(02)Why does Chhath Puja last for four days?

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

छठ पूजा का असली अर्थ-(02)छठ पूजा चार दिन क्यों चलती है?

अध्याय: “छठ पूजा का असली अर्थ — चार दिनों में आत्मा की साधना यात्रा”


 1. परिचय: छठ पूजा और उसकी महत्ता

छठ पूजा भारत का एक पवित्र पर्व है, जो चार दिनों तक मनाया जाता है।
यह केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मा की चार चरणों में शुद्धि यात्रा का प्रतीक है।

उदाहरण: जैसे एक पौधा चार चरणों में बढ़कर फल देता है, वैसे ही आत्मा भी संयम, तपस्या, त्याग और मिलन की यात्रा करती है।

मुरली नोट:
4 अप्रैल 2024 — “हर कदम मर्यादा में रहने का अभ्यास करो। हर कदम मर्यादा में रहने का अभ्यास करो तो आत्मा धीरे-धीरे बाप समान बनती जाती है।”


 2. पहला दिन: नहाए-खाए — शुद्धता का आरंभ

  • इस दिन व्रति स्नान कर शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं।

  • बाहरी नहीं, आंतरिक शुद्धता की शुरुआत।

उदाहरण: जैसे कोई कलाकार चित्र बनाने से पहले कैनवास साफ करता है, वैसे ही साधक को ईश्वर योग की साधना से पहले मन को पवित्र करना होता है।

मुरली नोट:
11 फरवरी 2004 — “शुद्ध आहार और शुद्ध विचार यही योग की पहली सीढ़ी है।”


 3. दूसरा दिन: खरना — आत्म संयम और आत्म संतोष

  • व्रति उपवास रखते हैं और रात्रि में गुड़-चावल का प्रसाद ग्रहण करते हैं।

  • यह दिन इंद्रियों पर विजय और आत्म संतोष का प्रतीक है।

  • आध्यात्मिक अर्थ: मन के विकारों से दूर रहना; काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से मुक्त रहना।

उदाहरण: जैसे दीपक की लौ तब स्थिर रहती है जब हवा नहीं हो, वैसे ही आत्मा स्थिर होती है जब विकारों की हवा रुक जाती है।

मुरली नोट:
20 जून 2024 — “बच्चे, संयम ही राजयोग की शक्ति है। इंद्रियों को जीतने वाला ही विश्व का राजा बनता है।”


 4. तीसरा दिन: संध्या अर्घ और समर्पण

  • सूर्यास्त के समय सूर्य और चांद को अर्घ दिया जाता है।

  • रात भर पानी में खड़े रहकर तपस्या

  • अर्घ देने का अर्थ: अपनी इच्छाओं और अहंकार को ईश्वर को समर्पित करना।

उदाहरण: जैसे दिन ढलते समय सूर्य अपनी किरणें पीछे छोड़ देता है, वैसे ही जीवन के हर चरण में हमें अपने कर्मों की छाया शुभ छोड़नी चाहिए।

मुरली नोट:
25 फरवरी 2024 — “समर्पण का अर्थ है मैं नहीं, बाप ही करता है। जब यह भावना आ जाती है, शांति स्वतः आती है।”


 5. चौथा दिन: प्रातः अर्घ — आत्मा का पुनः जागरण

  • प्रातः काल उदयमान सूर्य को अर्घ।

  • नए जीवन, नए संस्कार, दिव्य शक्ति का जागरण

  • आत्मा अंधकार से निकल कर ज्ञान सूर्य शिव से सीधा संबंध जोड़ती है।

उदाहरण: जैसे रात के बाद सुबह होती है, वैसे ही अज्ञानता के अंधकार के बाद आत्मा का ज्ञान उजाला फैलता है।

मुरली नोट:
19 जनवरी 2024 — “जब आत्मा परमात्मा से योग लगाती है, तब नया जन्म अर्थात नया जीवन मिलता है। इसे हीरा जन्म, डायमंड जन्म, मरजीवा जन्म कहा जाता है।”


 6. चार दिनों का सार: आत्मा की साधना यात्रा

दिन आध्यात्मिक अर्थ
नहाए-खाए मन और शरीर की शुद्धता
खरना इंद्रियों पर नियंत्रण, आत्म संतोष
संध्या अर्घ अहंकार का विसर्जन, समर्पण
प्रातः अर्घ आत्मा का पुनः जागरण, दिव्य शक्ति का उदय

मुरली नोट:
3 मार्च 2024 — “यह जीवन तपस्या का है। हर दिन आत्मा को नया रूप देना है।”


 7. समापन विचार: सच्चा छठ पूजा

  • बाहरी छठ नहीं, आंतरिक जागरण

  • छठ पूजा चार दिनों की आत्मा की यात्रा, जहां हर दिन आत्मा परमात्मा के और करीब आती है।

सच्चा संदेश:
“अब मैं देह नहीं, मैं आत्मा हूँ। मेरा बाप ज्ञान सूर्य शिव है।”

मुरली नोट:
7 जून 2024 — “जब अंधकार का अंत हुआ, बाप आया है तुम्हें प्रकाशमय बनाने।”

अंतिम संदेश:
छठ पर्व हमें सिखाता है कि जैसे सूर्य अंधकार मिटाता है, वैसे ही परमपिता परमात्मा का ज्ञान आत्मा के भीतर नया सूर्य उदय लाता है।
जब मन में शुद्धता और योग की ज्योति जलती है, तभी आत्मा सच्चे अर्थों में छठ पूजा करती है।

“छठ पूजा का असली अर्थ — चार दिनों में आत्मा की साधना यात्रा”


 1. परिचय: छठ पूजा और उसकी महत्ता

Q1. छठ पूजा कितने दिनों तक मनाई जाती है और इसका उद्देश्य क्या है?
A: छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है। इसका उद्देश्य केवल पूजा नहीं, बल्कि आत्मा की चार चरणों में शुद्धि यात्रा का प्रतीक है।

Q2. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे एक पौधा चार चरणों में बढ़कर फल देता है, वैसे ही आत्मा भी संयम, तपस्या, त्याग और मिलन की यात्रा करती है।

मुरली नोट:
4 अप्रैल 2024 — “हर कदम मर्यादा में रहने का अभ्यास करो। हर कदम मर्यादा में रहने का अभ्यास करो तो आत्मा धीरे-धीरे बाप समान बनती जाती है।”


 2. पहला दिन: नहाए-खाए — शुद्धता का आरंभ

Q3. पहले दिन व्रति क्या करते हैं और इसका आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
A: पहले दिन व्रति स्नान कर शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं। यह आंतरिक शुद्धता की शुरुआत है।

Q4. इसका जीवन में उदाहरण क्या है?
A: जैसे कोई कलाकार चित्र बनाने से पहले कैनवास साफ करता है, वैसे ही साधक को ईश्वर योग की साधना से पहले मन को पवित्र करना होता है।

मुरली नोट:
11 फरवरी 2004 — “शुद्ध आहार और शुद्ध विचार यही योग की पहली सीढ़ी है।”


 3. दूसरा दिन: खरना — आत्म संयम और आत्म संतोष

Q5. खरना दिन का क्या महत्व है?
A: व्रति उपवास रखते हैं और रात्रि में गुड़-चावल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह दिन इंद्रियों पर विजय और आत्म संतोष का प्रतीक है।

Q6. इसका आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
A: मन के विकारों से दूर रहना; काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से मुक्त रहना।

Q7. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे दीपक की लौ तब स्थिर रहती है जब हवा नहीं हो, वैसे ही आत्मा स्थिर होती है जब विकारों की हवा रुक जाती है

मुरली नोट:
20 जून 2024 — “बच्चे, संयम ही राजयोग की शक्ति है। इंद्रियों को जीतने वाला ही विश्व का राजा बनता है।”


 4. तीसरा दिन: संध्या अर्घ और समर्पण

Q8. संध्या अर्घ का क्या महत्व है?
A: सूर्यास्त के समय सूर्य और चांद को अर्घ देना। रात भर पानी में खड़े रहकर तपस्या करना।

Q9. अर्घ देने का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
A: अपनी इच्छाओं और अहंकार को ईश्वर को समर्पित करना

Q10. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे दिन ढलते समय सूर्य अपनी किरणें पीछे छोड़ देता है, वैसे ही जीवन के हर चरण में हमें अपने कर्मों की छाया शुभ छोड़नी चाहिए

मुरली नोट:
25 फरवरी 2024 — “समर्पण का अर्थ है मैं नहीं, बाप ही करता है। जब यह भावना आ जाती है, शांति स्वतः आती है।”


 5. चौथा दिन: प्रातः अर्घ — आत्मा का पुनः जागरण

Q11. चौथे दिन का क्या महत्व है?
A: प्रातः काल उदयमान सूर्य को अर्घ देना। यह नए जीवन, नए संस्कार और दिव्य शक्ति का जागरण का प्रतीक है।

Q12. इसका उदाहरण क्या है?
A: जैसे रात के बाद सुबह होती है, वैसे ही अज्ञानता के अंधकार के बाद आत्मा का ज्ञान उजाला फैलता है।

मुरली नोट:
19 जनवरी 2024 — “जब आत्मा परमात्मा से योग लगाती है, तब नया जन्म अर्थात नया जीवन मिलता है। इसे हीरा जन्म, डायमंड जन्म, मरजीवा जन्म कहा जाता है।”


 6. चार दिनों का सार: आत्मा की साधना यात्रा

दिन आध्यात्मिक अर्थ
नहाए-खाए मन और शरीर की शुद्धता
खरना इंद्रियों पर नियंत्रण, आत्म संतोष
संध्या अर्घ अहंकार का विसर्जन, समर्पण
प्रातः अर्घ आत्मा का पुनः जागरण, दिव्य शक्ति का उदय

मुरली नोट:
3 मार्च 2024 — “यह जीवन तपस्या का है। हर दिन आत्मा को नया रूप देना है।”


 7. समापन विचार: सच्चा छठ पूजा

Q13. छठ पूजा का सच्चा संदेश क्या है?
A: बाहरी छठ नहीं, आंतरिक जागरण। चार दिनों की यह यात्रा आत्मा को परमात्मा के और करीब लाती है।

Q14. असली छठ पूजा कैसे होती है?
A: जब आत्मा कहती है:
“अब मैं देह नहीं, मैं आत्मा हूँ। मेरा बाप ज्ञान सूर्य शिव है।”

डिस्क्लेमर:

“यह वीडियो छठ पूजा के आध्यात्मिक अर्थ और आत्मा की साधना यात्रा को समझाने के लिए बनाया गया है। इसमें धार्मिक परंपराओं का अपमान या विवाद करने का उद्देश्य नहीं है। सभी जानकारी ब्रह्मा कुमारि मुरली और आध्यात्मिक स्रोतों पर आधारित है।”

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