प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाके फिर जायेंगे {10}
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजाकर ही जाएंगे! | एडवांस पार्टी की गुप्त सेवा | Murli Insight – 26 Nov 1984”
प्रारंभिक अभिवादन – ओम शांति
“ओम शांति।
आज हम एक बहुत ही विशेष और गहन आध्यात्मिक रहस्य पर चर्चा कर रहे हैं – जो कि मुरली में बाबा ने खुद वर्णन किया है।
यह विषय है – ‘एडवांस पार्टी वाले प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजा के फिर जाएंगे।’
यह पॉइंट 26 नवंबर 1984 की अव्यक्त मुरली से लिया गया है।”
1. एडवांस पार्टी क्या है?
“एडवांस पार्टी वह आत्माएं हैं जो पहले से ही परमधाम जा चुकी हैं, लेकिन शरीर में नहीं – बल्कि सूक्ष्म रूप में सेवा के लिए।
बाबा कहते हैं, ये आत्माएं विशेष सेवा के लिए जाती हैं – लेकिन ये तब तक नहीं जाएंगी जब तक प्रत्यक्षता का नगाड़ा न बज जाए।”
2. प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजा कर ही जाएंगे
“बाबा कहते हैं – अभी जाना नहीं है,
‘जाएंगे’ यह मत सोचो।
‘सबको साथ लेकर जाएंगे’ – यह सोचो।
बाबा का स्पष्ट निर्देश है –
सभी आत्माओं को साक्षात्कार करा कर, तृप्त करके, प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाकर ही एडवांस पार्टी जाएगी।“
3. बाप के साथ-साथ चलना है
“एडवांस पार्टी वाले कहते हैं – पहले क्यों जाएं?
अब तो बाप के साथ-साथ जाएंगे।
प्रत्यक्षता के वंडरफुल सीन अनुभव करते हुए,
मानसिक पूजा और प्रेम के पुष्पों की अंतिम झलक लेकर ही जाएंगे।
यह दृश्य बहुत महान है – इसे देखना आवश्यक है।”
4. किसका पार्ट एडवांस पार्टी में है – यह सोचने की बात नहीं
“बाबा कहते हैं – किस आत्मा का पार्ट एडवांस पार्टी में है, यह सोचना नहीं है।
जो अंत तक बने रहेंगे,
जो ‘अंत’ करेंगे – वही सब कुछ देखेंगे।
बाबा स्वयं अंत में आते हैं –
तो हम क्यों नहीं बाप के साथ-साथ यह वंडरफुल सीन देखें?”
5. सेवा भाव और त्याग की भावना से जाना है
“बाबा कहते हैं –
‘चले गए तो भी अच्छा, रह गए तो भी अच्छा।’
यह सेवा का क्षेत्र है।
अगर अकेले भी गए तो एडवांस पार्टी में सेवा करनी पड़ेगी।
जाना है, लेकिन भाव यह हो –
‘सबको साथ ले जाना है, किसी को छोड़कर नहीं जाना है।’
यही सच्ची सेवा भावना है।”
6. निष्कर्ष – संकल्प नहीं, समर्पण चाहिए
“तो निष्कर्ष यह है –
जाना या न जाना – यह हमारी मर्जी नहीं,
यह बाप का कार्य है।
हमें सिर्फ यह संकल्प करना है कि हम
सबको साथ लेकर चलें।
बिना किसी को छोड़े, सभी को साक्षात्कार कराएं –
और तभी प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजेगा।”
समापन – ओम शांति
“अच्छा।
यह थी आज की बेहद महत्वपूर्ण मुरली पॉइंट पर चर्चा।
यदि आप और गहराई से जानना चाहते हैं, तो नजदीकी ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर जरूर संपर्क करें।
ओम शांति।“
शीर्षक: “प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजाकर ही जाएंगे! | एडवांस पार्टी की गुप्त सेवा | Murli Insight – 26 Nov 1984”
प्रारंभिक अभिवादन – ओम शांति
प्र.1: आज का मुख्य विषय क्या है जिस पर चर्चा की जा रही है?
उ: आज हम मुरली दिनांक 26 नवंबर 1984 की एक गहन आध्यात्मिक पॉइंट पर चर्चा कर रहे हैं – “एडवांस पार्टी वाले प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजा के फिर जाएंगे।”
1. एडवांस पार्टी क्या है?
प्र.2: ‘एडवांस पार्टी’ शब्द का क्या अर्थ है?
उ: एडवांस पार्टी वे आत्माएं हैं जो सूक्ष्म रूप में विशेष सेवा के लिए परमधाम से आती हैं, लेकिन वे तब तक नहीं जातीं जब तक प्रत्यक्षता का कार्य पूर्ण नहीं होता।
प्र.3: क्या एडवांस पार्टी शरीर छोड़कर जाती है?
उ: नहीं, वे आत्माएं सूक्ष्म शरीर से सेवा करने जाती हैं, स्थूल देह को छोड़कर नहीं।
2. प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजा कर ही जाएंगे
प्र.4: बाबा का आदेश एडवांस पार्टी के जाने के संबंध में क्या है?
उ: बाबा स्पष्ट कहते हैं – “अभी जाना नहीं है। सबको साक्षात्कार कराके, प्रत्यक्षता का नगाड़ा बजाकर ही जाना है।”
प्र.5: प्रत्यक्ष का नगाड़ा क्या दर्शाता है?
उ: यह प्रतीक है उस समय का जब परमात्मा की पहचान और ज्ञान की सच्चाई संपूर्ण विश्व में प्रकट हो जाती है।
3. बाप के साथ-साथ चलना है
प्र.6: एडवांस पार्टी पहले क्यों नहीं जाती?
उ: वे कहते हैं कि अब बाप के साथ-साथ ही जाएंगे, प्रत्यक्षता के वंडरफुल सीन देखकर, प्रेम के अंतिम अनुभव लेकर ही प्रस्थान करेंगे।
4. किसका पार्ट एडवांस पार्टी में है – यह सोचने की बात नहीं
प्र.7: क्या हमें सोचना चाहिए कि हम एडवांस पार्टी में जाएंगे या नहीं?
उ: नहीं, बाबा कहते हैं यह सोचने की बात नहीं। जो अंत तक बने रहते हैं, वही सबकुछ अनुभव करते हैं।
प्र.8: बाबा स्वयं कब आते हैं और क्यों?
उ: बाबा कल्प के अंत में आते हैं ताकि सब कुछ देख सकें और सबको दिखा सकें। इसलिए हमें भी बाप के साथ अंतिम दृश्य देखने चाहिए।
5. सेवा भाव और त्याग की भावना से जाना है
प्र.9: अगर कोई आत्मा अकेले चली जाए तो क्या होगा?
उ: उसे एडवांस पार्टी में भी सेवा करनी पड़ेगी। इसलिए भाव यह हो – “सबको साथ ले जाना है, किसी को छोड़े बिना।”
प्र.10: क्या एडवांस पार्टी में जाना स्वेच्छा से होना चाहिए?
उ: नहीं, यह बाप के कार्य और आदेश पर आधारित है। हमें त्याग और सेवा की भावना रखनी है, न कि व्यक्तिगत इच्छा।
6. निष्कर्ष – संकल्प नहीं, समर्पण चाहिए
प्र.11: बाबा इस विषय में अंतिम निर्देश क्या देते हैं?
उ: बाबा कहते हैं – जाना या न जाना हमारी मर्जी नहीं, यह बाप का कार्य है। हमें केवल समर्पण का संकल्प रखना है कि हम सभी आत्माओं को साक्षात्कार कराके साथ लेकर चलें।
समापन – ओम शांति
प्र.12: अगर कोई आत्मा इस विषय को और गहराई से समझना चाहे तो क्या करें?
उ: वह अपने नजदीकी ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र से संपर्क कर सकता है और मुरली का गहन अध्ययन कर सकता है।
ओम शांति।
शीर्षक: “प्रत्यक्ष का नगाड़ा बजाकर ही जाएंगे! | एडवांस पार्टी की गुप्त सेवा | Murli Insight – 26 Nov 1984”
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