T.L.P 74 “मूलवतन में आत्माओं का झाड़: चित्र और वास्तविकता
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
शीर्षक:“ओम शांति: कौन बनेगा पद्मा पदम पति? और मूल वतन के झाड़ की सच्चाई क्या है?”
🔷 1. प्रस्तावना: कौन बनेगा पद्मा पदम पति?
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बाबा ने कहा: सभी आत्माएं पद्मा पदम पति बनेंगी।
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लेकिन कब?
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जब आत्मा का हर कर्म अकर्म बन जाएगा।
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जब हर कार्य बाबा की श्रीमत पर होगा।
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जितने “पद्मा” (punya karm) जमा करेंगे, उतना ऊँचा पद मिलेगा सतयुग में।
🔷 2. आज का मुख्य विषय: मूल वतन में आत्माओं का झाड़
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क्या सच में परमधाम में ऐसा झाड़ है जैसा चित्र में दिखाया गया है?
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या यह केवल समझाने का एक माध्यम है?
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आज हम इस झाड़ की सच्चाई और महत्व को गहराई से समझेंगे।
🔷 3. भूमिका: चित्र या हकीकत?
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बाबा ने कहा:
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चित्र शिक्षा हेतु बनाए गए हैं।
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“वास्तविकता इससे भिन्न हो सकती है।”
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“हो सकती” क्यों कहा गया?
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क्योंकि यह बाबा की डायरेक्ट वाणी नहीं है।
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यह स्पार्क विंग्स जैसे सेवाकेंद्रों द्वारा बनाया गया शिक्षात्मक चित्र है।
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🔷 4. चित्रों का उद्देश्य और सीमा
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बाबा ने स्पष्ट किया:
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चित्र नक्शे की तरह हैं — आत्मा को समझाने और दूसरों को समझाने हेतु।
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जैसे बच्चे को वर्णमाला सिखाते हैं: “क – कबूतर”। कबूतर से कोई मतलब नहीं, बस सिखाने का माध्यम।
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वैसे ही यह “झाड़” परमधाम की सच्चाई नहीं, एक सिम्बॉलिक प्रतिनिधित्व है।
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🔷 5. त्रिमूर्ति चित्र की यथार्थता
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विष्णु को बीच में क्यों दिखाया?
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बाबा ने कहा — शोभा और समझाने के लिए।
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असली क्रम में विष्णु अंत में आता है — जब पुनः सतयुग आरंभ होता है।
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🔷 6. आत्माओं की परमधाम में स्थिति
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परमधाम अति-सूक्ष्म लोक है:
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कोई रूप, आकार, स्पेस नहीं।
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सब आत्माएं एक ही “जीरो पॉइंट” में स्थित होती हैं।
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आत्माएं लाइट हैं – सुपर नैचुरल, न मापी जा सकने वाली।
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आत्मा को कोई भी माइक्रोमीटर, फोटॉन डिटेक्टर नहीं पकड़ सकता।
🔷 7. ब्रह्मांड और परमधाम का अंतर
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ब्रह्मांड और परमधाम अलग हैं:
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ब्रह्मांड — पाँच तत्वों से बना विशाल क्षेत्र।
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परमधाम — पाँचों तत्वों से परे, “शून्य” की तरह।
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जैसे होम्योपैथिक मेडिसिन में एक अणु लाखों बार dilute होता है, वैसे ही आत्माएं अति सूक्ष्म हैं।
🔷 8. उल्टा झाड़: एक बौद्धिक मॉडल
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बाबा ने कहा:
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बीज (परमात्मा) ऊपर और आत्माएं नीचे — उल्टा झाड़।
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लेकिन यह सिर्फ समझाने के लिए है।
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परमधाम में कोई पेड़ नहीं होता — वहां सूक्ष्म बिंदु ही होते हैं।
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🔷 9. किर्लियन कैमरा और आत्मा का प्रमाण
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साइंस भी आत्मा की रोशनी (Aura) को indirectly पहचानता है:
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किर्लियन कैमरे से जो ओरा दिखता है, वो आत्मा के अस्तित्व का संकेत है।
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आत्मा के निकलते ही वह लाइट गायब हो जाती है — “सुपर नैचुरल लाइट।”
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🔷 10. निष्कर्ष: आत्मा, परमात्मा और परमधाम — सब अति सूक्ष्म
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आत्मा:
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अति सूक्ष्म, अविनाशी, यूनिक।
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परमात्मा:
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हजारों सूर्यों से तेज, पर फिर भी बिंदु, सूक्ष्मतम।
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परमधाम:
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एक ऐसा जीरो पॉइंट, जहां सब आत्माएं समा सकती हैं।
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📌 अंत में स्मरणीय बातें:
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पद्मा पदम पति वही बनेगा जो कर्मों को बाबा की श्रीमत पर करेगा।
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चित्रों की वास्तविकता समझनी है – पर चित्रों में अटकना नहीं है।
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ज्ञान को बुद्धि में धारण कर परमधाम को अनुभव करना ही सच्चा अभ्यास है।
🪔 शीर्षक: “ओम शांति: कौन बनेगा पद्मा पदम पति? और मूल वतन के झाड़ की सच्चाई क्या है?”
🔹 प्रश्न 1: “पद्मा पदम पति” बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर:“पद्मा पदम पति” वह आत्मा बनती है जिसके हर कर्म में पुण्य का पद्मा पदम योग हो। जब आत्मा का हर कर्म अकर्म बन जाए — अर्थात् हर कार्य बाबा की श्रीमत पर हो — तब आत्मा पद्मा पदम पति कहलाती है और सतयुग में ऊँचा पद प्राप्त करती है।
🔹 प्रश्न 2: क्या हर आत्मा पद्मा पदम पति बन सकती है?
उत्तर:बाबा ने कहा है कि “सभी आत्माएं पद्मा पदम पति बनेंगी” — लेकिन यह उनकी पुरशार्थ और श्रीमत पर आधारित कर्मों पर निर्भर करता है। जितना अधिक पुण्य कर्म (पद्मा) जमा, उतना ही श्रेष्ठ भाग्य।
🔹 प्रश्न 3: मूल वतन में जो झाड़ का चित्र दिखाया जाता है, क्या वह वास्तविक है?
उत्तर:नहीं। परमधाम में ऐसा कोई भौतिक झाड़ नहीं है। यह चित्र केवल समझाने का माध्यम है। बाबा ने स्पष्ट किया — “चित्र शिक्षा हेतु बनाए जाते हैं। वास्तविकता इससे भिन्न हो सकती है।”
🔹 प्रश्न 4: तो फिर इन चित्रों का महत्व क्या है?
उत्तर:चित्रों का महत्व वैसा ही है जैसे बच्चों को “क – कबूतर” से वर्णमाला सिखाना। असली कबूतर से कोई मतलब नहीं, केवल एक प्रतीक है। वैसे ही झाड़ का चित्र आत्माओं के ज्ञान को समझाने का माध्यम है — सत्य नहीं।
🔹 प्रश्न 5: त्रिमूर्ति चित्र में विष्णु को बीच में क्यों दिखाया जाता है?
उत्तर:यह चित्र केवल शोभा और समझाने के उद्देश्य से बनाया गया है। वास्तविकता में, विष्णु अंतिम अवस्था में आता है — जब संगम युग के अंत में आत्मा पूरी तरह पावन बन जाती है और सतयुग आरंभ होता है।
🔹 प्रश्न 6: परमधाम (मूल वतन) की वास्तविकता क्या है?
उत्तर:परमधाम एक अति-सूक्ष्म लोक है। वहाँ कोई आकार, रूप, दिशा या स्थान नहीं। सभी आत्माएं बिंदु रूप में एक ही शून्य बिंदु (Zero Point) में स्थित होती हैं — सुपरसाइलेंट, सुपरलाइट अवस्था में।
🔹 प्रश्न 7: ब्रह्मांड और परमधाम में क्या अंतर है?
उत्तर:ब्रह्मांड पाँच तत्वों से बना विशाल क्षेत्र है — समय-स्थान से बंधा हुआ। जबकि परमधाम पाँचों तत्वों से परे है, जैसे एक सूक्ष्म शून्य। आत्माएं वहाँ किसी भी माप या गति से परे हैं — जैसे होम्योपैथिक अणु dilute हो जाता है, वैसे ही आत्मा अति सूक्ष्म है।
🔹 प्रश्न 8: उल्टा झाड़ क्या केवल एक बौद्धिक मॉडल है?
उत्तर:हाँ। उल्टा झाड़ बाबा द्वारा दिया गया ज्ञान का मानसिक मॉडल है — जिसमें परमात्मा बीज है और आत्माएं शाखाएँ हैं। लेकिन यह केवल समझाने के लिए है, परमधाम में कोई असली पेड़ नहीं है।
🔹 प्रश्न 9: आत्मा के अस्तित्व का कोई वैज्ञानिक प्रमाण है?
उत्तर:किर्लियन कैमरे द्वारा आत्मा की रोशनी (Aura) को देखा जा सकता है। जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तब वह ओरा भी लुप्त हो जाती है। यह उस सुपर नैचुरल लाइट का संकेत है जो आत्मा है।
🔹 प्रश्न 10: आत्मा, परमात्मा और परमधाम — इनकी परिभाषा एक वाक्य में?
उत्तर:
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आत्मा: अविनाशी, अति सूक्ष्म, ज्ञानस्वरूप बिंदु।
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परमात्मा: हजारों सूर्यों से भी तेज, पर सूक्ष्मतम बिंदु।
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परमधाम: एक शांति का शून्य क्षेत्र — Zero Point — जहाँ ये सभी आत्माएं स्थित रहती हैं।
📌 अंतिम निष्कर्ष:
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पद्मा पदम पति वही बनेगा जो बाबा की श्रीमत पर पूरी तरह चले और हर कर्म को पुण्य बनाएं।
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चित्रों में अटकना नहीं है, उनका उपयोग केवल समझने और समझाने के लिए करना है।
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सच्चा अभ्यास है — ज्ञान को बुद्धि में धारण कर, परमधाम की अनुभूति करना।
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