(03) Can I take water or fruits during fasting?


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करवा चौथ आध्यात्मिक रहस्य (03)क्या व्रत के दौरान पानी या फल ले सकते हैं?

करवा चौथ का व्रत का आध्यात्मिक रहस्य

1. करवा चौथ और आम प्रश्न

हर साल करवा चौथ आते ही यह प्रश्न हर घर में उठता है:

  • क्या व्रत के दौरान पानी या फल ले सकते हैं?

  • क्या थोड़ा जल पीना या फल खाना दोष है?

कुछ कहते हैं: “एक बूंद भी पानी नहीं पीना चाहिए।”
कुछ कहते हैं: “थोड़ा जल या फल लेने में कोई दोष नहीं है।”

परंतु असली प्रश्न यह है:
क्या व्रत केवल शरीर की परीक्षा है या मन की भी?


2. व्रत का वास्तविक अर्थ

व्रत का वास्तविक अर्थ है: मन का उपवास, ना कि केवल तन का।

  • संस्कृत शब्द व्रत, वृत्ति से बना है।

  • वृत्ति का मतलब है: हमारे संस्कारों का व्यवहार में प्रकट होना।

  • व्रत का उद्देश्य है अपनी वृत्ति और विचारों को परमात्मा के डायरेक्शन पर स्थिर करना।

साकार मुरली 20 अक्टूबर 2017:
“बच्चे, मैं शरीर का उपवास नहीं कहता। मैं मन का उपवास कहता हूं।”

उदाहरण:
कोई दिनभर भूखा रहे, लेकिन दूसरों के प्रति क्रोध या ईर्ष्या रखे। क्या यह व्रत पवित्र माना जाएगा? नहीं। असली महत्व है भावना और विचारों का उपवास


3. क्या पानी या फल लेना व्रत तोड़ता है?

  • यदि शरीर कमजोर हो या शक्ति न रहे, तो थोड़ा जल या फल लेना व्रत नहीं तोड़ता

  • शरीर की देखभाल भी ईश्वर सेवा है।

साकार मुरली 24 अक्टूबर 2016:
“मैं भूख का उपवास नहीं कहता। मन को पवित्र रखना ही सच्चा उपवास है।”

मुख्य बिंदु:

  • शरीर से नहीं, मन से उपवास रखें।

  • शिव बाबा की याद में स्थिर रहें, फिर चाहे जल या फल लें, व्रत बना रहता है।


4. सच्चे उपवास का रहस्य

  • आज के युग में सबसे बड़ा व्रत है व्यर्थ विचारों का त्याग

  • क्रोध, भय, चिंता, ईर्ष्या आदि से मन का उपवास रखना ही सबसे महत्वपूर्ण है।

साकार मुरली 19 अक्टूबर 2015:
“मन को शांत और स्थिर रखो। यही सबसे बड़ा उपवास है।”

उदाहरण:

  • शरीर को भूख से शक्ति नहीं मिलती, बल्कि पोषण से शक्ति मिलती है।

  • आत्मा को शांति और स्मृति से शक्ति मिलती है।

  • जितना हम बाबा को याद करेंगे, उतना हम शांत और शक्तिशाली रहेंगे।


5. निष्कर्ष

  • व्रत शरीर का नहीं, मन का है।

  • पानी या फल लेना दोष नहीं है यदि मन परमात्मा की स्मृति में स्थिर है।

साकार मुरली 25 अक्टूबर 2018:
“हर दिन याद में रहना ही सच्चा करवा चौथ है। शरीर से नहीं, भावना से व्रत रखो।”

  • व्रत का मूल उद्देश्य भूखे रहना नहीं, बल्कि परमात्मा के प्रेम से भरे रहना है।

  • यदि शरीर कहे थोड़ी जल पी लो, तो निश्चिंत होकर पी लें

  • ध्यान रहे: मन की प्यास केवल परमात्मा शिव से बुझाएं, वही सच्चा जल है।

समापन संदेश:
भूख से नहीं, व्यर्थ संकल्पों से उपवास करो। फल से नहीं, परमात्मा की याद से तृप्त रहो।

करवा चौथ का व्रत का आध्यात्मिक रहस्य – सवाल और जवाब

1. करवा चौथ और आम प्रश्न
प्रश्न: करवा चौथ पर व्रत के दौरान क्या पानी या फल ले सकते हैं?
उत्तर: यह हर साल उठने वाला सामान्य प्रश्न है। कुछ कहते हैं: “एक बूंद भी पानी नहीं पीना चाहिए।”
कुछ कहते हैं: “थोड़ा जल या फल लेने में कोई दोष नहीं है।”

प्रश्न: क्या व्रत केवल शरीर की परीक्षा है या मन की भी?
उत्तर: व्रत केवल शरीर की परीक्षा नहीं है। असली परीक्षा मन की है, क्योंकि व्रत का उद्देश्य है अपने विचारों और भावनाओं को परमात्मा के अनुसार स्थिर करना।


2. व्रत का वास्तविक अर्थ
प्रश्न: व्रत का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: व्रत का वास्तविक अर्थ है मन का उपवास, ना कि केवल तन का।

प्रश्न: व्रत शब्द का अर्थ और उत्पत्ति क्या है?
उत्तर: संस्कृत शब्द व्रत का संबंध वृत्ति से है।

  • वृत्ति का मतलब है हमारे संस्कारों का व्यवहार में प्रकट होना।

  • व्रत का उद्देश्य है अपनी वृत्ति और विचारों को परमात्मा के डायरेक्शन पर स्थिर करना।

प्रश्न: साकार मुरली में शिव बाबा क्या कहते हैं?
उत्तर: 20 अक्टूबर 2017 को कहा:
“बच्चे, मैं शरीर का उपवास नहीं कहता। मैं मन का उपवास कहता हूं।”

उदाहरण:
कोई दिनभर भूखा रहे, लेकिन दूसरों के प्रति क्रोध या ईर्ष्या रखे। यह व्रत पवित्र नहीं माना जाएगा। असली महत्व है भावना और विचारों का उपवास


3. क्या पानी या फल लेना व्रत तोड़ता है?
प्रश्न: अगर व्रत के दौरान शरीर कमजोर हो, तो क्या जल या फल लेना व्रत तोड़ता है?
उत्तर: नहीं। यदि शरीर कमजोर हो या शक्ति न रहे, तो थोड़ा जल या फल लेना व्रत नहीं तोड़ता।

प्रश्न: शरीर की देखभाल का व्रत से क्या संबंध है?
उत्तर: शरीर की देखभाल भी ईश्वर सेवा है। स्वस्थ शरीर होने पर ही व्रत और ध्यान की पूरी क्षमता विकसित होती है।

साकार मुरली 24 अक्टूबर 2016:
“मैं भूख का उपवास नहीं कहता। मन को पवित्र रखना ही सच्चा उपवास है।”

मुख्य बिंदु:

  • शरीर से नहीं, मन से उपवास रखें

  • शिव बाबा की याद में स्थिर रहें, फिर चाहे जल या फल लें, व्रत बना रहता है।


4. सच्चे उपवास का रहस्य
प्रश्न: आज के युग में सबसे बड़ा व्रत क्या है?
उत्तर: व्यर्थ विचारों का त्याग

  • क्रोध, भय, चिंता, ईर्ष्या आदि से मन का उपवास रखना ही सबसे महत्वपूर्ण है।

साकार मुरली 19 अक्टूबर 2015:
“मन को शांत और स्थिर रखो। यही सबसे बड़ा उपवास है।”

उदाहरण:

  • शरीर को भूख से शक्ति नहीं मिलती, बल्कि पोषण से शक्ति मिलती है।

  • आत्मा को शांति और स्मृति से शक्ति मिलती है।

  • जितना हम बाबा को याद करेंगे, उतना हम शांत और शक्तिशाली रहेंगे।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है। इसमें दिए गए विचार और संदेश बच्चों और युवाओं के आध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए हैं। यह किसी धार्मिक, राजनीतिक या किसी अन्य प्रचार का माध्यम नहीं है।

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