दशहरा:-(06)रावण का नाम ‘दशानन’ क्यों?
(06)रावण का नाम ‘दशानन’ क्यों?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“रावण के 10 सिर का रहस्य | दशानन कौन था? | असली दशहरा का ज्ञान |”
प्रस्तावना
हर वर्ष दशहरा आता है और हम देखते हैं कि रावण का पुतला जलाया जाता है। पर असली सवाल है — क्या सचमुच रावण के 10 सिर थे?
रावण का नाम दशानन क्यों?
लोग कहते हैं कि रावण के दस सिर थे, इसलिए उसे दशानन कहा गया।
लेकिन सवाल उठता है —
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वह खाता किस सिर से था?
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बोलता किस मुख से था?
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सुनता किन कानों से था?
इतिहास और विवेक दोनों ही यह स्वीकार नहीं कर सकते कि किसी मनुष्य के 10 सिर हो सकते हैं।
इसका अर्थ है कि “दशानन” कोई शारीरिक सत्य नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक अर्थ है।
मुरली प्रमाण (18 अक्टूबर 1999)
साकार मुरली 18-10-1999 में शिवबाबा ने कहा:
“रावण के 10 सिर कोई मनुष्य के सिर नहीं थे। वे 10 विकारों का प्रतीक हैं — 5 विकार पुरुष के और 5 विकार स्त्री के।”
असली रावण कौन?
साकार मुरली 25-10-2004 में बाबा ने स्पष्ट किया:
“रावण ना कोई आत्मा है, ना कोई मनुष्य। रावण केवल विकारों का नाम है।”
मतलब – असली रावण हमारे भीतर है।
10 सिर = 10 विकार
माया के 10 मुख बताये गए हैं:
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काम
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क्रोध
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लोभ
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मोह
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अहंकार
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ईर्ष्या
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द्वेष
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छल
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हट / ज़िद
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आलस्य / तंद्रा
जब ये विकार सक्रिय होते हैं, तो आत्मा हारती है और दुखी होती है।
मुरली प्रमाण (9 अक्टूबर 1979)
“दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय। जब आत्मा रावण रूपी विकारों पर जीत पाती है तभी विजयदशमी मनाई जाती है।”
(साकार मुरली 09-10-1979)
उदाहरण – 10 दिशाओं में फैली माया
जैसे दिशाएँ 10 मानी जाती हैं (उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, चार कोने + ऊपर और नीचे),
वैसे ही माया और विकार भी जीवन की हर दिशा में फैल जाते हैं।
इसलिए कहा गया – रावण दशानन है।
निष्कर्ष
रावण कभी भी 10 सिर वाला बाहरी राजा नहीं था।
“दशानन” का अर्थ है – माया के 10 शक्तिशाली रूप।
असली दशहरा तब है जब आत्मा परमात्मा शिव की शक्ति से रावण रूपी विकारों पर विजय पाती है।
यही विजय सच्चे रामराज्य की स्थापना है।
रावण के 10 सिर का असली रहस्य | प्रश्न–उत्तर
Q1: क्या सचमुच रावण के 10 सिर थे?
उत्तर: नहीं। किसी मनुष्य के 10 सिर होना संभव नहीं। बाबा ने मुरली में कहा है कि रावण के 10 सिर असल में 10 विकारों का प्रतीक हैं।
Q2: रावण का असली अर्थ क्या है?
उत्तर: साकार मुरली 25-10-2004 में शिवबाबा ने कहा – “रावण कोई मनुष्य नहीं, बल्कि विकारों का नाम है।”
Q3: वे 10 विकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
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काम
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क्रोध
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लोभ
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मोह
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अहंकार
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ईर्ष्या
-
द्वेष
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छल
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हट / ज़िद
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आलस्य / तंद्रा
Q4: हर साल दशहरे पर रावण का पुतला क्यों जलाया जाता है?
उत्तर: यह केवल प्रतीक है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हो। पर असली दशहरा तब है जब हम अपने अंदर बैठे विकारों रूपी रावण को खत्म करें।
Q5: बाबा ने दशहरा के बारे में क्या कहा?
उत्तर: अव्यक्त मुरली 09-10-1979 में बाबा ने कहा – “दशहरा का असली अर्थ है आत्मा की विजय।”
Q6: रावण को ‘दशानन’ क्यों कहा गया?
उत्तर: ‘दशानन’ का अर्थ है 10 सिर। प्रतीकात्मक रूप से यह 10 विकारों का रूप है। जब पुरुष के 5 और स्त्री के 5 विकार मिलते हैं, तो रावण दशानन कहलाता है।
Q7: असली विजय दशमी कब मनाई जाती है?
उत्तर: जब आत्मा परमात्मा शिव की शक्ति से विकारों पर जीत पाकर शांति, पवित्रता और आनंद का अनुभव करती है, तभी असली विजय दशमी होती है।
Q8: बाहर का पुतला जलाने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: पुतला जलाना केवल बाहरी रिवाज़ है। यदि भीतर के विकार न जलें, तो असली लाभ नहीं मिलता।
Disclaimer
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की मुरलियों और आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सत्य को स्पष्ट करना और आत्मा को जागरूक बनाना है। इसका मक़सद किसी भी धार्मिक परंपरा या मान्यता की आलोचना करना नहीं है।
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