विनाश ज्वाला कब और कैसे होगी (03)-उपराम वृत्ति-जब वैराग्य पूर्ण होगा, तब समाप्ति होगी
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
03- “उपराम वृत्ति – जब वैराग्य पूर्ण होगा, तब समाप्ति होगी!”
विशाल सेवा और उपराम वृत्ति – संगमयुग की अंतिम तैयारी
सेवा के साथ उपराम वृत्ति भी तीव्र चाहिए
जैसे बेहद की विशाल सेवा को तीव्र रूप से कर रहे हो, वैसे ही उपराम वृत्ति को भी तीव्र करना आवश्यक है।
जब संपूर्ण विश्व की आत्माओं में वैराग्य उत्पन्न होगा, तभी इस कलियुगी दुनिया का पटाक्षेप होगा।
वैराग्य केवल त्याग या सन्यास नहीं, बल्कि सभी प्रकार की आसक्तियों से मुक्त होकर सेवा करना है।
कर्म करते हुए भी कर्ता के अहंकार से मुक्त, कर्मातीत स्थिति में स्थित रहना ही सच्ची उपराम वृत्ति है।
उपराम वृत्ति – कर्मातीत स्थिति की पहचान
कर्म करो, लेकिन अकर्ता रहो।
संपर्क और संबंध में रहो, लेकिन कर्मातीत स्थिति में स्थित रहो।
सेवा करो, लेकिन लगाव से नहीं, बल्कि निमित्त भाव से।
जब कोई भी आसक्ति नहीं होगी, कोई भी बंधन नहीं रहेगा, तब ही विनाश की अंतिम प्रक्रिया तीव्र होगी।
एवररेडी बनो, तो विनाश भी रेडी होगा
अगर स्वयं को सर्व ओर से समेटकर एवररेडी बना लिया, तो विनाश भी रेडी हो जाएगा।
आपके एवररेडी बनने का अर्थ है कि दिव्य सृष्टि की स्थापना का समय समीप है।
जब संगमयुगी ब्राह्मण आत्माएँ सम्पूर्णता को प्राप्त कर लेंगी, तब ही विनाश के द्वारा विश्व-कल्याणसम्पन्नहोगा।
संकल्प करें – उपराम वृत्ति औरतीव्र सेवा को साथ चलाएँ
अब संकल्प लें कि कर्म करते हुए भी अकर्ता की स्थिति में स्थित रहेंगे।
अब संकल्प लें कि सेवा करते हुए भी पूर्ण निर्लिप्तता की स्थिति धारण करेंगे।
अब संकल्प लें कि अपने एवररेडी बनने से विश्व परिवर्तन को तीव्र करेंगे।
“उपराम वृत्ति ही सम्पूर्णता की निशानी है और सम्पूर्णता ही स्वर्णिम सृष्टि के द्वार खोलने की चाबी!”
उपराम वृत्ति – जब वैराग्य पूर्ण होगा, तब समाप्ति होगी! 
प्रश्न: उपराम वृत्ति का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: उपराम वृत्ति का अर्थ त्याग या सन्यास नहीं है, बल्कि सभी प्रकार की आसक्तियों से मुक्त होकर सेवा करना है। यह कर्म करते हुए भी अहंकार और बंधनों से मुक्त रहकर कर्मातीत स्थिति में स्थित रहने की कला है।
प्रश्न: संगमयुग की अंतिम तैयारी में सेवा और उपराम वृत्ति का क्या संबंध है?
उत्तर: संगमयुग में जितनी तीव्र सेवा आवश्यक है, उतनी ही तीव्र उपराम वृत्ति भी आवश्यक है। जब संपूर्ण विश्व की आत्माओं में वैराग्य उत्पन्न होगा, तभी इस कलियुगी दुनिया का पटाक्षेप होगा।
प्रश्न: उपराम वृत्ति को कैसे धारण करें?
उत्तर:
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कर्म करो, लेकिन अकर्ता भाव में रहो।
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संपर्क और संबंध में रहो, लेकिन निर्लिप्त रहो।
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सेवा करो, लेकिन लगाव से नहीं, बल्कि निमित्त भाव से।
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किसी भी प्रकार की आसक्ति और बंधन से मुक्त होकर दिव्यता की स्थिति धारण करो।
प्रश्न: पूर्ण उपराम वृत्ति कब आएगी?
उत्तर: जब आत्मा किसी भी प्रकार के बंधन, आसक्ति, अथवा संकल्प-विकल्प से मुक्त होगी, तब ही पूर्ण उपराम वृत्ति प्राप्त होगी और विनाश की अंतिम प्रक्रिया तीव्र होगी।
प्रश्न: “एवररेडी बनो, तो विनाश भी रेडी होगा” का क्या अर्थ है?
उत्तर: जब ब्राह्मण आत्माएँ स्वयं को संपूर्ण रूप से समेटकर सम्पूर्णता को प्राप्त कर लेंगी, तभी विनाश भी अपने समय पर घटित होगा और विश्व-कल्याण की प्रक्रिया पूर्ण होगी।
प्रश्न: हमें इस समय कौन-से संकल्प लेने चाहिए?
उत्तर:
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अकर्ता भाव से कर्म करने का संकल्प।
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निर्लिप्तता के साथ सेवा करने का संकल्प।
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एवररेडी बनकर विश्व परिवर्तन को तीव्र करने का संकल्प।
“उपराम वृत्ति ही सम्पूर्णता की निशानी है और सम्पूर्णता ही स्वर्णिम सृष्टि के द्वार खोलने की चाबी!”
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