1-3/ Five basic qualities of the soul

1-3रूह (आत्मा) के पांच मूल गुण

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

आत्मा के पांच मूल गुण – रूह का दिव्य स्वरूप

प्रस्तावना

आज हम आत्मा के तीसरे पाठ में समझेंगे कि रूह (आत्मा) के पांच मूल दिव्य गुण कौन-कौन से हैं। कुरान शरीफ में रूह का बार-बार जिक्र है। रूह यानी आत्मा, जो परमात्मा से आई हुई दिव्य शक्ति है।


रूह के पांच मूल गुण

शांति (Peace / सुकून, अमन)

  • आत्मा का पहला धर्म शांति है।

  • जब आत्मा परमात्मा से जुड़ी रहती है, तो वह स्वाभाविक रूप से शांत रहती है।

साकार मुरली – 6 सितंबर 2025

“बच्चे, आत्मा का धर्म है शांति।”

उदाहरण:

जैसे सागर से लहरें उठती हैं, पर मूल सागर शांत रहता है। वैसे ही आत्मा का मूल शांति है।


पवित्रता (Purity / पाकीजा)

  • आत्मा मूल रूप से पवित्र है, उसमें कोई बुराई नहीं।

  • शरीर चेतना में आने के बाद विकार लगते हैं।

साकार मुरली – 10 सितंबर 2025

“मूल आत्मा पवित्र है। उसमें कोई दोष नहीं। विकार बाद में लगते हैं।”

उदाहरण:

जैसे साफ पानी गंदे बर्तन में डाला जाए तो मैला हो जाता है, वैसे ही आत्मा शरीर चेतना से अशुद्ध हो जाती है।


प्रेम (Love / मोहब्बत)

  • आत्मा का असली स्वभाव प्रेम है, जो जाति, धर्म और मजहब से परे है।

साकार मुरली – 14 सितंबर 2025

“परमात्मा प्रेम का सागर है। बच्चे आत्मा में भी वही प्रेम का संस्कार है।”

उदाहरण:

सूरज सबको बराबर रोशनी देता है, अमीर-गरीब, हिंदू-मुस्लिम सबको। वैसे ही आत्मा का प्रेम सबके लिए समान है।


आनंद (Bliss / खुशी)

  • आत्मा आनंदमय है।

  • असली खुशी आत्मा की अंदरूनी स्थिति से मिलती है, बाहरी वस्तुओं से नहीं।

साकार मुरली – 9 सितंबर 2025

“असली सुख आत्मा के अंदर है। बाहर की चीजों में नहीं।”

उदाहरण:

जैसी खुशबू फूल के अंदर होती है, वैसे ही असली आनंद भी आत्मा के अंदर है।


शक्ति (Power / ताकत)

  • आत्मा शक्तिशाली है, लेकिन विकारों से कमजोर हो जाती है।

  • परमात्मा से योग लगाकर आत्मा अपनी मूल शक्ति फिर से प्राप्त करती है।

साकार मुरली – 15 सितंबर 2025

“आत्मा को बाप से शक्तिशाली शक्ति मिलती है।”

उदाहरण:

जैसे मोबाइल चार्जिंग से चलता है, बिना चार्जिंग बैटरी खाली हो जाती है। वैसे ही आत्मा परमात्मा से योग द्वारा चार्ज होती है।


निष्कर्ष

रूह (आत्मा) मूल रूप से:

  • शांत

  • पवित्र

  • प्रेममय

  • आनंदमय

  • शक्तिशाली

जब आत्मा इन गुणों को याद रखकर जीवन जीती है, तो असली सलामती और पीस स्थापित होती है।


आत्मा के पांच दिव्य गुण – रूह का असली स्वरूप


प्रश्न 1: रूह के पांच मूल गुण कौन-कौन से हैं?

उत्तर: रूह (आत्मा) के पांच मूल दिव्य गुण हैं:

  1. शांति (Peace)

  2. पवित्रता (Purity)

  3. प्रेम (Love)

  4. आनंद (Bliss)

  5. शक्ति (Power)


प्रश्न 2: शांति गुण का क्या अर्थ है?

उत्तर: शांति आत्मा का पहला धर्म है। जब आत्मा परमात्मा से जुड़ी रहती है, तो वह स्वाभाविक रूप से शांत होती है।

उदाहरण: जैसे सागर से लहरें उठती हैं, पर मूल सागर शांत रहता है। वैसे ही आत्मा का मूल शांति है।

मुरली संदर्भ: 6 सितंबर 2025 – “बच्चे, आत्मा का धर्म है शांति।”


प्रश्न 3: पवित्रता का गुण क्या है?

उत्तर: आत्मा मूल रूप से पवित्र और दोषरहित होती है। विकार शरीर चेतना में आने के बाद लगते हैं।

उदाहरण: जैसे साफ पानी गंदे बर्तन में डाला जाए तो मैला हो जाता है। वैसे ही आत्मा शरीर चेतना से अशुद्ध हो जाती है।

मुरली संदर्भ: 10 सितंबर 2025 – “मूल आत्मा पवित्र है। उसमें कोई दोष नहीं। विकार बाद में लगते हैं।”


प्रश्न 4: प्रेम गुण का महत्व क्या है?

उत्तर: आत्मा का असली स्वभाव प्रेम है। यह प्रेम जाति, धर्म और मजहब से परे है।

उदाहरण: सूरज सबको बराबर रोशनी देता है – अमीर-गरीब, हिंदू-मुस्लिम सबको। वैसे ही आत्मा का प्रेम सबके लिए समान है।

मुरली संदर्भ: 14 सितंबर 2025 – “परमात्मा प्रेम का सागर है। बच्चे, आत्मा में भी वही प्रेम का संस्कार है।”


प्रश्न 5: आनंद गुण किसे कहते हैं?

उत्तर: आत्मा आनंदमय है। असली खुशी आत्मा की अंदरूनी स्थिति से मिलती है, बाहरी वस्तुओं से नहीं।

उदाहरण: जैसे खुशबू फूल के अंदर होती है, वैसे ही असली आनंद आत्मा के अंदर है।

मुरली संदर्भ: 9 सितंबर 2025 – “असली सुख आत्मा के अंदर है। बाहर की चीजों में नहीं।”


प्रश्न 6: शक्ति गुण का क्या अर्थ है?

उत्तर: आत्मा मूल रूप से शक्तिशाली है, लेकिन विकारों से कमजोर हो जाती है। परमात्मा से योग लगाकर आत्मा अपनी मूल शक्ति फिर से प्राप्त करती है।

उदाहरण: जैसे मोबाइल चार्जिंग से चलता है, बिना चार्जिंग बैटरी खाली हो जाती है। वैसे ही आत्मा परमात्मा से योग द्वारा चार्ज होती है।

मुरली संदर्भ: 15 सितंबर 2025 – “आत्मा को बाप से शक्तिशाली शक्ति मिलती है।”


प्रश्न 7: रूह के इन गुणों को जानने से जीवन में क्या लाभ होता है?

उत्तर: जब आत्मा इन पांच दिव्य गुणों (शांति, पवित्रता, प्रेम, आनंद, शक्ति) को याद रखकर जीवन जीती है, तो असली सलामती, पीस और जीवन में संतुलन स्थापित होता है।


प्रश्न 8: अगला भाग क्या समझाएगा?

उत्तर: अगले वीडियो में हम जानेंगे – क्या रूह मरती है और कुरान तथा मुरली में इसकी गवाही।


Disclaimer

यह वीडियो आध्यात्मिक अध्ययन और ज्ञान के लिए है। इसका उद्देश्य किसी धर्म या संप्रदाय की आलोचना करना नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के वास्तविक संबंध को उजागर करना है।

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