Who is the God of Gita?(73)Mahabharata: Interpolation and the secret of the real Gita

गीता का भगवान काैन है?(73)महाभारत:परक्षेप मिलावट और असली गीता का रहस्य

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“गीता का असली भगवान कौन? | महाभारत में मिलावट और असली ज्ञान”


ओम शांति

आज हम चर्चा करेंगे:
“गीता जो है वह महाभारत का एक पार्ट है। महाभारत में परक्षेप, मिलावट और असली गीता क्या है?”

हम समझेंगे कि महाभारत में कैसे मिक्सिंग हुई, कौन-कौन से श्लोक बाद में जोड़े गए और असली गीता वास्तव में क्या है।


नंबर एक: महाभारत के असली स्वरूप को समझना क्यों जरूरी है?

  • आज जो महाभारत हमारे पास है, उसमें 1 लाख से अधिक श्लोक हैं।

  • क्या वास्तव में यही व्यास द्वारा रचित मूल ग्रंथ है? इतिहासकार और आलोचक मानते हैं कि नहीं।

  • असली व्यास ग्रंथ का नाम था ‘जय’, जिसमें केवल 8000 श्लोक थे।

प्रश्न: असली स्वरूप को समझना क्यों जरूरी है?

  • यदि हम मिलावटी या बढ़ाए गए श्लोकों को ही असली मान लें, तो मूल ज्ञान धुंधला हो जाएगा।


नंबर दो: जय से भारत और फिर महाभारत बनने की कहानी

  • व्यास जी ने ‘जय’ अपने चार शिष्यों को सुनाया।

  • प्रत्येक शिष्य ने अपनी मर्जी से जोड़ दिया।

  • आगे आने वाले शिष्यों ने और जोड़ दिए।

  • व्यास का शिष्य वैश्यमित्र ने इसे मिलाकर ‘भारत’ लिखा।

  • बाद में सूत उग्रश्रवा ऋषि ने विस्तार किया और श्लोक 1 लाख कर दिए।

  • अंततः इसका नाम महाभारत पड़ा।

प्रभाव: 8000 श्लोक से बढ़कर 1 लाख श्लोक होने पर, मूल कथा में काफी मिलावट हुई।

  • प्रत्येक श्लोक की जगह 12–13 श्लोक जोड़ दिए गए।

  • केवल श्लोक नहीं, बल्कि पूरे अध्याय भी नए जोड़ दिए गए।


नंबर तीन: मिलावट के प्रत्यक्ष प्रमाण

  • उदाहरण: उद्योग पर्व और भीष्म पर्व

    • उद्योग पर्व में युधिष्ठिर ने शल्य को कहा कि कर्ण को निरुत्साहित करें।

    • भीष्म पर्व में वही प्रसंग आता है, जबकि युद्ध पहले हुआ ही नहीं था।

  • यह स्पष्ट करता है कि बाद के कवियों और कथाकारों की रचनात्मकता और कल्पना से ग्रंथ में बढ़ोतरी हुई।

  • सूत मुनि ने जानबूझकर कथा, दंतकथा, झूठी कथाएं और धार्मिक कर्मकांड जोड़ दिए।


मूल घटना बनाम कल्पना

  • इतिहासकार मानते हैं कि मूल घटना सीमित थी:

    • धर्मप्रिय पांडव और अधर्मप्रिय कौरवों का संघर्ष।

    • गीता का ज्ञान भगवान द्वारा दिया गया।

  • युद्ध और पात्रों के संवाद बाद में अतिशक्ति और कल्पना से भर गए।


साकार और अव्यक्त मुरली से प्रमाण

  • साकार मुरली 18 जनवरी 1970: गीता का भगवान श्री कृष्ण नहीं, शिव बाबा हैं।

  • अव्यक्त मुरली 14 फरवरी 1982: मनुष्य कथा सुनाते समय अपनी बातें जोड़ते हैं, जिससे सत्य धीरे-धीरे लुप्त होता है।


नंबर सात: क्यों यह समझना जरूरी है?

  • यदि हम परक्षेपित और कल्पित प्रसंगों को ईश्वर की वाणी मान लेंगे, तो सत्य का मार्ग धुंधला हो जाएगा।

  • गीता का सच्चा ज्ञान, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है, केवल शिव बाबा की श्री मुख वाणी से मिलता है।

  • यह ज्ञान रक्तपात और हिंसा के युद्ध में नहीं है।


निष्कर्ष: शोध और विवेक का महत्व

  • महाभारत के वर्तमान रूप को बिना जांचे परखे स्वीकार करना बुद्धिमानी नहीं

  • शोध, इतिहास और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सत्य को पहचानना जरूरी है।

  • यही ज्ञान आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है और शांति का संदेश देता है।

“गीता का असली भगवान कौन? | महाभारत में मिलावट और असली ज्ञान”


प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: गीता महाभारत का हिस्सा क्यों है?
उत्तर: गीता महाभारत का एक भाग है। महाभारत में समय के साथ परक्षेप, मिलावट और बढ़ाए गए श्लोक जोड़े गए। असली गीता का स्वरूप अलग है, जिसे समझना जरूरी है।


प्रश्न 2: महाभारत के असली स्वरूप को समझना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: आज हमारे पास जो महाभारत है, उसमें 1 लाख से अधिक श्लोक हैं। इतिहासकार और आलोचक मानते हैं कि यह मूल व्यास ग्रंथ नहीं है। असली ग्रंथ ‘जय’ था, जिसमें केवल 8000 श्लोक थे। यदि हम मिलावटी श्लोकों को ही असली मान लें, तो मूल ज्ञान धुंधला हो जाएगा।


प्रश्न 3: जय से महाभारत बनने की प्रक्रिया कैसी थी?
उत्तर:

  • व्यास ने ‘जय’ लिखा और अपने चार शिष्यों को सुनाया।

  • प्रत्येक शिष्य ने अपनी मर्जी से श्लोक और कथाएं जोड़ दी।

  • व्यास का शिष्य वैश्यमित्र ने इसे मिलाकर ‘भारत’ लिखा।

  • बाद में सूत उग्रश्रवा ऋषि ने श्लोक बढ़ाकर 1 लाख कर दिए और इसका नाम महाभारत रखा।

  • इस प्रक्रिया में मूल कथा में काफी मिलावट हो गई।


प्रश्न 4: मिलावट के प्रत्यक्ष प्रमाण क्या हैं?
उत्तर:

  • उदाहरण: उद्योग पर्व और भीष्म पर्व।

  • उद्योग पर्व में युधिष्ठिर ने शल्य से कहा कि कर्ण को निरुत्साहित करें।

  • भीष्म पर्व में वही प्रसंग फिर आता है, जबकि युद्ध पहले हुआ ही नहीं था।

  • इससे स्पष्ट होता है कि बाद के कथाकारों ने अपनी रचनात्मकता और कल्पना से ग्रंथ में जोड़-तोड़ की।


प्रश्न 5: मूल घटना और कल्पना में क्या अंतर है?
उत्तर:

  • इतिहासकार मानते हैं कि मूल घटना सीमित थी: धर्मप्रिय पांडव और अधर्मप्रिय कौरवों का संघर्ष।

  • गीता का ज्ञान भगवान द्वारा दिया गया।

  • युद्ध और पात्रों के संवाद बाद में अतिशक्ति और कल्पना से भर गए।


प्रश्न 6: साकार और अव्यक्त मुरली इस विषय में क्या प्रमाण देती हैं?
उत्तर:

  • साकार मुरली 18 जनवरी 1970: गीता का भगवान श्री कृष्ण नहीं, शिव बाबा हैं।

  • अव्यक्त मुरली 14 फरवरी 1982: मनुष्य कथा सुनाते समय अपनी बातें जोड़ते हैं, जिससे सत्य धीरे-धीरे लुप्त होता है।


प्रश्न 7: यह समझना क्यों जरूरी है कि असली गीता क्या है?
उत्तर:

  • यदि हम परक्षेपित और कल्पित प्रसंगों को ईश्वर की वाणी मान लें, तो सत्य का मार्ग धुंधला हो जाएगा।

  • गीता का सच्चा ज्ञान, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है, केवल शिव बाबा की श्री मुख वाणी से मिलता है।

  • यह ज्ञान रक्तपात और हिंसा के युद्ध में नहीं है।


प्रश्न 8: निष्कर्ष – हमें क्या सीखना चाहिए?
उत्तर:

  • महाभारत के वर्तमान रूप को बिना जांचे परखे स्वीकार करना बुद्धिमानी नहीं है।

  • शोध, इतिहास और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सत्य को पहचानना जरूरी है।

  • यही ज्ञान आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है और शांति का संदेश देता है।

Disclaimer (डिस्क्लेमर)

यह वीडियो केवल आध्यात्मिक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। इसमें प्रस्तुत जानकारी महाभारत और गीता के ऐतिहासिक तथा आध्यात्मिक पहलुओं पर आधारित है।
वीडियो में व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत और धार्मिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं और किसी भी व्यक्ति, समुदाय या धर्म के प्रति अपमानजनक नहीं हैं।
कृपया इसे अनुसंधान, अध्ययन और आध्यात्मिक जागरूकता के संदर्भ में देखें।

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