(05)सहज राजयोग द्वारा सार को विस्तार और विस्तार को सार करने की शत्कि
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
सहज राजयोग से सार को विस्तार और विस्तार को सार करने की शक्ति
एक सहज लेकिन चमत्कारी शक्ति
बापदादा हमें बार-बार सिखाते हैं —
“सहज राजयोग से आत्मा ऐसी शक्ति प्राप्त करती है, जिससे वह हर बात का सार भी ग्रहण कर सकती है और उस सार को विस्तार भी दे सकती है।”
यह कोई विद्वानों की कला नहीं, बल्कि सच्चे योगी की पहचान है।
1. क्या है ‘सार को विस्तार’ करने की शक्ति?
उदाहरण:
मुरली में सुनते हैं — “स्वयं को आत्मा समझ बाप को याद करो।”
यह एक गहरा सार है।
पर जब आप इसे हर रिश्ते, हर कर्म, हर व्यवहार में अप्लाई करते हैं, तो आपने इस सार को विस्तार में बदल दिया।
Murli Point:
“बाप को याद करने से बुद्धि की चमक तेज़ होती है, जिससे हर विषय का सार समझ में आने लगता है।”
— साकार मुरली
2. क्या है ‘विस्तार को सार’ करने की शक्ति?
दुनिया में आज ज्ञान और सूचनाओं का असीम विस्तार है —
परंतु शांति नहीं।
क्यों?
क्योंकि लोग विस्तार में उलझे हुए हैं, सार तक पहुंच नहीं पा रहे।
उदाहरण:
एक ब्राह्मण आत्मा यदि हज़ारों पॉइंट्स सुनकर सिर्फ इतना समझ ले —
“बाप को याद करना ही सर्व प्राप्तियों की कुंजी है”,
तो उसने विस्तार से सार निकाल लिया।
Avyakt Murli:
“सार को जानने वाले ही सारथी बन सकते हैं। सार को अपनाओ तो विस्तार सहज बन जायेगा।”
3. यह शक्ति सहज राजयोग से कैसे आती है?
राजयोग = राजा की तरह हर विचार, हर कर्म पर शासन।
जब आत्मा बाप से संबंध जोड़ती है, तो उसकी निर्णय शक्ति और विवेक शक्ति जागृत होती है।
उदाहरण:
कोई आपको अपशब्द कहे, और आप यह समझें —
“यह आत्मा अशांत है, मैं शांत आत्मा हूँ।”
तो आपने स्थिति का सार पकड़ लिया और सहनशक्ति का विस्तार दे दिया।
4. बापदादा की दृष्टि से “सारग्रहण आत्मा” कौन?
Murli Point:
“जो बच्चे हर बात को सहज रूप से आत्मसात करते हैं, वही मास्टर सर्वशक्तिवान बनते हैं।”
सारग्रहण आत्मा वह है जो:
-
समय नहीं गंवाती
-
बातों के विवरण में नहीं उलझती
-
दूसरों के गुणों का सार देखती है
-
परिस्थिति को तटस्थ दृष्टि से देखती है
5. सहज योगी ही विस्तार को संक्षिप्त कर पाते हैं
उदाहरण:
किसी ने 5 पन्नों की किताब पढ़ी, और आपसे 5 वाक्य में सार मांगा —
एक सहज योगी वो कर सकता है, क्योंकि उसमें होती है:
-
बुद्धि की स्थिरता
-
योगबल
-
परमात्मा की प्रेरणा
Murli Reminder:
“स्मृति स्वरूप बनने से बातें सहज समझ में आती हैं। याद से बंधन समाप्त होते हैं और बुद्धि सहज उड़ान भरती है।”
— अव्यक्त वाणी
6. इस शक्ति से जीवन में क्या लाभ होते हैं?
-
निर्णय में स्पष्टता
-
परिस्थितियों में समाधान-दृष्टि
-
सेवा में कम शब्दों में गहरा प्रभाव
-
स्वधर्म में स्थित, विस्तार से अछूते
सारग्रहणता = श्रेष्ठता
बापदादा कहते हैं —
“हर बात में सत्व और सार देखना सीखो, तभी आप सतयुगी देवता बन सकते हो।”
सहज राजयोग वह यंत्र है जिससे आत्मा:
हर विस्तार से सार निकालती है
और हर सार को विस्तार में अनुभव कराती है
सहज राजयोग से सार को विस्तार और विस्तार को सार करने की शक्ति — एक सहज लेकिन चमत्कारी शक्ति
(How to gain the power to extract essence from expansion and expand the essence through Sahaj Rajyog?)
Q1: ‘सार को विस्तार’ करने की शक्ति क्या होती है?
उत्तर:जब हम किसी बात के सार को केवल सुनकर न छोड़ें, बल्कि उसे जीवन के हर कर्म, हर संबंध, हर व्यवहार में उतारें, तो हम उसे विस्तार दे रहे होते हैं।
यह शक्ति हमें मुरली के गूढ़ ज्ञान को आत्म-अनुभव में बदलने में मदद करती है।
उदाहरण:
मुरली में कहा — “स्वयं को आत्मा समझ बाप को याद करो।”
यह एक गहरा सार है।
जब इसे हम रिश्तों, कार्यों, व्यवहार में उतार देते हैं — तो यह सार से विस्तार बन जाता है।
Murli Quote:
“बाप को याद करने से बुद्धि की चमक तेज़ होती है, जिससे हर विषय का सार समझ में आने लगता है।”
— साकार मुरली
Q2: ‘विस्तार को सार’ करने की शक्ति क्या होती है?
उत्तर:जब हम ज्ञान और सूचनाओं के विशाल समुद्र में से आवश्यक, उपयोगी और मुख्य बात को सहजता से पकड़ लें, तो यह ‘विस्तार से सार निकालने’ की शक्ति कहलाती है।
उदाहरण:
एक ब्राह्मण आत्मा यदि हज़ारों पॉइंट्स पढ़कर अंत में यही समझ जाए कि —
“बाप को याद करना ही सर्व प्राप्तियों की कुंजी है,”
तो उसने विस्तार से सार निकाल लिया।
Avyakt Murli:
“सार को जानने वाले ही सारथी बन सकते हैं। सार को अपनाओ तो विस्तार सहज बन जायेगा।”
Q3: यह शक्ति सहज राजयोग से कैसे आती है?
उत्तर:सहज राजयोग का अर्थ है आत्मा का परमात्मा से गहरा संबंध जोड़ना।
इस संबंध से आत्मा की विवेक और निर्णय शक्ति जाग्रत होती है, जिससे वह हर परिस्थिति में सार देख पाती है और उसे विस्तार दे पाती है।
उदाहरण:
कोई आपको गाली दे और आप सोचें —
“यह आत्मा अशांत है, मुझे शांत रहना है,”
तो आपने परिस्थिति का सार पकड़ लिया और सहनशक्ति का विस्तार कर दिया।
Q4: बापदादा की दृष्टि में “सारग्रहण आत्मा” कौन होती है?
उत्तर:सारग्रहण आत्मा वह है जो:
-
हर बात को सहज आत्मसात कर लेती है
-
विस्तार में उलझती नहीं
-
दूसरों के गुणों को भी देख पाती है
-
परिस्थिति को आत्मदृष्टि से तटस्थ देखती है
Murli Point:
“जो बच्चे हर बात को सहज रूप से आत्मसात करते हैं, वही मास्टर सर्वशक्तिवान बनते हैं।”
Q5: सहज योगी ही विस्तार को संक्षिप्त क्यों कर पाता है?
उत्तर:क्योंकि सहज योगी की बुद्धि स्थिर होती है, उसमें योगबल होता है, और परमात्मा की प्रेरणा कार्य करती है।
इससे वह बड़े से बड़े विषय को भी संक्षिप्त में स्पष्ट कर सकता है।
उदाहरण:
किसी ने 5 पन्नों की किताब पढ़ी हो, और एक सहज योगी उससे 5 वाक्यों में सार बता दे — यह उसकी सारग्रहणता की शक्ति है।
Murli Reminder:
“स्मृति स्वरूप बनने से बातें सहज समझ में आती हैं। याद से बंधन समाप्त होते हैं और बुद्धि सहज उड़ान भरती है।”
— अव्यक्त वाणी
Q6: इस शक्ति से जीवन में क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
-
निर्णय शक्ति स्पष्ट हो जाती है
-
परिस्थितियों में समाधान दिखाई देता है
-
सेवा में कम शब्दों से गहरा प्रभाव
-
स्वधर्म में स्थित रहते हैं, विस्तार से अछूते रहते हैं
सारग्रहणता = श्रेष्ठता
BapDada Quote:
“हर बात में सत्व और सार देखना सीखो, तभी आप सतयुगी देवता बन सकते हो।”
सहज राजयोग आत्मा को वह शक्ति देता है जिससे वह —
हर विस्तार से सार निकाल सकती है,
और हर सार को विस्तार में अनुभव करा सकती है।
यही योगी जीवन की सबसे बड़ी विशेषता है।
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