दशहरा:-(02)दशहरा क्यों मनाया जाता है? असली रावण कौन है?
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“दशहरा 2025 का असली रहस्य | रावण दहन नहीं – विकार दहन | Murli Points के साथ”
1. परिचय
हर साल हम दशहरा का त्यौहार बहुत पुरानी परंपरा से और बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
रावण का पुतला जलाते हैं, आतिशबाजी करते हैं और इसे विजय दशमी कहते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा –
हम बार-बार रावण को क्यों जलाते हैं?
असली दशहरा का रहस्य क्या है?
2. मुरली के अनुसार रावण का असली स्वरूप
साकार मुरली – 25 अक्टूबर 2004
शिव बाबा ने कहा:
“रावण तो विकारों का नाम है।
मनुष्य समझते हैं कोई राक्षस था।
इसलिए उसका पुतला जलाते रहते हैं।
असली रावण का दहन तो आत्मा में विकारों को खत्म करने से होगा।”
अव्यक्त मुरली – 9 अक्टूबर 1979
शिव बाबा ने कहा:
“दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय।
जब आत्मा रावण रूपी विकारों पर जीत पाती है, तब सच्चा विजय दशमी मनाई जाती है।”
3. दशहरा क्यों मनाया जाता है?
दशहरा हमें याद दिलाता है कि जीवन की असली लड़ाई बाहर नहीं, बल्कि भीतर की है।
रावण कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि पाँच विकार – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार – का प्रतीक है।
4. प्रतीकात्मक और वास्तविक रावण दहन
-
पुतला जलाना केवल संकेत है।
-
असली उद्देश्य है आत्मा को विकारों से मुक्त करना।
उदाहरण:
अगर शरीर बीमार हो और हम बाहर अस्पताल सजाकर बैठ जाएँ, तो क्या बीमारी दूर हो जाएगी?
बिल्कुल नहीं।
उसी तरह जब आत्मा विकारों से बीमार है, तो केवल बाहर रावण का पुतला जलाने से आत्मा शुद्ध नहीं होगी।
5. दशहरा = दस इंद्रियों पर विजय
“दशहरा” का अर्थ है – दस इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना।
जब आत्मा राजयोग द्वारा अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रित कर लेती है, तभी असली दशहरा मनाया जाता है।
6. विजय दशमी का आध्यात्मिक रहस्य
रावण दहन = विकार दहन
विजय दशमी = आत्मा की जीत
जब आत्मा विकारों को परास्त करती है, तभी ईश्वर से मिलन होता है।
यही आगे चलकर दीपावली का कारण बनता है – क्योंकि आत्मा प्रकाशमय बन जाती है।
7. व्यवहारिक शिक्षा – विकारों से छुटकारा कैसे पाएं?
-
काम पर जीत → ईश्वर से सच्चा प्रेम जोड़ो, इच्छाएँ समाप्त होंगी।
-
लोभ पर जीत → संतोष का खजाना भरो।
-
क्रोध पर जीत → शांति और सहनशीलता अपनाओ।
-
मोह पर जीत → आत्मिक दृष्टि से संबंध निभाओ।
-
अहंकार पर जीत → “मैं आत्मा” की स्थिति रखो।
8. निष्कर्ष
दशहरा केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि आत्मा को याद दिलाने वाला संदेश है।
असली रावण बाहर नहीं, भीतर है।
असली दहन पुतले का नहीं, विकारों का होना चाहिए।
इसीलिए दशहरा बार-बार मनाया जाता है –
ताकि हम याद रखें कि जीवन का असली लक्ष्य आत्मा की विजय है, न कि केवल सांसारिक विजय।
प्रश्न 1: हर साल दशहरा क्यों मनाया जाता है?
उत्तर:
दशहरा हमें यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि जीवन की असली लड़ाई बाहर की नहीं, बल्कि भीतर की है।
रावण कोई व्यक्ति या आत्मा नहीं था, बल्कि पाँच विकारों – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार – का प्रतीक है।
इसलिए पुतला जलाना केवल एक संकेत है, असली उद्देश्य है आत्मा को इन विकारों से मुक्त करना।
प्रश्न 2: असली रावण कौन है?
उत्तर:
साकार मुरली 25 अक्टूबर 2004 में शिव बाबा ने कहा –
“रावण तो विकारों का नाम है। मनुष्य समझते हैं कोई राक्षस था, इसलिए पुतला जलाते रहते हैं। असली रावण का दहन तो आत्मा में विकारों को खत्म करने से होगा।”
यानी असली रावण है – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार।
प्रश्न 3: दशहरा का असली अर्थ क्या है?
उत्तर:
अव्यक्त मुरली 9 अक्टूबर 1979 में शिव बाबा ने कहा –
“दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय। जब आत्मा रावण रूपी विकारों पर जीत पाती है, तब सच्चा विजय दशमी मनाई जाती है।”
“दशहरा” का अर्थ है – दस इंद्रियों पर विजय।
“विजय दशमी” का असली अर्थ है – आत्मा की जीत।
प्रश्न 4: पुतला जलाने और असली रावण दहन में क्या अंतर है?
उत्तर:
-
पुतला जलाना केवल बाहरी प्रतीक है।
-
लेकिन असली बुराई तो आत्मा के भीतर है।
उदाहरण:
अगर शरीर बीमार है और हम बाहर अस्पताल सजाएँ, तो क्या बीमारी खत्म हो जाएगी? नहीं।
वैसे ही आत्मा विकारों से बीमार है और हम केवल बाहर पुतला जलाएँ, तो असली बुराई नहीं मिटेगी।
प्रश्न 5: विकारों पर विजय कैसे प्राप्त करें?
उत्तर:
-
काम पर जीत → ईश्वर से सच्चा प्रेम जोड़ो।
-
लोभ पर जीत → संतोष का खजाना भरो।
-
क्रोध पर जीत → शांति और सहनशीलता अपनाओ।
-
मोह पर जीत → आत्मिक दृष्टि से संबंध निभाओ।
-
अहंकार पर जीत → “मैं आत्मा” की स्थिति में स्थित रहो।
प्रश्न 6: दशहरा और दीपावली का क्या संबंध है?
उत्तर:
जब आत्मा विकारों का दहन कर लेती है, तब वह प्रकाशमय बन जाती है।
यही कारण है कि दशहरे के बाद दीपावली आती है –
दशहरा = विकारों पर विजय
दीपावली = आत्मा का दिव्य प्रकाश
प्रश्न 7: निष्कर्ष – असली दशहरा क्या है?
उत्तर:
-
असली रावण बाहर नहीं, भीतर है।
-
असली दहन पुतले का नहीं, विकारों का होना चाहिए।
-
जीवन का लक्ष्य है – आत्मा की विजय, न कि केवल बाहरी विजय।
यही कारण है कि दशहरा बार-बार मनाया जाता है –
ताकि हम आत्मा की असली लड़ाई को याद रखें और अपने जीवन में विजय प्राप्त करें।
डिस्क्लेमर (Disclaimer): यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय ज्ञान और मुरली के आधार पर बनाया गया है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्मिक जागृति देना है। यह किसी भी धर्म, परंपरा या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं है। कृपया इसे सकारात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें।
दशहरा 2025, दशहरा का असली रहस्य, रावण दहन नहीं बल्कि विकार दहन, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, दशहरा का आध्यात्मिक महत्व, विजयादशमी 2025, रावण का प्रतीक, विकार दहन मुरली, दशहरा का गुप्त रहस्य, आत्मा की विजय, दस इंद्रियों पर विजय, ब्रह्माकुमारी मुरली पॉइंट्स, दशहरा क्यों मनाया जाता है, रावण दहन का वास्तविक अर्थ, आध्यात्मिक शक्ति और दशहरा, विजयादशमी का रहस्य, राजयोग और दशहरा, आत्मा बनाम विकार, दशहरा आध्यात्मिक संदेश, विकारों से मुक्ति, शिव बाबा मुरली पॉइंट्स, ब्रह्माकुमारी विजयादशमी, दशहरा का ज्ञान, दिवाली और दशहरा के बीच संबंध, आत्मा की सच्ची विजय,
Dussehra 2025, the real secret of Dussehra, not Ravana Dahan but Vikar Dahan, Brahma Kumaris knowledge, spiritual significance of Dussehra, Vijayadashami 2025, symbol of Ravana, Vikar Dahan Murli, secret secret of Dussehra, victory of the soul, victory over the ten senses, Brahma Kumaris Murli Points, why is Dussehra celebrated, the real meaning of Ravana Dahan, spiritual power and Dussehra, the secret of Vijayadashami, Rajyoga and Dussehra, soul vs. vices, Dussehra spiritual message, freedom from vices, Shiv Baba Murli Points, Brahma Kumaris Vijayadashami, knowledge of Dussehra, relation between Diwali and Dussehra, true victory of the soul,

