(01) What is the true meaning of Karva Chauth? True good fortune, the moon, auspicious time, and the secret of the puja.

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करवा चौथ आध्यात्मिक रहस्य (01)करवा चौथ का असली अर्थ क्या है? सच्ची सौभाग्यवती, चाँद, मुहूर्त और पूजा का राज़

अध्याय: करवा चौथ का असली अर्थ

1. करवा चौथ किस दिन और किस मुहूर्त में मनाया जाता है?

लोग हर साल पूछते हैं: “करवा चौथ कब है, कौन-सा मुहूर्त शुभ है?” कोई पंडित से पूछता है, कोई इंटरनेट से देखता है… लेकिन क्या सच्चा शुभ मुहूर्त घड़ी में छिपा है या हमारे मन की अवस्था में?

Murli Note (19 अक्तूबर 2015):

“सच्चा मुहूर्त वह है जब तुम आत्मा परमात्मा को याद करो। जब योग लग गया, वही समय सबसे शुभ है।”

सारांश:
सच्चा “करवा चौथ” उस दिन नहीं जब कैलेंडर कहे, बल्कि जब आत्मा अपने “एक पति परमात्मा” को याद करे।

उदाहरण:
जैसे सूरज को देखने के लिए घड़ी नहीं चाहिए, वैसे ही ईश्वर-स्मृति का समय किसी पंचांग से तय नहीं होता। जब याद आई, वही मुहूर्त है।


2. चंद्रोदय का समय कैसे पता करें?

लोग मोबाइल ऐप्स देखते हैं: “आज चाँद कितने बजे निकलेगा?” लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से सोचें — क्या यह चाँद केवल आकाश का है, या इसका कोई और अर्थ है?

Murli Note (22 अक्तूबर 2016):

“मैं ही वह चाँद हूँ जिससे सब आत्माओं को शीतलता मिलती है। बच्चे, याद के योग से आत्मा शीतल बनती है।”

सारांश:
चाँद का अर्थ है परमात्मा शिव, जो हमारे जीवन को शांति और शीतलता देता है। चंद्रोदय का सच्चा अर्थ है — जब ज्ञान का प्रकाश हमारे मन के अंधकार को मिटा दे।

उदाहरण:
जैसे बादल के पीछे भी चाँद होता है, वैसे ही व्यर्थ संकल्पों के पीछे भी परमात्मा की रोशनी छिपी होती है। थोड़ा मन शांत करें — चाँद अपने आप दिखने लगता है।


3. पूजा का शुभ समय और विधि क्या है?

लोग पूछते हैं: “पूजा कब करनी है? किस दिशा में बैठना है? कौन-सी कथा सुननी है?”

Murli Note (25 अक्तूबर 2018):

“बाप कहते हैं – बच्चों, सच्ची पूजा तो मन की होती है। बाहरी चीज़ों से नहीं, याद से आत्मा पवित्र बनती है।”

सारांश:
असली पूजा शुद्ध भावना से होती है, न कि सामग्री से। शांति से बैठकर अपने मन को परमात्मा से जोड़ना ही सही विधि है।

उदाहरण:
जैसे कोई फूल भगवान को चढ़ाता है, पर भीतर क्रोध, ईर्ष्या या दुख है — तो क्या वह फूल सुगंध दे सकेगा? वही सच्चा पूजा का क्षण है, जब मन निर्मल और आत्मा पवित्र हो जाए।


4. क्या बिना चाँद देखे व्रत खोला जा सकता है?

सबसे बड़ा सवाल: “अगर बादल छा जाएं तो क्या व्रत खुल सकता है?”

Murli Note (17 अक्तूबर 1979):

“सच्चा सुहाग वही जो देहधारी को नहीं, एक शिव बाप को अपना सच्चा पति माने।”

सारांश:
यदि आपके मन का चाँद यानी परमात्मा स्पष्ट रूप से अनुभव में है, तो व्रत खोला जा सकता है। बादल या रात गहरी होने से फर्क नहीं पड़ता।

उदाहरण:
जैसे कोई प्रेमी अपने साथी की फोटो देखकर मुस्कुराता है, वैसे ही आत्मा भी ईश्वर की स्मृति से जुड़कर प्रसन्न हो जाती है।


5. निष्कर्ष

करवा चौथ केवल “पति की दीर्घायु” का व्रत नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के अविनाशी संबंध की याद का पर्व है। जब हम “एक शिव परमात्मा” को याद करते हैं, तो हमारा जीवन दीर्घ और दीप्तिमान बनता है।

सच्चा करवा चौथ वही है, जहाँ आत्मा कहे —
“मेरे जीवन का सच्चा चाँद तो सदा मेरे साथ है।”


समापन संदेश

इस बार जब आप चाँद देखें, तो सिर्फ आँखों से नहीं — आत्मा की दृष्टि से देखें। उसमें परमात्मा की शीतलता को महसूस करें, और अपने जीवन का हर दिन करवा चौथ बना दें — यानी सदा स्मृति का व्रत, सदा सुहाग का अनुभव।

करवा चौथ का असली अर्थ – Q&A फॉर्मेट में जानिए सच्चा रहस्य


Q1. करवा चौथ किस दिन और किस मुहूर्त में मनाया जाता है?

Answer:
लोग हर साल पूछते हैं: “करवा चौथ कब है, कौन-सा मुहूर्त शुभ है?” कोई पंडित से पूछता है, कोई इंटरनेट से देखता है… लेकिन सच्चा शुभ मुहूर्त घड़ी में नहीं, बल्कि हमारे मन की अवस्था में होता है।

Murli Note (19 अक्तूबर 2015):

“सच्चा मुहूर्त वह है जब तुम आत्मा परमात्मा को याद करो। जब योग लग गया, वही समय सबसे शुभ है।”

सारांश:
सच्चा करवा चौथ उस दिन होता है जब आत्मा अपने “एक पति परमात्मा” को याद करे।

उदाहरण:
जैसे सूरज को देखने के लिए घड़ी की जरूरत नहीं होती, वैसे ही ईश्वर-स्मृति का समय किसी पंचांग से तय नहीं होता। जब याद आई, वही मुहूर्त है।


Q2. चंद्रोदय का समय कैसे पता करें?

Answer:
लोग मोबाइल ऐप्स या पंचांग देखते हैं — “आज चाँद कितने बजे निकलेगा?” लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से चाँद का अर्थ केवल आकाश में चमक नहीं, बल्कि परमात्मा की शीतलता है।

Murli Note (22 अक्तूबर 2016):

“मैं ही वह चाँद हूँ जिससे सब आत्माओं को शीतलता मिलती है। बच्चे, याद के योग से आत्मा शीतल बनती है।”

सारांश:
चाँद का अर्थ है परमात्मा शिव, जो हमारे जीवन को शांति और शीतलता देता है।

उदाहरण:
जैसे बादल के पीछे भी चाँद होता है, वैसे ही व्यर्थ संकल्पों के पीछे भी परमात्मा की रोशनी छिपी होती है। थोड़ा मन शांत करें — चाँद अपने आप दिखने लगता है।


Q3. पूजा का शुभ समय और विधि क्या है?

Answer:
लोग पूछते हैं: “पूजा कब करनी है? किस दिशा में बैठना है? कौन-सी कथा सुननी है?”

Murli Note (25 अक्तूबर 2018):

“बाप कहते हैं – बच्चों, सच्ची पूजा तो मन की होती है। बाहरी चीज़ों से नहीं, याद से आत्मा पवित्र बनती है।”

सारांश:
सच्ची पूजा शुद्ध भावना से होती है, न कि सामग्री से। शांति से बैठकर अपने मन को परमात्मा से जोड़ना ही सही विधि है।

उदाहरण:
जैसे कोई फूल भगवान को चढ़ाता है, लेकिन भीतर क्रोध या ईर्ष्या है — तो क्या वह फूल सुगंध दे सकेगा? सच्चा पूजा का क्षण तब है, जब मन निर्मल और आत्मा पवित्र हो जाए।


Q4. क्या बिना चाँद देखे व्रत खोला जा सकता है?

Answer:
सबसे बड़ा सवाल: “अगर बादल छा जाएं तो क्या व्रत खुल सकता है?”

Murli Note (17 अक्तूबर 1979):

“सच्चा सुहाग वही जो देहधारी को नहीं, एक शिव बाप को अपना सच्चा पति माने।”

सारांश:
यदि आपके मन का चाँद यानी परमात्मा स्पष्ट रूप से अनुभव में है, तो व्रत खोला जा सकता है। बादल या रात गहरी होने से फर्क नहीं पड़ता।

उदाहरण:
जैसे कोई प्रेमी अपने साथी की फोटो देखकर मुस्कुराता है, वैसे ही आत्मा भी ईश्वर की स्मृति से जुड़कर प्रसन्न हो जाती है।


Q5. करवा चौथ का असली अर्थ क्या है?

Answer:
करवा चौथ केवल “पति की दीर्घायु” का व्रत नहीं है। यह आत्मा और परमात्मा के अविनाशी संबंध की याद का पर्व है।

सच्चा करवा चौथ वही है, जहाँ आत्मा कहे:

“मेरे जीवन का सच्चा चाँद तो सदा मेरे साथ है।”

Disclaimer:

यह वीडियो आध्यात्मिक दृष्टि से करवा चौथ के महत्व को समझाने के लिए है। यहाँ दी गई जानकारी ब्रह्माकुमारी मुरली के सन्दर्भ पर आधारित है। व्यक्तिगत धार्मिक परंपराओं और पंचांगों का पालन व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है।

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