विनाश ज्वाला कबऔर कैसे होगी(13)-अब इंतज़ार नहीं-व्यवस्था में लग जाओ
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अब इंतज़ार नहीं – व्यवस्था में लग जाओ!
“विनाश की तिथि मत सोचो – स्वयं को तैयार करो! समर्थ बनो, प्रकृति को आदेश दो!”विनाश का इंतज़ार नहीं इन्तज़ाम करो!
💭 क्या अभी भी विनाश के समय का इंतज़ार कर रहे हो?
⚡ अब समय इंतज़ार का नहीं, बल्कि तैयारी का है!
🌿 जब आप समर्थ स्टेज में आओगे, तब प्रकृति को ऑर्डर दे सकोगे।
🙏 संगठित रूप में ब्राह्मण आत्माओं के अंदर जब रहम, विश्व कल्याण और आत्माओं को दुखों से मुक्त करने की भावना जागृत होगी, तब विश्व परिवर्तन होगा।
अंगद के समान अडोल बनो – अन्तिम घड़ी लाओ!
🏆 अंगद ने जैसे पैर जमा दिया था, वैसे ही हमें भी अडोल बनना है।
✊ जब संगठित रूप में एक संकल्प होगा, तो यह कलियुगी पर्वत हिल जाएगा और गोल्डन वर्ल्ड आ जाएगा!
🔑 आप आधारमूर्त और पुरुषोत्तम आत्माओं के सम्पूर्ण बनने पर ही विनाशकारी साधन और प्रकृति अपना कार्य करेगी।
🔥 अब विनाश का इंतज़ार मत करो, बल्कि विनाश ज्वाला को प्रज्जवलित करनेके लिए अलर्ट बनो!डेट कॉन्शस नहीं, सोल कॉन्शस बनो!
🚨 क्या विनाश की डेट जानने की इच्छा है?
❌ डेट का मालूम होने से आप सोल कॉन्शस के बजाय डेट कॉन्शस हो जाओगे।
💡 फिर पूर्णता की यात्रा में बाधा आ सकती है!
👁 लेकिन जब आप तैयार हो जाओगे, तो डेट अपने-आप टच होगी।
🔮 ऐसा अनुभव होगा जैसे इन आंखों के सामने स्पष्ट दृश्य देख रहे हो!
🌞 इसलिए ‘जहान के नूरों’ की आंखें हमेशा खुली रखो।
❗ यदि माया की धूल होगी, तो स्पष्टता नहीं आएगी!
संकल्प: अब पूर्णता की तैयारी करो!
🔔 अब एक ही लक्ष्य रखो – सम्पूर्ण बनना!
🕊️ संगठित संकल्प से परिवर्तन की लहर को प्रबल बनाओ!
🔥 विनाश की तिथि मत सोचो – स्वयं को तैयार करो!
✨ समर्थ बनो, प्रकृति को आदेश दो!
“अब विनाश के समय का इन्तज़ार छोड़ इन्तज़ाम में लग जाओ। प्रकृति को ऑर्डर करने के लिए समर्थ स्टेज बनाओ। संगठित रूप में सर्व ब्राह्मणों के अन्दर रहम की भावना, विश्व कल्याण की भावना, सर्व आत्माओं को दुःखों से छुड़ाने की शुभ कामना जब दिल में उत्पन्न होगी तब विश्व परिवर्तन होगा। अंगद के समान अडोल बनना अर्थात् अन्तिम घड़ी लाना। तो संगठित रूप में एक संकल्प को अपनाओ अर्थात् दृढ़ संकल्प की इकट्ठी अंगुली सभी दो तो यह कलियुगी पर्वत का परिवर्तन करके गोल्डन वर्ल्ड ला सकेंगे। क्योंकि आप सब आधारमूर्त, पुरुषोत्तम आत्माओं के सम्पूर्ण बनने के आधार पर विनाशकारी साधन व प्रकृति अपना कार्य करेगी। इसलिए विनाश का इन्तज़ार करने के बजाए विनाश ज्वाला को प्रज्जवलित करने में अलर्ट बनो।
विनाश की डेट का इन्तज़ार नहीं करो, डेट का मालूम होने से सोल कॉन्शस के बजाए डेट कॉन्शस हो जायेगे फिर फुल पास नहीं हो सकेंगे। इसलिए डेट बताई नही जायेगी लेकिन डेट स्वयं ही आप सबको टच होगी। ऐसे अनुभव करेंगे जैसे इन आंखों के आगे कोई दृश्य देखते हो। इनएडवांस भविष्य स्पष्ट रूप से अनुभव करेंगे। लेकिन इसके लिए जहान के नूरों की आखें सदा खुली रहे। अगर माया की धूल होगी तो स्पष्ट देख नहीं सकेंगे।
अब इंतज़ार नहीं – व्यवस्था में लग जाओ!
विनाश की तिथि मत सोचो – स्वयं को तैयार करो!
प्रश्न और उत्तर:
1️⃣ प्रश्न: क्या हमें विनाश की तिथि के बारे में जानने की आवश्यकता है?
उत्तर: नहीं! तिथि के बारे में सोचने से हम सोल कॉन्शस के बजाय डेट कॉन्शस हो जाते हैं, जिससे पूर्णता की यात्रा में बाधा आ सकती है। जब हम तैयार होंगे, तो समय अपने-आप प्रकट होगा।
2️⃣ प्रश्न: समर्थ बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर: समर्थ बनने का अर्थ है अपने संकल्पों में दृढ़ रहना, आत्मबल को जाग्रत करना और प्रकृति को आदेश देने योग्य बनना। जब ब्राह्मण आत्माएँ संगठित होकर विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ेंगी, तो परिवर्तन स्वाभाविक रूप से होगा।
3️⃣ प्रश्न: अंगद के समान अडोल बनने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: अंगद ने जिस प्रकार अपना पैर दृढ़ता से जमा दिया था, वैसे ही हमें भी अपने संकल्प में अडोल बनना है। हमें किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होना और संगठित रूप में अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है।
4️⃣ प्रश्न: क्या विनाश का इंतजार करना सही है?
उत्तर: नहीं! इंतजार करने के बजाय हमें तैयार रहना चाहिए। विनाश तभी होगा जब हम अपने को सम्पूर्ण बना लेंगे। हमें ‘तिथि कॉन्शस’ नहीं, बल्कि ‘सोल कॉन्शस’ बनना है और अपने आत्मबल को इतना बढ़ाना है कि प्रकृति स्वयं कार्य करे।
5️⃣ प्रश्न: हम पूर्णता की ओर कैसे बढ़ सकते हैं?
उत्तर: हमें आत्मचिंतन, संगठित संकल्प, और विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ना होगा। जब हम आत्मिक रूप से मजबूत होंगे और सदा जागरूक रहेंगे, तभी परिवर्तन की लहर प्रबल होगी।
6️⃣ प्रश्न: क्या प्रकृति को आदेश देना संभव है?
उत्तर: हां, जब हम अपनी आत्मिक स्थिति को उच्चतम स्तर पर ले जाएंगे, तो हमारी संकल्प शक्ति इतनी प्रबल होगी कि प्रकृति स्वतः हमारे आदेशों का पालन करने लगेगी।
7️⃣ प्रश्न: ‘जहान के नूरों’ की आँखें खुली रखने का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है हर क्षण सर्तक रहना, अपने विचारों को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखना, तथा माया की धूल को दूर करके सच्चाई को स्पष्ट रूप से देखना।
🌟 संकल्प: अब पूर्णता की तैयारी करो, संगठित संकल्प से परिवर्तन की लहर को प्रबल बनाओ!
🔥 अब इंतजार नहीं, स्वयं को तैयार करो – समर्थ बनो, प्रकृति को आदेश दो!
अब विनाश के समय का इन्तज़ार छोड़ इन्तज़ाम में लग जाओ
प्रश्न और उत्तर:
1️⃣ प्रश्न: हमें विनाश के समय का इंतज़ार क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर: विनाश का इंतज़ार करने से हमारी ऊर्जा निष्क्रिय हो जाएगी, जबकि हमें सक्रिय रूप से स्वयं को तैयार करना है। जब हम सम्पूर्ण बनेंगे, तब ही विनाशकारी साधन और प्रकृति कार्य करेंगे।
2️⃣ प्रश्न: समर्थ स्टेज बनाने का क्या अर्थ है?
उत्तर: समर्थ स्टेज का अर्थ है आत्मा को इतनी शक्तिशाली बनाना कि वह प्रकृति को आदेश दे सके। यह तभी संभव होगा जब हम संगठित रूप से विश्व कल्याण, रहम और दुःखों से मुक्ति की भावना को जाग्रत करेंगे।
3️⃣ प्रश्न: ब्राह्मण आत्माओं को संगठित होने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर: जब सभी ब्राह्मण आत्माएँ एक संगठित संकल्प धारण करेंगी, तो उनका सामूहिक बल इतना शक्तिशाली होगा कि कलियुगी पर्वत हिल जाएगा और गोल्डन वर्ल्ड का मार्ग प्रशस्त होगा।
4️⃣ प्रश्न: अंगद के समान अडोल बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है अपने संकल्पों में अडोल रहना, किसी भी परिस्थिति में विचलित न होना और अन्तिम घड़ी को लाने के लिए अपने आत्मिक बल को जाग्रत करना।
5️⃣ प्रश्न: विनाश ज्वाला को प्रज्जवलित करने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: इसका अर्थ है आत्माओं को जगाना, स्वयं को सम्पूर्ण बनाना और अपने आत्मिक बल को इतना ऊँचा उठाना कि प्रकृति स्वतः परिवर्तन के लिए सक्रिय हो जाए।
6️⃣ प्रश्न: विनाश की डेट क्यों नहीं बताई जाएगी?
उत्तर: यदि डेट पहले से मालूम हो जाए, तो सोल कॉन्शस के बजाय डेट कॉन्शस हो जाएंगे, जिससे हमारी पूर्णता की यात्रा में बाधा आ सकती है। जब हम तैयार होंगे, तो डेट हमें स्वयं ही अनुभव में आएगी।
7️⃣ प्रश्न: भविष्य को इनएडवांस अनुभव करने का क्या अर्थ है?
उत्तर: जब हम सोल कॉन्शस रहेंगे और माया की धूल से मुक्त होंगे, तो हमें स्पष्ट रूप से भविष्य का अनुभव होगा, जैसे कोई दृश्य हमारी आँखों के सामने हो।
8️⃣ प्रश्न: ‘जहान के नूरों’ की आँखें खुली रखने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: इसका अर्थ है सदा आत्म-जाग्रति में रहना, माया के प्रभाव से बचना और अपने दिव्य ज्ञान व आत्मबल को जाग्रत रखना, ताकि परिवर्तन के संकेत स्पष्ट रूप से समझ सकें।
🌟 संकल्प: अब विनाश का इंतज़ार नहीं, बल्कि स्वयं को तैयार करो! समर्थ बनो और संगठित संकल्प से गोल्डन वर्ल्ड को साकार करो!
🔥 अब इंतज़ार नहीं, प्रकृति को आदेश देने के लिए स्वयं को समर्थ बनाओ!