Why are Mahalakshmi and Vishnu shown having four hands each?

महालक्ष्मी और विष्णु को चार-चार हाथ क्यों दिखाते हैं?

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( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

“विष्णु, महालक्ष्मी और सरस्वती के चार हाथों का रहस्य | मुरली ज्ञान से दिव्य प्रतीक की व्याख्या | 


ओम शांति।
आज का विषय बेहद रोचक और रहस्यमयी है:
“विष्णु, महालक्ष्मी और सरस्वती के चार-चार हाथ क्यों दिखाए जाते हैं?”
क्या यह कोई कल्पना है?
या फिर इसके पीछे छुपा है कोई गहन आध्यात्मिक रहस्य?

आज हम इस दिव्य प्रतीक का रहस्य शिव बाबा की मुरली के माध्यम से जानेंगे।


1. चार हाथों का रहस्य – कल्पना या संकेत?

जब हम विष्णु, लक्ष्मी या सरस्वती की प्रतिमा या चित्र देखते हैं, तो उनमें चार हाथ होते हैं।
क्या सच में देवताओं के चार हाथ थे?
या फिर यह कोई आध्यात्मिक संकेत है?


2. मुरली ज्ञान से रहस्य उद्घाटन

शिव बाबा ने मुरली में विस्तार से समझाया है:

  • 6 जून 1969 की मुरली:

    “विष्णु के चार हाथ दिखाते हैं, पर वह कोई चार हाथ वाला नहीं। वह दो आत्माओं — लक्ष्मी और नारायण — का संयुक्त स्वरूप है।”

  • 24 सितंबर 1973:

    “चार भुजाएं इसलिए दिखाते हैं क्योंकि वे दो आत्माओं का प्रतीक हैं — लक्ष्मी और नारायण।”

  • 15 जनवरी 1974:

    “चार हाथ चार गुणों के प्रतीक हैं — ज्ञान, योग, सेवा और धारणा।

  • 11 फरवरी 2020:

    “विष्णु कोई अलग देवता नहीं, वह तुम्हारा ही संपूर्ण स्वरूप है — जब तुम लक्ष्मी नारायण बनते हो।”


3. चार हाथों का आध्यात्मिक अर्थ

चार हाथों का अर्थ है:

  • ज्ञान की धारणा

  • योग की शक्ति

  • सेवा की भावना

  • और धारणा की गहराई

यह कोई भौतिक शक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संपूर्णता का प्रतीक है।


4. संयुक्त स्वरूप – लक्ष्मी और नारायण

विष्णु के चार हाथ दर्शाते हैं कि:

  • वे एक आत्मा नहीं, बल्कि लक्ष्मी और नारायण का संयुक्त सेवा स्वरूप हैं।

  • जैसे पति-पत्नी मिलकर सेवा करते हैं, वैसे ही यह स्वरूप एक संगठन, एक परिवार, एक शक्ति का संकेत है।


5. चार अलंकार – दिव्य गुणों के प्रतीक

विष्णु और लक्ष्मी के हाथों में जो चार वस्तुएं होती हैं, उनका भी गहन अर्थ है:

  • शंख: ज्ञान की गूंज – धर्म और ज्ञान का प्रचार

  • चक्र: समय चक्र की स्मृति – आत्मा सृष्टि चक्र को जानती है

  • गदा: योग बल और आत्मबल – संकल्प और धर्म रक्षा

  • कमल: पवित्रता – जल में रहते हुए भी अछूता


6. महालक्ष्मी – संपूर्ण आत्मा का स्वरूप

महालक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं, बल्कि वह आत्मा है जो:

  • राजयोग द्वारा पवित्र बनी

  • चारों गुणों की संपूर्ण धारणा की
    – ज्ञान, योग, सेवा और धारणा

मुरली 9 नवम्बर 1971:

“लक्ष्मी को ‘महा’ तब कहा जाता है, जब वह राजयोग द्वारा संपूर्ण बनती है।”


7. सरस्वती माता – ज्ञान और कला का प्रतीक

सरस्वती माता के चार हाथों में होते हैं:

  • वीणा: सृजन और भावनात्मक ज्ञान

  • पुस्तक/वेद: दिव्य ज्ञान

  • अक्षमाला: स्मृति और साधना

  • वर मुद्रा: आशीर्वाद – करुणा और शुभभावना

यह सभी दर्शाते हैं कि वह केवल पढ़ाई की देवी नहीं, बल्कि ज्ञान, योग, सृजन और सेवा की संपूर्णता हैं।


8. चार हाथ क्यों – चार सिर क्यों नहीं?

अगर ये शक्ति दिखाने के लिए होता, तो चित्र में चार सिर या चार पैर भी हो सकते थे।

परंतु चार हाथ सेवा के प्रतीक हैं —
यह राजयोग द्वारा पवित्र बने दंपति, लक्ष्मी और नारायण की संयुक्त सेवा शक्ति का संकेत है।


9. निष्कर्ष – हमारा भविष्य स्वरूप

यह चित्र हमें याद दिलाता है:

“हम आत्माएं भी, परमात्मा शिव बाबा के मार्गदर्शन में, राजयोग द्वारा संपूर्ण बन सकते हैं — चार हाथों वाला विष्णु स्वरूप हमारा ही भविष्य है।”

“विष्णु, महालक्ष्मी और सरस्वती के चार हाथों का रहस्य | मुरली ज्ञान से दिव्य प्रतीक की व्याख्या |


प्रश्न 1: क्या देवताओं के सच में चार हाथ थे?

उत्तर:नहीं। मुरली अनुसार यह केवल भौतिक चित्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संकेत हैं।
6 जून 1969 की मुरली में शिव बाबा ने कहा —

“विष्णु के चार हाथ दिखाते हैं, पर वह कोई चार हाथ वाला नहीं। वह लक्ष्मी और नारायण का संयुक्त स्वरूप है।”


प्रश्न 2: चार हाथों का क्या प्रतीकात्मक अर्थ है?

उत्तर:चार हाथ दर्शाते हैं —

  1. ज्ञान

  2. योग

  3. सेवा

  4. धारणा

यह चारों आत्मा की संपूर्णता के गुण हैं।
15 जनवरी 1974 की मुरली में स्पष्ट बताया गया है कि चार हाथ इन्हीं गुणों के प्रतीक हैं।


प्रश्न 3: विष्णु को चार हाथ क्यों दिखाते हैं?

उत्तर:क्योंकि वह एक नहीं बल्कि दो आत्माओं — लक्ष्मी और नारायण — का संयुक्त सेवा रूप है।
24 सितंबर 1973 की मुरली में कहा गया —

“चार भुजाएं इसलिए दिखाते हैं क्योंकि वे संयुक्त रूप हैं।”


प्रश्न 4: विष्णु के हाथों में दिखाए गए चार अलंकारों का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  1. शंख – ज्ञान की गूंज, धार्मिक उद्घोषणा

  2. चक्र – सृष्टि चक्र की स्मृति

  3. गदा – योग बल और आत्मबल

  4. कमल – पवित्रता का प्रतीक

ये अलंकार आत्मा की दिव्यता, स्मृति और सेवा भावना को दर्शाते हैं।


प्रश्न 5: महालक्ष्मी को ‘महा’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर:मुरली 9 नवम्बर 1971 के अनुसार –

“लक्ष्मी को ‘महा’ तब कहा जाता है जब वह राजयोग द्वारा पवित्र बनती है और ज्ञान, योग, सेवा, धारणा – इन चारों में संपूर्ण होती है।”


प्रश्न 6: सरस्वती माता के चार हाथों का क्या आध्यात्मिक अर्थ है?

उत्तर:सरस्वती माता के चार हाथ दर्शाते हैं:

  1. वीणा – सृजन और कला

  2. वेद/पुस्तक – दिव्य ज्ञान

  3. अक्षमाला – स्मृति, साधना

  4. वर मुद्रा – दया, आशीर्वाद

ये सभी ज्ञान, योग, सेवा और सृजन की शक्तियों का संकेत हैं।


प्रश्न 7: अगर शक्ति दिखानी थी तो चार सिर या चार पैर क्यों नहीं?

उत्तर:क्योंकि हाथ सेवा के प्रतीक हैं।
चार हाथ दर्शाते हैं कि यह संयुक्त सेवा रूप है – जैसे लक्ष्मी और नारायण मिलकर सेवा करते हैं।
यह राजयोग द्वारा प्राप्त दिव्य स्थिति का प्रतीक है।


प्रश्न 8: क्या विष्णु कोई देवता है या प्रतीक?

उत्तर:11 फरवरी 2020 की मुरली में शिव बाबा ने कहा:

“विष्णु कोई देवता नहीं, वह तुम्हारा ही संपूर्ण स्वरूप है — जब तुम लक्ष्मी नारायण बनते हो।”

विष्णु हमारे आत्मिक भविष्य का लक्ष्य है।


प्रश्न 9: इस रहस्य से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर:यह चित्र हमें प्रेरणा देता है कि हम आत्माएं भी
ज्ञान, योग, सेवा और धारणा द्वारा
एक दिन विष्णु रूप, महालक्ष्मी स्वरूप या सरस्वती स्वरूप बन सकते हैं।

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