विनाश ज्वाला कबऔर कैसे होगी(14)-इस महायज्ञ में अंतिम आहुति क्या है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
–इस महायज्ञ में अंतिम आहुति क्या है?
“महायज्ञ की अंतिम आहुति – ‘मैं’ पन समाप्त होने का संकल्प!”महायज्ञ की पूर्णाहुति कब होगी?
🌍 यह महायज्ञ केवल तब समाप्त होगा जब पुरानी दुनिया की पूरी आहुति पड़ जाएगी।
🔥 लेकिन विनाश तब होगा, जब पहले हम अपने व्यर्थ संकल्प, विकल्प और हद की दुनिया को इस यज्ञ में स्वाहा करेंगे।
🚨 आखिरी आहुति क्या है?
❌ “मैं-पन” (देहभान, अहंकार, अपनी अलग पहचान) पूरी तरह समाप्त होना!
“मैं” समाप्त – सिर्फ बाबा-बाबा!
🗣 मुख से, मन से और संकल्पों से केवल बाबा-बाबा का अनहद शब्द गूंजे!
❌ संकल्पों में भी देहभान का कोई अंश न रहे।
❌ स्वप्न में भी कोई पुरानी दुनिया का चिन्ह न हो।
📌 जब स्वयं पहले इस आहुति को डालेंगे, तभी दूसरों से डलवा सकेंगे!
आहुति डालो, सम्पूर्ण बनो और नई दुनिया के द्वार खोलो!
💫 अंतिम आहुति पड़ते ही यह महायज्ञ सम्पन्न होगा और नई दुनिया प्रकट होगी!
🚀 तो अब देहभान की आहुति डालकर सम्पूर्ण बनने का संकल्प लो!
“इस महायज्ञ में पुरानी दुनिया की आहुति पड़ने के बाद यज्ज्ञ समाप्त होना है। लेकिन पुरानी दुनिया की आहुति भी तब पड़ेगी जब सभी अपने पुराने व्यर्थ संकल्प वा विकल्प की सृष्टि को, अपने हद की सृष्टि को इस महायज्ड में स्वाहा करेंगे। अन्तिम आहुति है- मै-पन समाप्त होना। मुख से वा मन से एक बाबा-बाबा का अनहद शब्द हो। संकल्प वा स्वप्न में भी देहभान का मैं पन न हो। जब पहले स्वयं आहुति डालेंगे तब दूसरों से भी डलवा सकेंगे और आहुति पड़ने के बाद ही समाप्ति होगी।
🔔 “अब ‘मैं’ नहीं – बस बाबा ही बाबा!”
इस महायज्ञ में अंतिम आहुति क्या है?
1.प्रश्न महायज्ञ की पूर्णाहुति कब होगी?
✅ उत्तर: यह महायज्ञ तब पूरा होगा जब पुरानी दुनिया की पूरी आहुति पड़ जाएगी। जब हम अपने व्यर्थ संकल्प, विकल्प और हद की दुनिया को इस यज्ञ में स्वाहा करेंगे, तब विनाश होगा और नई दुनिया प्रकट होगी।
2.प्रश्न आखिरी आहुति क्या है?
✅ उत्तर: अंतिम आहुति “मैं-पन” की समाप्ति है। जब देहभान, अहंकार और अपनी अलग पहचान पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी, तब महायज्ञ सम्पन्न होगा।
3.प्रश्न “मैं-पन” समाप्त होने का क्या अर्थ है?
✅ उत्तर: इसका अर्थ है कि मुख से, मन से और संकल्पों से केवल बाबा-बाबा का अनहद शब्द गूंजे। संकल्पों में देहभान का कोई अंश न हो और स्वप्न में भी पुरानी दुनिया का कोई चिन्ह न बचे।
4.प्रश्न हम इस अंतिम आहुति को कैसे डाल सकते हैं?
✅ उत्तर: पहले स्वयं को देहभान से मुक्त करना होगा, यानी “मैं” समाप्त – बस बाबा ही बाबा। जब स्वयं पहले आहुति डालेंगे, तभी दूसरों से भी डलवा सकेंगे।
5.प्रश्न इस अंतिम आहुति के बाद क्या होगा?
✅ उत्तर: जैसे ही यह अंतिम आहुति पूरी होगी, महायज्ञ सम्पन्न होगा और सतयुग की नई दुनिया प्रकट होगी।
6.प्रश्न अभी हमें क्या संकल्प लेना चाहिए?
✅ उत्तर: अब देहभान की आहुति डालकर सम्पूर्ण बनने का संकल्प लें। जब “मैं” समाप्त होगा, तभी बाबा की दुनिया प्रकट होगी।
🔔 “अब ‘मैं’ नहीं – बस बाबा ही बाबा!”
महायज्ञ, अंतिम आहुति, मैं-पन समाप्ति, देहभान समाप्ति, अहंकार मुक्त, बाबा-बाबा, संकल्प शक्ति, व्यर्थ संकल्पों की आहुति, हद की दुनिया समाप्त, यज्ञ की पूर्णाहुति, पुरानी दुनिया की आहुति, विनाश प्रक्रिया, स्वाहा संकल्प, अनहद शब्द, आत्मा की शुद्धि, संकल्पों की शुद्धि, सम्पूर्णता प्राप्ति, स्वप्न शुद्धि, ब्राह्मण आत्माएँ, विश्व परिवर्तन, आध्यात्मिक यज्ञ, संगमयुग, अंत समय, योग तपस्या, देही अभिमानी स्थिति, आत्मा की शक्ति, नई दुनिया का द्वार, सतयुगी संसार, ब्रह्माकुमारिज, ब्राह्मण जीवन, परमात्म अनुभूति, पुरुषोत्तम आत्माएँ, आधारमूर्त आत्माएँ, योगी स्थिति, योग बल, बाप समान बनना, आत्म साक्षात्कार, संकल्प परिवर्तन, आत्मिक स्थिति, सृष्टि परिवर्तन, महाक्रांति, परमधाम स्मृति, परमात्म मिलन, विश्व सेवा, ब्रह्मा वचन, श्रीमत पालन, श्रेष्ठ संकल्प, आत्मिक यात्रा, स्वपरिवर्तन, संगठित संकल्प, निर्विकारी स्थिति, परमानंद अनुभूति, शक्ति संचय, आत्मा का उत्थान, अंतिम परीक्षा, विजय माला, निर्वाण स्थिति, सत्ययुग, निर्विकारी जीवन,
Mahayagya, final sacrifice, cessation of I-ness, cessation of body consciousness, free from ego, Baba-Baba, power of determination, sacrifice of useless resolutions, end of the limited world, complete sacrifice of yagya, sacrifice of the old world, destruction process, Swaha Sankalp, unheard words, purification of soul, purification of resolutions, attainment of perfection, purification of dreams, Brahmin souls, world transformation, spiritual yagya, confluence age, end time, yoga penance, soul conscious Status, power of the soul, door to the new world, golden age world, Brahma Kumaris, Brahmin life, divine experience, most elevated souls, base embodiment souls, yogi stage, power of yoga, becoming equal to the Father, self-realization, transformation of thoughts, spiritual state, transformation of the world, great revolution, awareness of the Supreme, union with God, world service, Brahma Vachan, following Shrimat, elevated resolution, spiritual journey, self-transformation, organized resolution, viceless state, blissful experience, accumulation of power, soul’s Rise, final examination, victory garland, Nirvana state, Satyayuga, untroubled life,