(03)Double Light. Angel Status:

YouTube player

फरिश्ता स्थिति:-(03)डबल लाइट। फरिश्ता स्थिति:

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

अध्याय 1: फरिश्ता स्थिति और डबल लाइट का रहस्य

बाबा हमें फरिश्ता स्थिति की विशेषता समझाते हैं –
फरिश्ता आत्मा को कोई भी बोझ अनुभव नहीं होता।
न पुराने संस्कारों का, न कर्मों का, न रिश्तों का, न जिम्मेदारियों का।

 बोझ केवल तब लगता है जब आत्मा अपने को देह समझती है
लेकिन जब आत्मा अपने को अविनाशी ज्योति बिंदु समझती है, तब बोझ हल्का हो जाता है।

उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति 50 किलो का बोझ उठाए तो उसे भारीपन लगेगा।
परन्तु आत्मा–चेतना में वही बोझ उतना भारी नहीं लगेगा।


 अध्याय 2: मन के बंधनों से मुक्ति

जहाँ प्यार है, वहाँ बोझ नहीं लगता।
जिम्मेदारी होती है, लेकिन वह प्रेम के कारण बोझ अनुभव नहीं होती।

 हमें बाबा से सच्चा प्यार है, इसलिए उसके बच्चों से भी आत्मिक प्यार स्वाभाविक हो जाता है।
इस रूहानी प्यार में हल्कापन और डबल लाइट का अनुभव होता है।


 अध्याय 3: पुराने संस्कारों का बोझ

साकार मुरली 5 मार्च 1968:
“जो आत्माएँ पुराने संस्कारों का बोझ रखती हैं, उनकी स्थिति भारी रहती है।
डबल लाइट बनने के लिए बोझ समाप्त करना आवश्यक है।”

उदाहरण:
अगर गुस्से का संस्कार है तो छोटी सी बात भी भारीपन पैदा कर देती है।
लेकिन जब आत्मा योग में बैठकर अपने मूल शांति स्वरूप को याद करती है,
तो गुस्से का बोझ हल्का होकर समाप्त हो जाता है।


 अध्याय 4: रिश्तों और जिम्मेदारियों का वजन नहीं

जब हम रिश्तों और जिम्मेदारियों को देह के संबंध से देखते हैं तो बोझ लगता है।
लेकिन जब हम उन्हें रूहानी संबंध से देखते हैं, तो वे डिटैच और लाइट अनुभव होते हैं।

अव्यक्त मुरली 14 फरवरी 1977:
“फरिश्ता आत्मा आत्म-संबंधों में रहते हुए भी न्यारी और प्यारी रहती है।”

उदाहरण:
कमल का फूल जल में रहते हुए भी जल से अछूता रहता है।
वैसे ही आत्मा परिवार और कार्यक्षेत्र में रहते हुए भी डिटैच और लाइट रह सकती है।


 अध्याय 5: खुशी और हल्केपन का अनुभव

साकार मुरली 22 जुलाई 1969:
“जहाँ बोझ है, वहाँ खुशी नहीं हो सकती।
डबल लाइट आत्मा सदा खुश और फरिश्ता स्वरूप रहती है।”

उदाहरण:
एक मजदूर 50 किलो का बोझ उठाए तो उसका चेहरा तनाव से भर जाएगा।
जैसे ही बोझ उतार देगा, चेहरा खुशी से खिल उठेगा।
वैसे ही आत्मा जब माया के बोझ से मुक्त होती है,
तो उसका मुखमंडल स्वतः ही खुशी और प्रसन्नता से दमकने लगता है।


 निष्कर्ष

फरिश्ता स्थिति का अर्थ ही है – डबल लाइट रहना।
किसी भी प्रकार का बोझ – चाहे संस्कारों का हो, कर्मों का हो, या रिश्तों का –
अनुभव ही नहीं होना चाहिए।

 जब हम सब संबंधों को रूहानी दृष्टि से देखेंगे, तब हल्के रहेंगे।
पर जब देह की दृष्टि से देखेंगे, तो बोझ महसूस होगा।

 यही डबल लाइट स्थिति आत्मा को बेहद हल्का बना देती है और सदा खुशी की उड़ान में ले जाती है।

प्रश्नोत्तर श्रृंखला: फरिश्ता स्थिति और डबल लाइट

अध्याय 1: फरिश्ता स्थिति और डबल लाइट का रहस्य

Q1: फरिश्ता स्थिति की सबसे बड़ी विशेषता क्या है?
A1: फरिश्ता स्थिति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आत्मा किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं करती – न पुराने संस्कारों का, न कर्मों का, न रिश्तों का, न जिम्मेदारियों का।

Q2: बोझ कब अनुभव होता है?
A2: बोझ तब अनुभव होता है जब आत्मा अपने आप को देह समझती है।
जब आत्मा अपने आप को अविनाशी ज्योति बिंदु समझती है, तब बोझ हल्का हो जाता है।

Q3: इसका उदाहरण क्या है?
A3: यदि कोई व्यक्ति 50 किलो का बोझ उठाता है तो उसे भारीपन लगेगा।
लेकिन यदि वह अपनी आत्मा के रूप में सोचता है, तो वही बोझ हल्का महसूस होगा।


अध्याय 2: मन के बंधनों से मुक्ति

Q4: प्यार और जिम्मेदारी का बोझ क्यों नहीं लगता?
A4: जहाँ सच्चा प्यार होता है, वहाँ जिम्मेदारी और संबंधों का बोझ अनुभव नहीं होता।
सच्चे प्यार में हल्कापन और डबल लाइट अनुभव होती है।

Q5: बाबा से प्यार का प्रभाव क्या है?
A5: हमें बाबा से सच्चा प्यार है, इसलिए उसके बच्चों से भी आत्मिक और रूहानी प्यार स्वाभाविक रूप से बन जाता है।


अध्याय 3: पुराने संस्कारों का बोझ

Q6: पुराने संस्कारों का बोझ क्यों भारी होता है?
A6: पुराने संस्कार देह और अभिमान से जुड़े होते हैं। उनका बोझ स्थिति को भारी बनाता है।

Q7: बाबा ने इस विषय में क्या कहा?
A7: साकार मुरली 5 मार्च 1968:
“जो आत्माएँ पुराने संस्कारों का बोझ रखती हैं, उनकी स्थिति भारी रहती है। डबल लाइट बनने के लिए बोझ समाप्त करना आवश्यक है।”

Q8: इसका उदाहरण क्या है?
A8: अगर गुस्से का संस्कार है, तो छोटी-सी बात भी भारीपन पैदा कर देती है।
लेकिन योग में बैठकर आत्मा अपने मूल शांति स्वरूप को याद करती है, तो गुस्से का बोझ हल्का हो जाता है।


अध्याय 4: रिश्तों और जिम्मेदारियों का वजन नहीं

Q9: रिश्तों और जिम्मेदारियों का बोझ कब लगता है?
A9: जब हम उन्हें देह के संबंध से देखते हैं, तब बोझ अनुभव होता है।

Q10: उन्हें हल्का कैसे महसूस करें?
A10: जब उन्हें रूहानी दृष्टि से देखा जाए, तो वे डिटैच और हल्के लगते हैं।

Q11: इसका उदाहरण?
A11: कमल का फूल जल में रहते हुए भी जल से अछूता रहता है।
वैसे ही आत्मा परिवार और कार्यक्षेत्र में रहते हुए भी डिटैच और हल्की रहती है।

Q12: मुरली संदर्भ क्या है?
A12: अव्यक्त मुरली 14 फरवरी 1977:
“फरिश्ता आत्मा आत्म-संबंधों में रहते हुए भी न्यारी और प्यारी रहती है।”


अध्याय 5: खुशी और हल्केपन का अनुभव

Q13: डबल लाइट आत्मा किस तरह अनुभव होती है?
A13: जहाँ बोझ नहीं होता, वहाँ डबल लाइट और सदा प्रसन्नता बनी रहती है।

Q14: इसका उदाहरण?
A14: एक मजदूर 50 किलो का बोझ उठाए तो चेहरा तनावपूर्ण होता है।
जैसे ही बोझ उतारता है, चेहरा खुशी से खिल उठता है।
वैसे ही आत्मा जब माया का बोझ उतार देती है, तो उसका मुखमंडल स्वतः ही प्रसन्नता और खुशी से दमकने लगता है।

Q15: निष्कर्ष क्या है?
A15: फरिश्ता स्थिति का अर्थ ही डबल लाइट होना है।
किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं होना चाहिए।
रिश्तों और जिम्मेदारियों को रूहानी दृष्टि से देखें, ताकि हल्कापन और सदा खुशी बनी रहे।

Disclaimer (डिस्क्लेमर):यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय ज्ञान और मुरली के आधार पर तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा और आत्मिक जागरूकता बढ़ाना है। यह किसी भी धर्म, परंपरा या संप्रदाय की आलोचना या तुलना करने के लिए नहीं है। कृपया इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से आत्म-उन्नति के साधन के रूप में देखें।

Angel state, Double Light, Lightness of soul, Burden-free life, Freedom from old rituals, Light experience of relationships and responsibilities, Sakar Murli, Avyakt Murli, Brahma Kumaris knowledge, Angel soul, Happiness and joy, Light life, Spiritual vision, BK Murli, BK Hindi Murli, Rajyoga Meditation, Spiritual happiness, Angel form, Spiritual Wisdom, Spiritual Light,

देवदूत अवस्था, दोहरी ज्योति, आत्मा का हल्कापन, बोझ-मुक्त जीवन, पुराने संस्कारों से मुक्ति, रिश्तों और जिम्मेदारियों का हल्का अनुभव, साकार मुरली, अव्यक्त मुरली, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, देवदूत आत्मा, खुशी और आनंद, हल्का जीवन, आध्यात्मिक दृष्टि, बीके मुरली, बीके हिंदी मुरली, राजयोग ध्यान, आध्यात्मिक खुशी, देवदूत रूप, आध्यात्मिक ज्ञान, आध्यात्मिक प्रकाश,