भूत ,प्रेत:-(13)अरात्रि चर पिशाच का रहस्य। क्या यह सचमुच होते हैं या सिर्फ डर की कल्पना ?
भूत प्रेत चुड़ैल पिशाच निशाचर इन सब के बारे में हम अध्ययन कर रहे हैं। आज 13वां विषय है रात्रि चर पिशाच का रहस्य। क्या यह सचमुच होते हैं या सिर्फ डर की कल्पना?
नंबर एक: रात का डर और अदृश्य शक्तियां। ऐसी शक्तियां जो दिखाई नहीं देती। कई लोग कहते हैं कि रात में कुछ अजीब अनुभव होता है, जैसे कोई मौजूद हो पर दिखाई ना दे।
क्या यह रात्रि चर पिशाच है या फिर केवल मन की कल्पना?
ब्रह्मा कुमारीज के अनुसार डर हमेशा अज्ञान से पैदा होता है। जब आत्मा ज्ञान से अंधकार को मिटाती है तो हर डर खत्म हो जाता है।
रात्रि चर पिशाच का अर्थ है वे ऊर्जाएं या आत्माएं जो अंधकार और नकारात्मक विचारों में रहती हैं। वे वास्तविक आत्माएं भी हो सकती हैं, जो देह छोड़ने के बाद भी अज्ञान और विकारों में फंसी रहती हैं।
पहली बात यहां समझनी है – ऐसी आत्माएं जो नकारात्मक विचारों में फंसी हैं। अब उन्होंने ऐसे दृश्य देख लिए, बातें सुन ली हैं। उनको अंधेरे वाले रास्ते से गुजरना पड़ता है। उनके अंदर भय है और उस भय के कारण वह दृश्य और बातें महसूस होती हैं।
कहीं कोई भूत किसी झाड़ी या पेड़ के ऊपर नहीं बैठा। कोई भी आत्मा हमारे लिए कहीं बैठकर वेट नहीं करती। वह उसी समय चलेगी और उनकी स्पीड इतनी फास्ट होती है कि फ्रैक्शन ऑफ सेकंड में वह आपके पास और फिर अपनी कुटिया में पहुंच जाएगी।
कोई भी आत्मा जिसके अंदर अंधकार और आसुरी विकार भरे हुए हैं, वह दुख देगी। अब वह आत्मा हमारे अंदर हो या बाहर, हमारे मन का वहम ही उसे हमारे पास आने का कारण बनता है।
वे वास्तविक में आत्माएं भी हो सकती हैं, जो शरीर छोड़कर सूक्ष्म रूप में किसी आत्मा से अपना हिसाब किताब बराबर करने आती हैं। चाहे भारत के किसी कोने में या वर्ल्ड के किसी कोने में।
वे रात में ही क्यों सक्रिय होती हैं? रात का वातावरण शांत होता है और जब मन खाली होता है तो नकारात्मक विचार और ऊर्जाएं अधिक महसूस होती हैं। जब आत्मा खाली होती है, तो यह आत्माएं दूसरे के तन में प्रवेश करती हैं।
ऊर्जाएं अधिक महसूस होती हैं, लेकिन वास्तव में यह केवल वाइब्रेशन अवेयरनेस है। ध्यान से समझना है – ये तरंगे हमारे अनुभव की स्थिति के अनुसार जागृत होती हैं। अगर मन डर में है तो हर छाया डरावनी लगती है। अगर मन योग में है, तो रात बेहद शांत और दिव्य लगती है।
क्या रात्रि चर पिशाच सच में नुकसान पहुंचाते हैं? मुरली में बाबा कहते हैं – कोई आत्मा किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकती जब तक वह खुद डर में न हो। यदि उसे खुद डर लग रहा है, तभी वह किसी को नुकसान पहुंचा सकती है।
अर्थात, आत्मा अगर शक्ति और ज्ञान में स्थिर है तो कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उसके पास नहीं जा सकती। भय ही द्वार है और योग ही सुरक्षा कवच।
रात्रि पिशाच के आध्यात्मिक उपाय: रोज अमृतवेला योग में बैठे। अपने कमरे में शिव बाबा की ज्योति स्वरूप छवि रखें। रात में ओम शांति की भावना में सोएं। किसी को डराने वाली बातें और वातावरण से दूर रहें।
जो याद में रहता है उसके पास कोई भूत-पिशाच नहीं ठहर सकते।
निष्कर्ष: डर नहीं, आत्मा की जागरूकता जरूरी है। रात्रि चर पिशाच का अस्तित्व उतना ही है जितना हमारा डर। ज्ञान का दीपक जलता है तो अंधकार मिट जाता है। असली सुरक्षा किसी ताबीज या आत्मिक शक्ति में नहीं, बल्कि आत्म जागृति में है।

