What is true Raja Yoga?

सच्चा राजयोग क्या है?/What is true Raja Yoga?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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सच्चा राजयोग क्या है?

राजयोग बनामयोगयाद, योगबल और शिवबाबा से संबंध राजयोग, योग, शिवबाबा की याद, याद की यात्रा और योगबल  एक स्पष्ट तुलना

  1. योग (Yoga) सामान्यजुड़ावअर्थ:“योग” का अर्थ है जुड़ाव या संयोग, यानी आत्मा और परमात्मा के बीच कोई भी भावनात्मक या मानसिक संबंध।

 विशेषता:यह शब्द बहुत व्यापक है।इसमें ध्यान, भक्ति, तपस्या, साधना आदि सभी शामिल होते हैं।

 किसी भी धर्म / साधना में आत्मा-परमात्मा का स्मरण हो, वह योगकहलाता है।

ब्रह्माकुमारीज़ में:योग का विशेष अर्थ है बुद्धि का शिवबाबा से सीधा संबंध बनाना

  1. शिवबाबा की याद विशेष और सच्चा योग

 सच्ची याद क्या है?“बाबा बाबा” कहने भर से याद नहीं होती।सच्ची याद है मन और बुद्धि का सीधा संबंध परमपिता शिवबाबा से जोड़ना।

📱 उदाहरण:जैसे मोबाइल चार्जर से जुड़ते ही चार्ज होता है,वैसे ही आत्मा जब शिवबाबा से कनेक्ट होती है,तो दिव्य शक्ति भरने लगती है।

 श्रीमत का वाक्य:“मुझे याद करो और पावन बनो।”यही याद आत्मा को विकर्मों से मुक्त करती है।

  1. याद = श्रीमत पर चलना प्यार और पालन का संबंध याद का वास्तविक अर्थ है “बाबा की श्रीमत पर चलना।”

जिससे सच्चा प्यार होता है,हम उसकी बात मानते हैं।

और जिससे बात मानते हैं,उसी की सच्ची याद होती है।स्वयं से प्रश्न:“क्या मेरा हर कर्म बाबा को पसंद आएगा?”

“क्या मैं हर समय श्रीमत पर चल रहा हूँ?” याद की यात्रा स्मृति से कर्म तकस्मृति:“मैं आत्मा हूँ, शिवबाबा का बच्चा हूँ।”कर्तव्य:

“मुझे बाबा जैसा शांत, पवित्र, श्रेष्ठ बनना है।”जब हर कर्म से पहले हम श्रीमत सोचते हैं,तभी याद की यात्रा सही दिशा में चलती है।

  1. राजयोग सच्चा योग जो राजा बनाता हैअर्थ:राजयोग का अर्थ है राजा बनने का योग,पर यह कोई बाहरी राज्य नहीं यह है

 आत्मा का स्वयं पर राज्य।🪷 तीन चरण:1 आत्मा मन, बुद्धि, संस्कार की मालिक बनती है।2 फिर इंद्रियों पर भी जीत होती है।3 अंततः आत्मा विश्व की शासक बनती है सतयुगमें। नोट:-यह ज्ञान और विधि कोई मनुष्य नहीं दे सकता केवल शिवबाबा ही देते हैं।

  1. योगबल आत्मा की सच्ची शक्ति

जब आत्मा निरंतर सच्ची याद में रहती है,तो उस याद से उत्पन्न होती है शक्ति योगबल।बाबा कहते हैं:“इस योगबल से ही आत्मा विकर्मों से मुक्त होगी।”

“इस योगबल से ही प्रकृति भी पावन बनेगी। उदाहरण:जैसे सूर्य की किरणें अंधकार मिटा देती हैं,

वैसे ही शिवबाबा की याद आत्मा के तमोगुणी संस्कारों को खत्म कर देती है।

निष्कर्ष:विषय अर्थ विशेषता परिणाम योग कोई भी आत्मा-परमात्मा संबंध सामान्य, धार्मिक, भक्ति आधारित  भावनात्मक शांति

शिवबाबा की याद   मन-बुद्धि का तार शिवबाबा से पवित्रता, श्रीमत, शक्ति का प्रवेश  आत्मा की दिव्यता जागृत

राजयोग  आत्मा का स्वराज्य  सूक्ष्म शक्तियों की जीत आत्मा-संयमी, विश्व राजा योगबल याद से उत्पन्न शक्ति विकर्म विनाश, शक्ति संचय

विकार मुक्त, शक्ति संपन्नअंतिम संदेश:याद ही शक्ति है, याद ही योगबल है, और याद ही राजयोग है।”जो आत्मा सच्चे दिल से शिवबाबा को याद करती है,

वही आत्मा फिर से राजा बनती है।

📘 सच्चा राजयोग क्या है? | Rajyog vs Yog | याद, योगबल और शिवबाबा से संबंध

❓प्रश्न 1: “योग” और “राजयोग” में क्या अंतर है?

✅ उत्तर:“योग” एक सामान्य शब्द है, जिसका अर्थ है जुड़ाव — आत्मा और परमात्मा के बीच किसी भी प्रकार का भावनात्मक या मानसिक संबंध।
लेकिन “राजयोग” विशेष है — यह आत्मा का स्वयं पर राज्य पाने का तरीका है, जिससे आत्मा इंद्रियों पर जीत पाती है और सतयुग में विश्व का राजा बनती है।

❓प्रश्न 2: क्या “योग” का अर्थ ध्यान या भक्ति भी होता है?

✅ उत्तर:हाँ, सामान्य रूप से “योग” में ध्यान, साधना, भक्ति, तपस्या आदि सभी शामिल होते हैं।
लेकिन सच्चा योग तब माना जाता है जब मन-बुद्धि सीधे शिवबाबा से जुड़ती है — यही ब्रह्माकुमारीज़ में “योग” का वास्तविक अर्थ है।

❓प्रश्न 3: “शिवबाबा की याद” को सच्चा योग क्यों कहा जाता है?

✅ उत्तर:क्योंकि केवल “बाबा बाबा” कहना याद नहीं है।
सच्ची याद तब होती है जब आत्मा की बुद्धि का तार शिवबाबा से जुड़ जाए, जैसे मोबाइल चार्जर से जुड़ते ही चार्ज होता है — ऐसे ही आत्मा को दिव्य शक्ति मिलने लगती है।

❓प्रश्न 4: क्या “याद” सिर्फ भावना है?

✅ उत्तर:नहीं।याद का वास्तविक अर्थ है — बाबा की श्रीमत पर चलना।
जिससे हम सच्चा प्यार करते हैं, उसी की बात मानते हैं — और वही सच्ची याद है।
हर कर्म के समय पूछो — “क्या यह बाबा को पसंद आएगा?”

❓प्रश्न 5: याद की यात्रा कैसे चलती है?

✅ उत्तर:यात्रा स्मृति से शुरू होती है —
🪷 “मैं आत्मा हूँ, बाबा का बच्चा हूँ”
फिर आता है कर्म:
🪷 “मुझे बाबा जैसा श्रेष्ठ बनना है।”
हर कार्य से पहले श्रीमत याद करके कर्म करना ही याद की सच्ची यात्रा है।

❓प्रश्न 6: राजयोग किसे कहते हैं?

✅ उत्तर:राजयोग का अर्थ है — राजा बनने का योग, पर वह बाहर का नहीं, आत्मा का स्वराज्य है:
1️⃣ आत्मा अपने मन, बुद्धि, संस्कारों की मालिक बनती है।
2️⃣ इंद्रियों पर विजय प्राप्त करती है।
3️⃣ फिर सतयुग में विश्व का राजा बनती है।

❓प्रश्न 7: योगबल क्या है?

✅ उत्तर:जब आत्मा सच्चे दिल से शिवबाबा को याद करती है,
तो उस याद से शक्ति उत्पन्न होती है — यही है योगबल।
🕯️ यह विकर्मों का नाश करता है।
🕯️ यह आत्मा को शक्ति और पवित्रता से भर देता है।
🕯️ इसी योगबल से प्रकृति भी पावन बनती है।

❓प्रश्न 8: क्या सच्चा योगबल किसी भी प्रकार के योग से मिल सकता है?

✅ उत्तर:नहीं।सच्चा योगबल तभी उत्पन्न होता है जब मन और बुद्धि का तार सीधे परमपिता शिवबाबा से जुड़ा हो।
भावना से नहीं, श्रीमत पर चलने और निरंतर याद में रहने से योगबल उत्पन्न होता है।

❓प्रश्न 9: “मैं योग कर रहा हूँ” – इसका सही अर्थ क्या होना चाहिए?

✅ उत्तर:इसका अर्थ होना चाहिए —
“मैं अपने मन-बुद्धि को बाबा से जोड़ रहा हूँ,
और हर कर्म में श्रीमत पर चलकर योगबल जमा कर रहा हूँ।”

❓प्रश्न 10: सच्चे राजयोग का अंतिम लक्ष्य क्या है?

✅ उत्तर:सच्चे राजयोग का लक्ष्य है —
✨ आत्मा को विकर्मों से मुक्त करना,
✨ आत्मा को स्वयं पर राज्य देना,
✨ और अंततः विश्व-राज्य की प्राप्ति (सतयुग में)।
यह सब सिर्फ याद और योगबल से संभव है — जो शिवबाबा से सच्चे संबंध द्वारा मिलता है।


🔚 अंतिम निष्कर्ष:

🪷 “याद ही शक्ति है, याद ही योगबल है, और याद ही सच्चा राजयोग है।”
जो आत्मा सच्चे दिल से शिवबाबा को याद करती है — वही आत्मा विकारों से मुक्त होकर बाप समान और राजा बनती है।

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