Where there is victory, there is birth

जहाॅं जीत वहाॅं जन्म

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1. भूमिका: कौन है आत्मा का असली शत्रु?

आज हम बात करेंगे गीता के तीसरे अध्याय के 37वें श्लोक की –
जहाँ भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से नहीं, हम सभी से एक सीधा सवाल पूछते हैं:

“काम एष क्रोध एष रजोगुण समुद्भवः
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्॥”

अर्थ:
हे अर्जुन! यह “काम” और “क्रोध” – यही रजोगुण से उत्पन्न होते हैं, यही महापापी हैं, यही आत्मा के असली शत्रु हैं।


 2. गीता का युद्ध बाहरी नहीं, अंदर का है

लोगों ने मान लिया कि अर्जुन और कौरवों के बीच युद्ध हुआ, पर… क्या भगवान युद्ध सिखाते हैं?
क्या वह जो शान्ति, प्रेम और सत्य के सागर हैं – वे तलवारों से युद्ध कराएँगे?

नहीं।
यह युद्ध था – आत्मा और विकारों के बीच।
 काम और क्रोध ही हैं आत्मा के असली महाशत्रु।


 3. उदाहरण से समझें:

मान लीजिए – एक पिता अपने बेटे को कहे, “बेटा, जा और अपने भाई से युद्ध कर।”
क्या ऐसा कोई बाप करेगा?

भगवान भी हमारे परमपिता हैं।
उन्होंने अर्जुन को बाहरी युद्ध नहीं, अंदर के विकारों से युद्ध करना सिखाया –
यही है असली महाभारत।


 4. काम और क्रोध – आत्मा को नीचे गिराने वाले 2 राक्षस

  • काम: इच्छा, लोभ और आकर्षण — जो कभी खत्म नहीं होता।

  • क्रोध: जब इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं, तो क्रोध जन्म लेता है।

परिणाम:
 संबंधों में कटुता,
 आत्मा का पतन,
 और मन में शांति का नाश।


 5. Murli Points (Murli Extracts with Dates):

Murli: 27 फरवरी 2025
“काम महाशत्रु है। काम ही वह अग्नि है जिसमें आत्मा जलती है। काम और क्रोध से मुक्त होना ही असली विजय है।”

Murli: 4 मई 2025
“बाप आये हैं विकारों के रावण को जलाने। तुम्हारा युद्ध तलवारों से नहीं, विकारों से है।”

Murli: 19 जुलाई 2025
“राजयोग के द्वारा आत्मा रावण को जीतती है – यही है गीता का रहस्य।”


 6. गीता का सही अर्थ — आत्मिक युद्ध

गीता अध्याय 16 में कहा गया है कि
काम और क्रोध रजोगुण से उत्पन्न होते हैं और यही नरक के द्वार हैं।

जब परमात्मा हमें आत्म-स्मृति देते हैं —
“तुम आत्मा हो, शान्ति-स्वरूप हो, मेरे बच्चे हो…”
तब आत्मा को अपनी शक्ति और अधिकार याद आता है।


 7. निष्कर्ष:

 गीता का युद्ध बाहरी नहीं, भीतरी है।
 भगवान अर्जुन को नहीं, हम सभी को ज्ञान दे रहे हैं –
कि काम और क्रोध से युद्ध ही असली धर्म युद्ध है।

प्रश्नोत्तर श्रृंखला


Q1: गीता अध्याय 3, श्लोक 37 में आत्मा का असली शत्रु किसे बताया गया है?

उत्तर:भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा है कि काम (अर्थात वासनात्मक इच्छाएँ) और क्रोध ही आत्मा के असली शत्रु हैं।
ये रजोगुण से उत्पन्न होते हैं, महापापी हैं और आत्मा को पतन की ओर ले जाते हैं।

श्लोक:
“काम एष क्रोध एष रजोगुण समुद्भवः
महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्॥”


Q2: क्या गीता में बताया गया युद्ध बाहरी था – जैसे तलवारों से लड़ा गया था?

उत्तर:नहीं। गीता में जो युद्ध बताया गया है वह बाहरी नहीं, आंतरिक है
यह युद्ध आत्मा और विकारों (काम, क्रोध आदि) के बीच है।
भगवान तलवार नहीं, ज्ञान और योग की शिक्षा देते हैं।


Q3: भगवान ने अर्जुन को किससे युद्ध करने को कहा था – कौरवों से या अपने अंदर के विकारों से?

उत्तर:भगवान ने अर्जुन को बाहरी शत्रुओं से नहीं, अंदर के रावण रूपी विकारों से युद्ध करने का आदेश दिया।
काम और क्रोध ही आत्मा को दुःख देते हैं, इन्हीं को जीतने को ‘धर्म युद्ध’ कहा गया है।


Q4: कोई उदाहरण जिससे स्पष्ट हो कि यह युद्ध आत्मिक था?

उत्तर:मान लीजिए – एक पिता अपने बेटे से कहे, “जा और अपने भाई से युद्ध कर।”
क्या ऐसा कोई दिव्य पिता कहेगा?

भगवान परमपिता हैं – वे कभी भी बाहरी हिंसा की प्रेरणा नहीं देते।
उन्होंने अर्जुन को आत्मा का ज्ञान देकर कहा:
“काम और क्रोध को जीतो – यही असली महाभारत है।”


Q5: काम और क्रोध आत्मा को कैसे नुकसान पहुँचाते हैं?

उत्तर:

  • काम = इच्छाएँ, लोभ, लालच जो कभी खत्म नहीं होते।

  • क्रोध = जब इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं, तो क्रोध आता है।

इनसे:

  •  संबंधों में कटुता आती है,

  •  आत्मा कमजोर होती है,

  •  मन अशांत हो जाता है।


Q6: ब्रह्माकुमारी मुरली में काम और क्रोध को लेकर क्या कहा गया है?

उत्तर:Murli: 27 फरवरी 2025

“काम महाशत्रु है। काम ही वह अग्नि है जिसमें आत्मा जलती है। काम और क्रोध से मुक्त होना ही असली विजय है।”

Murli: 4 मई 2025
“बाप आये हैं विकारों के रावण को जलाने। तुम्हारा युद्ध तलवारों से नहीं, विकारों से है।”

Murli: 19 जुलाई 2025
“राजयोग के द्वारा आत्मा रावण को जीतती है – यही है गीता का रहस्य।”


Q7: गीता अध्याय 16 क्या कहता है काम और क्रोध के विषय में?

उत्तर:गीता अध्याय 16 में कहा गया है कि:
“काम, क्रोध और लोभ — ये नरक के तीन द्वार हैं।”
यह रजोगुण से उत्पन्न होते हैं और आत्मा को अधःपतन की ओर ले जाते हैं।


Q8: आत्मा को विकारों से मुक्त करने के लिए परमात्मा क्या शिक्षा देते हैं?

उत्तर:परमात्मा हमें आत्म-स्मृति देते हैं:
“तुम आत्मा हो, शान्ति-स्वरूप हो, मेरे बच्चे हो।”
यह ज्ञान आत्मा को उसकी शक्ति और अधिकारों की याद दिलाता है, जिससे विकारों पर विजय प्राप्त होती है।


Q9: गीता का सच्चा अर्थ क्या है — युद्ध या योग?

उत्तर:गीता का सच्चा अर्थ है — आत्मिक योग और आत्मविजय।
युद्ध का प्रतीक है – विकारों से लड़ाई।
भगवान युद्ध नहीं, शांति, पवित्रता और योग सिखाने आए थे।


Q10: निष्कर्ष में क्या समझना चाहिए?

उत्तर: गीता का युद्ध बाहरी नहीं, अंदर का है।
 भगवान अर्जुन से नहीं, हर आत्मा से बात कर रहे हैं।
 काम और क्रोध से युद्ध ही सच्चा धर्म युद्ध है – यही आत्मा की विजय और परमात्मा का कार्य है।

Disclaimer:
यह वीडियो “श्रीमद्भगवद्गीता” के गूढ़ अर्थों को ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए गए आध्यात्मिक दृष्टिकोण और गहराई से समझाने हेतु तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य धार्मिक सम्मान बनाए रखते हुए आत्मा, परमात्मा और गीता ज्ञान का वास्तविक अर्थ प्रस्तुत करना है। सभी श्लोकों का विश्लेषण शांति, पवित्रता और आत्मिक उत्थान के उद्देश्य से किया गया है। यह किसी भी धर्म, संस्था या व्यक्ति की भावना को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं है।

Source:

  • श्रीमद्भगवद्गीता

  • ब्रह्माकुमारी मुरली (27 फरवरी, 4 मई, 19 जुलाई 2025)

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