(15)Answers to mysterious questions of Chhath Puja.

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

छठ पूजा का असली अर्थ-:(15)छठ पूजा के रहस्यमय प्रश्नों के उत्तर।

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अध्याय 1: छठ पूजा का असली उद्देश्य

प्रश्न: क्या छठ से इच्छाएं सच में पूरी होती हैं?

मुरली नोट: अव्यक्त मुरली, 20 जुलाई 2024 —

“सच्चा धर्म वही है जो आत्मा को ऊंचा अनुभव कराए।”

व्याख्या:

  • यदि आत्मा में श्रेष्ठता की अनुभूति नहीं होती, तो उस पूजा में कोई कमी है।

  • छठ पूजा का असली संदेश: ईश्वर केवल सच्ची भावना और शुद्ध संकल्प से प्रसन्न होते हैं।

  • सच्ची इच्छा वही है जो आत्मा के उत्थान और परमात्मा की श्रीमत के अनुसार हो।

उदाहरण:
अगर कोई केवल संतान सुख या धन के लिए छठ करता है, तो यह बाहरी इच्छा है। लेकिन अगर वह अपने आत्मा के शुद्धिकरण और सेवा भाव से पूजा करता है, तो यही सच्ची “इच्छा पूर्ति” है।


 अध्याय 2: सूर्य उपासना का रहस्य

प्रश्न: छठ पूजा का उल्लेख वेदों या पुराणों में कहां मिलता है?

मुरली नोट: ब्रह्माकुमारी ज्ञान अनुसार — सूर्य उपासना बाहरी रूप से ऋग्वेद और यजुर्वेद में मिलती है।

व्याख्या:

  • सूर्य को वेदों में “साक्षात जीवनी शक्ति” और “आत्मा का मित्र” कहा गया।

  • सच्चा सूर्य: परमपिता शिव — ज्ञान सूर्य, जो आत्मा को ज्ञान का प्रकाश देते हैं।

  • भौतिक सूर्य केवल शरीर को रोशनी देता है, लेकिन परमात्मा सूर्य आत्मा को प्रकाश और ज्ञान देता है।

आध्यात्मिक संदेश:
सच्ची सूर्य उपासना = परमात्मा शिव का स्मरण और आज्ञा मानना।

उदाहरण:
जैसे दीपक अंधकार मिटाता है, वैसे ही ज्ञान सूर्य आत्मा के अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाता है।


 अध्याय 3: छठ पूजा — धर्म या कृतज्ञता?

प्रश्न: क्या छठ केवल हिंदुओं का है या सभी कर सकते हैं?

मुरली नोट: 8 अगस्त 2024 —

“धर्म अलग-अलग हैं, पर आत्मा तो एक जैसी है।”

व्याख्या:

  • छठ पूजा किसी धर्म तक सीमित नहीं है। यह प्रकृति, सूर्य और जीवन के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है।

  • जैसे सूर्य सबको समान प्रकाश देता है, वैसे ही परमात्मा शिव सब आत्माओं के पिता हैं।

विदेशों में छठ:

  • लंदन, न्यूयॉर्क, दुबई, सिडनी में भारतीय नदियों पर सूर्य अर्घ्य।

  • परमात्मा: “जहां स्मृति है, वही तीर्थ है।”

उदाहरण:
भले आप किसी भी धर्म या देश के हों, अगर आत्मा में स्मृति है, तो वही जगह पवित्र बनती है।


 अध्याय 4: भजन, मंत्र और सेवा भाव

प्रश्न: छठ पूजा में कौन से भजन या मंत्र गाए जाते हैं?

व्याख्या:

  • लोकप्रिय लोकगीत: “छठ में कारवा जल भरन जाए हो रामा”।

  • असली भजन: बाबा की याद में मन लगाना और परमात्मा की आज्ञा मानना।

उदाहरण:
जब कोई मां-बहन सेवा भाव से जल चढ़ाती है और मन में बाबा की याद रखती है, तो परमात्मा की शक्ति उसे स्पर्श करती है।


 अध्याय 5: ग्रह स्थिति और आत्मा

प्रश्न: क्या छठ के दौरान ग्रह स्थिति का कोई महत्व है?

व्याख्या:

  • पारंपरिक दृष्टि: सूर्य उत्तरायण की ओर।

  • आध्यात्मिक दृष्टि: आत्मा ग्रहों से परे है।

  • ग्रह केवल प्रकृति को प्रभावित करते हैं, आत्मा को नहीं।

  • योगी आत्मा हर स्थिति को पार कर सकती है।

उदाहरण:
जैसे सूर्य के सामने बादल आए, पर उसका प्रकाश कम नहीं होता।


 अध्याय 6: इच्छाओं की पूर्ति और छठ पूजा

मुरली नोट: साकार मुरली, 28 अगस्त 2024 —

“सच्चा भक्त वही है जो भक्ति को याद-योग में बदल देता है।”

व्याख्या:

  • छठ पूजा का असली अर्थ: अपनी इच्छाओं को परमात्मा की इच्छा में समर्पित करना।

  • आत्मा जब समर्पित हो जाती है, तभी सच्ची “इच्छा पूर्ति” होती है।

  • परमात्मा नश्वर चीजें नहीं देते, बल्कि पूर्णता और मुक्ति का वरदान देते हैं।

उदाहरण:
यदि आप केवल जल चढ़ाते हैं, लेकिन मन परमात्मा में लीन नहीं है, तो वह पूजा अधूरी है। लेकिन जब मन और भावना परमात्मा में विलीन हो, तो मुक्ति और जीवन मुक्ति मिलती है।


 निष्कर्ष: छठ पूजा — भक्ति से योग की यात्रा

सिखावन:

  •  सूर्य से ऊर्जा लें

  •  सेवा से एकता लें

  •  स्मृति से आत्मा को उज्ज्वल बनाएं

परमात्मा संदेश:

“जब तुम अपनी मनोकामना मेरी याद में विलीन कर देते हो, तब मैं तुम्हें मनवांछित फल देता हूं — मुक्ति और जीवन मुक्ति।”

संकल्प:
इस छठ पर हम केवल जल नहीं चढ़ाएंगे, बल्कि अपनी आत्मा को परमात्मा के प्रकाश में स्नान कराएंगे।
यही है सच्चा अर्थ और सच्चा योग।

छठ पूजा का असली उद्देश्य

प्रश्न: क्या छठ से इच्छाएं सच में पूरी होती हैं?
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली, 20 जुलाई 2024 — “सच्चा धर्म वही है जो आत्मा को ऊंचा अनुभव कराए।”
व्याख्या: यदि आत्मा में श्रेष्ठता की अनुभूति नहीं होती, तो उस पूजा में कोई कमी है।
आध्यात्मिक संदेश: ईश्वर केवल सच्ची भावना और शुद्ध संकल्प से प्रसन्न होते हैं। सच्ची इच्छा वही है जो आत्मा के उत्थान और परमात्मा की श्रीमत के अनुसार हो।
उदाहरण: यदि कोई केवल संतान सुख या धन के लिए छठ करता है, तो यह बाहरी इच्छा है। लेकिन यदि वह अपने आत्मा के शुद्धिकरण और सेवा भाव से पूजा करता है, तो यही सच्ची “इच्छा पूर्ति” है।


अध्याय 2: सूर्य उपासना का रहस्य

प्रश्न: छठ पूजा का उल्लेख वेदों या पुराणों में कहां मिलता है?
मुरली नोट: ब्रह्माकुमारी ज्ञान अनुसार — सूर्य उपासना बाहरी रूप से ऋग्वेद और यजुर्वेद में मिलती है।
व्याख्या: सूर्य को वेदों में “साक्षात जीवनी शक्ति” और “आत्मा का मित्र” कहा गया। भौतिक सूर्य केवल शरीर को रोशनी देता है, लेकिन परमात्मा सूर्य आत्मा को प्रकाश और ज्ञान देते हैं।
आध्यात्मिक संदेश: सच्ची सूर्य उपासना = परमात्मा शिव का स्मरण और आज्ञा मानना।
उदाहरण: जैसे दीपक अंधकार मिटाता है, वैसे ही ज्ञान सूर्य आत्मा के अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाता है।


अध्याय 3: छठ पूजा — धर्म या कृतज्ञता?

प्रश्न: क्या छठ केवल हिंदुओं का है या सभी कर सकते हैं?
मुरली नोट: 8 अगस्त 2024 — “धर्म अलग-अलग हैं, पर आत्मा तो एक जैसी है।”
व्याख्या: छठ पूजा किसी धर्म तक सीमित नहीं है। यह प्रकृति, सूर्य और जीवन के प्रति कृतज्ञता का उत्सव है।
उदाहरण: भले आप किसी भी धर्म या देश के हों, अगर आत्मा में स्मृति है, तो वही जगह पवित्र बनती है।


अध्याय 4: भजन, मंत्र और सेवा भाव

प्रश्न: छठ पूजा में कौन से भजन या मंत्र गाए जाते हैं?
व्याख्या: लोकप्रिय लोकगीत: “छठ में कारवा जल भरन जाए हो रामा”।
आध्यात्मिक संदेश: असली भजन = बाबा की याद में मन लगाना और परमात्मा की आज्ञा मानना।
उदाहरण: जब कोई मां-बहन सेवा भाव से जल चढ़ाती है और मन में बाबा की याद रखती है, तो परमात्मा की शक्ति उसे स्पर्श करती है।


अध्याय 5: ग्रह स्थिति और आत्मा

प्रश्न: क्या छठ के दौरान ग्रह स्थिति का कोई महत्व है?
व्याख्या: पारंपरिक दृष्टि: सूर्य उत्तरायण की ओर।
आध्यात्मिक दृष्टि: आत्मा ग्रहों से परे है। ग्रह केवल प्रकृति को प्रभावित करते हैं, आत्मा को नहीं।
उदाहरण: जैसे सूर्य के सामने बादल आए, पर उसका प्रकाश कम नहीं होता।


अध्याय 6: इच्छाओं की पूर्ति और छठ पूजा

मुरली नोट: साकार मुरली, 28 अगस्त 2024 — “सच्चा भक्त वही है जो भक्ति को याद-योग में बदल देता है।”
व्याख्या: छठ पूजा का असली अर्थ = अपनी इच्छाओं को परमात्मा की इच्छा में समर्पित करना।
उदाहरण: यदि आप केवल जल चढ़ाते हैं, लेकिन मन परमात्मा में लीन नहीं है, तो वह पूजा अधूरी है। लेकिन जब मन और भावना परमात्मा में विलीन हो, तो मुक्ति और जीवन मुक्ति मिलती है।


निष्कर्ष: छठ पूजा — भक्ति से योग की यात्रा

सिखावन:

  •  सूर्य से ऊर्जा लें

  •  सेवा से एकता लें

  •  स्मृति से आत्मा को उज्ज्वल बनाएं

परमात्मा संदेश: “जब तुम अपनी मनोकामना मेरी याद में विलीन कर देते हो, तब मैं तुम्हें मनवांछित फल देता हूं — मुक्ति और जीवन मुक्ति।”

संकल्प: इस छठ पर हम केवल जल नहीं चढ़ाएंगे, बल्कि अपनी आत्मा को परमात्मा के प्रकाश में स्नान कराएंगे। यही है सच्चा अर्थ और सच्चा योग।

Disclaimer

यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक ज्ञान और मुरली उद्धरणों पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत सामग्री शास्त्र और आध्यात्मिक दृष्टिकोण के अनुसार है। यह किसी धार्मिक रीति-रिवाज या परंपरा का प्रचार-प्रसार नहीं करता, बल्कि आध्यात्मिक समझ और आत्मा के उत्थान के लिए है।

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