साक्षात्कार मूर्त कैसे बने?-(05)सहज योगी और श्रेष्ठ योगी में क्या अंतर है?
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
सहज योगी और श्रेष्ठ योगी में अंतर
1. परिचय: सवाल जो हर विद्यार्थी को समझना चाहिए
आज हम एक गहरा प्रश्न लेंगे – सहज योगी और श्रेष्ठ योगी में क्या अंतर है?
यह प्रश्न हर विद्यार्थी को समझना जरूरी है क्योंकि बाबा ने इसे कई मुरली में स्पष्ट किया है।
2. सहज योगी कौन है?
सहज योगी वे हैं जो याद की विधि को आसान समझकर अभ्यास करते हैं।
-
याद का अभ्यास स्वाभाविक और सरल होता है।
-
वे बाबा को अपना शिक्षक/सतगुरु मानकर उनसे स्वाभाविक संबंध रखते हैं।
सहज का अर्थ:
-
बिना कठिनाई और जटिलता के योग करना।
-
उदाहरण: एक बच्चा अपने पिता को याद करता है – इसमें कोई बनावट नहीं, यह स्वाभाविक है।
मुरली नोट (12 फरवरी 1986):
“सहज योगी बनना तो बच्चों के लिए आसान है।”
3. श्रेष्ठ योगी कौन है?
श्रेष्ठ योगी केवल सहज नहीं होते, बल्कि परिणाम और प्रभाव से श्रेष्ठ होते हैं।
-
उनका योग दूसरों के लिए भी साक्षात्कारकारी और शक्तिवर्धक होता है।
-
श्रेष्ठ योगी के योग का परिणाम और प्रभाव दूसरों पर दिखाई देता है।
साधारण बनाम श्रेष्ठ उदाहरण:
-
सहज योगी: साधारण बल्ब की तरह – प्रकाश है लेकिन सीमित।
-
श्रेष्ठ योगी: ट्यूबलाइट या हैलोजन की तरह – वातावरण बदल देता है।
मुरली नोट (24 जनवरी 1973):
“सहज योग से स्वयं का कल्याण होता है और श्रेष्ठ योग से सर्व का कल्याण होता है।”
4. परिणाम और प्रभाव
-
सहज योगी केवल स्वयं का कल्याण देखते हैं।
-
श्रेष्ठ योगी अपने कल्याण के साथ-साथ दूसरों के जीवन में भी परिवर्तन लाते हैं।
-
उनका वातावरण, व्यवहार, वाणी और कर्म दूसरों को प्रेरित करता है।
उदाहरण:
-
कोई व्यक्ति सहज योग करता है और दिन भर ध्यान करता है, लेकिन उसका जीवन परिवर्तित नहीं होता।
-
श्रेष्ठ योगी का जीवन, बोल, और कार्य दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं।
5. जीवन में लक्ष्य: सहज से श्रेष्ठ की ओर
-
नए विद्यार्थी पहले सहज योगी बनें – योग की शुरुआत सरलता से।
-
जीवन का उद्देश्य श्रेष्ठ योगी बनना होना चाहिए।
-
श्रेष्ठ योगी बनकर आप चलती-फिरती साक्षात्कार मूर्ति बनते हैं, जो केवल अपने लिए नहीं बल्कि पूरे वातावरण को पवित्र और शक्तिशाली बनाती हैं।
निष्कर्ष:
-
सहज योगी होना अच्छी शुरुआत है।
-
श्रेष्ठ योगी बनना ही अंतिम लक्ष्य और जीवन का उद्देश्य है।
-
सहज योग से स्वयं को बदल सकते हैं, लेकिन श्रेष्ठ योग से संपूर्ण संसार को बदल सकते हैं।
6. अगला विषय
अगली चर्चा में हम जानेंगे:
“तपस्वी से महापस्वी कैसे बने?”
-
अब तक हम तपस्वी थे।
-
अब हमें महातपस्वी बनना है, तो कैसे बनें?
-
सहज योगी और श्रेष्ठ योगी में अंतर – प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: सहज योगी और श्रेष्ठ योगी में अंतर क्यों जानना जरूरी है?
उत्तर:
यह प्रश्न हर विद्यार्थी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बाबा ने इसे कई मुरली में स्पष्ट किया है। यह समझना जरूरी है कि योग की केवल शुरुआत ही नहीं, बल्कि उसका परिणाम और प्रभाव भी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2: सहज योगी कौन होता है?
उत्तर:
सहज योगी वे हैं जो याद की विधि को सरल और स्वाभाविक तरीके से अभ्यास करते हैं।-
वे बाबा को अपना शिक्षक/सतगुरु मानकर उनसे स्वाभाविक संबंध रखते हैं।
-
सहज का अर्थ है बिना कठिनाई और जटिलता के योग करना।
उदाहरण:
एक बच्चा अपने पिता को याद करता है – इसमें कोई बनावट नहीं होती, यह सहज और स्वाभाविक है।मुरली नोट (12 फरवरी 1986):
“सहज योगी बनना तो बच्चों के लिए आसान है।”
प्रश्न 3: श्रेष्ठ योगी कौन होता है?
उत्तर:
श्रेष्ठ योगी केवल सहज नहीं होते, बल्कि परिणाम और प्रभाव से श्रेष्ठ होते हैं।-
उनका योग दूसरों के लिए भी साक्षात्कारकारी और शक्तिवर्धक होता है।
-
श्रेष्ठ योगी के योग का परिणाम और प्रभाव दूसरों पर दिखाई देता है।
साधारण बनाम श्रेष्ठ उदाहरण:
-
सहज योगी: साधारण बल्ब – प्रकाश है लेकिन सीमित।
-
श्रेष्ठ योगी: ट्यूबलाइट या हैलोजन – वातावरण बदल देता है।
मुरली नोट (24 जनवरी 1973):
“सहज योग से स्वयं का कल्याण होता है और श्रेष्ठ योग से सर्व का कल्याण होता है।”
प्रश्न 4: परिणाम और प्रभाव में अंतर क्या है?
उत्तर:
-
सहज योगी केवल स्वयं का कल्याण देखते हैं।
-
श्रेष्ठ योगी अपने कल्याण के साथ-साथ दूसरों के जीवन में भी परिवर्तन लाते हैं।
-
उनका वातावरण, व्यवहार, वाणी और कर्म दूसरों को प्रेरित करता है।
उदाहरण:
-
कोई व्यक्ति सिर्फ ध्यान करता है, लेकिन जीवन परिवर्तित नहीं होता → सहज योगी।
-
श्रेष्ठ योगी का जीवन, बोल, और कार्य दूसरों के लिए प्रेरणा बनता है।
प्रश्न 5: जीवन में लक्ष्य क्या होना चाहिए?
उत्तर:
-
नए विद्यार्थी पहले सहज योगी बनें – योग की शुरुआत सरलता से।
-
जीवन का अंतिम उद्देश्य श्रेष्ठ योगी बनना होना चाहिए।
-
श्रेष्ठ योगी बनकर आप चलती-फिरती साक्षात्कार मूर्ति बनते हैं, जो पूरे वातावरण को पवित्र और शक्तिशाली बनाती है।
निष्कर्ष:
-
सहज योगी होना अच्छी शुरुआत है।
-
श्रेष्ठ योगी बनना ही अंतिम लक्ष्य और जीवन का उद्देश्य है।
-
सहज योग से स्वयं को बदल सकते हैं, लेकिन श्रेष्ठ योग से संपूर्ण संसार को बदल सकते हैं।
प्रश्न 6: अगला कदम क्या है?
उत्तर:
अगली चर्चा में हम जानेंगे:
“तपस्वी से महापस्वी कैसे बने?”-
अब तक हम तपस्वी थे।
-
अब हमें महातपस्वी बनना है।
-
यह समझना जरूरी है कि महापस्वी बनने के लिए सरल शुरुआत (सहज योग) और श्रेष्ठ परिणाम (श्रेष्ठ योग) दोनों का पालन करना होगा।
-
-
Disclaimer / डिस्क्लेमर:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी मुरली और आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य दर्शकों को आध्यात्मिक ज्ञान, योग, और आत्म-संवर्धन की दिशा में मार्गदर्शन देना है। यह किसी धार्मिक या राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा नहीं देता। वीडियो में प्रस्तुत विचार व्यक्तिगत अनुभव और मुरली व्याख्याओं पर आधारित हैं।
सहज योगी, श्रेष्ठ योगी, सहज और श्रेष्ठ योगी में अंतर, ब्रह्माकुमारी योग, आत्मा का कल्याण, सर्व का कल्याण, साक्षात्कार मूरत, शिव बाबा शिक्षाएं, मुरली ज्ञान, आध्यात्मिक ज्ञान, योग के प्रकार, सहज योग क्या है, श्रेष्ठ योग क्या है, जीवन में लक्ष्य, योग अभ्यास, आत्म-संवर्धन, BK योग, BK ज्ञान, साक्षात्कारकारी योग, चलती-फिरती मूर्ति, पर्यावरण को पवित्र बनाना, जीवन का उद्देश्य, तपस्वी से महापस्वी, महापस्वी बनने के उपाय, योग और परिणाम, BK मुरली, शिव बाबा संदेश, ब्रह्माकुमारी teachings, spiritual knowledge, spiritual yoga, meditation knowledge, spirituality,Sahaja Yogi, Best Yogi, Difference between Sahaja and Best Yogi, Brahma Kumari Yoga, Welfare of the soul, Welfare of all, Shashank Murti, Shiv Baba teachings, Murli Gyan, Spiritual knowledge, Types of Yoga, What is Sahaja Yoga, What is Best Yoga, Goal in life, Yoga practice, Self-improvement, BK Yoga, BK Gyan, Shashankkari Yoga, Moving idol, Purifying the environment, Purpose of life, From ascetic to Mahapasvi, Ways to become Mahapasvi, Yoga and results, BK Murli, Shiv Baba message, Brahma Kumari teachings, spiritual knowledge, spiritual yoga, meditation knowledge, spirituality,