(08)फरिश्ताआत्मा की पहचान: पाॅंच विकारों से पूरी तरह मुक्त
फरिश्ता आत्मा की पहचान | पांच विकारों से मुक्त जीवन |”
परिचय
बाबा ने फरिश्ता स्थिति को सिद्धि की अवस्था कहा है।
फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह पाँचों विकारों से मुक्त होती है –
काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार।
साकार मुरली – 18 जुलाई 1969
“फरिश्ता आत्मा इन पाँच विकारों से सदा मुक्त रहती है।”
काम से मुक्त – आत्मिक प्रेम
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फरिश्ता आत्मा का प्रेम देह, देश या व्यक्ति से नहीं होता।
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उसका प्रेम आत्मा और परमात्मा से होता है।
अव्यक्त मुरली – 14 फरवरी 1970
“काम विकार सबसे बड़ा शत्रु है। फरिश्ता आत्मा का प्रेम देह से नहीं, आत्मा और परमात्मा से होता है।”
उदाहरण:
जैसे सूरज सबको समान रोशनी देता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा का प्रेम आत्मिक और सर्वव्यापी होता है।
क्रोध से मुक्त – शांत स्वरूप
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क्रोध अग्नि है जो स्वयं को और दूसरों को जलाती है।
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फरिश्ता आत्मा परिस्थितियों में भी शांत रहती है।
साकार मुरली – 3 जून 1968
“क्रोध अग्नि है जो खुद को और दूसरों को जलाती है। फरिश्ता आत्मा शांत स्वरूप है।”
उदाहरण:
अगर कोई आपको गाली दे और आप मुस्कुरा दें, तो वही फरिश्ता स्थिति है।
लोभ से मुक्त – संतुष्ट आत्मा
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लोभ आत्मा को बेचैन करता है।
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फरिश्ता आत्मा डबल लाइट रहती है – उसे कुछ पाने की चाह नहीं रहती।
अव्यक्त मुरली – 9 नवंबर 1975
“फरिश्ता आत्मा लोभ से मुक्त होकर सदा डबल लाइट रहती है।”
उदाहरण:
जैसे बच्चा खिलौने के पीछे भागता है, पर समझदार आत्मा जानती है कि खिलौना टिकाऊ नहीं है।
मोह से मुक्त – बेहद की दृष्टि
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मोह आत्मा को बांधता है।
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फरिश्ता आत्मा सबको बेहद से देखती है, इसलिए किसी में अटकती नहीं।
साकार मुरली – 22 अगस्त 1969
“मोह आत्मा को बांध देता है। फरिश्ता आत्मा सबको बेहद से देखती है।”
उदाहरण:
कमल का फूल जल में रहते हुए भी जल से अछूता है। वैसे ही फरिश्ता आत्मा परिवार और परिस्थितियों में रहते हुए भी अटैचमेंट से मुक्त रहती है।
अहंकार से मुक्त – नम्रता स्वरूप
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जहां अहंकार है, वहां भगवान नहीं हो सकता।
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फरिश्ता आत्मा सदा नम्र और सेवाधारी रहती है।
अव्यक्त मुरली – 12 दिसंबर 1971
“जहां अहंकार है, वहां भगवान नहीं हो सकता। फरिश्ता आत्मा नम्र और सेवाधारी रहती है।”
उदाहरण:
फल से लदी हुई डाल हमेशा झुक जाती है। वैसे ही महान आत्मा हमेशा विनम्र होती है।
निष्कर्ष
फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान यही है कि –
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वह पाँचों विकारों से मुक्त है।
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परमात्म प्रेम में रंगी हुई है।
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यही स्थिति हमें भविष्य में देवत्व का अधिकारी बनाती है।
“फरिश्ता आत्मा की पहचान – पांच विकारों से मुक्त जीवन”
प्रश्न 1: फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान क्या है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह पाँचों विकारों – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार – से सदा मुक्त रहती है।
प्रश्न 2: फरिश्ता आत्मा का प्रेम किस प्रकार होता है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा का प्रेम देह, देश या किसी व्यक्ति से नहीं होता। उसका प्रेम केवल आत्मा और परमात्मा से होता है।
मुरली संदर्भ: अव्यक्त मुरली – 14 फरवरी 1970
उदाहरण: जैसे सूरज सबको समान रोशनी देता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा का प्रेम आत्मिक और सर्वव्यापी होता है।
प्रश्न 3: क्रोध से मुक्त आत्मा की स्थिति कैसी होती है?
उत्तर: क्रोध अग्नि है जो आत्मा को और दूसरों को जलाता है। फरिश्ता आत्मा शांत स्वरूप होती है और परिस्थिति में भी क्रोधित नहीं होती।
मुरली संदर्भ: साकार मुरली – 3 जून 1968
उदाहरण: यदि कोई आपको गाली दे और आप मुस्कुरा दें, तो यह फरिश्ता स्थिति है।
प्रश्न 4: फरिश्ता आत्मा लोभ से कैसे मुक्त रहती है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा डबल लाइट रहती है। उसे कुछ पाने की चाह नहीं होती, क्योंकि वह जानती है कि सब कुछ पहले ही पा लिया है।
मुरली संदर्भ: अव्यक्त मुरली – 9 नवंबर 1975
उदाहरण: बच्चा खिलौने के पीछे भागता है, लेकिन समझदार आत्मा जानती है कि खिलौना टिकाऊ नहीं है।
प्रश्न 5: मोह से मुक्त आत्मा की दृष्टि कैसी होती है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा सबको बेहद से देखती है। वह परिवार और परिस्थितियों में रहते हुए भी किसी में अटकती नहीं।
मुरली संदर्भ: साकार मुरली – 22 अगस्त 1969
उदाहरण: कमल का फूल जल में रहते हुए भी जल से अछूता रहता है। वैसे ही फरिश्ता आत्मा अटैचमेंट से मुक्त रहती है।
प्रश्न 6: अहंकार से मुक्त आत्मा की निशानी क्या है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा सदा नम्र और सेवाधारी रहती है। जहां अहंकार है, वहां भगवान नहीं हो सकता।
मुरली संदर्भ: अव्यक्त मुरली – 12 दिसंबर 1971
उदाहरण: फल से लदी हुई डाल हमेशा झुक जाती है। वैसे ही महान आत्मा हमेशा विनम्र होती है।
प्रश्न 7: निष्कर्ष में फरिश्ता आत्मा की असली पहचान क्या है?
उत्तर: निष्कर्ष यही है कि फरिश्ता आत्मा पाँचों विकारों से मुक्त और परमात्म प्रेम में रंगी हुई आत्मा है। यही स्थिति हमें भविष्य में देवत्व का अधिकारी बनाती है।
Disclaimer
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ के ईश्वरीय ज्ञान एवं मुरली बिंदुओं पर आधारित एक आध्यात्मिक प्रस्तुति है।
इसका उद्देश्य केवल आत्माओं को शांति, शक्ति और पवित्रता का अनुभव कराना है।
यह किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या मत के विरोध में नहीं है।
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