(05)The truth about cursed souls. Can a soul truly be cursed? Illusion or reality?

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

अध्याय 5: शापित आत्मा का सच — भ्रम या वास्तविकता?


1. भूमिका — शापित आत्मा क्या होती है?

  • लोग कहते हैं — “उसे श्राप दे दिया गया, इसलिए उसकी आत्मा भटक रही है।”

  • प्रश्न उठता है — क्या आत्मा को कोई श्राप दे सकता है? क्या आत्मा सच में शापित हो सकती है?

Murli (15 मार्च 2024):
“बच्चे, आत्मा अमर है। आत्मा को न कोई मार सकता है, न खत्म कर सकता है। आत्मा केवल अपने ही कर्मों का फल भोगती है। श्राप कोई बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि आत्मा के अपने कर्मों की गूंज है।”


2. श्राप और बद्दुआ — क्या अंतर है?

विषय अर्थ
श्राप (Curse) किसी के प्रति क्रोध व पीड़ा से निकला कथन, जिसे लोग दैवी शक्ति मान लेते हैं
बद्दुआ (Negative Vibration) दुखी व्यक्ति की आत्मा से निकली नकारात्मक भावना या कामना

मुख्य समझ:

  • जो दुखी होता है वही श्राप देता है।

  • श्राप देने वाला पहले से ही पीड़ा में होता है।

  • असली प्रभाव किसी श्राप का नहीं, बल्कि कर्मों की प्रतिक्रिया का होता है


3. क्या श्राप सच में लगता है?

आत्मा पर कोई बाहरी शक्ति श्राप नहीं लगा सकती।
सिर्फ अपने कर्म और संस्कार ही आत्मा का भाग्य लिखते हैं।

Murli (2 अप्रैल 2023):
“आत्मा शुद्ध स्वरूप है, पर जब विकर्मों का बोझ होता है तो आत्मा बेचैन रहती है। वही बेचैनी को लोग श्राप या भटकती आत्मा कहते हैं।”


4. कर्मों की गूंज ही श्राप का असली अर्थ

कर्म परिणाम
अच्छा कर्म सुख, शांति
दुख देना दुख वापिस मिलना (इसे लोग श्राप समझ लेते हैं)

उदाहरण:
यदि आपने किसी को धोखा दिया —
वो दुख आपको लौटकर आता है। लोग कहते हैं — “उसे श्राप लग गया।”
पर असल में ये कर्म का हिसाब (Law of Karma) है।


5. शापित आत्मा का मनोवैज्ञानिक अर्थ क्या है?

“शापित आत्मा” का अर्थ आत्मा का खत्म हो जाना नहीं,
बल्कि उसकी मानसिक और भावनात्मक अवस्था का गिरना है।

ऐसी आत्मा:

  • अत्यधिक क्रोध, अपराधबोध या दुख में रहती है

  • देह छोड़ने के बाद भी वही भाव उसके संस्कार बनकर चल जाते हैं

  • लोग इसे कहते हैं — “भटकती हुई या श्रापित आत्मा”


6. महाभारत का उदाहरण — अश्वत्थामा का श्राप

  • कथा: अश्वत्थामा को श्राप मिला — “वह जीवित रहेगा पर जीवन भी नहीं, मृत्यु भी नहीं।”

  • असल में यह आत्मिक स्थिति थी —
    गहरे अपराधबोध, क्रोध और पीड़ा में जीवन भर जलता रहा।

 यह कोई जादुई श्राप नहीं था — यह थी कर्म + मानसिक अवस्था की सजा।


7. मुरली आधारित गहराई (Proper Dates):

Murli Date Shrimat, Knowledge
15 मार्च 2024 “आत्मा अमर है। किसी बाहरी श्राप का प्रभाव नहीं, सिर्फ कर्म का।”
2 अप्रैल 2023 “विकर्मों का बोझ लेकर आत्मा भटकती है। यही कहलाता है शापित या पीड़ित आत्मा।”
12 सितंबर 2018 “यह संसार भूतकाल की कहानी है, तुम भविष्य के ज्ञानवान हो।”

8. निष्कर्ष — क्या आत्मा शापित हो सकती है?

✔ आत्मा को कोई मार नहीं सकता, न श्रापित कर सकता है।
✔ श्राप = कर्मों की प्रतिक्रिया + आत्मा की दुखद मानसिक अवस्था।
✔ डर नहीं, समझ और योग के द्वारा आत्मा को मुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 1: लोग कहते हैं “उसे श्राप दिया गया, इसलिए उसकी आत्मा भटक रही है” – क्या आत्मा सच में शापित हो सकती है?

उत्तर:
नहीं। आत्मा अमर और अविनाशी है। उसे न कोई मार सकता है, न समाप्त कर सकता है और न ही किसी बाहरी श्राप की शक्त‍ि आत्मा को नियंत्रित कर सकती है।
Murli (15 मार्च 2024):
“आत्मा अमर है। आत्मा को न कोई मार सकता है, न खत्म कर सकता है। आत्मा केवल अपने ही कर्मों का फल भोगती है। श्राप कोई बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि अपने कर्मों की गूंज है।”


प्रश्न 2: श्राप (Curse) और बद्दुआ (Negative Vibration) में क्या अंतर है?

विषय अर्थ
श्राप क्रोध, पीड़ा या प्रतिशोध से निकला कठोर कथन, जिसे लोग दैवी शक्ति मान लेते हैं।
बद्दुआ किसी दुखी आत्मा की नकारात्मक भावना या विचार तरंग।

मुख्य समझ:

  • श्राप देने वाला स्वयं दुख में होता है।

  • श्राप का असली असर नहीं होता, असर होता है कर्मों की प्रतिक्रिया (Law of Karma) का।


प्रश्न 3: क्या श्राप सच में किसी व्यक्ति या आत्मा को लग सकता है?

उत्तर:
नहीं। किसी बाहरी श्राप से आत्मा पर प्रभाव नहीं पड़ता। आत्मा के जीवन में जो कुछ आता है वो केवल कर्मों और संस्कारों का परिणाम होता है।
Murli (2 अप्रैल 2023):
“आत्मा शुद्ध स्वरूप है, पर जब विकर्मों का बोझ होता है तो आत्मा बेचैन रहती है। वही बेचैनी को लोग श्राप या भटकती आत्मा कहते हैं।”


प्रश्न 4: लोग जिस ‘श्राप का फल’ कहते हैं, उसका असली आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

उत्तर:
श्राप असल में कर्म की गूंज (Echo of Karma) है। जो कर्म हम करते हैं, वही ऊर्जा बनकर लौटती है।

कर्म परिणाम
शुभ कर्म शांति, सुख
दुख देना दुख लौटकर आता है — लोग इसे श्राप समझ लेते हैं

उदाहरण:
यदि किसी ने किसी को धोखा दिया — और बाद में स्वयं पीड़ा झेली — लोग कहेंगे “श्राप लग गया”, जबकि यह सिर्फ कर्म का फल है।


प्रश्न 5: “शापित आत्मा” का मनोवैज्ञानिक और आत्मिक अर्थ क्या है?

उत्तर:
“शापित आत्मा” का मतलब आत्मा का खत्म हो जाना नहीं, बल्कि उसकी भावनात्मक और मानसिक अवस्था का गिरना है।
ऐसी आत्मा:

  • अपराधबोध, क्रोध या अतीत की पीड़ा में फँसी होती है

  • देह छोड़ने के बाद भी उसी संकल्प में भटकती रहती है

  • लोग इसे कहते हैं — “भटकती हुई या श्रापित आत्मा”


प्रश्न 6: क्या महाभारत में अश्वत्थामा को सच में श्राप लगा था?

उत्तर:
अश्वत्थामा को मिला “श्राप” कोई जादुई शक्ति नहीं था। यह उसके अपराधबोध, क्रोध और भारी मानसिक पीड़ा का परिणाम था।
That was Psychological & Karmic Punishment, not Magical Curse.
वह जीवित रहा पर शांति से दूर — यह उसकी आत्मिक अवस्था का दंड था।


प्रश्न 7: मुरली इस विषय पर क्या कहती है?

Murli Date Shrimat / Guidance
15 मार्च 2024 “आत्मा अमर है। श्राप नहीं, कर्मों का फल ही भोगती है।”
2 अप्रैल 2023 “विकर्मों का बोझ आत्मा को भटकाता है — लोग इसे शापित कहते हैं।”
12 सितंबर 2018 “यह संसार भूतकाल की कहानी है, तुम भविष्य के ज्ञानवान हो।”

अंतिम निष्कर्ष:

✔ आत्मा को कोई श्रापित नहीं कर सकता।
✔ श्राप = कर्मों की प्रतिक्रिया + मानसिक पीड़ा की अवस्था।
✔ “भय” नहीं, “बाबा की याद व ज्ञान” आत्मा को मुक्त करता है।
✔ समझ, योग और शुभ संकल्प ही सच्चा उपाय है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer): यह वीडियो किसी भी व्यक्ति, धर्म, परंपरा या ग्रंथ का विरोध नहीं करता। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सत्य को समझना है — जैसा कि मुरली, कर्म सिद्धांत और आत्मा की प्रकृति में बताया गया है।

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