(04)Significance of Memorial Day”

अव्यक्त मुरली-(04)”8-01-1984 “18 जनवरी – स्मृति दिवस का महत्व”

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

18-01-1984 “18 जनवरी – स्मृति दिवस का महत्व”

आज मधुबन वाले बाप मधुबन में बच्चों से मिलने आये हैं:-

1. आज अमृतवेले से स्नेही बच्चों के स्नेह के गीत, समान बच्चों के मिलन मनाने के गीत, सम्पर्क में रहने वाले बच्चों के उमंग में आने के उत्साह भरे आवाज, बांधेली बच्चियों के स्नेह भरे मीठे उल्हनें, कई बच्चों के स्नेह के पुष्प बापदादा के पास पहुँचे। देश-विदेश के बच्चों के समर्थ संकल्पों की श्रेष्ठ प्रतिज्ञायें सभी बापदादा के पास समीप से पहुँची। बापदादा सभी बच्चों के स्नेह के संकल्प और समर्थ संकल्पों का रेसपान्ड कर रहे हैं। “सदा बापदादा के स्नेही भव”। “सदा समर्थ समान भव, सदा उमंग-उत्साह से समीप भव, लगन की अग्नि द्वारा बन्धनमुक्त स्वतन्‍त्र आत्मा भव”। बच्चों के बन्धनमुक्त होने के दिन आये कि आये। बच्चों के स्नेह के दिल के आवाज, कुम्भकरण आत्माओं को अवश्य जगायेंगे। यही बन्धन में डालने वाले, स्वयं प्रभु स्नेह के बन्धन में बंध जायेंगे। बापदादा विशेष बन्धन वाली बच्चियों को शुभ दिन आने की दिल का आथत दे रहे हैं क्योंकि

2. आज के विशेष दिन पर विशेष स्नेह के मोती बापदादा के पास पहुँचते हैं। यही स्नेह के मोती श्रेष्ठ हीरा बना देते हैं।

3. आज का दिन समर्थ दिन है।

4. आज का दिन समान बच्चों को ततत्वम् के वरदान का दिन है।

5. आज के दिन बापदादा शक्ति सेना को सर्व शक्तियों की विल करता है, विल पावर देते हैं। विल की पावर देते हैं।

6. आज का दिन बाप का बैकबोन बन बच्चों को विश्व के मैदान में आगे रखने का दिन है। बाप अननोन है और बच्चे वेलनोन हैं।

7. आज का दिन ब्रह्मा बाप के कर्मातीत होने का दिन है।

8. तीव्रगति से विश्व कल्याण, विश्व परिक्रमा का कार्य आरम्भ होने का दिन है।

9. आज का दिन बच्चों के दर्पण द्वारा बापदादा के प्रख्यात होने का दिन है।

10. जगत के बच्चों को जगत पिता का परिचय देने का दिन है।

11. सर्व बच्चों को अपनी स्थिति, ज्ञान स्तम्भ, शक्ति स्तम्भ अर्थात् स्तम्भ के समान अचल अडोल बनने की प्रेरणा देने का दिन है। हर बच्चा बाप का यादगार शान्ति स्तम्भ है। यह तो स्थूल शान्ति स्तम्भ बनाया है। परन्तु बाप की याद में रहने वाले याद का स्तम्भ आप चैतन्य सभी बच्चे हो। बापदादा सभी चैतन्य स्तम्भ बच्चों की परिक्रमा लगाते हैं। जैसे आज शान्ति स्तम्भ पर खड़े होते हो, बापदादा आप सभी याद में रहने वाले स्तम्भों के आगे खड़े होते हैं।

12. आप आज के दिन विशेष बाप के कमरे में जाते हो। बापदादा भी हर बच्चे के दिल के कमरे में बच्चों से दिल की बातें करते हैं और

13. आप झोपड़ी में जाते हो। झोपड़ी है दिलवर और दिलरुबा की यादगार। दिलरुबा बच्चों से दिलवर बाप विशेष मिलन मनाते हैं। तो बापदादा भी सभी दिलरुबा बच्चों के भिन्न-भिन्न साज़ सुनते रहते हैं। कोई स्नेह की ताल से साज़ बजाते, कोई शक्ति की ताल से, कोई आनन्द, कोई प्रेम की ताल से। भिन्न-भिन्न ताल के साज़ सुनते रहते हैं। बापदादा भी आप सभी के साथ-साथ चक्र लगाते रहते हैं। तो आज के दिन का विशेष महत्व समझा!

14. आज का दिन सिर्फ स्मृति का दिन नहीं लेकिन स्मृति सो समर्थी दिवस है।

15. आज का दिन वियोग वा वैराग्य का दिन नहीं है लेकिन सेवा की जिम्मेवारी के ताजपोशी का दिन है।

16. समर्थी के स्मृति के तिलक का दिन है।

17. “आगे बच्चे पीछे बाप” इसी संकल्प को साकार होने का दिन है।

18. आज के दिन ब्रह्मा बाप विशेष डबल विदेशी बच्चों को बाप के संकल्प और आह्वान को साकार रुप देने वाले स्नेही बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। कैसे स्नेह द्वारा बाप के सम्मुख पहुँच गये हैं। ब्रह्मा बाप के आह्वान के प्रत्यक्ष फल स्वरुप, ऐसे सर्व शक्तियों के रस भरे श्रेष्ठ फलों को देख ब्रह्मा बाप बच्चों को विशेष बधाई और वरदान दे रहे हैं। सदा सहज विधि द्वारा वृद्धि को पाते रहो। जैसे बच्चे हर कदम में “बाप की कमाल है” यही गीत गाते हैं, ऐसे बापदादा भी यही कहते हैं कि बच्चों की कमाल है। दूरदेशी, दूर के धर्म वाले होते भी कितने समीप हो गये हैं। समीप आबू में रहने वाले दूर हो गये हैं। सागर के तट पर रहने वाले प्यासे रह गये हैं लेकिन डबल विदेशी बच्चे औरों की भी प्यास बुझाने वाले ज्ञान गंगायें बन गये। कमाल है ना बच्चों की। इसलिए ऐसे खुशनशीब बच्चों पर बापदादा सदा खुश हैं। आप सभी भी डबल खुश हो ना। अच्छा।

ऐसे सदा समान बनने के श्रेष्ठ संकल्पधारी, सर्व शक्तियों के विल द्वारा विल पावर में रहने वाले, सदा दिलवर की दिलरुबा बन भिन्न-भिन्न साज़ सुनाने वाले सदा स्तम्भ के समान अचल-अडोल रहने वाले, सदा सहज विधि द्वारा वृद्धि को पाए वृद्धि को प्राप्त कराने वाले, सदा मुधर मिलन मनाने वाले देश-विदेश के सर्व प्रकार के वैरायटी बच्चों को पुष्प वर्षा सहित बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते।

आज सभी स्नेही विशेष सेवाधारी बच्चों को वतन में बुलाया था। जगत अम्बा को भी बुलाया, दीदी को भी बुलाया। विश्व किशोर आदि जो भी अनन्य गये हैं सेवा अर्थ, उन सबको वतन में बुलाया था। विशेष स्मृति दिवस मनाने के लिए सभी अनन्य डबल सेवा के निमित्त बने हुए बच्चे संगम के ईश्वरीय सेवा में भी साथी हैं और भविष्य राज्य दिलाने की सेवा के भी साथी हैं। तो डबल सेवाधारी हो गये ना। ऐसे डबल सेवाधारी बच्चों ने विशेष रुप से सभी मधुबन में आये हुए सहयोगी स्नेही आत्माओं को यादप्यार दी है। आज बापदादा उन्हों की तरफ से याद-प्यार का सन्देश दे रहे हैं। समझा। कोई किसको याद करते, कोई किसको याद करते। बाप के साथ-साथ सेवार्थ एडवांस पुरुषार्थी बच्चों को जिन्होंने भी संकल्प में याद किया उन सभी की याद का रिटर्न सभी ने यादप्यार दिया है। पुष्पशान्ता भी स्नेह से याद करती थी। ऐसे तो नाम कितने का लेंवे। सभी की विशेष पार्टी वतन में थी। डबल विदेशियों के लिए विशेष दीदी ने याद दी है। आज दीदी को विशेष बहुतों ने याद किया ना क्योंकि इन्होंने दीदी को ही देखा है। जगत अम्बा और भाऊ (विश्व किशोर) को तो देखा नहीं। इसलिए दीदी की याद विशेष आई। वह लास्ट टाइम बिल्कुल निरसंकल्प और निर्मोही थी। उनको भी याद तो आती है लेकिन वह खींच की याद नहीं है। स्वतंत्र आत्मा है। उन्हों का भी संगठन शक्तिशाली बन रहा है। सब नामीग्रामी है ना। अच्छा।

कुछ विदेशी भाई-बहन सेवा पर जाने के लिए बापदादा से छुट्टी ले रहे हैं :-

सभी बच्चों को बापदादा यही कहते हैं कि जा नहीं रहे जो लेकिन फिर से आने के लिए, फिर से बाप के आगे सेवा कर गुलदस्ता लाने के लिए जा रहे हो। इसलिए घर नहीं जा रहे हो, सेवा पर जा रहे हो। घर नहीं सेवा का स्थान है, यही सदा याद रहे। रहमदिल बाप के बच्चे हो तो दु:खी आत्माओं का भी कल्याण करें। सेवा के बिना चैन से सो नहीं सकते। स्वप्न भी सेवा के आते हैं ना। आंख खुली बाबा से मिले फिर सारा दिन बाप और सेवा। देखो, बापदादा को कितना नाज़ है कि एक बच्चा सर्विसएबुल नहीं लेकिन इतने सब सर्विसएबुल हैं। एक-एक बच्चा विश्व कल्याणकारी है। अभी देखेंगे कौन बड़ा गुलदस्ता लाता है। तो जा रहे हैं या फिर से आ रहे हैं! तो ज्यादा स्नेह किसका हुआ? बाप का या आपका? अगर बच्चों का स्नेह ज्यादा रहे तो बच्चे सेफ हैं। महादानी, वरदानी, सम्पन्न आत्मायें जा रहे हैं, अभी अनेक आत्माओं को धनवान बनाकर, सजाकर बाप के सामने ले आना। जा नहीं रहे हो लेकिन सेवा कर एक से तीन गुना होकर आयेंगे। शरीर से भल कितना भी दूर जा रहे हो लेकिन आत्मा सदा बाप के साथ है। बापदादा सहयोगी बच्चों को सदा ही साथ देखते हैं। सहयोगी बच्चों को सदा ही सहयोग प्राप्त होता है। अच्छा।

प्रश्न:- किसी भी बात की उलझन, मन में उलझन पैदा न करे उसका साधन क्या है?

उत्तर:- समर्थ बाप को सादा साथी बनाकर रखो तो कैसी भी उलझन वाली बात में मन उलझन में नहीं आयेगा। बड़ी बात छोटी, पहाड़ भी राई हो जायेगा। बस सदा याद रहे कि मेरा बाबा, मेरी सेवा, जो बाप का सो मेरा, जो बाप का कर्म वह मेरा कर्म, जो बाप के गुण वह मेरे गुण। गुण, संस्कार, श्रेष्ठ कर्म जब सारी प्रॉपर्टी के मालिक हो गये, जो बाप की वह आपकी हो गई तो सदा खुशी रहेगी, कभी भी कोई उलझन मन को उलझायेगी नहीं।

1. स्नेह और उमंग से भरा अमृतवेला

मुख्य बिंदु:

  • अमृतवेला से बच्चे बापदादा से मिलने आते हैं।

  • स्नेह, मिलन, उत्साह और समर्पण से भरे गीत और पुष्प बापदादा तक पहुँचते हैं।

  • बापदादा बच्चों के समर्थ संकल्प और स्नेह का उत्तर देते हैं।

उदाहरण:

  • “सदा बापदादा के स्नेही भव, सदा समर्थ समान भव।”

  • बच्चों का उमंग भरा उत्साह कुम्भकरण आत्माओं को भी जगाता है।

मुरली नोट:
“बच्चों के बन्धनमुक्त होने के दिन आये कि आये। लगन की अग्नि द्वारा बन्धनमुक्त स्वतन्त्र आत्मा भव।”


2. विशेष स्नेह के मोती और समर्थ दिन

मुख्य बिंदु:

  • आज विशेष स्नेह के मोती बापदादा के पास पहुँचते हैं।

  • आज का दिन समर्थ और ततत्वम् के वरदान का दिन है।

  • शक्ति सेना को विल पावर दिया जाता है।

उदाहरण:

  • प्रत्येक स्नेही बच्चा बापदादा के समीप अपनी शक्ति और सेवा का प्रदर्शन करता है।

मुरली नोट:
“आज का दिन बाप का बैकबोन बन बच्चों को विश्व के मैदान में आगे रखने का दिन है।”


3. ब्रह्मा बाप के कर्मातीत होने और विश्व कल्याण

मुख्य बिंदु:

  • आज ब्रह्मा बाप कर्मातीत स्थिति में हैं।

  • विश्व कल्याण और विश्व परिक्रमा का कार्य तीव्र गति से शुरू होता है।

  • बच्चों के दर्पण द्वारा बापदादा की महत्ता प्रख्यात होती है।

उदाहरण:

  • बच्चों का प्रेम और समर्पण दूरदेशी और स्थानीय दोनों बच्चों को एकत्र करता है।

मुरली नोट:
“सर्व बच्चों को अपनी स्थिति, ज्ञान स्तम्भ, शक्ति स्तम्भ के समान अचल अडोल बनने की प्रेरणा देना।”


4. विशेष मिलन – दिलवर और दिलरुबा बच्चे

मुख्य बिंदु:

  • आज बच्चे बाप के कमरे में जाकर दिल की बातें करते हैं।

  • झोपड़ी में बच्चे भिन्न-भिन्न ताल में स्नेह, शक्ति, आनंद और प्रेम का साज़ बजाते हैं।

  • बापदादा बच्चों के साथ चक्र लगाते हुए स्मृति दिवस का महत्व समझाते हैं।

उदाहरण:

  • एक बच्चा स्नेह की ताल, दूसरा शक्ति की ताल – सभी बच्चों के विविध योगदान बापदादा के लिए विशेष हैं।

मुरली नोट:
“आज का दिन सिर्फ स्मृति का दिन नहीं, स्मृति सो समर्थी दिवस है।”


5. स्मृति दिवस के विशेष संदेश

मुख्य बिंदु:

  • आज सेवा की जिम्मेदारी और समर्थी संकल्प का ताजपोशी दिवस है।

  • “आगे बच्चे, पीछे बाप” संकल्प साकार करने का दिन।

  • डबल विदेशी और सर्व प्रकार के बच्चों को बापदादा का विशेष स्नेह।

उदाहरण:

  • दूरदेशी बच्चे भी बापदादा के स्नेह और आह्वान को साकार रूप में लाते हैं।

  • बापदादा कहते हैं: “जैसे बच्चे हर कदम में ‘बाप की कमाल है’ गाते हैं, वैसे मैं भी यही कहता हूँ कि बच्चों की कमाल है।”

मुरली नोट:
“सदा समान बनने के श्रेष्ठ संकल्पधारी, सर्व शक्तियों के विल द्वारा विल पावर में रहने वाले, सदा स्तम्भ के समान अचल-अडोल रहने वाले।”


6. सेवा और सहयोग

मुख्य बिंदु:

  • डबल सेवाधारी बच्चे सेवा में अग्रसर हैं।

  • घर नहीं, सेवा का स्थान ही स्थायी है।

  • सेवा और सहयोग बच्चों को बापदादा के समीप रखता है।

उदाहरण:

  • सहयोगी बच्चों के माध्यम से अनेक आत्माएँ सदा बापदादा के समीप रहती हैं।

मुरली नोट:
“समर्थ बाप को सादा साथी बनाकर रखो तो कैसी भी उलझन मन को उलझायेगी नहीं। मेरा बाबा, मेरी सेवा, जो बाप का सो मेरा।”


 मुख्य संदेश

  • स्मृति दिवस केवल स्मृति का नहीं, बल्कि समर्थी और सेवा का पर्व है।

  • बच्चों को सदा याद में रहने वाले स्तम्भ बनना है।

  • बापदादा और बच्चों का स्नेह और सहयोग सदा अटल, अडोल और अविनाशी रहना चाहिए।

  • 1. स्नेह और उमंग से भरा अमृतवेला

    प्रश्न: अमृतवेला में बच्चे बापदादा से मिलने कैसे आते हैं और उनका स्वागत कैसे होता है?
    उत्तर: अमृतवेला से बच्चे बापदादा से मिलने आते हैं। उनके स्नेह, मिलन, उत्साह और समर्पण से भरे गीत और पुष्प बापदादा तक पहुँचते हैं। बापदादा बच्चों के समर्थ संकल्प और स्नेह का उत्तर देते हैं।

    उदाहरण: “सदा बापदादा के स्नेही भव, सदा समर्थ समान भव।”
    बच्चों का उमंग भरा उत्साह कुम्भकरण आत्माओं को भी जगाता है।

    मुरली नोट:
    “बच्चों के बन्धनमुक्त होने के दिन आये कि आये। लगन की अग्नि द्वारा बन्धनमुक्त स्वतन्त्र आत्मा भव।”


    2. विशेष स्नेह के मोती और समर्थ दिन

    प्रश्न: आज का दिन बच्चों और बापदादा के लिए किस प्रकार का विशेष दिन है?
    उत्तर: आज विशेष स्नेह के मोती बापदादा के पास पहुँचते हैं। यह दिन समर्थ और ततत्वम् के वरदान का दिन है। शक्ति सेना को विल पावर दी जाती है।

    उदाहरण: प्रत्येक स्नेही बच्चा बापदादा के समीप अपनी शक्ति और सेवा का प्रदर्शन करता है।

    मुरली नोट:
    “आज का दिन बाप का बैकबोन बन बच्चों को विश्व के मैदान में आगे रखने का दिन है।”


    3. ब्रह्मा बाप के कर्मातीत होने और विश्व कल्याण

    प्रश्न: स्मृति दिवस पर ब्रह्मा बाप की कौन सी विशेष स्थिति प्रकट होती है?
    उत्तर: आज ब्रह्मा बाप कर्मातीत स्थिति में हैं। विश्व कल्याण और विश्व परिक्रमा का कार्य तीव्र गति से शुरू होता है। बच्चों के दर्पण द्वारा बापदादा की महत्ता प्रख्यात होती है।

    उदाहरण: बच्चों का प्रेम और समर्पण दूरदेशी और स्थानीय दोनों बच्चों को एकत्र करता है।

    मुरली नोट:
    “सर्व बच्चों को अपनी स्थिति, ज्ञान स्तम्भ, शक्ति स्तम्भ के समान अचल अडोल बनने की प्रेरणा देना।”


    4. विशेष मिलन – दिलवर और दिलरुबा बच्चे

    प्रश्न: स्मृति दिवस पर बापदादा और बच्चों का मिलन कैसे विशेष होता है?
    उत्तर: बच्चे बाप के कमरे में जाकर दिल की बातें करते हैं। झोपड़ी में बच्चे भिन्न-भिन्न ताल में स्नेह, शक्ति, आनंद और प्रेम का साज़ बजाते हैं। बापदादा बच्चों के साथ चक्र लगाते हैं और स्मृति दिवस का महत्व समझाते हैं।

    उदाहरण: एक बच्चा स्नेह की ताल, दूसरा शक्ति की ताल – सभी बच्चों के विविध योगदान बापदादा के लिए विशेष हैं।

    मुरली नोट:
    “आज का दिन सिर्फ स्मृति का दिन नहीं, स्मृति सो समर्थी दिवस है।”


    5. स्मृति दिवस के विशेष संदेश

    प्रश्न: स्मृति दिवस बच्चों और बापदादा के लिए क्या संदेश देता है?
    उत्तर: यह सेवा की जिम्मेदारी और समर्थी संकल्प का ताजपोशी दिवस है। “आगे बच्चे, पीछे बाप” संकल्प साकार करने का दिन है। डबल विदेशी और सर्व प्रकार के बच्चों को बापदादा का विशेष स्नेह प्राप्त होता है।

    उदाहरण: दूरदेशी बच्चे भी बापदादा के स्नेह और आह्वान को साकार रूप में लाते हैं।
    बापदादा कहते हैं: “जैसे बच्चे हर कदम में ‘बाप की कमाल है’ गाते हैं, वैसे मैं भी यही कहता हूँ कि बच्चों की कमाल है।”

    मुरली नोट:
    “सदा समान बनने के श्रेष्ठ संकल्पधारी, सर्व शक्तियों के विल द्वारा विल पावर में रहने वाले, सदा स्तम्भ के समान अचल-अडोल रहने वाले।”


    6. सेवा और सहयोग

    प्रश्न: सेवा और सहयोग का बच्चों की आध्यात्मिक स्थिति में क्या महत्व है?
    उत्तर: डबल सेवाधारी बच्चे सेवा में अग्रसर हैं। घर नहीं, सेवा का स्थान ही स्थायी है। सेवा और सहयोग बच्चों को बापदादा के समीप रखता है।

    उदाहरण: सहयोगी बच्चों के माध्यम से अनेक आत्माएँ सदा बापदादा के समीप रहती हैं।

    मुरली नोट:
    “समर्थ बाप को सादा साथी बनाकर रखो तो कैसी भी उलझन मन को उलझायेगी नहीं। मेरा बाबा, मेरी सेवा, जो बाप का सो मेरा।”


     मुख्य संदेश

    • स्मृति दिवस केवल स्मृति का नहीं, बल्कि समर्थी और सेवा का पर्व है।

    • बच्चों को सदा याद में रहने वाले स्तम्भ बनना है।

    • बापदादा और बच्चों का स्नेह और सहयोग सदा अटल, अडोल और अविनाशी रहना चाहिए।

Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की आध्यात्मिक शिक्षाओं और बापदादा द्वारा दी गई मुरली संदेशों पर आधारित है। यह आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा के लिए है।

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