आत्मा-पदम (05)सर्व प्रकार के पुरुषार्थ में सफलता का आधार क्या है
A-P(05)What Is The Basis of Success In All Kinds Of Efforts?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
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पुरुषार्थ का वास्तविक अर्थ
- Q1: आत्मा के पुरुषार्थ का क्या अर्थ है?
A1: आत्मा का पुरुषार्थ वह कार्य है जो आत्मा के उत्थान और उसके सत्य स्वरूप की प्राप्ति के लिए किया जाता है।Q2: बिंदु रूप में स्थित होने का क्या महत्व है?
A2: बिंदु रूप में स्थित होने से आत्मा अपनी परम स्थिति में होती है, जहां संकल्प और विचार से मुक्त हो जाती है।Q3: आत्मा को बिंदु रूप में कैसे समझें?
A3: आत्मा बिंदु रूप में अति सूक्ष्म और अनदेखी होती है, जिसका कोई आकार या सीमा नहीं होती, यह परम अवस्था में स्थिर रहती है। -
2. ब्रह्मा बाबा का प्रेरणा स्रोत
Q1: ब्रह्मा बाबा के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
A1: ब्रह्मा बाबा का जीवन हमें श्रीमत पर चलने, सच्चे मार्ग पर कदम रखने और अपनी श्रद्धा को शुद्ध करने की प्रेरणा देता है।Q2: ब्रह्मा बाबा का आदर्श हमारे जीवन पर कैसे असर डालता है?
A2: ब्रह्मा बाबा का आदर्श हमें परमात्मा की संकल्प शक्ति और जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।3. ज्ञान मार्ग में सफलता का रहस्य
Q1: श्रीमत पर आधारित सफलता का मार्ग क्या है?
A1: श्रीमत पर आधारित सफलता का मार्ग यही है कि हम केवल और केवल बाबा की शिक्षा और संकल्पों पर चलें, बिना किसी व्यक्तिगत समझ या विचार के।Q2: स्मृति स्वरूप बनने का महत्व क्या है?
A2: स्मृति स्वरूप बनने से हमें आत्मा की शुद्धता और परमात्मा के साथ सटीक जुड़ाव मिलता है, जिससे जीवन में स्थिरता और शांति बनी रहती है।4. अव्यक्त बाप दादा की शिक्षाएं
Q1: अव्यक्त मुरलियों से मार्गदर्शन क्यों महत्वपूर्ण है?
A1: अव्यक्त मुरलियां हमें आत्मा के गहरे अनुभव और परमात्मा के साथ जुड़ने का अद्भुत मार्गदर्शन देती हैं, जिससे जीवन में सच्ची दिशा मिलती है।Q2: अव्यक्त शिक्षाओं का हमारे जीवन में क्या अनुप्रयोग है?
A2: अव्यक्त शिक्षाएं हमारे दैनिक जीवन में शांति, स्थिरता और सही संकल्प बनाए रखने में मदद करती हैं, जिससे हम अपने कार्यों में उत्तम होते हैं।5. बीज रूप स्थिति का महत्व
Q1: बिंदु रूप और बीज रूप में क्या अंतर है?
A1: बिंदु रूप आत्मा की सूक्ष्म अवस्था है, जबकि बीज रूप में हम अपने कर्मों की जिम्मेदारी और संसार के पालन के स्रोत के रूप में स्थित होते हैं।Q2: बीज रूप स्थिति में कर्मों पर अटेंशन क्यों आवश्यक है?
A2: बीज रूप स्थिति में कर्मों पर अटेंशन इसलिए आवश्यक है क्योंकि हमें हर कार्य में उच्चतम उद्देश्य और सही दृष्टिकोण बनाए रखना होता है।6. नि विकल्प और नि संकल्प
Q1: विकल्प और संकल्प में क्या अंतर है?
A1: विकल्प का मतलब है किसी कार्य को बदलना या बदलने का चुनाव करना, जबकि संकल्प का अर्थ है निश्चित और दृढ़ निश्चय करना।Q2: निर्विकल्प जीवन जीने का क्या महत्व है?
A2: निर्विकल्प जीवन जीने से हम केवल परमात्मा की श्रीमत पर निर्भर रहते हैं और किसी भी बाहरी विचार या विकल्प को अपने जीवन में नहीं लाते। - पुरुषार्थ का वास्तविक अर्थ, आत्मा के पुरुषार्थ का परिचय, बिंदु रूप में स्थित होने का महत्व, आत्मा को बिंदु रूप में समझना, ब्रह्मा बाबा का प्रेरणा स्रोत, ब्रह्मा बाबा के जीवन से प्रेरणा लेना, ब्रह्मा बाबा का आदर्श, ज्ञान मार्ग में सफलता का रहस्य, श्रीमत पर आधारित सफलता के मार्ग, स्मृति स्वरूप बनने का महत्व, अव्यक्त बाप दादा की शिक्षाएं, अव्यक्त मुरलियों से मार्गदर्शन, जीवन में अव्यक्त शिक्षाओं का अनुप्रयोग, बीज रूप स्थिति का महत्व, बिंदु रूप और बीज रूप का अंतर, बीज रूप स्थिति में कर्मों पर अटेंशन, नि विकल्प और नि संकल्प, विकल्प और संकल्प का अंतर, निर्विकल्प जीवन जीने का महत्व
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