विनाश ज्वाला कबऔर कैसे होगी(19)अकाले मृत्यु से बचने का राज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अकाले मृत्यु से बचने का राज़!
आज की दुनिया में हर आत्मा डर, चिंता और अशांति से घिरी हुई है।
लेकिन बाबा हमें एक बहुत बड़ी खुशखबरी देते हैं—
👉 “हम आपको 21 जन्मों के लिए अकाले मृत्यु से बचा सकते हैं!”
🚀 तो आइए, इस महान सत्य को समझें और आत्माओं को इस भय से मुक्त करें!
1 दुनिया में बढ़ता भय और हमारी ज़िम्मेदारी
आज हर जगह अकाले मृत्यु का डर फैला हुआ है।
❌ लोग डर से खाना खा रहे हैं,
❌ डर से सो रहे हैं,
❌ हर दिनअनिश्चितता में जी रहे हैं।लेकिन हम ब्राह्मण आत्माएँ इस दुनिया को सच्ची खुशी का संदेश देने के लिए आए हैं!
👉 हमें आत्माओं को यह बताना है कि डरने की जरूरत नहीं!
👉 हमारी आत्मा अमर है, और हमें बाबा ने 21 जन्मों के लिए सुरक्षित कर दिया है!
2 अकाले मृत्यु से मुक्त होने की असली खुशी बाबा हमें सिखाते हैं—
“अगर हमारा शरीर भी चला जाता है, तो भी हमें डर नहीं होगा!”
✅ क्योंकि हमें पता है कि हम खाली नहीं जा रहे हैं।
✅ हमने अपने साथ पुण्य, शक्ति और ज्ञान इकट्ठा कर लिया है।
✅ हमने अपने कर्मों की गठरी को हल्का कर लिया है।
💡 जो यह अनुभव कर लेता है, वही सच्चा निर्भय आत्मा बनता है!
3 निर्भय बनो और ज्वालामुखी बनो!
🔥 बाबा हमें सिखाते हैं कि—“तमोगुण को भस्म करने वाले बनो!”
🔹 आज दुनिया तमोगुण से भर चुकी है।
🔹 आत्माएँ भी भारी हो चुकी हैं, प्रकृति भी अशांत है।
🔹 इस सबको बदलने के लिए हमें निर्भय और ज्वालामुखी बनना होगा!
👉 हमें अपने तपोबल और आत्मिक शक्ति से दुनिया को परिवर्तन करना है!
4 तेज़ गति से सन्देश पहुँचाओ!
🚀 बाबा कहते हैं—“अभी तो व्यक्तियों को ही संदेश नहीं पहुँचा है, प्रकृति की तो बात पीछे है!”
🔹 अगर हमें यह महान कार्य पूरा करना है, तो स्पीड तेज़ करनी होगी!
🔹 गली-गली में ज्ञान के केंद्र खोलो!
🔹 हर घर तक सत्य का संदेश पहुँचाओ!
👉 क्योंकि परिस्थितियाँ ऐसी बन सकती हैं कि लोग एक-दूसरे को देख भी न सकें!
👉 तब सिर्फ वे ही आत्माएँ स्थिति में रहेंगी, जो पहले से तैयार हैं!
निष्कर्ष: आत्माओं को भय से मुक्त करो!
🌟 हमारी ज़िम्मेदारी है कि हर आत्मा को यह खुशखबरी दें!
🌟 निर्भय बनो, ज्वालामुखी बनो, और पूरी स्पीड में सेवा करो!
🌟 अगर हम यह कार्य पूरा करेंगे, तो ही विश्व परिवर्तन संभव है!
सभी दुःखी-अशान्त आत्माओं को यह खुशखबरी सुनाओ कि
* हम आपको २१ जन्मों के लिए अकाले मृत्यु से बचा सकते हैं। आजकल अकाले मृत्यु का ही डर है। डर से खा भी रहे हैं, सो भी रहे हैं। ऐसी आत्माओं को खुशी की बात सुनाकर भय से छुड़ाओ। मानो आपका यह शरीर भी चला जाता है तो भी भय से नहीं मरेंगे क्योंकि यह खुशी होगी कि हम अकाले मृत्यु से बचने वाले हैं, कुछ साथ में ले जा रहे हैं, खाली नहीं जा रहे हैं।सभी निर्भय, ज्वालामुखी बन प्रकृति और आत्माओं के अन्दर जो तमोगुण है उसे भस्म करने वाले बनो। यह बहुत बड़ा काम है, स्पीड से करेंगे तब पूरा होगा। अभी तो व्यक्तियों को ही सन्देश नहीं पहुँचा है, प्रकृति की तो बात पीछे है। तो स्पीड तेज करो, गली-गली में सेन्टर हो। क्योंकि सरकमस्टांश प्रमाण एक गली से दूसरी गली में जा नहीं सकेंगे, एक-दो को देख भी नहीं सकेंगे, तो घर-घर में, गली-गली में सेवास्थान बनाओ।
अकाले मृत्यु से बचने का राज़!
(प्रश्न-उत्तर रूप में प्रस्तुति)
प्रश्न 1: आज की दुनिया में डर इतना क्यों बढ़ रहा है?
उत्तर:आज हर आत्मा चिंता, भय और अशांति से घिरी हुई है।
❌ लोग डर से खाना खा रहे हैं,
❌ डर से सो रहे हैं,
❌ हर दिन अनिश्चितता में जी रहे हैं।
यह भय अकाले मृत्यु का है — अचानक, असमय, दुखद अंत का डर।
लेकिन! ब्राह्मण आत्माओं को बाबा ने यह महान ज़िम्मेदारी दी है कि:
👉 “डर की जगह सच्ची खुशी का संदेश दो!”
प्रश्न 2: बाबा हमें अकाले मृत्यु से कैसे बचाते हैं?
उत्तर:बाबा कहते हैं:
🪔 “हम तुम्हें 21 जन्मों के लिए अकाले मृत्यु से बचा सकते हैं!”
क्योंकि जब आत्मा ज्ञान, योग, सेवा और सच्चे कर्म करती है—
✅ तो वह पुण्य का खजाना जमा करती है।
✅ उसके कर्मों का बोझ हल्का हो जाता है।
✅ उसे पता होता है कि वह खाली नहीं जा रही — कुछ साथ ले जा रही है!
इसलिए वह निर्भय हो जाती है।
प्रश्न 3: सच्चा निर्भय कौन होता है?
उत्तर:जो आत्मा यह अनुभव कर ले कि:
🌟 “मुझे कोई हानि नहीं हो सकती, क्योंकि मैं बाबा की छत्रछाया में हूँ।”
वह सच्चा निर्भय बन जाता है।
उसका जीवन “ज्वालामुखी” बन जाता है —
🔥 जो तमोगुण को भस्म कर सकता है।
प्रश्न 4: ज्वालामुखी बनना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:क्योंकि:
🔹 आज आत्माएँ भारी हैं, तमोगुण में हैं।
🔹 प्रकृति भी अशांत है।
🔹 परिवर्तन के लिए ज़रूरी है कि हम तपस्या करें,
🔹 और अपने योगबल से तम को जलाएं।
👉 निर्भय बनो और ज्वालामुखी बनो! तभी विश्व परिवर्तन संभव है।
प्रश्न 5: सेवा की गति तेज़ क्यों करनी चाहिए?
उत्तर:बाबा ने चेतावनी दी है—
🚨 “अभी तो मनुष्यों को ही संदेश नहीं पहुँचा है, प्रकृति को कैसे समझाओगे?”
स्थिति ऐसी बन सकती है कि:
❌ एक गली से दूसरी गली में जाना भी मुश्किल हो जाए,
❌ एक-दूसरे को देख भी न सकें।इसलिए:
🚀 अभी से हर गली, हर घर में ज्ञान पहुँचाओ!
🚀 सेवा की स्पीड तेज करो!
🚀 केंद्र खोलो, डिजिटल माध्यम अपनाओ!
प्रश्न 6: निष्कर्ष रूप में हमारी ज़िम्मेदारी क्या है?
उत्तर:🌟 आत्माओं को भय से मुक्त करना!
🌟 उन्हें यह सच्ची खुशखबरी देना कि—
“हम आत्माएँ अमर हैं, और बाबा ने हमें 21 जन्मों के लिए अकाले मृत्यु से बचा लिया है।”
🌟 निर्भय बनो,
🌟 तपस्वी बनो,
🌟 तेज़ गति से सेवा करो!
तभी यह महान कार्य संपूर्ण होगा, और सच्चा “स्वर्णिम युग” फिर से आएगा।
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