Who is ‘Murlidhar’? Did Lord Krishna really play the flute?

‘मुरलीधर’ कौन? क्या श्रीकृष्ण सच में बंसी बजाते थे?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“‘मुरलीधर’ कौन है? क्या श्रीकृष्ण सच में बंसी बजाते थे? | मुरली का आध्यात्मिक रहस्य | ब्रह्माकुमारी ज्ञान”


 मुरली का आध्यात्मिक अर्थ

1. प्रस्तावना:

आज हम एक गहरे आध्यात्मिक रहस्य को समझेंगे —
‘मुरलीधर’ या ‘बंसी वाला’ वास्तव में कौन है?
क्या श्रीकृष्ण सच में बांसुरी बजाते थे?
या यह सब प्रतीकात्मक भाषा है, जिसमें कोई महान सत्य छिपा है?


2. लोकमान्यता: बंसी बजाने वाले श्रीकृष्ण

हमें यह सिखाया गया:

“कन्हैया बंसी बजाते, गोपियाँ रास रचातीं।”
लेकिन क्या यही ईश्वर का कार्य है?
क्या सतयुगी देवता विलासप्रिय होते हैं?
उत्तर है — नहीं।
यह सब भक्ति मार्ग की अलंकारिक कल्पनाएँ हैं।


3. आकाशवाणी और मुरली – आत्मा के लिए ईश्वर की आवाज़

‘मुरली’ और ‘आकाशवाणी’ दोनों ही परमात्मा शिव द्वारा बोली जाने वाली दिव्य ज्ञान-वाणी हैं।
लेकिन इनके बीच एक सूक्ष्म संबंध है।


4. आकाशवाणी क्या है?

“आकाश से आई हुई दिव्य वाणी।”
शास्त्रों में इसे “भगवानुवाच” कहा गया।
यह अलौकिक वाणी ईश्वर की होती है — जो किसी माध्यम से सुनाई देती है।


5. ब्रह्माकुमारीज़ में मुरली क्या है?

‘मुरली’ = वह दिव्य ज्ञान-वाणी
जो परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके सुनाते हैं।


6. मुरली = परमात्मा की आकाशवाणी

Murli 23-02-1994:

“यह मुरली कोई मनुष्य नहीं बनाते। यह है बाप की आकाशवाणी।”

Murli 17-08-1992:

“बाप की वाणी, अर्थात मुरली ही तो सच्ची गीता है।”


7. मुरली – स्थूल माध्यम

शिव निराकार हैं।
वे ब्रह्मा बाबा के माध्यम से यह ज्ञान बोलते हैं।
पहले यह वाणी ब्रह्मा बाबा के मुख से निकलती है, फिर सारी दुनिया में पहुँचती है।


8. शास्त्रों में संकेत

“श्रद्धावान लभते ज्ञानम्” — श्रद्धा से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
यही ज्ञान ब्रह्माकुमारीज़ की मुरली में प्रतिदिन दिया जाता है।


9. मुरली का असली अर्थ – मुरलीधर कौन?

Murli 19-02-2024:

“यह मुरली कोई काठ की बंसी नहीं है। यह तो ज्ञान की वाणी है।”
Murli 03-07-2023:
“यह ज्ञान रूह को सतोप्रधान बनाने की बंसी है।”
अतः मुरलीधर = परमात्मा शिव, जो ज्ञान की बंसी बजाते हैं।


10. नृत्य का प्रतीकात्मक अर्थ – आत्मा का उत्सव

जब आत्मा को यह ज्ञान मिलता है –

“मैं आत्मा हूँ, यह सृष्टि एक नाटक है।”
तो आत्मा आनंद में झूम उठती है।
यही है ‘रूहानी नृत्य’ या ‘रास’।

Murli 11-11-2022:

“यह है रूहानी रास।”


11. श्रीकृष्ण – मुरलीधर नहीं

Murli 18-05-2023:

“श्रीकृष्ण भगवान नहीं है। भगवान तो एक शिव है।”
श्रीकृष्ण = आदर्श देवता
शिव = ज्ञान देने वाला परमात्मा


12. सांस्कृतिक भ्रम और आध्यात्मिक क्षति

‘बंसी वाला’ का अर्थ सिर्फ गीत-संगीत मान लेने से
ईश्वर को भौतिकता से जोड़ दिया गया।
श्रीकृष्ण का नाम भक्ति और मनोरंजन में ढाल दिया गया।


13. मुरली: आत्मा का जागरण

Murli 07-01-2024:

“यह ज्ञान आत्मा को उड़ाता है, इसीलिए यह बंसी कहलाती है।”
यह है वह दिव्य शक्ति जो आत्मा को पुनः देवता बनाती है।


निष्कर्ष: मुरली का दिव्य स्वरूप

  • यह आकाशवाणी है

  • परमात्मा शिव की वाणी

  • ब्रह्मा के तन से बोली जाती है

  • आत्मा को देवता बनाती है

  • ज्ञान, योग, सेवा और धारणा सिखाती है

मुरली ही ईश्वर की सच्ची आवाज़ है।
मुरलीधर केवल परमात्मा शिव हैं।

“‘मुरलीधर’ कौन है? क्या श्रीकृष्ण सच में बंसी बजाते थे? | मुरली का आध्यात्मिक रहस्य | ब्रह्माकुमारी ज्ञान”


Q1: ‘मुरलीधर’ किसे कहा जाता है?

A1: ‘मुरलीधर’ वह है जो आत्मा को दिव्य ज्ञान की बंसी अर्थात “मुरली” सुनाकर उसे जाग्रत करता है।
ब्रह्माकुमारीज़ ज्ञान के अनुसार, परमात्मा शिव ही मुरलीधर हैं, जो ब्रह्मा के तन द्वारा यह ज्ञान सुनाते हैं।


Q2: क्या श्रीकृष्ण सच में बांसुरी बजाते थे?

A2: नहीं। श्रीकृष्ण द्वारा बांसुरी बजाने की कथा प्रतीकात्मक है।
यह एक भक्ति मार्ग की रूपक कथा है।
असल में ‘बांसुरी’ का अर्थ है – आत्मा को पुनः देवता बनाने वाली ईश्वर की ज्ञान-वाणी।


Q3: मुरली और आकाशवाणी में क्या संबंध है?

A3: मुरली और आकाशवाणी एक ही दिव्य ज्ञान-वाणी हैं।
मुरली = वह साकार वाणी जो ब्रह्मा के तन से परमात्मा बोलते हैं।
आकाशवाणी = निराकार परमात्मा की दिव्य वाणी जो सुनी जाती है, पर दिखाई नहीं देती।


Q4: ब्रह्माकुमारीज़ में मुरली क्या है?

A4: मुरली = परमात्मा शिव द्वारा प्रतिदिन ब्रह्मा बाबा के माध्यम से बोला गया ज्ञान।
यह ज्ञान आत्मा को आत्म-स्वरूप, कर्म सिद्धांत, सृष्टि चक्र और योग का रहस्य सिखाता है।


Q5: क्या मुरली कोई मनुष्य बनाता है?

A5: नहीं।
Murli 23-02-1994:

“यह मुरली कोई मनुष्य नहीं बनाते। यह है बाप की आकाशवाणी।”


Q6: श्रीकृष्ण को भगवान क्यों नहीं माना गया ब्रह्माकुमारीज़ में?

A6: क्योंकि श्रीकृष्ण सतोप्रधान आत्मा थे, लेकिन ज्ञान देने वाले परमात्मा नहीं।
Murli 18-05-2023:

“श्रीकृष्ण भगवान नहीं है। भगवान तो एक शिव है।”


Q7: ‘गोपियों का नृत्य’ किस बात का प्रतीक है?

A7: यह आत्मा के परम आनंद और अतीन्द्रिय सुख का प्रतीक है।
जब आत्मा ईश्वर की मुरली से दिव्य ज्ञान प्राप्त करती है, तो आत्मा झूम उठती है — यही ‘रूहानी रास’ है।


Q8: क्या मुरली कोई भौतिक बंसी है?

A8: नहीं।
Murli 19-02-2024:

“यह मुरली कोई काठ की बंसी नहीं है। यह तो ज्ञान की वाणी है।”


Q9: मुरली आत्मा को क्या देती है?

A9:

  • आत्मबोध

  • आत्मा-परमात्मा का संबंध

  • कर्म सिद्धांत

  • योग की विधि

  • भविष्य का राजयोगी जीवन
    Murli 07-01-2024:

“यह ज्ञान आत्मा को उड़ाता है, इसीलिए यह बंसी कहलाती है।”


Q10: मुरली का स्रोत कौन है?

A10: मुरली = परमात्मा शिव की वाणी
जो ब्रह्मा के मुख द्वारा सुनाई जाती है।
यह ज्ञान किसी धर्मग्रंथ से नहीं लिया गया, बल्कि स्वयं परमात्मा द्वारा प्रत्यक्ष दिया गया है।


Q11: क्या मुरली ही सच्ची गीता है?

A11: हाँ।
Murli 17-08-1992:

“बाप की वाणी, अर्थात मुरली ही तो सच्ची गीता है।”

Disclaimer (अस्वीकरण):

इस वीडियो का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान और शांति की ओर मार्गदर्शन करना है। प्रस्तुत विचार ब्रह्माकुमारी संस्थान की शिक्षाओं एवं मुरली वाणी पर आधारित हैं। यह किसी भी धर्म, व्यक्ति या संस्था की भावना को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं है। कृपया इसे एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण करें और स्वयं चिंतन करें।

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