | आत्मा | परमात्मा |
---|---|---|
विकारी बन सकती है | हाँ | कभी विकारी नहीं होती |
जन्म-मरण में आती है | हाँ | कभी जन्म नहीं लेती |
कर्म करती है | हाँ | कर्म कराती है, परंतु स्वयं अकर्ता है |
ज्ञान सीमित होता है | हाँ | सर्वज्ञानी, सर्वशक्तिवान |
प्रश्न 4: क्या सभी आत्माएं संगठित होकर एक जगह रह सकती हैं?
उत्तर:हाँ, बाबा ने मुरली में कहा है:
“सभी आत्माएं एक साथ जाएंगी, और एक-एक कर के आएंगी।”
इसका अर्थ है कि सभी आत्माएं परमधाम में एकत्रित रहती हैं —
पर वहां कोई “फिजिकल स्पेस” की ज़रूरत नहीं होती।
वह एक अति सूक्ष्म स्थिति होती है — जहाँ आत्माएं संकल्प रहित, क्रिया रहित, शांति की परम अवस्था में स्थित होती हैं।
प्रश्न 5: आत्मा और परमात्मा के बीच संकल्प या संवाद होता है क्या?
उत्तर:परमधाम में आत्मा और परमात्मा दोनों संकल्प रहित स्थिति में होते हैं।
वहाँ कोई शब्द, ध्वनि या संवाद नहीं होता।
यह संपूर्ण स्थिरता की स्थिति है।
लेकिन जब परमात्मा ज्ञान देने हेतु संगम युग पर अवतरित होते हैं —
तब आत्माएं परमात्मा से संवाद करती हैं, ज्ञान प्राप्त करती हैं, और पुनः अपने मूल स्वरूप को पहचानती हैं।
प्रश्न 6: क्या ब्रह्मा बाबा भी आत्माओं से संबंध में रहते हैं?
उत्तर:बिलकुल — ब्रह्मा बाबा अब सूक्ष्म शरीर में स्थित हैं और
संपूर्ण विश्व की आत्माओं से संबंध बनाए रखते हैं।
वे विमानों से नहीं, बल्कि विचार और संकल्प की शक्ति से
फ्रैक्शन ऑफ सेकंड में कहीं भी पहुंच सकते हैं।
उनका कार्य अब सूक्ष्म लोक से विश्व कल्याण करना है।
सारांश:
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आत्माएं ब्रह्मांड में कहीं भी हो सकती हैं, परंतु उनका मूल घर परमधाम है।
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आत्मा और परमात्मा का संबंध शाश्वत और अविनाशी है।
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परमात्मा आत्मा को पतित से पावन बनाने आता है — यही उनका “पिता-पुत्र” संबंध है।
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सभी आत्माएं परमधाम में एक साथ जा सकती हैं, और फिर एक-एक कर के पुनः अवतरित होती हैं।
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ब्रह्मा बाबा अब सूक्ष्म लोक से आत्माओं के कल्याण में सक्रिय हैं।
🎤 अंत में:-जो आत्मा अपने सच्चे पिता परमात्मा को पहचान लेती है,
उसका जीवन स्वर्णिम बन जाता है।
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