(19) The angelic soul transcends the body and bodily relations and experiences only the soul and the Supreme Soul.

(19)फ़रिश्ता आत्मा देह और देह-संबंधों से परे होकर केवल आत्मा-परमात्मा का अनुभव

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“फरिश्ता स्थिति कैसे बनाएं? | देह से न्यारा बनना |”


 फरिश्ता स्थिति कैसे बनेंगे हम फरिश्ता?


1. फरिश्ता स्थिति का आधार

अव्यक्त मुरली: 18 जनवरी 1970

“फरिश्ता आत्मा देह और देह संबंधों से परे होकर केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करती है।”

 इसका अर्थ है – जब तक हमें किसी भी देह का आकर्षण है, तब तक फरिश्ता स्थिति संभव नहीं।
 फरिश्ता स्थिति = मैं आत्मा + मेरा बाबा, और कुछ भी नहीं।


2. देह और देह संबंध क्यों बाँधते हैं?

साकार मुरली: 12 मार्च 1969

“जब आत्मा देही अभिमान छोड़ देती है तो देह के संबंध आकर्षित करते हैं।”

 यदि हम अपने को देह समझते हैं तो देह और संबंध हमें खींचते हैं।
 यदि अपने को आत्मा समझते हैं तो देह का आकर्षण समाप्त।

उदाहरण:
जैसे एक अभिनेता मंच पर भूमिका निभाता है लेकिन जानता है कि यह उसकी असली पहचान नहीं है। वैसे ही आत्मा को स्मृति होनी चाहिए कि यह देह और इसके संबंध केवल एक नाटक का रोल हैं।


3. आत्मा–परमात्मा का अनुभव

अव्यक्त मुरली: 5 अप्रैल 1975

“आत्मा जब शिव बाबा को याद करती है तो देह का भान मिट जाता है।”

 यह स्मृति सूर्य की किरण में बर्फ पिघलने जैसी है।
परंतु याद रहे – केवल बाबा के सामने बैठने से शक्तियाँ नहीं मिलतीं।
सिद्धि = विधि से।
 इसलिए फरिश्ता स्थिति के लिए बाबा की श्रीमत पर चलना ही विधि है।


4. फरिश्ता आत्मा = आत्मा और परमात्मा का अनुभव

अव्यक्त मुरली: 22 जून 1977

“फरिश्ता आत्मा का अनुभव है – न देह, न देह के संबंध। केवल बिंदु आत्मा और बिंदु परमात्मा।”

उदाहरण:
जैसे पक्षी आकाश में उड़ते हुए धरती से न्यारे रहते हैं, वैसे ही फरिश्ता आत्मा संसार में रहते हुए भी संबंधों से न्यारी रहती है।


5. परिणाम – बेहद का सुख और जीवनमुक्ति

साकार मुरली: 14 नवम्बर 1968

“जब आत्मा देह और देह के संबंधों से परे हो जाती है तभी बेहद का सुख और मुक्ति–जीवनमुक्ति का अनुभव करती है।”

 यही स्थिति “अशरीरी” और “डबल लाइट” कहलाती है।
 तन का बोझ भी नहीं, मन का बोझ भी नहीं।
 केवल बाबा की श्रीमत अनुसार सोचना, देखना और करना।


6. अभ्यास कैसे करें?

  • पहले एकांत में बैठकर: “मैं आत्मा हूँ – यह शरीर नहीं हूँ।”

  • फिर बाहर निकलकर अभ्यास करें – “मैं आत्मा देख रहा हूँ, सामने आत्मा है।”

  • शुरुआत में संकल्प से, बाद में यह प्रैक्टिकल अनुभव बन जाएगा।

उदाहरण:
जैसे स्कूल का प्रिंसिपल जहां भी जाता है, उसे याद दिलाने की जरूरत नहीं कि वह प्रिंसिपल है। उसी प्रकार आत्मा को यह स्मृति बनी रहे कि मैं आत्मा हूँ, यह शरीर केवल गाड़ी है।


7. फरिश्ता स्थिति का रहस्य

  • केवल “मैं आत्मा और मेरा बाबा” की स्मृति।

  • देह और देह के संबंध = शून्य।

  • दृष्टि = तीसरे नेत्र से आत्मा को देखना।

  • विधि = बाबा की श्रीमत।


 निष्कर्ष

फरिश्ता स्थिति कोई कल्पना नहीं बल्कि नित्य अभ्यास का फल है।
जब आत्मा केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करती है, तभी वह वास्तव में फरिश्ता बनती है।

“फरिश्ता स्थिति का रहस्य | आत्मा और परमात्मा का अनुभव”


Q1: फरिश्ता स्थिति क्या होती है?

A1:फरिश्ता स्थिति का अर्थ है – आत्मा का देह और देह के संबंधों से न्यारा होकर केवल आत्मा और परमात्मा का अनुभव करना। इस स्थिति में आत्मा डबल लाइट और निश्चिंत रहती है।


Q2: आत्मा को फरिश्ता बनने से कौन रोकता है?

A2:देह का आकर्षण और देह के संबंध आत्मा को बाँध लेते हैं। जब तक आत्मा देही अभिमान में है, वह देह और संबंधों से खिंचती रहेगी।


Q3: आत्मा–परमात्मा का अनुभव कैसे किया जा सकता है?

A3:निरंतर स्मृति से – “मैं आत्मा हूँ और शिव बाबा मेरा साथी है।”
इस स्मृति से देह का भान मिटता है और आत्मा को शक्ति व शांति का अनुभव होता है।


Q4: फरिश्ता स्थिति के लिए सबसे बड़ी विधि क्या है?

A4:परमात्मा की श्रीमत पर चलना ही सबसे बड़ी विधि है। केवल याद करने से नहीं, बल्कि हर संकल्प और कर्म को श्रीमत अनुसार करने से आत्मा शक्तिशाली बनती है।


Q5: फरिश्ता स्थिति में रहने से आत्मा को क्या लाभ मिलता है?

A5:

  • बेहद का सुख और हलकापन।

  • जीवनमुक्ति का अनुभव।

  • निश्चिंत, भयमुक्त और प्रसन्न अवस्था।


Q6: फरिश्ता स्थिति का अभ्यास कैसे करें?

A6:

  1. पहले संकल्प में अभ्यास – “मैं आत्मा हूँ, यह शरीर नहीं हूँ।”

  2. फिर व्यवहार में अभ्यास – सामने आत्मा को देखना।

  3. धीरे-धीरे यह स्वाभाविक अनुभव बन जाता है।


Disclaimer (वीडियो की शुरुआत में पढ़ने हेतु)

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक अध्ययन और व्यक्तिगत मनन है।
कृपया इसे किसी धार्मिक या सामाजिक विवाद से न जोड़ें।
यह केवल बाबा की मुरलियों से लिए गए अमूल्य बिंदुओं का सहज स्पष्टीकरण है।

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