(01) The real meaning of Dussehra is not burning of Ravana but burning of vices.

दशहरा:-(01)दशहरे का असली अर्थ रावण दहन नहीं – विकार दहन।

 

“दशहरा 2025 का असली रहस्य | रावण दहन नहीं – विकार दहन | Murli Points के साथ”


1. परिचय

दुनिया भर में दशहरे पर रावण का पुतला जलाया जाता है।
लेकिन प्रश्न यह है –
 क्या असली रावण कोई बाहर का दैत्य है?
 या फिर यह आत्मा के अंदर छुपा हुआ कुछ और है?

बाबा की मुरली हमें बताती है कि रावण कोई बाहरी राक्षस नहीं बल्कि पाँच विकार हैं – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार।


2. मुरली के अनुसार रावण का असली अर्थ

साकार मुरली – 25 अक्टूबर 2004

शिव बाबा ने कहा:
“रावण तो विकारों का नाम है। मनुष्य समझते हैं रावण कोई व्यक्ति था।
इसलिए पुतला जलाते रहते हैं।
असली रावण का दहन तो आत्मा में विकारों को खत्म करने से होगा।”

अव्यक्त मुरली – 9 अक्टूबर 1979

शिव बाबा ने कहा:
“दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय।
जब आत्मा रावण रूपी विकारों पर जीत पाती है, तब सच्चा विजय दशमी मनाई जाती है।”


3. असली दशहरा क्या है?

  • दशहरा का मतलब है 10 इंद्रियों पर विजय।

  • विजय दशमी = “दस” पर विजय।

  • जब आत्मा राजयोग द्वारा मन और इंद्रियों को नियंत्रित करती है, तभी रावण का असली दहन होता है।


4. प्रतीकात्मक और वास्तविक दहन

प्रतीकात्मक

पुतले जलाना केवल एक प्रतीक है।

 उदाहरण

जैसे अगर घर में धुआं फैल रहा हो और हम बाहर पुतला जलाकर कहें –
“धुआं खत्म हो गया।”
 क्या वास्तव में घर शुद्ध हो जाएगा?
नहीं।

उसी प्रकार जब तक आत्मा के भीतर विकार हैं, तब तक बाहरी पुतला जलाने से कोई परिवर्तन नहीं होगा।


5. विजय दशमी का सच्चा अर्थ

  • असली विजय दशमी तब है, जब आत्मा रावण रूपी बंधनों से मुक्त होकर अपने स्वधर्म (शांति, पवित्रता, प्रेम) में स्थित होती है।

  • यही कारण है कि दशहरे के बाद दीपावली आती है।

  • जब आत्मा विकारों का दहन कर लेती है, तो वह प्रकाशमय बनती है।


6. व्यवहारिक बिंदु – विकारों से छुटकारा कैसे?

  • काम → ईश्वर से सच्चा प्रेम जोड़ो।

  • क्रोध → सहनशीलता और शांति का अभ्यास करो।

  • लोभ → संतोष का खजाना जमा करो।

  • मोह → आत्मिक दृष्टि से संबंध निभाओ।

  • अहंकार → “मैं आत्मा” की स्थिति में स्थित रहो।


7. निष्कर्ष

 असली रावण बाहर नहीं, भीतर है।
 जब आत्मा विकारों पर विजय पाती है, वही है सच्चा दशहरा और सच्ची विजय दशमी।

प्रश्न 1: क्या दशहरे पर जलाया जाने वाला रावण असली है?

 उत्तर: नहीं। बाबा कहते हैं कि रावण कोई बाहरी दैत्य नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर छिपे पाँच विकार हैं – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार
मुरली बिंदु – 25 अक्टूबर 2004 (साकार मुरली):
“रावण तो विकारों का नाम है। मनुष्य समझते हैं रावण कोई व्यक्ति था। इसलिए पुतला जलाते रहते हैं। असली रावण का दहन तो आत्मा में विकारों को खत्म करने से होगा।”


 प्रश्न 2: बाबा ने दशहरे का असली अर्थ क्या बताया है?

 उत्तर: दशहरा आत्मा की विजय का प्रतीक है।
अव्यक्त मुरली – 9 अक्टूबर 1979:
“दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय। जब आत्मा रावण रूपी विकारों पर जीत पाती है, तब सच्चा विजय दशमी मनाई जाती है।”


 प्रश्न 3: विजय दशमी का गूढ़ अर्थ क्या है?

 उत्तर: विजय दशमी का अर्थ है – दस इंद्रियों पर विजय
 “दशहरा = दस पर विजय”।
जब आत्मा राजयोग से मन और इंद्रियों को नियंत्रित करती है, तभी रावण का असली दहन होता है।


 प्रश्न 4: बाहर पुतला जलाने का क्या महत्व है?

 उत्तर: यह केवल प्रतीक है।
 उदाहरण:
यदि घर में धुआँ फैला हो और हम बाहर पुतला जलाकर कहें – “धुआं खत्म हो गया।” 👉 क्या वास्तव में घर शुद्ध हो जाएगा? नहीं।
उसी प्रकार, जब तक आत्मा के भीतर विकार हैं, बाहरी पुतला जलाने से कोई परिवर्तन नहीं होगा।


 प्रश्न 5: असली विजय दशमी कैसे मनाई जाती है?

 उत्तर: जब आत्मा विकारों से मुक्त होकर अपने स्वधर्म (शांति, पवित्रता, प्रेम) में स्थित होती है।
 यही कारण है कि दशहरे के बाद दीपावली आती है। जब आत्मा विकारों का दहन कर लेती है, तब वह प्रकाशमय बनती है।


 प्रश्न 6: विकारों से छुटकारा पाने के व्यवहारिक उपाय क्या हैं?

 उत्तर:

  • काम → ईश्वर से सच्चा प्रेम जोड़ो।

  • क्रोध → सहनशीलता और शांति का अभ्यास करो।

  • लोभ → संतोष का खजाना जमा करो।

  • मोह → आत्मिक दृष्टि से संबंध निभाओ।

  • अहंकार → “मैं आत्मा” की स्थिति में स्थित रहो।


 प्रश्न 7: दशहरे का आध्यात्मिक निष्कर्ष क्या है?

 उत्तर:

  • असली रावण बाहर नहीं, भीतर है।

  • जब आत्मा विकारों पर विजय पाती है, वही सच्चा दशहरा और सच्ची विजय दशमी है।

  • Disclaimer: यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय ज्ञान और मुरली के आधार पर बनाया गया है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्मिक जागृति देना है। यह किसी भी धर्म, परंपरा या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं है। कृपया इसे सकारात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें।
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