“What is true Raja Yoga?(10)

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सच्चा राजयोग क्या है?(10)आत्मा (मन, बुद्धि और संस्कार )का परिचय

“सच्चा राजयोग क्या है? | आत्मा, मन, बुद्धि और संस्कार का दिव्य रहस्य”


 भाषण (Speech)

 प्रस्तावना

आज हम सच्चे राजयोग के दसवें विषय पर मनन करने जा रहे हैं—आत्मा
आत्मा क्या है? उसकी संरचना कैसी है? और वह कैसे काम करती है?
इन्हीं प्रश्नों का उत्तर हमें आज मिलेगा।


 आत्मा का परिचय

आप आत्मा हैं। आत्मा शरीर में रहती है।
जब आत्मा शरीर में प्रवेश करती है, तो उसे जीवात्मा कहा जाता है।
और जब आत्मा निकल जाती है, तो यह शरीर मिट्टी समान रह जाता है।


 आत्मा की तीन सूक्ष्म शक्तियां

आत्मा के भीतर तीन मुख्य शक्तियां या फैकल्टीज हैं—

  1. मन

  2. बुद्धि

  3. संस्कार

ये तीनों मिलकर आत्मा की चेतना को चलाती हैं।


 एटम और आत्मा की तुलना

जैसे एटम में इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन होते हैं,
वैसे ही आत्मा में मन, बुद्धि और संस्कार होते हैं।

  • बाहर की परत = मन

  • भीतर की शक्ति = बुद्धि और संस्कार

एटम को सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है,
लेकिन आत्मा उससे भी सूक्ष्म है।
इसे किसी यंत्र से नहीं देखा जा सकता—केवल बुद्धि से अनुभव किया जा सकता है।


🕉 आत्मा का स्थान

आत्मा शरीर में भृकुटि स्थान पर,
दोनों आंखों के बीच,
पीनियल ग्लैंड, पिट्यूटरी और हाइपोथैलेमस के पास स्थित है।

यहीं से आत्मा पूरे शरीर को नियंत्रित करती है।
आत्मा अत्यंत तेज गति से कहीं भी जा सकती है।


 आत्मा और मस्तिष्क का अंतर

  • ब्रेन (मस्तिष्क) एक मशीन है।

  • आत्मा उस मशीन को चलाने वाली चेतन शक्ति है।

जैसे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क होती है, पर उसे चलाने के लिए ऑपरेटर चाहिए—
वैसे ही ब्रेन हार्ड डिस्क है और आत्मा उसका ऑपरेटर है।


 आत्मा की तीन मुख्य शक्तियां

1. मन

  • विचार उत्पन्न करता है।

  • बाहर से संदेश ग्रहण करता है।

  • उन संदेशों को बुद्धि तक पहुंचाता है।

2. बुद्धि

  • निर्णय लेती है।

  • सही-गलत का भेद करती है।

  • आत्मा को मार्गदर्शन देती है।

3. संस्कार

  • आत्मा का संविधान।

  • आदतें और बार-बार दोहराए गए कर्मों का संग्रह।

  • भविष्य के कर्मों का आधार।

निष्कर्ष:
मन संदेशवाहक है,
बुद्धि निर्णायक है,
और संस्कार आधारशिला हैं।


 Murli उद्धरण

  • 12 मार्च 2025:
    “सबसे पहले अपने को आत्मा समझो, देह अभिमान मिटेगा तो योग सहज लगेगा।”

  • 20 मई 2025:
    “आत्मा बिंदु है, बेहद की शक्ति है, यह शरीर उसका साधन है।”

  • 9 जून 2025:
    “शरीर तो मिट्टी है, आत्मा ही उसे चलाती है।”

  • 27 फरवरी 2025:
    “आत्मा इस शरीर में भृकुटि के बीच सीट पर विराजमान है।”

  • 18 अप्रैल 2025:
    “ब्रेन तो मशीन है, चलाने वाली आत्मा है।”

समापन

सच्चा राजयोग तभी संभव है, जब हम अपने को आत्मा समझें और मन, बुद्धि, संस्कार की शक्तियों का सही उपयोग करें।
यही ज्ञान जीवन को परिवर्तनकारी बनाता है और हमें ईश्वरीय संगम योग का अनुभव कराता है।

प्रश्न–उत्तर रूप में आत्मा का रहस्य

 आत्मा क्या है?

उत्तर: आप आत्मा हैं। आत्मा शरीर में रहती है। जब आत्मा शरीर में प्रवेश करती है, तो उसे जीवात्मा कहा जाता है। और जब आत्मा निकल जाती है, तो यह शरीर मिट्टी समान रह जाता है।


 आत्मा की संरचना कैसी है?

उत्तर: आत्मा के भीतर तीन सूक्ष्म शक्तियां या फैकल्टीज हैं—

  • मन – विचार उत्पन्न करता है।

  • बुद्धि – निर्णय लेती है।

  • संस्कार – आदतें और अनुभवों का संग्रह है।

ये तीनों मिलकर आत्मा की चेतना को चलाती हैं।


 आत्मा और एटम (Atom) में क्या समानता है?

उत्तर: जैसे एटम में इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन होते हैं, वैसे ही आत्मा में मन, बुद्धि और संस्कार होते हैं।

  • बाहर की परत = मन

  • भीतर की शक्ति = बुद्धि और संस्कार

लेकिन एटम को सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है, जबकि आत्मा उससे भी सूक्ष्म है। इसे केवल अनुभव किया जा सकता है।


 आत्मा का स्थान कहाँ है?

उत्तर: आत्मा शरीर में भृकुटि स्थान पर, दोनों आंखों के बीच, पीनियल ग्लैंड और पिट्यूटरी के पास स्थित है। यहीं से आत्मा पूरे शरीर को नियंत्रित करती है।


 आत्मा और मस्तिष्क में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • मस्तिष्क (Brain) एक मशीन है।

  • आत्मा उस मशीन को चलाने वाली चेतन शक्ति है।

जैसे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क होती है, पर उसे चलाने के लिए ऑपरेटर चाहिए— वैसे ही ब्रेन हार्ड डिस्क है और आत्मा उसका ऑपरेटर है।


 मन, बुद्धि और संस्कार का कार्य क्या है?

उत्तर:

  1. मन – विचार उत्पन्न करता है और संदेश बुद्धि तक पहुंचाता है।

  2. बुद्धि – निर्णय लेती है और सही-गलत का भेद करती है।

  3. संस्कार – आत्मा का संविधान हैं, आदतें और अनुभवों का संग्रह, जो भविष्य के कर्मों का आधार बनते हैं।

निष्कर्ष: मन संदेशवाहक है, बुद्धि निर्णायक है, और संस्कार आधारशिला हैं।


 Murli उद्धरण

  • 12 मार्च 2025: “सबसे पहले अपने को आत्मा समझो, देह अभिमान मिटेगा तो योग सहज लगेगा।”

  • 20 मई 2025: “आत्मा बिंदु है, बेहद की शक्ति है, यह शरीर उसका साधन है।”

  • 9 जून 2025: “शरीर तो मिट्टी है, आत्मा ही उसे चलाती है।”

  • 27 फरवरी 2025: “आत्मा इस शरीर में भृकुटि के बीच सीट पर विराजमान है।”

  • 18 अप्रैल 2025: “ब्रेन तो मशीन है, चलाने वाली आत्मा है।”


 समापन

सच्चा राजयोग तभी संभव है, जब हम अपने को आत्मा समझें और मन, बुद्धि, संस्कार की शक्तियों का सही उपयोग करें।
यही ज्ञान जीवन को परिवर्तनकारी बनाता है और हमें ईश्वरीय संगम योग का अनुभव कराता है।

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