Who Created The Drama of The World, How and When?

दुनिया का नाटक किसने कैसे और कब बनाया?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“दुनिया का नाटक किसने, कैसे और कब बनाया?”

 प्रस्तावना: प्रश्न जो जन्म-जन्मांतर से पूछे जाते रहे हैं
मनुष्य सदा से इस प्रश्न में उलझा रहा है —
यह दुनिया क्या है?
क्या यह नाटक है?
अगर यह एक नाटक है, तो इसका लेखक कौन है? इसकी स्क्रिप्ट क्या है? और इसकी शुरुआत कब हुई?

यह तीन प्रश्न बहुत गहरे हैं:

  1. इस नाटक का लेखक कौन है?

  2. इस नाटक की स्क्रिप्ट क्या है?

  3. इस नाटक की शुरुआत कब हुई?

आज हम इन प्रश्नों का उत्तर ईश्वरीय ज्ञान और साकार मुरली के आधार पर समझेंगे।


 1. क्या यह दुनिया एक नाटक है?

जी हां, यह पूरा संसार एक नाटक (ड्रामा) है।
10 जुलाई 2025 की साकार मुरली में परमपिता शिव बाबा ने कहा:

“बच्चे, यह अनादि ड्रामा एक सेकंड में नंददा (रिकॉर्ड) हुआ है।”

हर आत्मा में, हर सेकंड का पार्ट पहले से रिकॉर्डेड है —
उसे क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है — ये सब पहले से तय है।

 इस ड्रामा में

  • कोई भी परिवर्तन नहीं हो सकता।

  • इसका आदि, मध्य, अंत कोई जान नहीं सकता।

  • यह अनादि और अविनाशी है।


 2. ‘अनादि’ ड्रामा का क्या अर्थ है?

अनादि का अर्थ है —

“जिसका कोई आदि नहीं, कोई अंत नहीं। जो हमेशा था, है और रहेगा।”

यह ड्रामा सत्य है, क्योंकि इसका कोई आरंभ और अंत नहीं है।
अब हमें सत्य की परिभाषा को समझना जरूरी है।


 3. सत्य और असत्य की परिभाषा

सत्य = जो था, है और रहेगा।
असत्य = जिसका आरंभ और अंत है।

इस दृष्टिकोण से, यह ड्रामा सत्य है —
क्योंकि यह अनादि और अनंत है।


 4. सबसे पहला सत्य: समय

सबसे पहला जो सत्य है, वह है – समय

समय का न आदि कोई बता सकता है, न अंत।
ना वैज्ञानिक, ना दार्शनिक, ना कोई विद्वान।

क्या कोई बता सकता है कि समय कब शुरू हुआ था?
नहीं।

आज से एक साल पहले, एक लाख साल पहले, एक अरब साल पहले, या उससे भी पहले…
समय हमेशा था, है और रहेगा।


 5. एक नाटकीय उदाहरण – “मैं था, हूं और रहूंगा”

महाभारत के नाटक की शुरुआत में एक संवाद आता है:

“जब ये सब नहीं थे, तब भी मैं था।
जब ये नहीं रहेंगे, तब भी मैं रहूंगा।
मैं हमेशा था, हूं और रहूंगा।”

यह समय की पहचान है।
समय न किसी ने बनाया, न यह किसी के नियंत्रण में है।
यह सदा से चलता आ रहा है – जैसे साँस


 6. यदि हम महाभारत को न मानें तो?

कुछ कह सकते हैं – “हम महाभारत को नहीं मानते, तो उसका उदाहरण क्यों?”
उत्तर सरल है –
हम उदाहरण दे रहे हैं सिद्धांत को समझाने के लिए कि
समय स्वयं एक सत्य है।


 निष्कर्ष: नाटक का लेखक, स्क्रिप्ट और आरंभ

  • यह विश्व नाटक अनादि है।

  • इसका कोई एक लेखक नहीं, यह स्वयं समय, आत्मा और प्रकृति के बीच की गति है।

  • इसकी स्क्रिप्ट हर आत्मा में पहले से रिकॉर्डेड है।

  • इसका आरंभ या अंत कोई जान नहीं सकता, क्योंकि यह अनादि है।

प्रश्न 1: क्या यह दुनिया एक नाटक (ड्रामा) है?

उत्तर:जी हां। यह पूरा विश्व वास्तव में एक पूर्व-निर्धारित, रिकॉर्डेड नाटक है।
जैसा कि 10 जुलाई 2025 की साकार मुरली में शिव बाबा ने कहा:

“बच्चे, यह अनादि ड्रामा एक सेकंड में नंददा (रिकॉर्ड) हुआ है।”

हर आत्मा का हर सेकंड का पार्ट पहले से रिकॉर्ड है –
क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है – यह सब तय है।

यह नाटक

  • अनादि (बिना शुरुआत के) है,

  • अविनाशी (कभी समाप्त न होने वाला) है,

  • और निर्विकल्प (बिना किसी बदलाव के) है।


प्रश्न 2: ‘अनादि’ ड्रामा का क्या अर्थ है?

उत्तर:‘अनादि’ का अर्थ है –

“जिसका कोई आदि (आरंभ) नहीं, कोई अंत नहीं।”
“जो हमेशा था, है और रहेगा।”

इस दृष्टि से यह नाटक सत्य है क्योंकि यह समय की सीमा से परे है।


प्रश्न 3: सत्य और असत्य की परिभाषा क्या है?

उत्तर: सत्य = जो था, है और रहेगा।
असत्य = जिसका आदि और अंत होता है।

जो वस्तु अनादि और अनंत है वही सत्य कहलाती है।
जो उत्पन्न होता है और नष्ट होता है, वह असत्य है।

इस आधार पर यह ड्रामा सत्य है, क्योंकि इसका कोई आरंभ और अंत नहीं।


प्रश्न 4: इस नाटक का लेखक कौन है?

उत्तर:यह नाटक किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं लिखा गया है।
यह तीन अनादि सत्ता की सहभागिता है:

  • आत्मा,

  • प्रकृति,

  • और समय।

इन तीनों के बीच अनादि गति ही इस नाटक को निरंतर चलाती है।


प्रश्न 5: इस नाटक की स्क्रिप्ट क्या है?

उत्तर:इस नाटक की स्क्रिप्ट हर आत्मा के अंदर पहले से रिकॉर्डेड है।
हर आत्मा के संस्कार, कर्म और समय के अनुसार वह अपने रोल में उतरती है।

यह स्क्रिप्ट बदल नहीं सकती
ना कोई एडिट कर सकता है, ना किसी का रोल बदल सकता है।


प्रश्न 6: इस नाटक की शुरुआत कब हुई?

उत्तर:यह नाटक अनादि है – इसकी कोई शुरुआत नहीं है।
यह सदा से है, सदा चलता आ रहा है, और सदा चलता रहेगा।

ना कोई दार्शनिक, ना वैज्ञानिक, ना कोई आत्मज्ञानी इसका आदि बता सकता है।


प्रश्न 7: समय को सबसे पहला सत्य क्यों कहा गया है?

उत्तर:समय का कोई आरंभ या अंत नहीं है।
कभी कोई यह नहीं कह सकता कि

“समय की शुरुआत आज से एक अरब साल पहले हुई थी।”

और कोई यह भी नहीं कह सकता कि

“समय एक दिन समाप्त हो जाएगा।”

इसलिए समय ही सबसे पहला और अनादि सत्य है।


प्रश्न 8: महाभारत में समय को कैसे दर्शाया गया है?

उत्तर:महाभारत के एक नाटक में आरंभ में संवाद आता है:

“जब ये सब नहीं थे, तब भी मैं था।
जब ये नहीं रहेंगे, तब भी मैं रहूंगा।
मैं हमेशा था, हूं और रहूंगा।”

यह समय की गवाही है कि वह सदा से है।


प्रश्न 9: अगर कोई महाभारत को न माने तो क्या यह सिद्धांत गलत हो जाता है?

 उत्तर:नहीं।
यह केवल एक उदाहरण है समय की अनादिता को समझाने के लिए।
महाभारत को मानना या न मानना मूल बात नहीं,
मुख्य बात है –
समय सदा था, है और रहेगा।


निष्कर्ष:

यह दुनिया एक अनादि, अविनाशी, रिकॉर्डेड ड्रामा है।

  • इसका कोई एक लेखक नहीं।

  • इसकी स्क्रिप्ट हर आत्मा के अंदर रिकॉर्ड है।

  • इसका आरंभ या अंत कोई जान नहीं सकता।

  • और इसका संचालन समय, आत्मा और प्रकृति के संयुक्त क्रियाशीलता से होता है।

 यह ज्ञान हमें देता है शांति, स्थिरता और पूर्णता की अनुभूति।

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(Disclaimer):

इस वीडियो में प्रस्तुत ज्ञान ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की साकार मुरली (10 जुलाई 2025) के आधिकारिक बिंदुओं पर आधारित है।
यह आध्यात्मिक अध्ययन के उद्देश्य से बनाया गया है।
इसका उद्देश्य किसी धर्म, ग्रंथ या परंपरा की आलोचना करना नहीं है।
हमारा अधिकारिक स्रोत:
अफिडेविट दिनांक 13 जून 2025 द्वारा बीके करूणा, माउण्ट आबू।
आप इसे हमारी वेबसाइट पर देख सकते हैं।