(104)गीता व्दारा चरित्र उत्थान जीवन को ऊॅंचाई देनेे का वास्तविक मार्ग
“स्मृति स्वरूप बनो और पास विद ऑनर का ताज पाओ | आज की मुरली से दिव्य संदेश”
1. प्रस्तावना
ओम् शान्ति।
आज हम बापदादा की मधुर मुरली से यह गहन रहस्य समझेंगे कि कैसे स्मृति स्वरूप बनकर हम जीवन में परिवर्तन की तीव्र गति प्राप्त कर सकते हैं और पास विद ऑनर बन सकते हैं।
2. स्मृति स्वरूप का महत्व
बापदादा कहते हैं – बच्चें! जब भी परिस्थिति आए, जब भी कोई विकार सामने आए, तो तुरंत अपने स्वरूप की स्मृति में आ जाओ।
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स्मृति ही शक्ति है।
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स्मृति ही वह दिव्य औषधि है जो हर स्थिति को बदल देती है।
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स्मृति स्वरूप आत्मा को ताजगी और शक्ति प्रदान करता है।
3. अनुभवी मूर्त बनना
अनुभव ही वास्तविक पूँजी है।
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केवल ज्ञान सुनना पर्याप्त नहीं है,
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ज्ञान को जीवन में उतारना और उसका अनुभव करना ही आत्मा को मूर्त बनाता है।
जब आत्मा अनुभवी बनती है, तभी दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बनती है।
4. सेकण्ड में परिवर्तन की शक्ति
बाबा कहते हैं – बच्चे! समय बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।
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जो आत्मा सेकण्ड में अपनी स्थिति बदल सकती है, वही सफलता प्राप्त करती है।
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यही राजयोग की शक्ति है कि हम मन, बुद्धि और संस्कारों को तुरंत परिवर्तन कर सकते हैं।
5. पास विद ऑनर बनने का रहस्य
पास विद ऑनर बनने का अर्थ है –
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हर परीक्षा में विजयी होना।
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बापदादा की उम्मीदों पर खरा उतरना।
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जीवन के अंत में बिना बंधन के, बिना कोई प्रश्न चिह्न के, परमधाम लौटना।
6. निष्कर्ष
प्रिय आत्माओं!
स्मृति स्वरूप और अनुभवी मूर्त बनकर, सेकण्ड में अपनी स्थिति को दिव्य में परिवर्तित करना ही हमें पास विद ऑनर बनाता है।
यह है सच्चे पुरूषार्थ का रहस्य।
“स्मृति स्वरूप बनो और पास विद ऑनर प्राप्त करो”
प्रश्नोत्तर (Q&A)
प्रश्न 1: स्मृति स्वरूप बनना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: स्मृति स्वरूप बनना अर्थात हर क्षण यह याद रखना कि मैं आत्मा हूँ और परमपिता परमात्मा का संतान हूँ। यही स्मृति हमें माया के प्रभाव से बचाती है और जीवन को दिव्य गुणों से भर देती है।
प्रश्न 2: अनुभवी मूर्त बनने का अर्थ क्या है?
उत्तर: अनुभवी मूर्त बनने का मतलब है कि केवल ज्ञान सुनना या पढ़ना नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में उस ज्ञान को अनुभव करना और दूसरों को अनुभव कराना। इससे आत्मा सशक्त होती है और योगबल की शक्ति बढ़ती है।
प्रश्न 3: सेकण्ड की तीव्रगति से परिवर्तन कैसे संभव है?
उत्तर: जब आत्मा परमात्मा के स्मृति-स्वरूप में रहती है और हर कर्म को योगयुक्त करती है, तो भीतर की कमज़ोरियाँ और दोष तुरंत परिवर्तित हो जाते हैं। योग और स्मृति की शक्ति से सेकण्ड में स्थिति बदलना संभव है।
प्रश्न 4: पास विद ऑनर बनने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है?
उत्तर: पास विद ऑनर बनने के लिए तीन मुख्य गुण आवश्यक हैं –
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स्मृति की स्थिरता
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अनुभव की गहराई
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परिवर्तन की तत्परता
इन गुणों के आधार पर आत्मा सहज ही बापदादा की उम्मीद पर खरा उतरती है।
प्रश्न 5: पास विद ऑनर बनने का फल क्या है?
उत्तर: पास विद ऑनर बनने का फल है कि आत्मा परमात्मा की समीपता प्राप्त करती है, जीवन सफल बनता है और वह आत्मा संगमयुग में ही नहीं, स्वर्णिम युग में भी श्रेष्ठ पद प्राप्त करती है।
Disclaimer:
इस वीडियो में प्रस्तुत विचार और ज्ञान ब्रह्माकुमारी मुरली तथा आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति और सकारात्मक जीवनशैली की प्रेरणा देना है। यह किसी भी प्रकार की चिकित्सीय, व्यावसायिक या व्यक्तिगत परामर्श की जगह नहीं लेता। कृपया इसे अपनी आस्था और विवेक अनुसार ही अपनाएँ।
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